भारत एक ऐसा देश है जहां पर कई धर्म है। इन धर्मों में कई तरह के रीति-रिवाज और परंपराए है। खासतौर में हिंदू धर्म में। हिंदू धर्म में एक चीज सबसे अलग है वो है किसी महिला का सोलह श्रृंगार। जो पूरी दुनिया में भी प्रसिद्ध है। परंपराओं की दृष्टि से तो इनके महत्व रोचक हैं। लड़कियों व स्त्रियों के पायलों की छुन-छुन किसको नहीं प्रिय लगती। जब कोई लड़की या स्त्री पायल पहनकर चलती है तो पायलों से निकलने वाली ध्वनि किसी संगीत से कम नहीं लगती है। लेकिन आप जानते है कि महिलाए अपने पैरों में सोने की बनी हुई पायल या बिछिया नहीं पहन सकती है। इसके पीछे क्या कारण है।
मान्यता है कि सोने के बने आभूषणों की तासीर गर्म होती है जबकि चांदी की तासीर शीतल होती है। इसी कारण आयुर्वेद के अनुसार माना जाता है कि मनुष्य का सिर ठंडा और पैर गर्म रहना चाहिए। यही वजह है कि सिर पर सोना और पैरों में चांदी के आभूषण ही धारण करने चाहिए। इससे सिर से उत्पन्न ऊर्जा पैरों में और चांदी से उत्पन्न ठंडक सिर में जाएगी। इससे सिर ठंडा व पैर गर्म रहेंगे।
आपको पता है पैरों में चांदी से बनी चीजें पहनने से आप कई बीमारियों से बच भी जाते है। चांदी की पायल पहनने से पीठ, एड़ी, घुटनों के दर्द और हिस्टीरिया रोगों से राहत मिलती है। सिर और पांव दोनों में सोने के आभूषण पहनने से मस्तिष्क और पैर दोनों में समान गर्म ऊर्जा प्रवाहित होगी, जिससे इंसान रोगग्रस्त हो सकता है। वहीँ, वास्तु के अनुसार, पायल की आवाज से घर में नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव कम हो जाता है इसके अलावा दैवीय शक्तियां अधिक सक्रिय हो जाती है यह भी इसका एक कारण हो सकता है| इसके अलावा पायल की धातु हमेश पैरों से रगड़ाती रहती है जो स्त्रियों की हड्डियों के लिए काफी फायदेमंद है। इससे उनके पैरों की हड्डी को मजबूती मिलती है।
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