विक्रम संवत् 2069 का प्रारंभ 23 मार्च, शुक्रवार की शाम कन्या लग्न में हो रहा है। इस दौरान शनि ग्रह तुला राशि में, राहु वृश्चिक राशि में , सूर्य चन्द्रमा और बुध मीन राशि में ,गुरु और शुक्र मेष राशि में , केतु वृष राशि में और मंगल सिंह राशि में रहेगा। संवत्सर का नाम विश्वावसु है। ज्योतिष के अनुसार इस संवत् में दो सूर्य व एक चंद्रग्रहण होगा। इनमें से सिर्फ एक सूर्यग्रहण ही भारत में दिखाई देगा शेष दो भारत में दिखाई नहीं देंगे|
आपको बता दें कि इस संवत कब-कब होंगे ग्रहण-
कंकड़ाकृति सूर्यग्रहण-
इस वर्ष का पहला ग्रहण यानि कि कंकड़ाकृति सूर्यग्रहण ज्येष्ठ मास की अमावस्या (20 मई दिन रविवार) को होगा। यह ग्रहण कृत्तिका नक्षत्र, वृष राशि में होगा, जो भारत के केवल पूर्वी भाग में खण्डग्रास रूप में दिखाई देगा। ग्रहण का मोक्ष दूसरे दिन यानी 21 मई, सोमवार को सुबह 4 बजकर 51 मिनट पर होगा।
खण्डग्रास चंद्रग्रहण-
इसके बाद संवत् 2069 के ज्येष्ठ मास में दूसरा ग्रहण भी होगा। ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा (4 जून दिन सोमवार) को खण्डग्रास चंद्रग्रहण होगा, यह भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए धार्मिक दृष्टि से भारत में इसकी कोई मान्यता नहीं रहेगी। यह ग्रहण ज्येष्ठा नक्षत्र, वृश्चिक राशि में होगा।
खग्रास सूर्यग्रहण-
इस वर्ष का तीसरा और अंतिम खग्रास सूर्यग्रहण कार्तिक मास की अमावस्या (13/14 नवंबर, मंगलवार) को होगा। यह ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए धार्मिक दृष्टि से भारत में इसका कोई महत्व नहीं रहेगा। यह ग्रहण विशाखानक्षत्र तुला राशि में होगा।
आपको बता दें कि इस संवत कब-कब होंगे ग्रहण-
कंकड़ाकृति सूर्यग्रहण-
इस वर्ष का पहला ग्रहण यानि कि कंकड़ाकृति सूर्यग्रहण ज्येष्ठ मास की अमावस्या (20 मई दिन रविवार) को होगा। यह ग्रहण कृत्तिका नक्षत्र, वृष राशि में होगा, जो भारत के केवल पूर्वी भाग में खण्डग्रास रूप में दिखाई देगा। ग्रहण का मोक्ष दूसरे दिन यानी 21 मई, सोमवार को सुबह 4 बजकर 51 मिनट पर होगा।
खण्डग्रास चंद्रग्रहण-
इसके बाद संवत् 2069 के ज्येष्ठ मास में दूसरा ग्रहण भी होगा। ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा (4 जून दिन सोमवार) को खण्डग्रास चंद्रग्रहण होगा, यह भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए धार्मिक दृष्टि से भारत में इसकी कोई मान्यता नहीं रहेगी। यह ग्रहण ज्येष्ठा नक्षत्र, वृश्चिक राशि में होगा।
खग्रास सूर्यग्रहण-
इस वर्ष का तीसरा और अंतिम खग्रास सूर्यग्रहण कार्तिक मास की अमावस्या (13/14 नवंबर, मंगलवार) को होगा। यह ग्रहण भी भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए धार्मिक दृष्टि से भारत में इसका कोई महत्व नहीं रहेगा। यह ग्रहण विशाखानक्षत्र तुला राशि में होगा।
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