मथुरा हिंसा: समय रहते फर्ज जागता तो नहीं बहता खून

ऐतिहासिक मथुरा नगरी वैसे भी आतंकियों के निशाने पर रहती है। ऐसे में शहर में ऐसे अड्डे बन जाना कैसे बर्दाश्त किया जा सकता है।वर्ष 2014 में मुट्ठी भर लोगों ने जवाहरबाग में धरने की अनुमति मांगी और वहां कब्जा कर समानांतर सरकार तक बना ली, प्रशासन देखता रहा। हाईकोर्ट हमेशा प्रशासन के साथ रहा। वर्ष 2014 में पूर्व बार अध्यक्ष विजयपाल तोमर ने हाईकोर्ट में याचिका दी। मई, 2015 में हाईकोर्ट ने कब्जा हटाने के आदेश भी दे दिए, मगर प्रशासन को आदेश स्पष्ट नहीं लगे। हाल ही में कब्जाधारकों के नेता रामवृक्ष यादव ने फिर रिट देकर रसद-बिजली-पानी आपूर्ति सुचारू कराने की मांग की, लेकिन हाईकोर्ट ने उसे खारिज करते हुए 50 हजार का जुर्माना लगाया।

महीनेभर से अफसर निर्णय नहीं ले पा रहे थे। कुछ माह पहले सैन्य अफसरों ने खुद प्रशासन से मदद की पहल की, लेकिन प्रशासन पूरी तैयारी की बात कहता रहा। बड़ी विफलता खुफिया विभाग की भी है। डीएम और एसएसपी में समन्वय का भी अभाव दिखा। फायरिंग के आदेश तब हुए, जब एसओ को गोली लग चुकी थी। इस पर फोर्स में रोष भी दिखा। खुद सिटी मजिस्ट्रेट भी संतुष्ट नहीं दिखे। बड़ा सवाल यह है कि जब सरकारी संपत्ति पर कब्जा जमाए लोगों को हटाने की यह कीमत चुकानी पड़ी तो अचानक होने वाले आतंकी हमले आदि से पुलिस प्रशासन कैसे निपटेगा।

रणनीति बनाकर काम नहीं किया

आखिरकार मथुरा के लोगों ने अदालत का सहारा लिया। मई महीने में हाईकोर्ट ने निर्देश दिए कि इस अतिक्रमण को तुरंत हटाया जाए और पचास हजार रुपए हर्जाने के रूप में वसूल किए जाएं। तब यह कार्रवाई हुई, लेकिन अगर पुलिस और स्थानीय खुफिया विभाग एक स्पष्ट रणनीति बनाकर काम करते तो शायद हमारे दो जांबाज पुलिस अधिकारियों की जान नहीं जाती।

मथुराः एसपी सिटी को पीट-पीट कर मारा था, एसओ को एके 47 से मारी गोली

कब्जाधारियों की लोकेशन का जायजा लेने को पहुंचे एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की मौत गोली से नहीं हुई। उनकी मौत कब्जाधारियों के चारों ओर से घेर कर लाठी-डंडों के प्रहार करने के कारण हुई। यह खुलासा एसपी के शव के पोस्टमार्टम में हुआ है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी की मौत की वजह लाठी-डंडों का प्रहार आया है। इधर एसओ फरह को लगी गोली एके 47 से चलने की बात कही जा रही है। ढाई साल से अवैध कब्जेधारियों की गिरफ्त में रहा जवाहरबाग आखिर गुरुवार शाम को पुलिस ने खाली करा ही लिया। मगर कब्जेधारियों के चंगुल से जवाहरबाग को मुक्त कराने में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और एसओ फरह संतोष कुमार यादव का बलिदान हो गया। गुरुवार शाम को जवाहरबाग में हुई हिंसक झड़प में एसपी सिटी की मौत होने के बाद शुक्रवार को उनके शव का पोस्टमार्टम कराया गया। इसमें एसपी की मौत की वजह लाठी-डंडों का प्रहार आया है।

पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आया है कि एसपी के सिर की कई हड्डियां टूटी हुई हैं। वहीं उनके शरीर के अन्य हिस्सों में भी गहरे चोट के निशान मिले हैं। इधर एसओ फरह संतोष यादव की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी चौकाने वाली है। उनके शरीर में मिली गोली एके 47 रायफल से चलने की संभावना जताई जा रही है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में संतोष की नाक के ऊपर एक गोली लगी बताई गई है जो कि दाहिने कान के पास से होकर शरीर के पार निकल गई। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कब्जाधारियों के पास एके 47 स्तर के हथियार मौजूद रहे होंगे। क्योंकि देशी तमंचे से चलाई गोली पार नहीं हो सकती है। हालांकि पुलिस को मौके से एके 47 तो नहीं मिली लेकिन उसके कारतूस बरामद होने की बात पुलिस कर्मियों द्वारा कही जा रही है।

इतने हथियार कहां से आए

सूत्र कहते हैं कि दो साल में कई डीएम आए लेकिन सब यही कोशिश करते रहे कि उनके कार्यकाल में किसी तरह यह मामला चलता रहे। गलतियों की यही चिंगारी शोले के रूप में हमारे सामने आ गई। एडीजीपी दलजीत चौधरी बताते हैं कि जवाहर बाग में तलाशी के दौरान तमाम असलहा और देसी बम तक बरामद हुए हैं, लेकिन इस बात का कई जवाब नहीं है कि कलेक्ट्रेट परिसर के बगल में और सेना की छावनी से मुश्किल एक किमी की दूरी पर अपराधी और असलहा कैसे इकट्ठा हो गया।

मारा गया मथुरा कांड का मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव

मथुरा में हुई हिंसा के मास्टर माइंड रामवृक्ष को लेकर अब तक सस्पेंस बना हुआ है। पुलिस फिलहाल उसकी तलाश में जुटी है लेकिन इस बात की भी आशंका जताई जा रही है कि वारदात में उसकी मौत हो चुकी है। पुलिस को इस बात की भी आशंका है कि रामवृक्ष के मारे जाने या फिर जख्मी होने के बाद उसके साथी उसे किसी सुरक्षित जगह पर लेकर गए हैं। इसी आशंका के तहत पुलिस अलग अलग अस्पतालों में भी सर्च ऑपरेशन चला रही है। क्योंकि जख्मी होने की हालत में वो किसी अस्पताल में इलाज के लिए भी जा सकता है। गाजीपुर का रहने वाला 50 साल का रामवृक्ष यादव हमेशा हाईटेक रहता था। वह अपने साथ एक युवक को रहता था जिसके पास इंटरनेटयुक्त लेपटॉप हुआ करता था। जब जवाहरबाग की सरकारी जमीन का मामला हाईकोर्ट में चल रहा था, तब वह अदालती की कार्रवाई देखा करता था। रामवृक्ष के सनकीपन का आलम यह था कि वह दरबार लगाकर कहता था कि वही सबकी नागरिकता तय करेगा। जो आदमी उसका आदेश नहीं मानेगा, उसकी उसे सजा मिलेगी।

असल में रामवृक्ष यादव जयगुरुदेव का शिष्य रहा है और जब जयगुरुदेव के निधन के बाद उनकी विरासत हथियाने में नाकाम रहा, तब वह 270 एकड़ जमीन पर कब्जा करके यहां पर जयगुरुदेव की तर्ज पर आश्रम बनाना चाहता था। इसके लिए उसे राजनीतिक संरक्षण भी मिला हुआ था। यही कारण है कि मथुरा का स्थानीय प्रशासन सरकारी जमीन को खाली कराने में नाकाम रहा था। जब भी प्रशासन जमीन खाली कराने के लिए मुनादी करता, रामवृक्ष यादव के लोग उसका विरोध करते हुए नारे लगाते।

रामवृक्ष के साथ रहने वाले लोग खुद को सत्याग्रही और आजाद हिन्द फौज बताते रहते थे। जिस क्षेत्र पर इनका अवैध कब्जा था, वहां पर सुबह रोजाना प्रार्थना सभा होती थी और जयहिंद के साथ जय सुभाष के नारे लगाए जाते थे। इन लोगों को यहां शूटिंग का प्रशिक्षण दिया जाता था। शूटिंग का प्रशिक्षण लेने वाले 15 साल तक की उम्र के बच्चे हुआ करते थे और उन्हें यही सिखाया जाता था कि उन्हें फौज और स्थानीय प्रशासन के खिलाफ गोली चलानी है। रामवृक्ष खुद भी मीसा एक्ट में जेल जा चुका था।

मथुरा की घटना अखिलेश यादव सरकार की बड़ी चूक : केंद्रीय गृह मंत्रालय

मथुरा हिंसा की फाइल तस्वीरनई दिल्‍ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मथुरा में हुई भीषण हिंसा के लिए सीधे तौर पर अखिलेश यादव सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस मामले में राज्य सरकार से रिपोर्ट भी मांगी है। केंद्रीय गृहराज्य मंत्री किरन रिजिजू ने कहा कि ये ये एक बहुत बड़ी लापरवाही है। उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार चिंतित है। ये कोई छोटी घटना नहीं है, राज्‍य सरकार से इस मामले पर रिपोर्ट मांगी गई है कि उससे इतनी बड़ी चूक कैसे हुई?” इस बात की भी जानकारी मांगी गई कि क्या उपद्रवियों को किसी का संरक्षण तो नहीं हासिल था? जैसा कि बीजेपी के स्थानीय नेता आरोप लगा रहे हैं।

भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने अखिलेश सरकार पर बेहद गंभीर आरोप लगाए हैं। मौर्य ने आरोप लगाया है कि मथुरा में पुलिस अफसरों का कत्ल करने वाले दंगाइयों को यूपी के ताकतवर कैबिनेट मंत्री और सीएम अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव का संरक्षण हासिल था। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस बारे में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से बात कर सख्त कार्रवाई करने को कहा है। ये लोग पिछले 28 महीने से वहां जमे हुए थे। मंत्रालय का कहना है कि इस बात की जांच की होनी चाहिए कि कैसे इन लोगों को सरकारी सुविधाएं मुहैया हो रही थीं। वहां सुबह-शाम परेड होती थी, पर पुलिस शांत बैठी हुई थी।

जवाहरबाग में कार्रवाई नहीं, निरीक्षण करने गई थी पुलिस : डीजीपी

उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) जावीद अहमद का कहना है कि पुलिस जवाहरबाग सरकारी पार्क में कार्रवाई नहीं बल्कि निरीक्षण के लिए गई थी। पुलिस का उद्देश्य कथित सत्याग्रहियों की रेकी करना था। मथुरा हिंसा के बाद शुक्रवार को यहां पहुंचे डीजीपी जावीद अहमद, एडीजी लॉ एंड आर्डर दलजीत चौधरी तथा प्रमुख सचिव गृह देवाशीष पांडा ने घटनास्थल और अन्य जगहों का जायजा लिया। साथ ही मथुरा पुलिस लाइन में सभी शहीद पुलिसकर्मियों को सलामी व श्रद्धांजलि दी।

डीजीपी अहमद ने कहा कि मथुरा हिंसा का मास्टरमाइंड रामवृक्ष यादव अगर जिंदा होगा तो जरूर पकड़ा जाएगा। डीजीपी ने कहा कि मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है और कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा कि पार्क से बरामद सभी असलहों की जांच की जा रही है। अब पुलिस का सारा ध्यान सिर्फ राम वृक्ष की गिरफ्तारी पर है। गुरुवार को हुई हिंसा पर उन्होंने कहा कि पुलिस केवल निरीक्षण के लिए गई थी। निरीक्षण के बाद किसी भी कार्रवाई की योजना दो-तीन दिन बाद की थी। पुलिस अभियान के लिए जवाहरबाग नहीं गई थी। उसका उद्देश्य कथित सत्याग्रहियों की रेकी करना था। तभी सत्याग्रहियों ने पुलिस पर हमला बोल दिया। उन्होंने हिंसा में 24 लोगों के मरने की पुष्टि की, जिनमें 11 की मौत जलकर हुई है।

हिंसा पर शिवपाल ने भाजपा पर साधा निशाना

कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर लाशों पर राजनीति करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग अराजक हैं। शिवपाल ने मथुरा कांड पर दुख भी जाहिर किया। उन्होंने कहा, “पुलिस प्रशासन की लापरवाही से बड़ा नुकसान हुआ। मथुरा में बड़ी दुखद घटना हुई और मुझे सभी की मौत पर दुख है।” शिवपाल ने कहा कि गृहमंत्री ने रपट मांगी है, जांच के बाद कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि सीबीआई जांच का मतलब है देर, इसलिए जल्द से जल्द मामले पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

मथुरा हिंसा पर बिफरीं मायावती, अखिलेश से इस्तीफा मांगा

पूर्व मुख्यमंत्री व बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने मथुरा में खूनी संघर्ष में पुलिस अधिकारियों सहित जानमाल की भारी हानि को अत्यंत दु: खद और चिन्ताजनक करार देते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से इस्तीफे की मांग की है। मायावती ने शुक्रवार को जारी बयान में कहा है, “इस अप्रिय घटना के लिए राज्य की सपा सरकार की अराजकतापूर्ण नीति पूरी तरह से जिम्मेदार है और यह सब यहां व्याप्त जंगलराज को दर्शाता है। इसकी जिम्मेदारी लेते हुए सपा सरकार को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए।” मायावती ने इस मामले की समयबद्घ न्यायिक जांच की भी मांग की है।

उन्होंने कहा, “मथुरा के जवाहरबाग की सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे को लेकर हुए खूनी संघर्ष में खासतौर पर एक पुलिस अधीक्षक और एक थाना प्रभारी स्तर के पुलिस अधिकारी की मौत सपा सरकार की लचर नीतियों को साबित करती है। ऐसी नीतियों के कारण ही राज्य सरकार का कोई भी विभाग खासतौर पर पुलिस महकमे के अधिकारी-कर्मचारी कानूनी जिम्मेदारी निभाने में अपने आपको कितना असहाय, असमर्थ और मजबूर पा रहे हैं।” मायावती ने कहा कि सपा सरकार पर सबसे बड़ा आरोप यह है कि पिछले दो वर्ष से वहां अवैध कब्जा होने दिया गया।

उन्होंने सवाल उठाया कि कब्जाधारियों को इस हद तक छूट क्यों दी गई कि वे अवैध हथियार वहां जमा करते गए और यहां तक कि अवैध हथियार बनाने का कारखाना तक बना लिया। मायावती ने सवाल किया कि “अब क्या उनके परिवार को अनुग्रह राशि देकर इन परिवारों व पुलिस बल के टूटे मनोबल की क्षतिपूर्ति की जा सकती है? सपा सरकार ऐसा सोचती है तो यह उसकी गलत सोच है। समय पर उचित कार्रवाई नहीं करना व दु:खद घटना होने देना और फिर कथित तौर पर उसकी क्षतिपूर्ति घोषित करना सपा सरकार की विकृत मानसिकता को दर्शाता है।”

मथुरा हिंसा उप्र में ध्वस्त कानून-व्यवस्था का सबूत : भाजपा

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने शुक्रवार को जोर देते हुए कहा कि मथुरा में हिंसा उत्तर प्रदेश में ध्वस्त कानून-व्यवस्था का जीता जागता सबूत है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने यहां पार्टी मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन में कहा, “उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है। मथुरा केवल एक छोटा सा शहर नहीं है। यह क्षेत्र का एक केंद्र है, जहां भारी मात्रा में हथियार तथा विस्फोटकों को इकट्ठा किया गया। स्थानीय प्रशासन को कैसे इसकी भनक नहीं लगी? इस तरह की गलती कैसे हो सकती है।” उन्होंने कहा कि इस तरह की घटना स्थानीय प्रशासन के संज्ञान के बिना नहीं हो सकती।

मथुरा के जवाहरबाग में अतिक्रमण हटाने गए पुलिस दल व अतिक्रमणकारियों के बीच गुरुवार शाम झड़प में दो पुलिस अधिकारियों सहित 24 लोग मारे गए हैं। पात्रा ने कहा कि वहां जो भी हथियार बरामद हुए, वे वहीं नहीं बने थे, बल्कि उन्हें कई जांच चौकियों व पुलिस नाके को पार कर वहां लाया गया था। उन्होंने कहा, “या फिर प्रत्येक जांच चौकी पर रिश्वत लेकर इन हथियारों को जाने दिया गया होगा।” पात्रा ने कहा, “राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के रिकॉर्ड के मुताबिक, राज्य में जब से समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार बनी है, पुलिसकर्मियों पर हमलों के मामले तीन गुना तक बढ़ गए हैं। साल 2014-15 के दौरान पुलिस पर 300 हमले हुए। वहीं पिछले एक साल में पुलिसकर्मियों पर 1,054 हमले हुए। जो सुरक्षा बल खुद अपनी सुरक्षा नहीं कर सकते वह लोगों की सुरक्षा कैसे करेंगे?”

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तथा उत्तर प्रदेश के पुलिस महानिदेशक को अपने कर्तव्यों का निर्वहन न करने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। पात्रा ने यह भी कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश सरकार की हर संभव मदद करेगी। केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि हालात पर वह नजर बनाए हुए हैं।

शिवपाल के करीबी माफियाओं ने की पुलिस अफसरों की हत्या : मौर्य

उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य ने मथुरा के जवाहरबाग कांड के लिए प्रदेश के कैबिनेट मंत्री शिवपाल यादव को जिम्मेदार ठहराया है। मौर्य ने इलाहाबाद में कहा कि शिवपाल के संरक्षणप्राप्त माफियाओं ने वहां पुलिस अफसरों की हत्या कर दी। उन्होंने कहा कि पीड़ित परिवारों का मुआवजा 20 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए किया जाए। अगर इंसाफ नहीं हुआ तो भाजपा आंदोलन करेगी।

मौर्य ने कहा कि अखिलेश यादव दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करें। साथ ही उनको संरक्षण देने वाले अपने चाचा शिवपाल यादव पर भी कार्रवाई करें। उनके संरक्षण की वजह से ही दंगाइयों ने खून की होली खेली। वह पुलिस अफसरों पर भी गोलियां बरसाने में नहीं हिचके। मौर्य ने कहा कि आंदोलन की अगुवाई करने वाला भू-माफिया है। उसे शिवपाल यादव का संरक्षण हासिल था। उत्तर प्रदेश में अब कानून का राज नहीं रह गया है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को यहां सत्ता में बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। अखिलेश इस मामले में उच्चस्तरीय जांच कराए। दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें।

सपा के सरकार में आने के बाद से यूपी में जंगलराज और माफिया राज : आम आदमी पार्टी

आम आदमी पार्टी ने आरोप लगाया कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी के सत्ता में आने के बाद से ‘जंगल राज और माफिया राज’ फल-फूल रहा है। ‘आप’ ने मथुरा में हुई एक झड़प में 24 लोगों की मौत के मद्देनजर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से इस्तीफे की मांग भी की। सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव पर निशाना साधते हुए ‘आप’ के वरिष्ठ नेता संजय सिंह ने आरोप लगाया कि झड़प के पीछे एक स्थानीय गुंडे का हाथ है, जिसे ‘मुलायम सिंह यादव प्राइवेट लिमिटेड’ के एक वरिष्ठ मंत्री का संरक्षण प्राप्त है। संजय सिंह की अगुवाई में ‘आप’ नेताओं का एक प्रतिनिधिमंडल आज मथुरा जाएगा।

उन्होंने कहा, ‘जब से समाजवादी पार्टी सत्ता में आई है, उत्तर प्रदेश में गुंडा और माफिया राज नजर आ रहा है। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को एक भी मिनट गंवाए बगैर इस्तीफा दे देना चाहिए।’ संजय ने कहा कि सपा की सरकार आने के बाद से उत्तर प्रदेश में दंगे के 600 से ज्यादा मामले हो चुके हैं। उन्होंने कहा, ‘आप’ ने भी जमीन पर अवैध कब्जे करने वालों को हटाने की मांग की थी और उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी ऐसा नहीं किया गया।

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