ओलम्पिक के सत्ताकेंद्र में बड़ा बदलाव

वर्ष 2013 में खेल जगत में अनेक बदलाव देखने के मिले, लेकिन सबसे बड़ा बदलाव ओलम्पिक में देखने को मिला। लगभग एक दशक बाद ओलम्पिक की सत्ता में तब बदलाव देखने को मिला जब थॉमस बाख को अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) का नया अध्यक्ष चुना गया। बाख ने जैक्स रोगे की जगह ली। जर्मनी के 59 वर्षीय बाख ने सितंबर में ब्यूनस आयर्स में हुए गुप्त मतदान में पांच प्रत्याशियों के बीच भारी अंतर से जीत दर्ज की। बाख के चुनाव ने विश्व खेल जगत को यह संदेश दिया कि रोगे के पिछले 12 वर्षो के कार्यकाल के दौरान जिस तरह ओलम्पिक विश्व का शीर्ष खेल संगठन रहा, उसी तरह आगे भी यह बना रहेगा और इसीलिए सदस्यों ने ओलम्पिक की सत्ता सुरक्षित हाथों में सौंपी।

2001 में जुआन एंटोनियो समारांच की जगह ओलम्पिक समित के अध्यक्ष बने रोगे ने वोट के लिए रिश्वत मामला प्रकाश में आने के बाद धूमिल हुई ओलम्पिक की गरिमा को 2002 में साल्ट लेक सिटी में हुए ओलम्पिक तक फिर से बहाल करने का कार्य किया। इस विवाद के कारण ही समारांच को ओलम्पिक अध्यक्ष पद गंवानी पड़ी। रोगे ने खेल में डोपिंग और खेल की आचार संहिता के उल्लंघन पर सख्ती बरती, तथा 2010 में यूथ ओलिम्पक की शुरुआत की। रोगे ने ओलम्पिक की वित्तीय स्थिति में भी सुधार किया।

रोगे के मार्गदर्शन में आईओसी ने नए मेजबान को ओलम्पिक आयोजन करने का मौका दिया, जिसमें ओलम्पिक-2016 की मेजबानी रियो डी जनेरियो को दिया जाना भी शामिल है। बेल्जियम के रोगे ने ओलम्पिक को काफी मजबूत स्थिति में ला दिया है, लेकिन नौंवे अध्यक्ष बाख के लिए करने को बहुत कुछ बाकी है।

बाख के लिए अभी अगले वर्ष फरवरी में होने वाले सोची ओलम्पिक को सफलतापूर्वक संपन्न कराना प्राथमिकता में सबसे ऊपर होगा। हालांकि रूस में हाल ही में नाबालिगों के बीच समलैंगिकता का प्रचार करने पर लगाए गए प्रतिबंध को लेकर ओलम्पिक समिति को पश्चिमी देशों की आलोचना झेलनी पड़ी। पश्चिमी देशों को इससे ओलम्पिक के दौरान समलैंगिक खिलाड़ियों एवं दर्शकों के प्रभावित होने की आशंका है।

आईओसी ने हालांकि कहा है कि उसने रूस सरकार से यह आश्वासन ले लिया है कि वह ओलम्पिक चार्टर का सम्मान करेगा तथा ओलम्पिक के दौरान सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों के विशेष जोन स्थापित करेगा। बाख ने कहा, "हम इसका स्वागत करते हैं। यह एक ऐसा जरिया है जो लोगों को अपने विचार स्वतंत्रतापूर्वक प्रकट करने का अवसर देता है।"

दूसरी ओर रियो ओलम्पिक की तैयारियों में तीन वर्ष शेष रह गए हैं और इस दौरान ओलम्पिक आयोजन स्थलों के तैयार होने में हो रही देरी, ब्राजील के पर्यावरण से खिलाड़ियों एवं दर्शकों को होने वाली परेशानी एवं वित्तीय असंतुलन के बावजूद रियो ओलम्पिक की तैयारी समय पर पूरा कर लेने पर अडिग है।

बाख ने इस बीच चेतावनी भरे लहजे में कहा, "ब्राजील के पास ढील बरतने का अब समय नहीं रह गया है।" बाख ने कहा है कि वह अगले कुछ महीनों में ओलम्पिक की तैयारियों को लेकर ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रोसेफ और रीयो ओलम्पिक के आयोजकों से मुलाकात करेंगे।

ओलम्पिक को लेकर हालांकि दूसरी दीर्घकालिक मुश्किलें भी हैं। आईओसी के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती ओलम्पिक कार्यक्रमों में सुधार लाने, मेजबानों के लिए इसके आयोजन को सहज बनाने के साथ ही ओलम्पिक की आय को बरकरार रखने की है। इसके अलावा खेलों में डोपिंग एवं अन्य भ्रष्ट आचरणों पर लगाम लगाना भी आईओसी के लिए बड़ी चुनौती है।

रोगे ने ओलम्पिक रीव्यू के जुलाई-सितंबर संस्करण में हालांकि कहा था कि ओलम्पिक में अपनी पारंपरिकता को बरकरार रखने के साथ-साथ नए बदलाव के अनुकूल ढलने की क्षमता है। रोगे ने जोर देते हुए कहा था कि बदलावों को स्वीकार किए बगैर कोई भी संगठन अपना अस्तित्व बचाए नहीं रख सकता।

बाख ने अध्यक्ष बनने के लिए रखे गए अपने घोषणापत्र में कहा था कि अधिक से अधिक देशों को ओलम्पिक की मेजबानी में आगे आने के लिए आकर्षित करने के लिए वह ओलम्पिक कार्यक्रम और दावेदारी प्रक्रिया में बदलाव करेंगे।

इस दिशा में हालांकि तब वैश्विक खेल जगत में खलबली मच गई जब आईओसी ने बीते फरवरी में टोक्यो ओलम्पिक-2020 से कुश्ती को हटाने का फैसला ले लिया। हालांकि कुश्ती को सितंबर में दोबारा ओलम्पिक में शामिल कर लिया गया, लेकिन इसके स्वरूप में फिला को काफी परिवर्तन करने पड़े।

बाख ने अध्यक्ष बनने के बाद मेजबान शहर को अधिक सहूलियत देने, ओलम्पिक आयोजन का खर्च कम किए जाने और ओलम्पिक कार्यक्रम को अधिक रचनात्मक बनाए जाने के लिए पिछले सप्ताह ही आईओसी के सदस्यों के साथ 'ओलम्पिक एजेंडा-2020' पर विचार विमर्श किया। कुल मिलाकर ओलम्पिक के सत्ता परिवर्तन वाला यह वर्ष ओलम्पिक खेलों के लिए काफी विचार मंथन और बदलाव वाला साबित हो सकता है।

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