हिन्दू धर्मानुसार चैत्र और अश्विन मास में पडऩे वाली नवरात्रि का हिन्दू त्योहारों में बड़ा ही महत्व है। दोनों ही नवरात्रियां माता पर्व के दिन हैं, फिर तांत्रिक अनुष्ठानों व सिद्धियों के लिए अश्विन नवरात्रि को ही श्रेष्ठ माना जाता है?
अश्विन नवरात्रि पर्व को सिद्धि के लिए विशेष लाभदायी माना गया है। इस नवरात्रि में की गयी पूजा, जप-तप साधना, यंत्र-सिद्धियां, तांत्रिक अनुष्ठान आदि पूर्ण रूप से सफल एवं प्रभावशाली होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि माँ दुर्गा स्वयं आदि शक्ति का रूप हैं और नवरात्रों में स्वयं मूर्तिमान होकर उपस्थित रहती हैं और उपासकों की उपासना का उचित फल प्रदान करती हैं।
सृष्टि के पांच प्रमुख तत्वों में देवी को भूमि तत्व की अधिपति माना जाता है। तंत्र-मंत्र की सारी सिद्धियां इस प्रथ्वी पर मौजूद सकारात्मक और नकारात्मक ऊर्जा से जुड़ी होती हैं। नवरात्रि के नौ दिनों में नकारात्मक ऊर्जा कमजोर पड़ जाती है सकारात्मक ऊर्जा अपने पूरे प्रभाव में होती है।
ऐसा इसलिए क्योंकि इन दिनों चारों तरफ पूजा और मंत्रों का उच्चारण होता है| अन्य दिनों की अपेक्षा इन दिनों जो भी काम किया जाता है, वह सफल होता है| यही वजह है की तंत्र की सिद्धि आम दिनों के मुकाबले बहुत आसानी से और कम समय में मिलती है।
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