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पुलिस के एक अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर बताया कि डीआइजी ऑफिस पर लगातार विवेचनाओं में नाम बढ़ाने और निकालने की शिकायतें दर्ज होती रही हैं। जिसे शासन ने जब गम्भीरता से लिया तो पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर डीआइजी ने पिछले तीन साल में लंबित चल रही विवेचनाओं की जांच बैठा दी। जाँच में यह निकलकर सामने आया कि मेरठ रेंज के छह जनपदों की समीक्षा में सभी संगीन विवाद लूट, हत्या और डकैती में धारा बढ़ाने, नाम निकालने और बढ़ाने का बड़े घोटाले का खुलासा हुआ। जिसमें 40 दरोगा, इंस्पेक्टर और सीओ दागी पाए गए|
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, डीआइजी ने इन दागी विवेचकों से विवेचनाओं को छीन कर दूसरे विवेचकों से जांच कराने के निर्देश जारी कर दिए हैं। साथ ही सभी विवेचकों को मिस कंडेक्ट की कार्रवाई करते हुए उनके करेक्टर रोल में भी इसका उल्लेख कर दिया है। ताकि भविष्य में प्रमोशन न हो सके।
मेरठ में जो प्रमुख वारदातें हुई हैं वह इस प्रकार हैं- वर्ष 2011 में नौचंदी थाना क्षेत्र के हत्या का मामला, क्राइम संख्या-754 इसके अलावा इसी वर्ष लिसाड़ीगेट थाना क्षेत्र में डकैती, क्राइम संख्या-98| इसके अलावा वर्ष 2012 में कंकरखेड़ा में हत्या के मामले में भोलू पर नहीं हुई कार्रवाई, क्राइम संख्या-668| 2012 में की नौचंदी में लूट की बड़ी वारदात, क्राइम संख्या-568 वहीं, दागी विवेचक गाजियाबाद में 13, नोएडा में 4, बागपत में भी 4, हापुड़ में 3, मेरठ में 13 और बुलंदशहर में 3 |
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