जहां पेड़ दिलाते हैं चोरी का सामान!

भले ही विकास के लाख दावे किए जाएं, किंतु आज भी बिहार के बांका जिले में कई गांव ऐसे हैं जहां के लोग चोरों को पकड़ने के लिए पुलिस की मदद कम लेते हैं और पेड़ों से फरियाद ज्यादा लगाते हैं। यह सुनकर अचंभा जरूर लग रहा हो, परंतु बिहार के बांका जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बसे करीब 70 प्रतिशत लोग आज भी चोरों को पकड़ने या चोरी गया सामान वापस पाने के लिए यह अनोखा तरीका अपनाते हैं। इस इलाके में चोरी होने के बाद लोग पुलिस के पास न जाकर चिह्न्ति पेड़ों के पास चोर को दंड दिलाने पहुंचते हैं।

एक ईंट को साफ कर उसमें सिंदूर लगाकर उसे पेड़ की टहनी में लटका दिया जाता है। इसके बाद यह सूचना सार्वजनिक कर दी जाती है। मान्यता है कि चोरी का सामान वापस नहीं करने या नहीं मिलने पर जिस दिन पेड़ की डाली में बंधी ईंट अपने आप पेड़ से गिर जाएगी, उस दिन उस चोर को बहुत बड़ी क्षति का सामना करना पड़ेगा।

ग्रामीणों का मानना है कि सूचना सार्वजनिक होते ही उनका सामान किसी न किसी बहाने चोर उन्हें वापस कर देते हैं। बांका जिले में ऐसे कई पेड़ मिल जाएंगे जिनमें ईंट लटकी रहती हैं। इनमें महत्वपूर्ण हैं बांका-भागलपुर सड़क के किनारे बांका जिला मुख्यालय से करीब चार किलोमीटर दूर शंकरपुर गांव तथा जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर दूर अमरपुर प्रखंड के हरनिया स्थान पर चिह्न्ति एक खास पेड़, जिसमें सैकड़ों ईंट लटकी रहती हैं।

शंकरपुर गांव निवासी निरंजन किशोर ने बताया कि ये खास पेड़ पीपल, खजूर, पाकड़, गूलर सहित कुछ खास जातियों के होते हैं, जो जिले के करीब पांच दर्जन से ज्यादा गांवों के देवी स्थानों के सामने स्थित हैं। किशोर ने बताया कि यह परंपरा बहुत प्राचीन है जो काफी फलदायी भी है। वे कहते हैं कि चोरी गया सामान वापस मिल जाने के बाद कई मंदिरों में लोग देवी को खुश करने के लिए बलि देते हैं। इसके बाद पूजा-पाठ किया जाता है और फिर सामान मिल जाने की सूचना सार्वजनिक कर दी जाती है। 

एक अन्य ग्रामीण संजीव कुमार कहते हैं कि यह अंधविश्वास हो सकता है, परंतु पुलिस भी चोरों को नहीं पकड़ती है, ऐसा करने से उम्मीद तो होती है कि उनका चोरी गया सामान देर-सबेर अवश्य मिल जाएगा। 

इस संदर्भ में पूछे जाने पर जिले के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह अंधविश्वास है, जो यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरा जैसी बन गई है। उन्होंने कहा कि जिन चोरी की घटनाओं की प्राथमिकी थानों में दर्ज होती है उसका निपटारा किया जाता है। जो मामले थाने में आते ही नहीं, उसमें पुलिस क्या कर सकती है।

पर्दाफाश से साभार 

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