जानिए भोजन से पहले क्यों लगाते हैं भगवान को भोग?

आपने देखा होगा कि कुछ लोग भोजन करने से पहले थोड़ा भोजन थाली से बाहर रखकर नैवैद्य रुप में अर्पित करते हैं और हाथ जोड़कर प्रणाम करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं| क्या आपको पता है इसके पीछे क्या धार्मिक कारण है? यदि नहीं तो हम आपको बताते हैं कि इसके पीछे धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी है| 

तो आइये जानते हैं इसके पीछे क्या धार्मिक कारण है| आपको बता दें कि श्रीमद भगवद गीता के तीसरे अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि जो व्यक्ति बिना यज्ञ किए भोजन करता है वह चोरी का अन्न खाता है। इसका अर्थ यह है कि जो व्यकि भगवान को अर्पित किए बिना भोजन करता है वह अन्न देने वाले भगवान से अन्न की चोरी करता है। ऐसे व्यक्ति को उसी प्रकार का दंड मिलता है जैसे किसी की वस्तु को चुराने वाले को सजा मिलती है।

इतना ही नहीं, ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी लिखा है कि "अन्न विष्टा, जलं मूत्रं, यद् विष्णोर निवेदितम्। यानी भगवान को बिना भोग लगाया हुआ अन्न विष्टा के समान और जल मूत्र के तुल्य है। ऐसा भोजन करने से शरीर में विकार उत्पन्न होता है और विभिन्न प्रकार के रोग होते हैं।

वहीँ, इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है तो आइये जाने वैज्ञानिक कारण क्या हैं? वैज्ञानिक दृष्टि से स्वस्थ रहने के लिए भोजन करते समय मन को शांत और निर्मल रखना चाहिए। अशांत मन से किया गया भोजन पचने में कठिन होता है। इससे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए मन की शांति के लिए भोजन से पहले अन्न का कुछ भाग भगवान को अर्पित करके ईश्वर का ध्यान करने की सलाह वेद और पुराणों में दी गई है।

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