कहते हैं कि राजनीति में ग्लैमर नहीं होता और ये फैशन और स्टाइल से मीलों
दूर रहती है, लेकिन अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) की टोपी आजकल
नवाबों की नगरी लखनऊ के युवाओं के स्टाइल स्टेटमेंट का महत्वपूर्ण हिस्सा
बन गई है।
इन दिनों 'मैं हूं आम आदमी' लिखी टोपी राजधानी के युवाओं को इस कदर पसंद आ रही है कि वे इसे शापिंग और सैर पर जाने के साथ-साथ कालेज जैसी जगहों पर भी पहन रहे हैं।
नेशनल पी.जी़ कालेज के अभिषेक तिवारी कहते हैं कि टोपी (कैप) पहनने के चलन तो बहुत पुराना है। तमाम अलग-अलग तरह की टोपियां युवाओं को लुभाती रही है लेकिन अब इस चलन में बदलाव देखने को मिल रहा है।
बीते समय में अलग अलग तरह की स्पोर्ट्स कैप का शौक युवाओं में देखने को मिलता रहा है, लेकिन अब युवाओं की पहली पसंद है 'मैं हूं आम आदमी' लिखी साधारण गांधी टोपी है।
तिवारी ने कहा, "अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने एहसास कराया कि आम आदमी में बहुत शक्ति होती है। वह बड़ा से बड़ा काम सकता है। उनकी जीत के बाद लोगों को आम आदमी कहलाने और दिखने में गर्व महसूस होता है।"
लेटेस्ट फैशन बन चुकी 'मैं हूं आम आदमी' लिखी टोपियों को लेकर युवाओं का कहना है कि अब वे जहां भी जाएंगे, इन टोपियों को पहनकर जाएंगे।
शिया पी.जी. कालेज के आयुष गुप्ता कहते हैं, "मैं और मेरे कालेज के सभी दोस्त अब टोपी को घर से लगाकर निकलते हैं। हम लोग हर जगह खुद को आम आदमी कहलाना पसंद करते हैं।"
लखनऊ विश्वविद्यालय से बीएससी कर रहीं अपूर्वा कहती हैं कि वे तो इस टोपी को लगाकर विश्वविद्यालय परिसर जाती हैं। कई अन्य छात्र भी ये टोपियां लगाकर आते हैं।
युवा सैर पर निकलते समय भी इन टोपियों को लगाकर अपने सिर की शान बढ़ाते हैं। अलीगंज निवासी हिना अय्यूब कहती हैं, "हम लोग अब तो इमामबाड़ा, मरीन ड्राइव, अंबेडकर पार्क जैसे स्थानों पर घूमने जाते हैं तो भी इन टोपियों को लगाकर जाते हैं।"
दुकानदारों का मानना है कि आप नई पार्टी है, इसलिए अभी तक वे इसका सामान (मैं हूं आम आदमी, मुझे स्वराज चाहिए लिखी टोपियां) नहीं रखते थे, लेकिन युवाओं में आजकल इस टोपी के बढ़ते क्रेज को देखते हुए वे लोग अब 'मैं हूं आम आदमी' की टोपियों का स्टॉक रखने लगे हैं।
शीला इंटरप्रेइजेज के मालिक राजेश जायसवाल कहते हैं, "पिछले कुछ हफ्तों से 'मैं हूं आम आदमी' लिखी टोपियों की मांग काफी बढ़ गई है। हर रोज शहर के काफी युवा इसे खरीदने आते हैं।"
इन दिनों 'मैं हूं आम आदमी' लिखी टोपी राजधानी के युवाओं को इस कदर पसंद आ रही है कि वे इसे शापिंग और सैर पर जाने के साथ-साथ कालेज जैसी जगहों पर भी पहन रहे हैं।
नेशनल पी.जी़ कालेज के अभिषेक तिवारी कहते हैं कि टोपी (कैप) पहनने के चलन तो बहुत पुराना है। तमाम अलग-अलग तरह की टोपियां युवाओं को लुभाती रही है लेकिन अब इस चलन में बदलाव देखने को मिल रहा है।
बीते समय में अलग अलग तरह की स्पोर्ट्स कैप का शौक युवाओं में देखने को मिलता रहा है, लेकिन अब युवाओं की पहली पसंद है 'मैं हूं आम आदमी' लिखी साधारण गांधी टोपी है।
तिवारी ने कहा, "अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने एहसास कराया कि आम आदमी में बहुत शक्ति होती है। वह बड़ा से बड़ा काम सकता है। उनकी जीत के बाद लोगों को आम आदमी कहलाने और दिखने में गर्व महसूस होता है।"
लेटेस्ट फैशन बन चुकी 'मैं हूं आम आदमी' लिखी टोपियों को लेकर युवाओं का कहना है कि अब वे जहां भी जाएंगे, इन टोपियों को पहनकर जाएंगे।
शिया पी.जी. कालेज के आयुष गुप्ता कहते हैं, "मैं और मेरे कालेज के सभी दोस्त अब टोपी को घर से लगाकर निकलते हैं। हम लोग हर जगह खुद को आम आदमी कहलाना पसंद करते हैं।"
लखनऊ विश्वविद्यालय से बीएससी कर रहीं अपूर्वा कहती हैं कि वे तो इस टोपी को लगाकर विश्वविद्यालय परिसर जाती हैं। कई अन्य छात्र भी ये टोपियां लगाकर आते हैं।
युवा सैर पर निकलते समय भी इन टोपियों को लगाकर अपने सिर की शान बढ़ाते हैं। अलीगंज निवासी हिना अय्यूब कहती हैं, "हम लोग अब तो इमामबाड़ा, मरीन ड्राइव, अंबेडकर पार्क जैसे स्थानों पर घूमने जाते हैं तो भी इन टोपियों को लगाकर जाते हैं।"
दुकानदारों का मानना है कि आप नई पार्टी है, इसलिए अभी तक वे इसका सामान (मैं हूं आम आदमी, मुझे स्वराज चाहिए लिखी टोपियां) नहीं रखते थे, लेकिन युवाओं में आजकल इस टोपी के बढ़ते क्रेज को देखते हुए वे लोग अब 'मैं हूं आम आदमी' की टोपियों का स्टॉक रखने लगे हैं।
शीला इंटरप्रेइजेज के मालिक राजेश जायसवाल कहते हैं, "पिछले कुछ हफ्तों से 'मैं हूं आम आदमी' लिखी टोपियों की मांग काफी बढ़ गई है। हर रोज शहर के काफी युवा इसे खरीदने आते हैं।"
www.pardaphash.com
1 टिप्पणी:
सुंदर !
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