जन्मकुंडली में शनि ग्रह अशुभ प्रभाव में होने पर व्यक्ति को निर्धन, आलसी, दुःखी, कम शक्तिवान, व्यापार में हानि उठाने वाला, नशीले पदार्थों का सेवन करने वाला, अल्पायु निराशावादी, जुआरी, कान का रोगी, कब्ज का रोगी, जोड़ों के दर्द से पीड़ित, वहमी, उदासीन, नास्तिक, बेईमान, तिरस्कृत, कपटी, अधार्मिक तथा मुकदमें व चुनावों में पराजित होने वाला बनाता है।
अशुभ शनि के लिए उपाय-
शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिएं :
1 शनि ग्रह के तांत्रिक मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार पाठ करें। मंत्र है क्क प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। शनि मन्त्र के अनुष्ठान की मन्त्र जाप संख्या है २३,००० है।
2 शनि ग्रह का यंत्र गले में धारण करें।
3 शनि ग्रह का यंत्र अपने पूजास्थल अथवा घर के मुख्य द्वार पर स्थापित करें।
4 शनि ग्रह की वस्तुओं का दान करें। शनि ग्रह की वस्तुएं हैं काला उड़द, तेल, नीलम, काले तिल, कुलथी, लोहा तथा लोहे से बनी वस्तुएं, काला कपड़ा, सुरमा आदि।
5 शनिवार को कीड़े-मकोड़ों को काले तिल डालें।
६. शनिवार को काली माह (काले उड़द) की दाल पीस कर उसके आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं।
7. शनिवार को श्मशान घाट में लकड़ी दान करें।
8. सात शनिवार सरसों का तेल सारे शरीर में लगाकर और मालिश करके साबुन लगााकर नहाएं।
9. शनिवार को शनि ग्रह की वस्तुएं न दान में लें और न ही बाजार से खरीदें।
10. सात शनिवार को सात बादाम तथा काले उड़द की दाल धर्म स्थान में दान करें।
11. शराब तथा सिगरेट का प्रयोग न करें।
12. सपेरे को सांप को दूध पिलाने के लिए पैसे दान करें।
13. शनिवार को व्रत करें। व्रत की विधि इस प्रकार है :
- शनिवार को व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से शुरु करें।
- शनि ग्रह का व्रत प्रत्येक शनिवार को ही रखें।
- शनि ग्रह के व्रतों की संख्या कम-से-कम १८ होनी चाहिए। तथापि पूर्ण लाभ के लिए लगातार एक वर्ष तक व्रत रखें।
- भोजन के रूप में उड़द के आटे का बना भोजन, तेल में पकी वस्तु शनिदेव को भोग लगााकर या काले कुत्ते या गरीब को देकर रोज वस्तु का सेवन करें।
- भोजन का सेवन शनि का दान देने के पश्चात् ही करें। शनि ग्रह के दान में काले उड़द, सरसों का तेल, तिल, कुलथी, लोहा या लोहे से बनी कोई वस्तु, नीलम रत्न या उसका उपरत्न, भैंस, काले कपड़े सम्मिलित हैं। यह दान दोपहर को या सांयकाल के समय किसी गरीब भिखारी को दें।
- भोजन से पूर्व एक बर्तन में भोजन तथा काले तिल या लौंग मिलाकर पश्चिम की ओर मुंह करके पीपल के पेड़ की जड़ में डाल दें।
- व्रत के दिन नमक वर्जित है।
- व्रत के दिन शनि के बीज मंत्र का २३,००० जाप करें या कम-से-कम ८ माला जाप करें।
- व्रत के दिन सिर पर भष्म का तिलक करें तथा काले रंग के कपड़े पहनें।
-जब व्रत का अन्तिम शनिवार हो तो शनि मंत्र से हवन कराकर भिखारियों या गरीब व्यक्तियों को दान दें।
14 घर में रोटी बनाकर काली गाय या काले कुत्ते को खिलाएं।
15 शनि ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए शनि से संबंधित जड़ी बूटियों व औषधियों से स्नान करने का विधान है। यह स्नान सप्ताह में एक बार किया जाता है। औषधियों को अभीष्ट दिन से पूर्व रात्रि में शुद्ध जल में भिगो दें तथा अगले दिन उन्हें छान कर छने हुए द्रव्य को स्नान के जल में मिला कर स्नान करें। शनि ग्रह के लिए काले तिल, शतपुष्पी, काले उड़द, लौंग, लोधरे के फूल तथा सुगन्धित फूलों को औषधियों के रूप में प्रयोग किया जाता है। मानसिक व शारीरिक शांति तथा अनिष्ट फल के निवारण के लिए विधिवत् स्नान से बहुत लाभ होता है। स्नान से पूर्व जल को इस मंत्र से अभिमंत्रित कर लेना चाहिए :क्कँ द्द्वीं शं शनैश्चराय नमः।
अशुभ शनि के लिए उपाय-
शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिएं :
1 शनि ग्रह के तांत्रिक मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार पाठ करें। मंत्र है क्क प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। शनि मन्त्र के अनुष्ठान की मन्त्र जाप संख्या है २३,००० है।
2 शनि ग्रह का यंत्र गले में धारण करें।
3 शनि ग्रह का यंत्र अपने पूजास्थल अथवा घर के मुख्य द्वार पर स्थापित करें।
4 शनि ग्रह की वस्तुओं का दान करें। शनि ग्रह की वस्तुएं हैं काला उड़द, तेल, नीलम, काले तिल, कुलथी, लोहा तथा लोहे से बनी वस्तुएं, काला कपड़ा, सुरमा आदि।
5 शनिवार को कीड़े-मकोड़ों को काले तिल डालें।
६. शनिवार को काली माह (काले उड़द) की दाल पीस कर उसके आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं।
7. शनिवार को श्मशान घाट में लकड़ी दान करें।
8. सात शनिवार सरसों का तेल सारे शरीर में लगाकर और मालिश करके साबुन लगााकर नहाएं।
9. शनिवार को शनि ग्रह की वस्तुएं न दान में लें और न ही बाजार से खरीदें।
10. सात शनिवार को सात बादाम तथा काले उड़द की दाल धर्म स्थान में दान करें।
11. शराब तथा सिगरेट का प्रयोग न करें।
12. सपेरे को सांप को दूध पिलाने के लिए पैसे दान करें।
13. शनिवार को व्रत करें। व्रत की विधि इस प्रकार है :
- शनिवार को व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से शुरु करें।
- शनि ग्रह का व्रत प्रत्येक शनिवार को ही रखें।
- शनि ग्रह के व्रतों की संख्या कम-से-कम १८ होनी चाहिए। तथापि पूर्ण लाभ के लिए लगातार एक वर्ष तक व्रत रखें।
- भोजन के रूप में उड़द के आटे का बना भोजन, तेल में पकी वस्तु शनिदेव को भोग लगााकर या काले कुत्ते या गरीब को देकर रोज वस्तु का सेवन करें।
- भोजन का सेवन शनि का दान देने के पश्चात् ही करें। शनि ग्रह के दान में काले उड़द, सरसों का तेल, तिल, कुलथी, लोहा या लोहे से बनी कोई वस्तु, नीलम रत्न या उसका उपरत्न, भैंस, काले कपड़े सम्मिलित हैं। यह दान दोपहर को या सांयकाल के समय किसी गरीब भिखारी को दें।
- भोजन से पूर्व एक बर्तन में भोजन तथा काले तिल या लौंग मिलाकर पश्चिम की ओर मुंह करके पीपल के पेड़ की जड़ में डाल दें।
- व्रत के दिन नमक वर्जित है।
- व्रत के दिन शनि के बीज मंत्र का २३,००० जाप करें या कम-से-कम ८ माला जाप करें।
- व्रत के दिन सिर पर भष्म का तिलक करें तथा काले रंग के कपड़े पहनें।
-जब व्रत का अन्तिम शनिवार हो तो शनि मंत्र से हवन कराकर भिखारियों या गरीब व्यक्तियों को दान दें।
14 घर में रोटी बनाकर काली गाय या काले कुत्ते को खिलाएं।
15 शनि ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए शनि से संबंधित जड़ी बूटियों व औषधियों से स्नान करने का विधान है। यह स्नान सप्ताह में एक बार किया जाता है। औषधियों को अभीष्ट दिन से पूर्व रात्रि में शुद्ध जल में भिगो दें तथा अगले दिन उन्हें छान कर छने हुए द्रव्य को स्नान के जल में मिला कर स्नान करें। शनि ग्रह के लिए काले तिल, शतपुष्पी, काले उड़द, लौंग, लोधरे के फूल तथा सुगन्धित फूलों को औषधियों के रूप में प्रयोग किया जाता है। मानसिक व शारीरिक शांति तथा अनिष्ट फल के निवारण के लिए विधिवत् स्नान से बहुत लाभ होता है। स्नान से पूर्व जल को इस मंत्र से अभिमंत्रित कर लेना चाहिए :क्कँ द्द्वीं शं शनैश्चराय नमः।
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