कठोर न्यायाधीश कहे जाने वाले शनि देव के कोप से सभी भलीभांति परिचित हैं क्योंकि शनि देव बुरे कर्मों का न्याय बड़ी कठोरता से करते हैं। शनि की बुरी नजर किसी भी राजा को रातों-रात भिखारी बना सकती है और यदि शनि शुभ फल देने वाला हो जाए तो कोई भी भिखारी राजा के समान बन सकता है।
आपको पता ही होगा कि सूर्यपुत्र शनि की आराधना करने के लिए शनिवार के दिन तेल के साथ काली तिल, जौ और काली उड़द, काला कपड़ा ये सब चढ़ाने से शनि की साढ़ेसाती में होने वाले दुष्प्रभावों से बचना संभव हो जाता है। लेकिन क्या आपको यह पता है कि सूर्य पुत्र शनि पर तेल क्यों चढाते हैं अगर नहीं पता है तो आज हम आपको बताते हैं कि आखिर सूर्य पुत्र शनि पर तेल क्यों चढाते हैं|
तो आइये जाने सूर्य पुत्र शनि पर क्यों तेल चढाते हैं-
आपको बता दें कि शनि पर तेल चढ़ाने के धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है। शनि की नाराजी श्रम से दूर की जा सकती है, लेकिन उस श्रम के लिए हमारे शरीर में शक्ति, स्वास्थ्य और सामथ्र्य रहे, इसके लिए शनि को तेल चढ़ा कर प्रसन्न किया जाता है।
पुराणों में शनि को तेल चढ़ाने के पीछे कई भिन्न-भिन्न कथाएं हैं। मुख्यत: ये सारी कथाएं रामायण काल और विशेष रूप से भगवान हनुमान से जुड़ी हैं। अलग-अलग कथाओं में शनि को तेल चढ़ाने की चर्चा है लेकिन सार सभी का यही है। शनि नीले रंग का क्रूर माना जाने वाला ग्रह है, जिसका स्वभाव कुछ उद्दण्ड था। अपने स्वभाव के चलते उसने श्री हनुमानजी को तंग करना शुरू कर दिया। बहुत समझाने पर भी वह नहीं माना तब हनुमानजी ने उसको सबक सिखाया। हनुमान की मार से पीड़ित शनि ने उनसे क्षमा याचना की तो करुणावश हनुमानजी ने उनको घावों पर लगाने के लिए तेल दिया। शनि महाराज ने वचन दिया जो हनुमान का पूजन करेगा तथा शनिवार को मुझपर तेल चढ़ाएगा उसका मैं कल्याण करुंगा। धार्मिक महत्व के साथ ही इसका वैज्ञानिक आधार भी है।
धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि शनिवार को तेल लगाने या मालिश करने से सुख प्राप्त होता है। उक्त वाक्य और शनि को तेल चढ़ाने का सीधा संबंध है। ज्योतिष शास्त्र में शनि को त्वचा, दांत, कान, हड्डियों और घुटनों में स्थान दिया गया है। उस दिन त्वचा रुखी, दांत, कान कमजोर तथा हड्डियों और घुटनों में विकार उत्पन्न होता है। तेल की मालिश से इन सभी अंगों को आराम मिलता है। अत: शनि को तेल अर्पण का मतलब यही है कि अपने इन उपरोक्त अंगों की तेल मालिश द्वारा रक्षा करो। दांतों पर सरसो का तेल और नमक की मालिश। कानों में सरसो तेल की बूंद डालें। त्वचा, हड्डी, घुटनों पर सरसो के तेल की मालिश करनी चाहिए। शनि का इन सभी अंगों में वास माना गया है, इसलिए तेल चढ़ाने से वे हमारे इन अंगों की रक्षा करते हैं और उनमें शक्ति का संचार भी करते हैं।
आपको पता ही होगा कि सूर्यपुत्र शनि की आराधना करने के लिए शनिवार के दिन तेल के साथ काली तिल, जौ और काली उड़द, काला कपड़ा ये सब चढ़ाने से शनि की साढ़ेसाती में होने वाले दुष्प्रभावों से बचना संभव हो जाता है। लेकिन क्या आपको यह पता है कि सूर्य पुत्र शनि पर तेल क्यों चढाते हैं अगर नहीं पता है तो आज हम आपको बताते हैं कि आखिर सूर्य पुत्र शनि पर तेल क्यों चढाते हैं|
तो आइये जाने सूर्य पुत्र शनि पर क्यों तेल चढाते हैं-
आपको बता दें कि शनि पर तेल चढ़ाने के धार्मिक और वैज्ञानिक दोनों महत्व है। शनि की नाराजी श्रम से दूर की जा सकती है, लेकिन उस श्रम के लिए हमारे शरीर में शक्ति, स्वास्थ्य और सामथ्र्य रहे, इसके लिए शनि को तेल चढ़ा कर प्रसन्न किया जाता है।
पुराणों में शनि को तेल चढ़ाने के पीछे कई भिन्न-भिन्न कथाएं हैं। मुख्यत: ये सारी कथाएं रामायण काल और विशेष रूप से भगवान हनुमान से जुड़ी हैं। अलग-अलग कथाओं में शनि को तेल चढ़ाने की चर्चा है लेकिन सार सभी का यही है। शनि नीले रंग का क्रूर माना जाने वाला ग्रह है, जिसका स्वभाव कुछ उद्दण्ड था। अपने स्वभाव के चलते उसने श्री हनुमानजी को तंग करना शुरू कर दिया। बहुत समझाने पर भी वह नहीं माना तब हनुमानजी ने उसको सबक सिखाया। हनुमान की मार से पीड़ित शनि ने उनसे क्षमा याचना की तो करुणावश हनुमानजी ने उनको घावों पर लगाने के लिए तेल दिया। शनि महाराज ने वचन दिया जो हनुमान का पूजन करेगा तथा शनिवार को मुझपर तेल चढ़ाएगा उसका मैं कल्याण करुंगा। धार्मिक महत्व के साथ ही इसका वैज्ञानिक आधार भी है।
धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि शनिवार को तेल लगाने या मालिश करने से सुख प्राप्त होता है। उक्त वाक्य और शनि को तेल चढ़ाने का सीधा संबंध है। ज्योतिष शास्त्र में शनि को त्वचा, दांत, कान, हड्डियों और घुटनों में स्थान दिया गया है। उस दिन त्वचा रुखी, दांत, कान कमजोर तथा हड्डियों और घुटनों में विकार उत्पन्न होता है। तेल की मालिश से इन सभी अंगों को आराम मिलता है। अत: शनि को तेल अर्पण का मतलब यही है कि अपने इन उपरोक्त अंगों की तेल मालिश द्वारा रक्षा करो। दांतों पर सरसो का तेल और नमक की मालिश। कानों में सरसो तेल की बूंद डालें। त्वचा, हड्डी, घुटनों पर सरसो के तेल की मालिश करनी चाहिए। शनि का इन सभी अंगों में वास माना गया है, इसलिए तेल चढ़ाने से वे हमारे इन अंगों की रक्षा करते हैं और उनमें शक्ति का संचार भी करते हैं।
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