जानिए भीम में कैसे आया हजार हाथियों का बल?

पौराणिक महाकाव्य महाभारत के बारे में जानता तो हर कोई है| यह एक ऐसा शास्‍त्र है जिसके बारे में सबसे ज्‍यादा चर्चा और बातें की जाती है और इस काव्‍य में कई रहस्‍य है जिनके बारे में आजतक सही-सही पता नहीं लग पाया है या फिर बहुत कम लोगों को ही पता है। उदाहरण के लिए- पाण्डु पुत्र भीम के बारे में जानते तो सभी लोग होंगे कि भीम में हज़ार हाथियों का बल था जिसके चलते एक बार तो उसने अकेले ही नर्मदा नदी का प्रवाह रोक दिया था। लेकिन क्या आपको पता है कि भीम में हजार हाथियों का बल कैसे आया?

इसकी कहानी भी बड़ी रोचक है| यह सभी जानते हैं कि गांधारी का बड़ा पु‍त्र दुर्योधन और गांधारी का भाई शकुनि, कुंती के पुत्रों को मारने के लिए नई-नई योजनाएं बनाते थे। इसी योजना के तहत एक बार दुष्ट दुर्योधन ने एक बार खेलने के लिए गंगा तट पर शिविर लगवाया। उस स्थान का नाम रखा उदकक्रीडन। वहां खाने-पीने इत्यादि सभी सुविधाएं भी थीं। दुर्योधन ने पाण्डवों को भी वहां बुलाया। एक दिन मौका पाकर दुर्योधन ने भीम के भोजन में विष मिला दिया। विष के असर से जब भीम अचेत हो गए तो दुर्योधन ने दु:शासन के साथ मिलकर उसे गंगा में डाल दिया। भीम इसी अवस्था में नागलोक पहुंच गए। वहां सांपों ने भीम को खूब डंसा जिसके प्रभाव से विष का असर कम हो गया। जब भीम को होश आया तो वे सर्पों को मारने लगे। सभी सर्प डरकर नागराज वासुकि के पास गए और पूरी बात बताई।

तब वासुकि स्वयं भीमसेन के पास गए। उनके साथ आर्यक नाग ने भीम को पहचान लिया। आर्यक नाग भीम के नाना का नाना था। वह भीम से बड़े प्रेम से मिले। तब आर्यक ने वासुकि से कहा कि भीम को उन कुण्डों का रस पीने की आज्ञा दी जाए जिनमें हजारों हाथियों का बल है। वासुकि ने इसकी स्वीकृति दे दी। तब भीम आठ कुण्ड पीकर एक दिव्य शय्या पर सो गए। नागलोक में भीम आठवें दिन रस पच जाने पर जागे। तब नागों ने भीम को गंगा के बाहर छोड़ दिया। जब भीम सही-सलामत हस्तिनापुर पहुंचे तो सभी को बड़ा संतोष हुआ। तब भीम ने माता कुंती व अपने भाइयों के सामने दुर्योधन द्वारा विष देकर गंगा में फेंकने तथा नागलोक में क्या-क्या हुआ, यह सब बताया। युधिष्ठिर ने भीम से यह बात किसी और को नहीं बताने के लिए कहा।

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