जानिए आपके लिए कैसा रहेगा यह वर्ष, होगा बड़ा चमत्कार

हिंदू नव वर्ष का प्रारंभ चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से माना जाता है। इसे हिंदू नव संवत्सर या नव संवत कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान ब्रह्मा ने इसी दिन से सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी।

हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 22 मार्च 2012 को रात 7.10 बजे विक्रम संवत् 2069 का प्रारंभ कन्या लग्न में हो गया| इस वर्ष विश्वावसु नाम का संवत्सर रहेगा, जिसका स्वामी राहु है। इस वर्ष का राजा और मंत्री शुक्र है साथ ही दुर्गेश का पद भी शुक्र के ही पास है। इससे खुशहाली और विलासिता बढ़ेगी। पैदावार अच्छी होगी और स्त्रियों का वर्चस्व बढ़ेगा| इस बार 23 मार्च से विश्वासु नामक नया संवत्सर शुरू हो रहा है। यह 12 के स्थान पर 13 महीने का होगा। भादो दो महीने का होगा। 

इस वर्ष का नाम आश्विन है। चातुर्मास के बादलों का नाम आवृत्त है। रोहिणी का निवास पर्वत में है। समय का निवास कुम्हार के घर में है। कुल 20 विश्वा समय का वाहन दार्दुर है। इस साल 2 सोमवती अमावस्या हैं। दो सोमवती पंचमी हैं। 2 अंगारक चतुर्थी हैं। 2 भानु सप्तमी हैं। 3 बुधाष्टमी है। एक रवि दशमी है। और कुल शुभ मुहूर्त 390 हैं। साल के 384 दिन हैं। 20 विश्वा में सत्य एक विश्वा , धर्म 1 विश्वा , अधर्म 8 विश्वा , दुष्कर्म 5 विश्वा और पाप 5 विश्वा है। शनि की दृष्टि पश्चिम में रहेगी।

नववर्ष में कैसी रहेगी ग्रहों की स्थिति-

विक्रम संवत् 2069 में शनि अधिकांश समय तुला राशि में ही व्यतीत करेगा। यह शनि की उच्चर राशि है। हालांकि 16 मई को ही यह वक्र गति से घूमता हुआ कुछ समयके लिए कन्या राशि में लौटेगा। यहां शनि का ठहराव 4 अगस्त तक रहेगा और फिर से तुला राशि में लौट आएगा और पूरे संवत्सनर वहीं रहेगा। 

बृहस्पति साल के शुरूआत में जहां मेष राशि में होगा वहीं 17 मई को यह अपनी राशि बदलकर वृष में चला जाएगा। मेष जहां मंगल के अधिकार की राशि है वहीं वृष शुक्र के अधिकार वाली राशि है। 

संवत्सशर समाप्त होने तक गुरु इसी राशि में बना रहेगा। नववर्ष प्रवेश के समय राहू वृश्चिक और केतू वृष राशि में होंगे। हमेशा वक्री चलने वाले ये छाया ग्रह 6 दिसम्बंर को राशि बदलेंगे। राहू तुला और केतू मेष राशि में आ जाएंगे। बड़े ग्रहों का राशि परिवर्तन संकेत देता है कि मई के बाद देश, समाज, व्यापार एवं अन्य क्षेत्रों में बड़े परिवर्तन दिखाई देंगे। सितम्बर में राजनीति में बड़ी उथल-पुथल के संकेत हैं।

व्यापार के लिए कैसा रहेगा नववर्ष-

व्यापार की दृष्टि से यह वर्ष काफी उथल-पुथल वाला रहेगा। सबसे अधिक उतार-चढ़ाव शेयर बाजार में देखने को मिलेगी। इस साल राहु, शनि और मंगल व्यापार पर पूरा-पूरा असर डालेंगे। व्यापार में तेजी-मंदी कादौर साल के अंत तक जारी रहेगा क्योंकि विक्रम संवत 2069 में पूरे वर्ष राहु मंगल के घर वृश्चिक राशि में भ्रमण करेगा जिसके कारण सोना-चांदी, लोहा के बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिलेगा। 

शनि राहु का द्विद्वादश योग विश्व बाजार में उतार-चढ़ाव का कारण रहेगा।औद्योगिक क्षेत्रों में थोड़ी मंदी रहेगी लेकिन तेल, खाद्य पदार्थ, कोयला, बिजली, रसोई गैस व धातु के भावों में वृद्धि होने के योग हैं। मनोरंजन एवं कॉस्मेटिक्स व्यापार में मंदी आएगी। तुला राशि में शनि के जाने से अनाज की कमी होगी जिसके कारण दाम में अचानक वृद्धि होगी।

शेयर बाज़ारों के लिए कैसा रहेगा नववर्ष-

शनि-गुरु आमने-सामने सम सप्तम योग बना रह हैं जिससे शेयर बाजार थोड़े घटकर बढ़ेंगे। मार्च के बाद व्यापार थोड़ा सोच-समझकर करें। अप्रैल में उतार-चढ़ाव जारी रहेगा। जून में बड़ा फेरबदल होने की संभावना है। अक्टूबर-नवंबर में शेयर बाजार में अचानक गिरावट दर्ज की जाएगी जो बड़ी नुकसानदायक साबित होगी।

इस वर्ष महिलाओं की रहेगी प्रभुता -

शुक्र ग्रह की प्रधानता बताती है कि राष्ट्रीय राजनीति के नियंत्रण में स्त्री वर्ग की विशेष भूमिका रहेगी| भारत में इस समय देशी-विदेशी मूल के अनेक संवतों का प्रचलन है किंतु सर्वाधिक लोकप्रिय विक्रम संवत ही है|

आज से लगभग 2069 वर्ष पूर्व यानी 57 ई.पू में भारतवर्ष के प्रतापी राजा विक्रमादित्य ने देशवासियों को 95 शक राजाओं को पराजित करके भारत को उनके अत्याचारों से मुक्त किया था| उसी विजय की स्मृति में चैत्र शुक्ल प्रतिपदा की तिथि से विक्रम संवत का भी आरम्भ हुआ था|

प्राचीन काल में नया संवत चलाने से पहले विजयी राजा को अपने राज्य में रहने वाले सभी लोगों को ऋण-मुक्त करना आवश्यक होता था| राजा विक्रमादित्य ने भी अपने सभी नागरिकों का कर्ज राज्यकोष से चुकाया और उसके बाद चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से मालवगण के नाम से नया संवत चलाया|

फसलों के लिए कैसा रहेगा विक्रम संवत-

फसलों का स्वामी चंद्रमा है। धान्य पदार्थ शनि के आधीन हैं। मेघ यानी वर्षा का स्वामी गुरु है। रसों का स्वामी मंगल है, शुष्क और नीरस पदार्थ शनि के आधीन हैं। फल आदि गुरु के आधीन हैं। धन-सम्पत्ति का स्वामी सूर्य है। सुरक्षा और सेना का स्वामी गुरु है। इन दशाधिकारियों के बीच राजा और मंत्री का पद शुक्र के आधीन है। 

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