राझणां: बनारस की खट्टी मीठी लव स्टोरी

बैनर : इरोज इंटरनेशनल
निर्माता : कृषिका लुल्ला
निर्देशक : आनंद एल. राय
संगीत : एआर रहमान
कलाकार : धनुष, सोनम कपूर, अभय देओल, मोहम्मद जीशान अय्यूब, स्वरा भास्कर

शुक्रवार को पर्दे पर मोस्ट 'राझणां' ने रिलीज हुई है फिल्म को उम्मीद से ज्यादा अच्छी प्रतिक्रियाएं मिली हैं। निर्देशक आनंद एल रॉय की फिल्म 'रांझणा' बनारस की पृष्ठ भूमि पर एक खट्टी मीठी लव स्टोरी है। रांझणा' कुंदन (धनुष) और जोया(सोनम) की प्रेम कहानी है। जोया बनारस की रहने वाली मुश्लिम परिवार की लड़की है। जोया को उनके पड़ोस में रहने वाला कुंदन ‘धनुष’ जो की हिन्दू है। एक तरफ प्‍यार करना शुरू कर देता है। इस बात का पता जब जोया के परिवार को लगता है तो वे उसको पढ़ने के लिए अलीगढ़ भेज देते हैं, और फिर आगे की पढ़ाई के लिए दिल्‍ली चली जाती है। दिल्‍ली पहुंचते ही जोया की जिन्‍दगी में अकरम ‘अभय देओल’ आता है। इस बीच जोया वापस बनारस लौटती है, और उसकी मुलाकात पुराने पागल प्रेमी से कुंदन से होती है। जोया कुंदन का इस्‍तेमाल कर अपने मां बाप को अकरम से शादी करवाने के लिए राजी करती है। इस दौरान कुछ घटनाक्रम घटते हैं, जो कहानी को रोमांचक बनाते हैं।

कुंदन का किरदार निभा रहे घनुष की अभिनय क्षमता दर्शकों की निगाह में हीरो बना देता है। रजनीकांत के दामाद धनुष ने अपनी पहली फिल्‍म में दिखा दिया कि उनमें काफी संभावनाएं हैं। वे बॉलीवुड में लम्‍बी पारी खेल सकते हैं। धनुष के संवादों की हिंदी डबिंग ठीक-ठाक हो गयी है। धनुष ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है। पूरी फिल्म में बेचारे आशिक की भूमिका उन्होंने अच्छी तरह से निभायी है। फिल्म में रोमांस और कॉमेडी दृश्‍यों को अच्छी तरह दर्शकों के सामने पेश किया गया है । यह फिल्म सोनम कपूर के लिए एक बड़ा मौका थी। 'आयशा' फिल्म की तरह सोनम कपूर इस फिल्म में भी सुंदर तो बहुत दिखी हैं लेकिन जज्बाती दृश्यों में उनकी कलई खुल जाती है। गेस्ट रोल में अभय देओल ने अपनी छवि के अनुरूप ही काम किया है। कुंदन को एकतरफा प्रेम करने वाली लड़की की भूमिका में स्वरा भास्कर और दोस्त के रूप में मोहम्‍मद जीशान अयूब अच्छे लगे हैं। जीशान इससे बड़ी भूमिका पाने की का‌बलियत रखते हैं। नाट्यकर्मी अरविंद गौड़ ने इस फिल्म से अपने फिल्मी अभिनय की पारी शुरू की है।

हिमांशु शर्मा की कहानी ताज़ा तरीन है और वाराणसी की झलक साफ़ नज़र आती है। स्क्रीनप्ले में अच्छा खासा हास्य है और भावनाओं को भी बेहतरीन तरीके से व्यक्त किया गया है। फिल्म के संबाद काफी रोचक हैं। फिल्म में एक प्यार की मासूमियत को दर्शाने की पूरी कोशिश की गई इसमें हिमांशु काफी हद तक कामयाब भी हुयें हैं। गाने इस फिल्म की खूबसूरती हैं। खूबसूरती इस बात में भी कि कोई भी गाना फिल्म की कहानी को नहीं रोकता है। सभी गाने दिल को छू लेने वालें हैं। पिया मिलेंगे, रांझणा हुआ, बनारसिया गाने सुनने में बेहद खूबसूरत लगते हैं। इरशाद कामिल ने हर सिचुएशन के लिए गाना लिखा है। एआर रहमान ने लिरिक्स और सिचुएशन के हिसाब से शानदार म्यूजिक तैयार किया है। कुल मिलाकर आनंद एल रॉय ने कहानी को एक जोरदार ढंग से दर्शकों के सामने पेश किया। फिल्म की कहानी, इसके गाने आपको बोर नहीं करेंगे।

कोई टिप्पणी नहीं: