विनीत कुमार वर्मा
हैदरगढ़: उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद जब स्लाटर हाउस पर पाबंदी की खबर आई थी। तब लोगों को लगा कि अब रामराज आ जाएगा। लेकिन इसके कुछ ही दिन बाद इसका दुष्परिणाम भी सामने आ गया। जिसको लेकर अब ग्रामीण इलाकों में रहने वाले किसान खासकर परेशान हैं। जो इन दिनों किसानों के लिए सिरदर्द बन गए हैं। ये पशु मौजूदा समय में झुण्ड के झुण्ड घुम रहे हैं। और सिर्फ घुम ही नहीं रहे हैं बल्कि किसानों के खेतों में घुस कर उनकी पूरी मेहनत पर पानी फेरते हुए उनकी खेती चर दे रहे हैं।
जहां आमजन रात के समय घरों में चैन की नींद सोए रहते है, वहीं किसानों को अपनी फसलें बचाने के लिए दिन रात खेतों में पहरेदारी करनी पड़ रही है। दिन-रात जागकर फसलों की रखवाली करने के बावजूद इन किसानों को बेसहारा पशुओं से अपनी फसलें बचाना मुश्किल होता जा रहा है। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जनपद के हैदरगढ़ क्षेत्र के इलियासपुर और कबूलपुर गांव में अब लोग आधी रात को सोते नहीं बल्कि अपने खेतों की पहरेदारी करते हैं। ताकि कोई गाय-सांड उनकी फसलों को नुकसान ना पहुंचा दे। इस इलाके में कई बार ऐसा हुआ है कि रात को गाय-बैल के झुंड ने फसलों को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है।
दरअसल, इस क्षेत्र में एक-दो-दस-बीस या सौ पचास नहीं इलाके में ऐसे हजारों लावारिस गोवंश का झुंड तैयार हो गया है जिनका कोई मालिक नहीं है ना ही कोई ठिकाना है। इसमें ज्यादातर ऐसे बैल हैं जो खेती किसानी में उपयोगी नहीं रहे, ऐसी गायें भी हैं जो अब दूध नहीं दे सकती, ऐसे में इनके खाने का खर्च किसानों पर बोझ बन गया तो इन्हें लावारिस छोड़ दिया गया। लिहाजा गोवंश का ये झुंड एक गांव से दूसरे गांव खाने की तलाश भटकता रहता है और जहां भी फसल मिलती उस पर टूट पड़ता है।
ये हालात सिर्फ इलियासपुर और कबूलपुर गांव के नहीं है, बल्कि पूरे बाराबंकी जनपद में आवारा मवेशियों का आतंक है। लावारिस गोवंश का ये झुंड रात के वक्त ही खेतों पर धावा बोलता है, लिहाजा किसान रात-रात भर जागकर अपने खेतों में मचान पर चढ़कर पहरा देते हैं। आधे घंटे की चूक भी इनकी महीनों की मेहनत को मिट्टी में मिला सकती है। इसलिए घर के बुजुर्गों से लेकर बच्चे तक बारी-बारी से इस पहरेदारी में शामिल होते हैं।
हादसों का पर्याय बने आवारा पशु
क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे आवारा पशुओं के कारण हादसों की संख्या में भी लगातार इजाफा हो रहा है। गलियों व सड़कों के किनारे घूम रहे आवारा पशु अचानक भागकर सड़कों पर आ जाते है। जिससे दोपहिया वाहन चालक चोटिल हो जाते है। वहीं बड़े वाहन की चपेट में आने से कई बार पशु भी गंभीर रूप से जख्मी हो जाते है।
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