दुनिया के कई देशों में 1 अप्रैल को ‘अप्रैल फूल डे’ के रूप में मनाया जाता है| कहीं-कहीं इसे ‘ऑल फूल्स डे’ भी कहा जाता है। इस दिन लोग एक-दूसरे को बेवकूफ बनाते हैं और जो बेवकूफ बन जाता है उसे ‘अप्रैल फूल’ कहकर चिढ़ाते हैं। वैसे तो एक अप्रैल को कोई आधिकारिक छुट्टी नहीं होती, लेकिन इसे स्पेशली एक ऐसे दिन मनाया जाता है जब एक दूसरे के साथ मजाक और सामान्य तौर पर मूर्खतापूर्ण हरकतें की जाती हैं|
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कुछ देशों जैसे न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में इस तरह के मजाक केवल दोपहर तक ही किए जाते हैं और अगर कोई दोपहर के बाद मजाक करने की कोशिश करता है तो उसे ‘अप्रैल फूल’ कहा जाता है। कहा जाता है कि ऐसा इसीलिये किया जाता है क्योंकि ब्रिटेन के अखबार जो अप्रैल फूल पर मुख्य पृष्ठ निकालते हैं वे ऐसा सिर्फ पहले (सुबह के) एडिशन के लिए ही करते हैं|
वहीं फ्रांस, आयरलैंड, इटली, दक्षिण कोरिया, जापान, रूस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में मजाक का सिलसिला पूरे दिन चलता रहता है। फ्रांस और इटली में तो इस दिन कागज की मछली बनाकर उसे एक-दूसरे की पीठ पर चिपकाकर ‘अप्रैल फिश’ मनाने का प्रचलन है।
क्यों मनाते हैं ‘अप्रैल फूल’
बहुत से लोगो का मानना है कि ‘अप्रैल फूल’ की शुरुआत 17वीं सदी से शुरू हुई है लेकिन एक अप्रैल को ‘फूल्स डे ‘ के रूप मे माना जाना और लोगों के साथ हंसी मजाक करने का सिलसिला वर्ष 1564 के बाद फ्रांस में शुरू हुआ| इस परंपरा की शुरुआत की कहानी बड़ी ही मनोरंजक है|
दरअसल, वर्ष 1564 से पहले यूरोप के लगभग सभी देशों मे एक जैसा कैलेंडर प्रचलित था जिसमे हर नया वर्ष एक अप्रैल से शुरू होता था| उन दिनों एक अप्रैल को लोग न्यू ईयर की तरह सेलिब्रेट करते थे| इस दिन लोग एक दूसरे को न्यू ईयर गिफ्ट और शुभकामनाएं भेजते थे| वर्ष 1564 मे वहां के राजा चार्ल्स नवम (CHARLES1X) ने एक बेहतर कैलेंडर को अपनाने का आदेश दिया| इस नए कैलेंडर मे आज की तरह एक जनवरी को वर्ष का प्रथम दिन माना गया था| अधिकतर लोगो ने इस नए कैलेंडर को अपना लिया लेकिन कुछ ऐसे भी लोग थे जिन्होंने नए कैलेंडर को अपनाने से इंकार कर दिया था|
ऐसे में जो लोग एक जनवरी को वर्ष का नया दिन न मानकर ‘एक अप्रैल’ को ही वर्ष का पहला दिन मानते थे, उन्हें नया कैलेंडर अपनाने वालो ने मूर्ख समझकर एक अप्रैल के दिन विचित्र प्रकार के मजाक और झूठे उपहार देने शुरू कर दिए| तभी से आज तक एक अप्रैल को लोग ‘फूल्स डे’ के रूप मे मनाते हैं|
कैसे बनाये ‘अप्रैल फूल डे’
एक अप्रैल के दिन अपने फ्रेंड्स, फेमिली मेम्बर्स, पति, पत्नी, गर्लफ्रेंड, ब्वॉयफ्रेंड एक दूसरे को बेवकूफ बनाने के लिए मोबाइल फोन, ईमल,गिफ्ट पैकेट्स का यूज करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते| बेवकूफ बनाने के लिए आकर्षक पैकिंग वाले डिब्बों में ईंट-पत्थर के टुकड़े या मिठाई की जगह आटे के लोने रखकर मूर्ख बनाए जा सकते हैं|
लड़के लड़कियां एक दूसरे को फोन पर शादी का ऑफर देकर, जॉब का ऑफर देकर बेवकूफ बना सकते हैं| अगर सभी को मूर्ख बना रहे है तो पत्रकारों को कैसे छोड़ दिया जाए| मीडिया के दफ्तरों में फोन पर झूठी सूचनाएं देकर पत्रकारों को आसानी से परेशान किया जा सकता है। पत्रकारों को फोन पर किसी स्थान पर पूल टूटने, किसी जीप के दुर्घटनाग्रस्त होने, कही प्रेस कांफ्रेंस की झूठी खबर देकर आसानी से अप्रैल फूल बनाया जा सकता है|
पत्रकारों के अलावा पुलिस वालों को भी झूठी सूचनाएं देकर इधर-उधर दौड़ाया जा सकता है, लेकिन ध्यान रखें की यह मजाक एक हद के भीतर ही हो जिससे कोई अनहोनी या फिर आत्मग्लानी देने वाली घटना ना घटे|
आपको यह जानकर हैरानी होगी कि कुछ देशों जैसे न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका में इस तरह के मजाक केवल दोपहर तक ही किए जाते हैं और अगर कोई दोपहर के बाद मजाक करने की कोशिश करता है तो उसे ‘अप्रैल फूल’ कहा जाता है। कहा जाता है कि ऐसा इसीलिये किया जाता है क्योंकि ब्रिटेन के अखबार जो अप्रैल फूल पर मुख्य पृष्ठ निकालते हैं वे ऐसा सिर्फ पहले (सुबह के) एडिशन के लिए ही करते हैं|
वहीं फ्रांस, आयरलैंड, इटली, दक्षिण कोरिया, जापान, रूस, नीदरलैंड, जर्मनी, ब्राजील, कनाडा और अमेरिका में मजाक का सिलसिला पूरे दिन चलता रहता है। फ्रांस और इटली में तो इस दिन कागज की मछली बनाकर उसे एक-दूसरे की पीठ पर चिपकाकर ‘अप्रैल फिश’ मनाने का प्रचलन है।
क्यों मनाते हैं ‘अप्रैल फूल’
बहुत से लोगो का मानना है कि ‘अप्रैल फूल’ की शुरुआत 17वीं सदी से शुरू हुई है लेकिन एक अप्रैल को ‘फूल्स डे ‘ के रूप मे माना जाना और लोगों के साथ हंसी मजाक करने का सिलसिला वर्ष 1564 के बाद फ्रांस में शुरू हुआ| इस परंपरा की शुरुआत की कहानी बड़ी ही मनोरंजक है|
दरअसल, वर्ष 1564 से पहले यूरोप के लगभग सभी देशों मे एक जैसा कैलेंडर प्रचलित था जिसमे हर नया वर्ष एक अप्रैल से शुरू होता था| उन दिनों एक अप्रैल को लोग न्यू ईयर की तरह सेलिब्रेट करते थे| इस दिन लोग एक दूसरे को न्यू ईयर गिफ्ट और शुभकामनाएं भेजते थे| वर्ष 1564 मे वहां के राजा चार्ल्स नवम (CHARLES1X) ने एक बेहतर कैलेंडर को अपनाने का आदेश दिया| इस नए कैलेंडर मे आज की तरह एक जनवरी को वर्ष का प्रथम दिन माना गया था| अधिकतर लोगो ने इस नए कैलेंडर को अपना लिया लेकिन कुछ ऐसे भी लोग थे जिन्होंने नए कैलेंडर को अपनाने से इंकार कर दिया था|
ऐसे में जो लोग एक जनवरी को वर्ष का नया दिन न मानकर ‘एक अप्रैल’ को ही वर्ष का पहला दिन मानते थे, उन्हें नया कैलेंडर अपनाने वालो ने मूर्ख समझकर एक अप्रैल के दिन विचित्र प्रकार के मजाक और झूठे उपहार देने शुरू कर दिए| तभी से आज तक एक अप्रैल को लोग ‘फूल्स डे’ के रूप मे मनाते हैं|
कैसे बनाये ‘अप्रैल फूल डे’
एक अप्रैल के दिन अपने फ्रेंड्स, फेमिली मेम्बर्स, पति, पत्नी, गर्लफ्रेंड, ब्वॉयफ्रेंड एक दूसरे को बेवकूफ बनाने के लिए मोबाइल फोन, ईमल,गिफ्ट पैकेट्स का यूज करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ते| बेवकूफ बनाने के लिए आकर्षक पैकिंग वाले डिब्बों में ईंट-पत्थर के टुकड़े या मिठाई की जगह आटे के लोने रखकर मूर्ख बनाए जा सकते हैं|
लड़के लड़कियां एक दूसरे को फोन पर शादी का ऑफर देकर, जॉब का ऑफर देकर बेवकूफ बना सकते हैं| अगर सभी को मूर्ख बना रहे है तो पत्रकारों को कैसे छोड़ दिया जाए| मीडिया के दफ्तरों में फोन पर झूठी सूचनाएं देकर पत्रकारों को आसानी से परेशान किया जा सकता है। पत्रकारों को फोन पर किसी स्थान पर पूल टूटने, किसी जीप के दुर्घटनाग्रस्त होने, कही प्रेस कांफ्रेंस की झूठी खबर देकर आसानी से अप्रैल फूल बनाया जा सकता है|
पत्रकारों के अलावा पुलिस वालों को भी झूठी सूचनाएं देकर इधर-उधर दौड़ाया जा सकता है, लेकिन ध्यान रखें की यह मजाक एक हद के भीतर ही हो जिससे कोई अनहोनी या फिर आत्मग्लानी देने वाली घटना ना घटे|
ليست هناك تعليقات:
إرسال تعليق