अब तो ‘राख’ हो गया होगा सोने का महाखजाना!

उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले के डौंडि़याखेड़ा गांव में राजा राव रामबक्श सिंह किले में सोने के महाखजाना को धनतेरस के पूर्व न निकालने पर संत शोभन सरकार ने उसके ‘राख’ हो जाने की भविष्यवाणी की थी, तो फिर अब खुद खोदाई कर सोना निकालने की जिद क्यों की जा रही है? अब तो वह ‘राख’ हो गया होगा।

संत शोभन सरकार के सपने को सच मान कर केन्द्र सरकार ने आनन-फानन में एएसआई को किले की खोदाई कराने का निर्देश दिया था, एएसआई ने 18 अक्टूबर से खोदाई कार्य में जुटी भी। लेकिन करीब दो लाख रुपये खर्च करने के बाद एएसआई के हाथ टूटी चूडि़यां, कांच के टुकड़े और मिट्टी के बर्तनों के सिवाय कुछ नहीं मिला। खोदाई के दौरान ही संत शोभन सरकार के शिष्य स्वामी ओम जी महराज ने भविष्यवाणी की थी कि धनतेरस के पूर्व खोदाई पूर्ण कर सोना न निकाल पाए तो वह ‘राख’ हो जाएगा। तो फिर अब ओम जी या संत के अन्य नजदीकी खुद खोदाई कराने का प्रयास क्यों कर रहे हैं? यह एक बड़ा सवाल फिर लोगों के जेहन में गूंजने लगा है।

पिछले गुरुवार को ओम जी का अचानक जेसीबी मशीन और तमाम ग्रामीणों के साथ किला परिसर में पहुंचना और खोदाई की जिद करने से वहां तनाव की सिथति बन गई थी, लिहाजा प्रशासन को पुनः भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ा। संत शोभन सरकार के एक नजदीकी राजेन्द्र तिवारी ने बताया कि संत शोभन की ओर से केन्द्र व राज्य सरकार को पत्राचार कर खुद खोदाई कराने की इजाजत मांगी गई है, इजाजत मिलती है तो सोना निकाल कर देश को सौंपा जाएगा। 

तिवारी इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए कि संत ने धनतेरस के पूर्व सोना न निकाल पाने पर ‘राख’ हो जाने की भविष्यवाणी की थी। उल्टे वह कहते हैं कि संत की शर्त अस्वीकार करने पर ही एएसआई को सोना नहीं मिला, साथ ही जोड़ा कि जीएसआई की रिपोर्ट में 15 से 20 मीटर की गहराई में ‘धातु’ होने की पुष्टि हुई थी, मगर एजेंसी ने महज 15-20 फिट खोदाई कर काम बंद कर दिया।

एएसआई के एक अधिकारी पीके मिश्रा बताते हैं कि ‘किले की खोदाई में करीब दो लाख रुपये सरकार का खर्च हो चुका है और वहां कोई खास उपलब्धि नहीं मिली। उपजिला अधिकारी विजयशंकर दुबे बताते हैं कि पिछले गुरुवार को ओम जी द्वारा जेसीबी मशीन से खुद खोदाई का प्रयास करने से तनाव की स्थिति बन गई थी, जिससे किला परिसर में दोबारा डेढ़ सेक्शन पीएसी बल तैनात करना पड़ा है।

सच्चाई यह नहीं है कि संत की शर्त न मानने या धनतेरस के पूर्व न निकाल पाने पर सोना नहीं मिला। बल्कि सच यह है कि संत शोभन सरकार को उन्नाव और कानपुर इलाके में ग्रामीण आंख मूंद कर ‘भगवान’ का दर्जा देते थे, चूंकि अब पूरे देश में संत की किरकिरी हो चुकी है तो उनके अनुयायी इस कोशिश में लगे हैं कि संत की प्रतिष्ठा कायम रखने का यही एक तरीका है। 
वह यहां यह कहावत चरितार्थ कर रहे है कि ‘न नौ मन तेल होगा और न राधा नचेगी’ यानी कि सरकार खुद खोदाई की अनुमति नहीं देगी तो यह साबित हो जाएगा कि संत खोदाई करते तो सोने का महाखजाना जरूर मिलता।

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