समय के संग बदलती गई कौमार्य के प्रति धारणा

स्त्रियों के लिए शुचिता का पैमाना माने जाने वाले कौमार्य के प्रति धारणा समय के साथ बदल गई है। वास्तविकता यह है कि आज की युवतियां 'कौमार्य खोने का गम नहीं पालतीं, बल्कि इसका आनंद लेती हैं।' एक अनुसंधान के मुताबिक, आज के समय में कौमार्य खोना आज से 20 वर्ष पहले से कहीं ज्यादा आनंद का विषय बन चुका है।

टाइम पत्रिका में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, युवतियां प्रथम यौन संसर्ग के दौरान अत्यंत आनंदित होती हैं और इसके लिए उन्हें कोई पश्चाताप नहीं होता, जबकि पुरुषों में यौन-उत्सुकता समय के संग घटती चली जाती है।

अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि कौमार्य के बारे में महिलाओं और पुरुषों, दोनों के ही नजरिए में बदलाव आया है। लेकिन यह महत्वपूर्ण बदलाव सन् 1980 के बाद से देखा जा रहा है। अनुसंधानकर्ताओं के मुताबिक, युवतियों की यौनेच्छा में बदलाव सामाजिक एवं सांस्कृतिक मूल्यों में बदलाव के कारण आया है। 

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