..यहां आकर प्रकृति की गोद में बिताइए चैन के कुछ पल

प्रकृति की गोद में चैन के कुछ पल बिताने की सोच रहे हैं तो एक बार आप उत्तर भारत का छोटा कश्मीर कहे जाने वाले उत्तराखंड राज्य के हिल स्टेशन पिथौरागढ़ घूम आइए| यहाँ आकर आप शहरी भाग-दौड़, गर्मी और उमस भरे माहौल को भूल जाएँगे। यहाँ की हरी-भरी वादियों में आकर आपको हर वह चीज मिलेगी जो कश्मीर में मिल सकती है। पिथौरागढ़ के आस पास बहुत सी झीलें, हरी-भरी पहाड़ियाँ और ऊँचे-नीचे घुमावदार रास्ते मन को एक नजर में ही भा जाते हैं। ठंडी हवाओं के झोंके दिल्ली की गर्मी को भुला देते हैं। मन करता है कि यहीं बस जाएँ। रंगबिरंगे फूल-पत्तियाँ, हरी-हरी नर्म, मुलायम घास की ऊँची-नीची परत पर नंगे पैर चलने से तन और मन दोनों को ताजगी मिलती है। 

खूबसूरती और रोमांच का अद्भुत संगम पिथौरागढ़ हिमालय की गोद में बसा छोटा सा हिल स्टेशन है। यह उत्तराखंड का छोटा कश्मीर माना जाता है। 1960 में इसे अल्मोड़ा जिले से अलग कर पिथौरागढ़ नाम दिया गया। इसके उत्तर की तरफ चीन और पूरब की तरफ नेपाल की सीमा है। इसके उत्तर की तरफ चीन और पूरब की तरफ नेपाल की सीमा है। पिथौरागढ़ के उत्तरी भाग की जनसंख्या बेहद कम है और यहां बर्फ से ढंकी चोटियां हैं- जैसे नंदा देवी, त्रिशूल, राजरंभा, पंचचुली, नंदखट वगैरह। इसके साथ ही इन चोटियों के नीचे बेहद ही खूबसूरत पहाड़, घास का मैदान और ग्लेशियर यहां के दृश्य को मनोहारी बनाते हैं। 

यहां खूबसूरत ग्लेशियर जैसे मिलाम ग्लेशियर, रैलम ग्लेशियर, नैमिक और सुंदर डुंगा प्रमुख हैं।पिथौरागढ़ आने वाले पर्यटकों के लिए यह किसी खजाने से कम नहीं है। बोटानिस्ट, धार्मिक लोग और पर्वतारोही इस जगह को ज्यादा पसंद करते हैं। प्रसिद्ध मानसरोवर यात्रा के बीच में पिथौरागढ़ भी आता हैं। यह जगह ट्रेकर्स के लिए एडवेंचर और खुशियों से भरा रास्ता है। छोटे से गांव में बसी यह घाटी कुंमाऊं के चांद राजा के राज्य का महत्वपूर्ण हिस्सा थी। इसे सौर घाटी के नाम से जाना जाता था। यहां के घने जंगलों में जंगली फूल और जानवरों की कई प्रजातियां जैसे मोर, हाथी, बाघ, मस्क डियर और स्नो लेपर्ड वगैरह पाई जाती हैं। पिथौरागढ़ के मुख्य पर्यटक स्थल हैं स्नेक टेम्पल, त्रिपुरा देवी मंदिर, कोटेश्वर की गुफा मंदिर और चौकरी का चाय बागान। 

पिथौरागढ़ के आसपास कई ऐसी जगह हैं, जहां आप घूम सकते हैं। चंदक- घाटी के उत्तरी दिशा में पिथौरागढ़ से लगभग सात किलोमीटर दूर पहाड़ों पर बसा है- चंदक। यहां बस से पहुंचा जा सकता है। यहां से आप हिमालय के आसपास की सारी खूबसूरती देख सकते हैं। चारों तरफ फैली घाटियों का भी आनंद ले सकते हैं। थल केदार- पिथौरागढ़ से 16 किलोमीटर दूर यहां शिव जी का प्रसिद्ध मंदिर है। इसके अलावा कपिलेश्वर मंदिर, गुफा मंदिर, उल्का देवी मंदिर, कैलाश आश्रम, हनुमान मंदिर वगैरह भी देखने लायक हैं। गंगोलीहट- यह एक धार्मिक स्थल है जहां प्रसिद्ध महाकाली मंदिर है। कहा जाता है गुरु शंकराचार्य द्वारा इस शक्ति पीठ को बनाया गया था। 

यहाँ का 'अबूत पर्वत' पहाड़ों का सौंदर्य देखने का प्रमुख स्थल है। यहाँ से घाटी की मनोहारी झाँकी देखने को मिलती है। लोहाघाट से 45 किमी की दूरी पर स्थित देवीधारा का वराशी मंदिर मशूहर जगह है। यहाँ रक्षा बंधन के दिन हर साल दो पक्षों में परंपरागत एक दूसरे पत्थर फेंकने के खेल का आयोजन किया जाता है। यहाँ से सात किमी की दूरी पर स्थित वाणासुर का किला यहाँ के मशहूर पर्यटक स्थलों में से हैं।

पिथौरागढ़ से पांच किलोमीटर की दूरी पर छोटी पर खूबसूरत जगह है चंदग। माना जाता है देवी ने यहां के दो दैत्यों चंड और मुंड का संहार किया था। महाराजा के पार्क को उन सैनिकों की याद में बनाया गया है जो कश्मीर में शहीद हो गए थे। छोटे से पहाड़ के ऊपर खूबसूरत कामाख्या देवी हैं। चारों तरफ से घाटियों से घिरा यह मंदिर अद्भुत नजारा प्रस्तुत करता है। यह जगह साहसिक खेल जैसे रॉक क्लाइमबिंग, रिवर राफ्टिंग के लिए प्रसिद्ध है। 

सड़क मार्ग से दिल्ली से पिथौरागढ़ की दूरी 496 किलोमीटर है। गाजियाबाद, गजरौला, मोरादाबाद, रामपुर, बिलासपुर, रुद्रपुर, हल्द्वानी, काठगोदाम, भीमताल, पदमपुरी, शिलालेख, चिल्का चाइना आदि रास्ते में पड़ते हैं। यहाँ आकर ठहरने की समस्या नहीं है। दिल्ली, अल्मोड़ा और नैनीताल से यहाँ के लिए नियमित बस सेवाएँ हैं।

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