सोचिए एक व्यक्ति बिना खाए पिए कितने दिन तक जीवित रह सकता है? लेकिन
गुजरात में एक बाबा है जिन्होंने 75 वर्षों से न कुछ खाया है और न ही पीया
है फिर भी उनके स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है| यह बात डॉक्टर्स के
टेस्ट में भी यह साबित हो चुका है|
13 अगस्त 1929 को गुजरात के मेहसाणा जिले के छारड़ा गांव में जन्मे इन बाबा को चुनरीवाला माताजी के नाम से भी जाना जाता है। बाबा प्रहलाद के 75 वर्षों से बिना भोजन-पानी जिंदा रहने के दावे को कई लोगों ने नहीं माना। आखिरकार 2003 अहमदाबाद के स्टेर्लिग अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम ने उनका टेस्ट किया। यह टेस्ट लगातार 3 सप्ताह तक चला जिसमें पाया गया कि इस दौरान बाबा ने न कुछ खाया और न पीया।
उसके बाद 2010 में भी एक बार डाक्टरों ने उनका टेस्ट किया| यह टेस्ट लेने वाले डॉक्टर भी बाबा की अनोखी करामात को देखकर आश्चर्य में पड़ गए। बाबा चुनरीवाला माताजी का कहना है कि उन्होंने 7 साल की उम्र में ही अपना घर त्याग कर आत्म रहस्य की खोज में जंगल में निकल गए थे।
बाबा प्रहलाद जानी का कहना है कि उनके ऊपर माताजी के रूप में मानी वाली देवी अंबा का आशीर्वाद है। इसी की वजह से वो इतने सालों तक बिना खाए-पीए सिर्फ हवा खाकर जिंदा है। बाबा प्रहलाद माता की तपस्या में इतने लीन है कि वो कपड़े भी देवी की तरह ही पहनते हैं। इतना ही नहीं इन बाबा ने अपने नाक-कान भी छिदवा रखें हैं और देवी की तरह ही आभूषण पहनते हैं।
13 अगस्त 1929 को गुजरात के मेहसाणा जिले के छारड़ा गांव में जन्मे इन बाबा को चुनरीवाला माताजी के नाम से भी जाना जाता है। बाबा प्रहलाद के 75 वर्षों से बिना भोजन-पानी जिंदा रहने के दावे को कई लोगों ने नहीं माना। आखिरकार 2003 अहमदाबाद के स्टेर्लिग अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम ने उनका टेस्ट किया। यह टेस्ट लगातार 3 सप्ताह तक चला जिसमें पाया गया कि इस दौरान बाबा ने न कुछ खाया और न पीया।
उसके बाद 2010 में भी एक बार डाक्टरों ने उनका टेस्ट किया| यह टेस्ट लेने वाले डॉक्टर भी बाबा की अनोखी करामात को देखकर आश्चर्य में पड़ गए। बाबा चुनरीवाला माताजी का कहना है कि उन्होंने 7 साल की उम्र में ही अपना घर त्याग कर आत्म रहस्य की खोज में जंगल में निकल गए थे।
बाबा प्रहलाद जानी का कहना है कि उनके ऊपर माताजी के रूप में मानी वाली देवी अंबा का आशीर्वाद है। इसी की वजह से वो इतने सालों तक बिना खाए-पीए सिर्फ हवा खाकर जिंदा है। बाबा प्रहलाद माता की तपस्या में इतने लीन है कि वो कपड़े भी देवी की तरह ही पहनते हैं। इतना ही नहीं इन बाबा ने अपने नाक-कान भी छिदवा रखें हैं और देवी की तरह ही आभूषण पहनते हैं।
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