...यहाँ टीले से आती है घंटियों की आवाज़!

आपने वाद्य यंत्रों से निकलता संगीत तो बहुत सुना होगा लेकिन क्या कभी पत्थरो से संगीत निकलता सुना है? शायद नहीं! लेकिन ये सच है दुनिया का सबसे अद्भुत करिश्मा हो रहा है छत्तीसगढ़ के बस्तर में जहाँ पत्थरों से निकलती है घंटियों की आवाज| यह सुनकर हर कोई अचरज में पड़ जाता है इसके पीछे क्या वजह है कोई नहीं जानता लेकिन श्रद्धालु इसे मां दंतेश्वरी का आशीर्वाद मानते हैं| इसके अलावा यहाँ एक ऐसा तालाब है जो कभी सूखता ही नहीं| माना जाता है कि यहाँ बहुत बड़ा खजाना है जिसकी रक्षा नाग- नागिन का जोड़ा करता है| 

तो आइये जाने इस टीले और तालाब का क्या है रहस्य, बताते हैं कि एक बार बस्तर के राजा प्रवीर चंद भंजदेव की नानी श्याम कुमारी देवी अपने महाराज से रुष्ट हो गई और उन्होंने अपने महारज समेत अपने राजपाट का परित्याग कर दिया| उसके बाद चंद सैनिकों को लेकर रानी श्याम कुमारी देवी इसी गाँव में आकर बस गई| उनके आने से ही इस गाँव का नाम शामपुर पड़ गया| यहाँ आकर रानी श्याम कुमारी ने अपने कुलगुरु भैरम देव की स्थापना की जो आज एक टीले के रूप में हो गया है| 

एक दिन मां दंतेश्वरी ने रानी श्याम कुमारी देवी के सपनों में आकर उन्हें दर्शन दिया| मां दंतेश्वरी के दर्शन पाकर रानी बहुत खुश हुई| पेयजल की व्यवस्था के लिए रानी ने अपने सैनिकों को एक तालाब खोदने का आदेश दिया और सैनकों ने एक ही रात में इस पहाड़ पर एक तालाब खोद डाला| बताते हैं कि तब से लेकर आज तक इस तालाब में कभी पानी की कमी नहीं हुई हमेशा भरा रहता है| इसके पीछे मां दंतेश्वरी का आशीर्वाद बताया जा रहा है| 

यहाँ के एक पुजारी ने बताया है कि पिछले 60-70 वर्षो से उनके पूर्वज इस मंदिर में पूजा अर्चना करते आ रहे हैं। पुजारी ने बताया कि जब यहाँ रानी श्याम कुमारी जब रूठकर आईं थी तो अपने साथ कुछ सैनिकों को ले आईं थी जो जब कहीं दूर जाते तो पत्थरो को टक्कर मारती तो उससे उत्पन होती ध्वनि जो घंटियों के समान बजती है। सैनिक इसे सुनकर वापस लौट आते थे। 

रानी श्याम कुमारी देवी के सपने में आकर मां ने उन्हें राजमहल लौट जाने की सलाह दी लेकिन वह दोबारा राजमहल लौट कर नहीं गई| आज भी मंदिर के पास पत्थरों में मां दंतेश्वरी के पदचिन्ह साफ देखे जा सकते हैं। एक बार की बात है कि यहाँ कुछ ग्रामीण तालाब की खुदाई करने लगे तो अचानक तालाब से खजाना निकलने लगा| कहते हैं कि यहाँ महारानी द्वारा लाया गया खजाना भी दबा है। जिसकी रक्षा नाग-नागिन का एक जोड़ा करता है जो अक्सर लोगों को तालाब के आस-पास दिखता है| कहते हैं कि इस तालाब में स्नान करके भैरमदेव की पूजा-अर्चना करने के पश्चात यदि कोई मनुष्य 11 बार इस पत्थर को बजाता है तो उसकी समस्त मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं|

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