मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में मिली लगातार तीसरी हार से कांग्रेस में हाहाकार मच गया है। पार्टी नेता इस हार का ठीकरा बड़े नेताओं पर फोड़ रहे हैं। कोई हार के लिए कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह को जिम्मेदार ठहरा रहा है तो कोई छानबीन समिति के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री पर टिकट बेचने का आरोप लगा रहा है।
राज्य विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी हार मिली है और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जीत की हैट्रिक बनाई है। कांग्रेस इस चुनाव में सत्ता वापसी के सपने संजोए थी, मगर नतीजे ठीक उलट आए। इस हार की जहां पार्टी आलाकमान समीक्षा कर रहा है वहीं राज्य में नेताओं के अपनों पर ही हमले तेज हो गए हैं।
कांग्रेस की तेज तर्रार विधायक के तौर पर पहचानी जाने वाली कल्पना पारुलेकर महीदपुर विधानसभा क्षेत्र में मिली हार से आपा खो बैठी हैं। उनका आरोप है कि सिर्फ महीदपुर ही नहीं पूरे राज्य में पार्टी महासचिव दिग्विजय सिंह के कारण कांग्रेस हारी है। उनका कहना है कि सिंह ने राज्य में गुटबाजी को बढ़ाया है। उनके शासनकाल के पाप आज भी कांग्रेस को भोगने पड़ रहे हैं। राज्य में कांग्रेस को बचाना है तो दिग्विजय सिंह को प्रतिबंधित कर देना चाहिए।
पार्टी के प्रदेश सचिव रघु परमार ने उम्मीदवार चयन पर ही सवाल उठाया है। उनका आरोप है कि छानबीन समिति के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री ने इंदौर में टिकट बेचा था। इसकी शिकायत उन्होंने नेताओं से की मगर उनकी बात नहीं सुनी गई। वहीं उन्होंने दिग्विजय सिंह का बचाव करते हुए कहा कि पारुलेकर बताएं कि अगर वह जननेता हैं तो आखिर चुनाव में उनकी जमानत क्यों जब्त हुई। इससे पहले मीडिया में राज्यसभा सदस्य सत्यव्रत चतुर्वेदी की ओर से दिग्विजय सिंह के खिलाफ बयान की बात सामने आई थी। इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह ने चतुर्वेदी पर ही सवाल खड़े कर दिए थे।
पार्टी में जारी बयानबाजी पर अजय सिंह ने कहा है कि टिकट वितरण ठीक हुआ था, जहां तक सार्वजनिक तौर पर बयान देने की बात है तो नेताओं को इससे बचना चाहिए। जो भी कहना है, उसे पार्टी फोरम पर रखें। पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष लक्ष्मण सिंह ने अनर्गल बयानबाजी करने वालों को सलाह दी है कि वे इससे बचें। जहां तक दिग्विजय सिंह की बात है तो पूरा प्रदेश जानता है कि उनके पास पार्टी के तीन राज्यों के प्रभार हैं। लक्ष्मण सिंह ने भी पारुलेकर से सवाल किया कि आखिर उनकी जमानत क्यों जब्त हुई। विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस की अंदरूनी कलह सड़क पर आ गई है।
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