नमः शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शन्कराय च मयस्करय च नमः शिवाय च शिवतराय च।। ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिर्ब्रम्हणोधपतिर्ब्रम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।। तत्पुरषाय विद्म्हे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात।। भगवान शिव को सभी विद्याओं के ज्ञाता होने के कारण जगत गुरु भी कहा गया है। भोले शंकर की आराधना से सभी मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं। शिव की आराधना किसी भी रूप में की जा सकती है। शिव अनादि तथा अनंत हैं। जिस तरह निराकार रूप में केवल ध्यान करने से भोले शंकर प्रसन्न होते हैं, उसी प्रकार साकार रूप में श्रद्धा से शिवलिंग की उपासना से भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न किया जाता है| लोग घर के मंदिरों में भी शिवलिंग की स्थापना करते हैं| अगर आप भी अपने घर के मंदिर में शिवलिंग की स्थापना करने जा रहे हैं या करने की सोच रहे हैं तो हमेशा एक बात का ध्यान जरुर रखें-
हमारे ज्योतिषाचार्य ने बताया है कि घर में शिवलिंग की स्थापना करते समय हमेशा एक बात ध्यान रखना चाहिए कि कभी भी जलाधारी के बिना शिवलिंग की स्थापना नहीं करना चाहिए क्योंकि माना जाता है कि इससे जन्मों के पूजा फल क्षीण हो जाते हैं साथ ही बिना जलाधारी की पूजा करने पर दोष लगता है।
जलाधारी के बिना शिवलिंग की पूजा करने का कारण यह है कि शिवपुराण के अनुसार, शिवलिंग जब प्रकट हुआ था तो वह अग्रि के रूप में था। पृथ्वी पर शिवलिंग किस तरह स्थापित हो यह एक समस्या थी। इसीलिए तब सारे देवताओं ने मिलकर प्रार्थना कि तो पार्वती जी ने अपने तप के प्रभाव से जलाधारी प्रकट की। जलाधारी का आकार स्त्री की योनी के समान है| इसीलिए माना जाता है कि शिवलिंग को जलाधारी से अलग करने पर दोष लगता है।
यह भी माना जाता है कि देवी पार्वती शक्ति का रूप है और जलाधारी से शक्ति प्रक्षेपित होती है। इसलिए शिव और शक्ति की अलग-अलग स्थापित करना अच्छा नहीं माना जाता है। इसलिए कभी भी शिवलिंग को बिना जलधारी के स्थापित नहीं करना चाहिए|
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