मकर संक्रांति पर यहाँ से खरीदी लाठी दूर करती है दरिद्रता!

उत्तर प्रदेश के कौशाम्बी में यमुना के तट पर स्थित रोहित गिरि पर सदियों से मकर संक्रांति पर लगने वाला खिचड़ी मेला वर्तमान में भी लाखों श्रद्धालु के लिए आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है और इसमें लाठी खरीदने की अनोखी परम्परा है। श्रद्धालुओं की मान्यता है कि यहां से खरीदी गयी लाठी और पत्थर के सामान से दरिद्रता दूर होती है। यहां आने वाले पुरूष पूजा के बाद बांस की लाठी खरीदना नहीं भूलते। यहाँ की यह भी मान्यता है कि मकर संक्रांति के अवसर पर यहां यमुना में स्नान, सूर्य अध्र्य और फिर रोहित गिरि की पूजा परिक्रमा से समस्त पापों का नाश हो जाता है।

बताया जा रहा है कि यमुना तट पर स्थित रोहित गिरी की एक प्राचीन कथा है| कहा जाता है कि विश्राम सागर में उदघृत प्रसंग के अनुसार बहुला नामक गाय पर्वत पर चरने गयी थी। वहीं जंगल में शेर मिल गया। शेर बहुला को अपना भोजन बनाना चाहता था। बहुला ने उसकी मनोदशा समझ लिया और प्रार्थना की कि घर में उसका बछड़ा उसकी प्रतीक्षा कर रहा होगा। यदि वह मोहलत दे बछड़े को दूध पिला कर वापस आ जाएगी। शेर उसके शरीर से अपनी भूख शान्त कर सकता है। बहुला की विनती पर शेर मान गया और उसे घर जाने दिया। बहुला घर लौटी और बछड़े को दूध पिलाकर शीघ्र ही शेर के पास जाने को तैयार हो गयी। बछड़े के द्वारा अपनी मां के शीघ्र लौटने का कारण पूछे जाने पर बहुला ने अपने व शेर के बीच हुई वार्ता का सम्पूर्ण वृतांत उसे बता दिया।

बछड़ा भी अपनी मां के साथ चलने की जिद में अड़ गया। विवश होकर बहुला अपने बछड़े को साथ लेकर रोहित गिरि पर शेर के पास लौट आयी और क्षुधा शांत करने का आग्रह किया। शेर बहुला की सत्य निष्ठा के आगे नतमस्तक हो गया और उसे मुक्त करते हुए वरदान दिया कि जो व्यक्ति तुम्हारा दर्शन करेगा वह पाप से मुक्त हो जाएगा। तभी से रोहित गिरि पर्वत का महत्व बढ़ गया लोग खिचड़ी पर्व पर आते हैं।

कहा जाता है कि यमुना स्नान के बाद रोहित गिरि पर्वत की पूजा व परिक्रमा करते हैं। खिचड़ी मेले में चित्रकूट, बांदा, इलाहाबाद, जालौन, महोबा, फतेहपुर सहित अनेक जिलों से श्रद्धालु यहां आते है। 

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