शनिवार को करें यह उपाय, दूर होगी आर्थिक तंगी और घर में क्लेश


धर्मग्रंथों के अनुसार जिस घर में तुलसी का पौधा होता है वहां रोग, दोष या क्लेश नहीं होता वहां हमेशा सुख-समृद्धि का वास होता है। इसीलिए प्रतिदिन तुलसी के पौधे की पूजा करने का भी विधान है। प्राचीन काल से ही यह परंपरा चली आ रही है कि घर में तुलसी का पौधा होना चाहिए।

शास्त्रों में तुलसी को पूजनीय, पवित्र और देवी स्वरूप माना गया है, इस कारण घर में तुलसी हो तो कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए। यदि ये बातें ध्यान रखी जाती हैं तो सभी देवी-देवताओं की विशेष कृपा हमारे घर पर बनी रहती है। घर में सकारात्मक और सुखद वातावरण बना रहता है, पैसों की कमी नहीं आती है और परिवार के सदस्यों को स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है।

इससे पैसों से सम्बन्धित परेशानियां दूर हो जाती है। इसके इलावा घर के लोगों के बीच हो रहे झगडे, मन मुटाव और क्लेश भी दूर हो जाता है। हर घर में पैसों को लेकर समस्याएं आती ही रहती है। हम चाहे कितना भी कमा ले पर फिर भी पैसो की तंगी कभी पूरी ही नहीं होती। ऐसे में तुलसी का ये उपाय एक रामबाण उपाय है। वैसे इस उपाय को करना बेहद आसान है। साथ ही इस उपाय को करने से इसका असर भी तुरंत दिखता है। इससे पैसों से सम्बन्धित परेशानियां दूर हो जाती है।

इसके इलावा घर के लोगों के बीच हो रहे झगडे, मन मुटाव और क्लेश भी दूर हो जाता है। इसमें पहले उपाय के अनुसार यदि आप शनिवार को आटा पिसवाने जाए तो जाते समय थोड़े से गेहूं में 100 ग्राम काले चने, 11 तुलसी के पत्ते और उसमे दो दाने केसर के मिला ले। अब इस सामग्री को बाकी गेहूं में मिला कर पिसवा ले.। इसके इलावा केवल शनिवार को ही आटा पिसवाएं। इस उपाय को करने के बाद ही आपको तुरंत इसका असर दिखने लगेगा।

इसके इलावा शनिवार को काले कुत्ते को सरसो के तेल से चुपड़ी रोटी खिलाने से भी धन में वृद्धि होती है। साथ ही शनिवार को पीपल के पेड़ में देसी घी का दीपक जलाने से भी मनोकामनाए पूरी होती है।गौरतलब है, कि तुलसी के पौधे पर प्रतिदिन सुबह शाम दीपक जलाने से भी व्यक्ति की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती है।

कई बीमारियों से निजात दिलाता है तीन मुखी रुद्राक्ष, जानिए और फायदे


रुद्राक्ष दो शब्दों के मेल से बना है पहला रूद्र का अर्थ होता है भगवान शिव और दूसरा अक्ष इसका अर्थ होता है आंसू| माना जाता है की रुद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के आंसुओं से हुई है| रुद्राक्ष भगवान शिव के नेत्रों से प्रकट हुई वह मोती स्वरूप बूँदें हैं जिसे ग्रहण करके समस्त प्रकृति में आलौकिक शक्ति प्रवाहित हुई तथा मानव के हृदय में पहुँचकर उसे जागृत करने में सहायक हो सकी| 

रूद्राक्ष का बहुत अधिक महत्व होता है तथा हमारे धर्म एवं हमारी आस्था में रूद्राक्ष का उच्च स्थान है। रूद्राक्ष की महिमा का वर्णन शिवपुराण, रूद्रपुराण, लिंगपुराण श्रीमद्भागवत गीता में पूर्ण रूप से मिलता है। सभी जानते हैं कि रूद्राक्ष को भगवान शिव का पूर्ण प्रतिनिधित्व प्राप्त है।

रूद्राक्ष का उपयोग केवल धारण करने में ही नहीं होता है अपितु हम रूद्राक्ष के माध्यम से किसी भी प्रकार के रोग कुछ ही समय में पूर्णरूप से मुक्ति प्राप्त कर सकते है। ज्योतिष के आधार पर किसी भी ग्रह की शांति के लिए रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है। असली रत्न अत्यधिक मंहगा होने के कारण हर व्यक्ति धारण नहीं कर सकता।

रुद्राक्ष के मुखो की संख्या रुद्राक्ष की फलश्रुति निर्धारित करती है। वैसे तो 1 मुखी से 21 मुखी तक के सभी रुद्राक्ष लोकप्रिय है। निर्णय सिंधु के अनुसार अग्निसम्भूत त्रिमुखी स्तत्र यानि तीन मुखी रुद्राक्ष अग्नि से उत्पन्न हुआ है और यह पापों को नष्ट करने वाला है। पंच तत्वों में अग्नि का स्थान विशिष्ट है। तीन मुखी रुद्राक्ष स्वंय में बृह्मा, विष्णु और महेश को धारण करता है, वह जठराग्नि, बड़वाग्नि और दावाग्नि समस्त से मनुष्य की रक्षा करता है। 

इसकी शक्ति से कौनसी बीमारिया पल भर में ठीक हो जाती है। सबसे पहले तीनमुखी रुद्राक्ष की विशेषताएं... -यह त्रिदोषों का नाशक है यानि कफ, पित्त और वात का नाश करता है। -यह तीन वरणों यानि स्वर, व्यंजन और विसर्ग पर मनुष्य को अथॉरिटी देता है। यह मनुष्य की तीनों ऐष्णाओं की पूर्ति करता हैः तीन ऐष्णाएं हैं धन, पुत्र और लोक। -यह तीनों नाड़ियों को नियंत्रित करता हैः तीन नाड़ियां हैं आदि, अंत और मध्य। यह तीनों लिंग के लोगों द्वारा पहना जा सकता हैः तीन लिंग हैं- पुरुष, स्त्री और उभय।