शिक्षक सख्त भी हो सकते हैं और नर्म भी। वे लोगों के दिलों को भी छू सकते हैं। बॉलीवुड वर्षो से शिक्षकों के महत्व को दिखाता आ रहा है। फिल्मों में अमिताभ बच्चन, आमिर खान और नसीरुद्दीन शाह जैसे अभिनेताओं ने शिक्षक की भूमिका निभाई है।
पांच सितंबर शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में आइए, ऐसी 10 शीर्ष फिल्मों की चर्चा करें जिनमें शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच भावनात्मक, कलहपूर्ण और प्रेमपूर्ण संबंध दिखाया गया है। 'सर' (1993) : मशहूर कलाकार नसीरुद्दीन शाह ने इस फिल्म में एक जिंदादिल शिक्षक की भूमिका निभाई थी। इसमें वह अपने विद्यार्थियों पूजा भट्ट और अनिल अग्निहोत्री की बुरे समय में एक दोस्त की तरह मदद करते हैं।
'रॉकफोर्ड' (1999) : निर्देशक नागेश कुकनूर की यह फिल्म एक किशोर की कहानी है जो एक आवसीय विद्यालय में सैकड़ों छात्रों के बीच खुद को हारा हुआ महसूस करता है। उसकी दोस्ती एक शिक्षक से होती है। फिल्म में दिखाया गया है कि शिक्षक और शिष्य के अच्छे संबंधों से शिष्य का हौसला किस कदर बुलंद होता है।
'मोहब्बतें' (2000) : इस फिल्म में महानायक अमिताभ बच्चन ने सख्त प्रधानाचार्य नारायण शंकर की भूमिका निभाई है। शाहरुख खान ने एक युवा संगीत शिक्षक की भूमिका निभाई है जो अपनी नई विचारधारा से बदलाव की हवा लेकर आता है। 'मैं हूं ना' (2004) : इसमें शिक्षिका न सिर्फ पढ़ाती है, बल्कि फैशन के नुस्खे भी देती है। शिफॉन की साड़ी और डिजाइनर चोली पहने सुष्मिता सेन के किरदार ने दिखाया है कि लोग शिक्षिकाओं को किस तरह देखते हैं और शिक्षिका को अपने विद्यार्थी शाहरुख खान से प्यार हो जाता है। बोमन ईरानी और बिंदू ने इसमें मजाकिया शिक्षक का किरदार निभाया है।
'ब्लैक' (2005) : यह एक संवेदनशील शिक्षक की कहानी है जो अंधी, मूक-बधिर लड़की की मदद करता है। शिक्षक की भूमिका अमिताभ ने और शिष्या की रानी मुखर्जी ने निभाई थी। शिक्षक और शिष्य कहां तक अपनी भावनाओं को साझा करते हैं, यह इस फिल्म में भावनात्मक तरीके से दिखाया गया है।
'तारे जमीं पर' (2007) : यह डिसलेक्सिया से पीड़ित एक बच्चे की कहानी है। शिक्षक की भूमिका में आमिर खान ने दिखाया है कि ऐसे बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। '3 ईडियट्स' (2009) : इसमें एक सख्त कॉलेज प्राचार्य वीरू सहस्त्रबुद्धे को दिखाया गया जिसके लिए किताबी ज्ञान और श्रेणी ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं लेकिन एक विद्यार्थी के किरदार में आमिर खान साबित करते हैं कि जीवन पाठ्यपुस्तकों से परे है।
'पाठशाला' (2009) : फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भले ही न चली हो लेकिन इसमें शिक्षा का व्यवसायीकरण होता दिखाया गया है। संगीत शिक्षक राहुल की भूमिका में शाहिद कपूर ने दिखाया है कि किस तरह शिक्षक और छात्र मिलकर विद्यालय के प्रबंधन के खिलाफ खड़े हो सकते हैं।
'आरक्षण' (2011) : शिक्षक और छात्र के बीच संबंधों को दर्शाती यह फिल्म आरक्षण के मुद्द पर आधारित है। अमिताभ ने कॉलेज प्राचार्य प्रभाकर आनंद की भूमिका निभाई है जो बाद में सामाजिक कार्यकर्ता बन जाता है। 'स्टूडेंड ऑफ द ईयर' (2012) : करन जौहर की इस फिल्म में दिखाया गया है कि विद्यार्थी भी शिक्षक को सिखा सकते हैं। इसमें कॉलेज की वार्षिक प्रतियोगिता के कारण छात्रों की दोस्ती टूट जाती है। अंत में एक छात्र प्राचार्य ऋषि कपूर को बताता है कि प्रतियोगिता का विषय ही घातक था। तब प्राचार्य को गलती का अहसास होता है।
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