कठोर न्यायाधीश कहे जाने वाले शनि देव के कोप से सभी भलीभांति परिचित हैं क्योंकि शनि देव बुरे कर्मों का न्याय बड़ी कठोरता से करते हैं। शनि की बुरी नजर किसी भी राजा को रातों-रात भिखारी बना सकती है और यदि शनि शुभ फल देने वाला हो जाए तो कोई भी भिखारी राजा के समान बन सकता है।
जन्मकुंडली में शनि ग्रह अशुभ प्रभाव में होने पर व्यक्ति को निर्धन, आलसी, दुःखी, कम शक्तिवान, व्यापार में हानि उठाने वाला, नशीले पदार्थों का सेवन करने वाला, अल्पायु निराशावादी, जुआरी, कान का रोगी, कब्ज का रोगी, जोड़ों के दर्द से पीड़ित, वहमी, उदासीन, नास्तिक, बेईमान, तिरस्कृत, कपटी, अधार्मिक तथा मुकदमें व चुनावों में पराजित होने वाला बनाता है। आज आपको शनिदेव को प्रसन्न करने का आसान उपाय बताने जा रहे हैं जिसके द्वारा आप शनिदेव को खुश कर सकते हैं-
हर शनिवार को शनि देव की प्रतिमा को तेल से स्नान कराएं या एक कटोरी में तेल डालकर उसमें अपना चेहरा देखकर उसे दान कर दें, तो इससे भी शनि देव खुश होते। शनि मंदिर में जाकर शनि चालीसा पढ़ने और दिया जलाने से भी शनि देव के प्रकोप से बचाव होता है।
शनिवार के दिन शनि यंत्र की स्थापना व पूजन करें| इसके बाद प्रतिदिन इस यंत्र की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं| प्रतिदिन यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीप जलाएं| नीला या काला पुष्प चढ़ाएं ऐसा करने से लाभ होगा| प्रत्येक शनिवार के दिन बंदरों और काले कुत्तों को बूंदी के लड्डू खिलाने से भी शनि का कुप्रभाव कम हो जाता है अथवा काले घोड़े की नाल या नाव में लगी कील से बना छल्ला धारण करें| पीपल की पूजा करें, जल चढ़ाएं एवं परिक्रमा करें साथ ही गरीबों को भोजन कराएँ|
शनि मंत्र-
शनि के प्रभाव से बचने के लिए "शन्नो देवीरभिष्ट्यऽआपो भवंतु पीतये। शंय्योर भिस्त्रवन्तु न:" का जाप करे|
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