साधारण सी दिखने आने वाली अदरक अगर थोड़ी सी भी चाय में डाल दी जाए तो स्वाद को दोगुना कर देती है| औषधीय गुणों से भरपूर अदरक महज सर्दी जुकाम खांसी की नहीं है, बल्कि कई बीमारियों की बेमिसाल दवा भी है| इसका आयुर्वेद में भी खूब जिक्र किया गया है| आयुर्वेद में अदरक को रूचिकारक, पाचक, स्निग्ध, उष्ण वीर्य, कफ तथा वातनाशक, कटु रस युक्त विपाक में मधुर, मलबंध दूर करने वाली, गले के लिए लाभकारी, श्वास, शूल, वमन, खांसी, हृदय रोग, बवासीर, तीक्ष्ण अफारा पेट की वायु, अग्निदीपक, रूक्ष तथा कफ को नष्ट करने वाली बताया गया है।
अदरक में शरीर के लिए आवश्यक सभी पोषक तत्व मौजूद होते हैं| ताजा अदरक में 81% पानी, 2.5% प्रोटीन, 1% वसा, 2.5% रेशे और 13% कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है| इसके अलावा अदरक में आयरन, कैल्शियम, आयोडीन, क्लोरीन और विटामिन के साथ कई पोषक तत्व मौजूद होते हैं. इतना ही नहीं, ये कई बीमारियों से भी लड़ती है, जैसे कि:
जुकाम में चाय में अदरक के साथ तुलसी के पत्ते तथा एक चुटकी नमक डालकर गुनगुनी अवस्था में पीने से लाभ मिलता है। गले में खराश होने या खांसी होने पर ताजा अदरक के टुकड़े को नमक लगाकर चूसने से आराम मिलता है। बुखार, फ्लू आदि में अदरक तथा सौंफ के रस में शहद मिलाकर सेवन करने से शीघ्र पसीना आकर बुखार उतर जाता है। ऐसे में अदरक की चाय भी फायदेमंद होती है। गला पकने या इन्फ्लुएंजा होने पर पानी में अदरक का रस तथा नमक मिलाकर गरारे करने से शीघ्र लाभ मिलता है।
पेट संबंधी समस्याओं के निदान में भी अदरक बहुत लाभदायक सिद्ध होता है। अफारे और अजीर्ण में सोंठ का चूर्ण, अजवायन, इलायची का चूर्ण लेकर मिलाकर पीस कर रख लें। दिन में प्रत्येक भोजन के बाद इसका सेवन करें। बच्चों के पेट में दर्द की शिकायत होने पर अदरक का रस दूध में मिलाकर पिलाना चाहिए इससे गैस तथा अफारे की समस्या दूर हो जाती है। सोंठ और गुड़ की बनी गोलियों के नियमित सेवन से, आंव आने की समस्या का समाधान हो जाता है। आमाजीर्ण में भी सोंठ और गुड मिलाकर सेवन करना चाहिए इससे पाचक अग्नि ठीक हो जाती है। गजपिप्पली और सोंठ के चूर्ण का दूध के साथ सेवन पेट के विकारों के लिए एक आदर्श औषधि है।
अदरक को जलाकर उसकी राख बारीक पीसकर रख ले। यह राख नेत्रांजन करने से नेत्रों में ढलका जाना, जाला पड़ना आदि रोग दूर हो जाते है। यदि किसी को आधासीसी का दर्द है तो रोगी व्यक्ति को चारपाई पर कुछ नीचा सिर करके सीधा लिटा दे। उसके बाद जिधर के हिस्से में दर्द हो उधर नासाछिद्र में अदरक का रस, मधु व जल समान मात्रा में मिलाकर 2-3 बूदे टपकाये। 3-4 बार ऐसा करने से लाभ हो जायेगा, दवा मस्तिष्क में अवश्य पहुच जानी चाहिए।
भूख बढ़ाने तथा भोजन के प्रति रूचि पैदा करने के लिए भोजन से पहले थोड़ा सा अदरक या सोंठ का चूर्ण नमक मिलाकर खाना चाहिए। इससे पाचन शक्ति बढ़ती है और कब्ज का निदान होता है। छोटों या बड़ों को यदि खालिस दूध न पचने की शिकायत हो तो दूध में सोंठ की गांठ उबालकर या सोंठ का चूर्ण बुरकाकर सेवन करना चाहिए। 48 ग्राम सोंठ, 200 ग्राम तिल तथा 120 ग्राम गुड़ को मिलाकर कूट लें। इस मिश्रण की 12 ग्राम मात्रा का सेवन रोज करने से वायुगोला शांत होता है। पेट की ऐंठन तथा योनि शूल का दूर करने के लिए यह एक कारगर औषधि है। खाली पेट अधिक पानी पीने से हुए पेटदर्द को दूर करने लिए सोंठ के चूर्ण का गुड़ के साथ सेवन करना चाहिए।
अदरक पीसकर गर्म कर ले। इसकी दर्द वाले स्थान पर लगभग आधा इंच (मोटाई) लेप करके पट्टी बाधे लगभग 2 घन्टे पश्चात लेप को हटाये व सरसों का तेल लगाकर सेक लें। इस प्रक्रिया को लाभ हाने पर प्रतिदिन करे। अदरक के रस में कपड़ा भिगो-भिगोकर नाभि पर प्रति 15 मिनट बाद बदलते हुए रखें। अतिसार रूक जाता है और नाभि यथास्थान बैठ जाती है। सिर में दर्द या शरीर के जोड़ों (संधि स्थलो) में किसी भी कारण से पीड़ा होने पर अदरक के रस में सेंधानमक या हिगं मिलाकर मालिश करनी चाहिऐ।
मोच आ जाए तो अदरक का लेप लगाकर रखा जाए, जब लेप सूख जाए तो इसे साफ करके गुनगुने सरसों के तेल से मालिश करनी चाहिए, दिन में दो बार दो दिनों तक किया जाए, मोच का असर खत्म हो जाता है| दांतों में दर्द होते समय अदरक के छोटे टुकड़े दांतों के बीच में दबाकर रखने से दांतों में होने वाला दर्द खत्म हो जाता है, सूखे अदरक या सोंठ के चूर्ण में थोड़ा सा लौंग का तेल मिलाकर दांतों पर लगाया जाए तो दर्द छूमंतर हो जाता है|
संग्रहणी रोग में भी अदरक खासा फायदेमंद होता है। संग्रहणी में आम विकार के निदान के लिए सोंठ, मोथा और अतीस का काढ़ा बनाकर रोगी को देना चाहिए। इसके अतिरिक्त मसूर के सूप के साथ सोंठ और कच्चे बेल की गिरी के कल्क का सेवन करने से भी लाभ होता है। ज्वरातिसार एवं शोथयुक्त ग्रहणी रोग मंे प्रतिदिन सोंठ के एक ग्राम चूर्ण का दशमूल के काढ़े के साथ सेवन करना चाहिए। उल्टी होने पर अदरक के रस में पुदीने का रस, नींबू का रस एवं शहद मिलाकर सेवन करना चाहिए। उल्टियां रोकने के लिए अदरक के रस में, तुलसी के पत्तों का रस, मोरपंख की राख तथा शहद मिलाकर सेवन करने से शीघ्र लाभ होता है।
तीव्र प्यास को शांत करने के लिए अदरक के रस और शुंठी बीयर में आधा पानी मिलाकर पिलाने से रोगी का प्यास जल्दी शांत हो जाती है। डायरिया के रोगी के यदि हाथ−पैर ठंडे पड़ गए हों तो सोंठ के चूर्ण में देशी घी मिलाकर मलना चाहिए इससे खून की गति बढ़ जाती है। महिलाओं में गर्भपात रोकने के लिए सोंठ, मुलहठी और देवदारू का दूध के साथ सेवन करना चाहिए। इससे गर्भ पुष्ट होता है। बच्चों के पेट में यदि कीडे़ हों तो उन्हें अदरक के रस की एक−एक चम्मच मात्रा दिन में दो बार नियमित रूप से देनी चाहिए। अदरक का कोसा रस कान में डालने पर कान का दर्द ठीक हो जाता है।
आमवात तथा कटिशूल में एक ग्राम सोंठ तथा तीन ग्राम गोखरू के काढ़े का प्रातरूकाल सेवन करना चहिए। फीलपांव के रोगी के लिए भी सोंठ का काढ़ा लाभदायक होता है। सबसे आम समस्या सिरदर्द में तुरन्त फायदे के लिए आधा चम्मच सोंठ पाउडर को एक कप पानी में घोलकर पिएं।
अदरक त्वचा को आकर्षक व चमकदार बनाने में मदद करता है। सुबह ख़ाली पेट एक गिलास गुनगुने पानी के साथ अदरक का एक टुकड़ा खाएं। इससे न केवल आपकी त्वचा में निखार आएगा बल्कि आप लंबे समय तक जवान दिखेंगे। बहुत कम लोग जानते हैं कि अदरक एक प्राकृतिक दर्द निवारक है, इसलिए इसे आर्थराइटिस और दूसरी बीमारियों में उपचार के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है। अदरक दर्द भगाने की सबसे कारगर दवा है। 'फूड्स दैट फाइट पेन' पुस्तक के लेखक आर्थर नील बर्नार्ड के मुताबिक अदरक में दर्द मिटाने के प्राकृतिक गुण पाए जाते हैं। यह बिना किसी दुष्प्रभाव के दर्दनिवारक दवा की तरह काम करता है। अदरक का अर्क मांसपेशियों की सूजन और दर्द कम कर देता है। और मांसपेशियों में दर्द, गठिया, सिर दर्द, माइग्रेन आदि अदरक का तेल की मालिश या अदरक का पेस्ट दर्द को कम कर के मांसपेशियों के दर्द और तनाव को कम करने में सहायक होता है।
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