शॉपिंग मॉल संस्कृति के पैर पसारने के बाद भी नवाबों की नगरी लखनऊ में वर्षो से लग रहे कतकी मेले का आकर्षण कम नहीं हुआ है। आज भी समाज के हर वर्ग के लोगों में इस मुगलकालीन मेले को लेकर उत्साह बना रहता है।
राजधानी में डालीगंज पुल के समीप नबीउल्लाह रोड पर हर साल नवंबर और दिसंबर माह में आयोजित होने वाले इस ऐतिहासिक मेले में घरेलू उपयोग की लगभग हर सामग्री किफायती दामों में मिल जाती है।
मेला समिति के सदस्य शिव गोपाल ने बताया कि इस मेले में क्राकरी से लेकर लगभग सभी तरह की घरेलू सामग्री सस्ते दामों पर मिल जाती है इसलिए परिवर्तन के इस दौर में भी इस ऐतिसाहिक मेले को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।
मेले में लोग परचून, साज सज्जा, क्राकरी, किचन के बर्तन, पूजा का सामान, फर्नीचर के उत्पादों की खरीददारी करते हैं। लेकिन कतकी मेले में सर्वाधिक आकर्षण मिट्टी के बर्तनों और क्राकरी को लेकर रहता है, जिसे खरीदने के लिए आम से लेकर खास तक सबका जमावड़ा रहता है।
कतकी मेले में काले और लाल रंग की मिट्टी के घड़ों के साथ गिलास, कटोरी, लोटा और थाली सहित नक्कासी वाले विविध आकारों के बर्तन मिलते हैं।
मेले में पिछले बीस वर्षो से मिट्टी के बर्तनों की दुकान लगा रहे राजकुमार कहते हैं कि मिट्टी की सोंधी महक और डिजाइन लोगों को इन बर्तनों की तरफ बहुत आकर्षित करती है। मेला लगने से एक महीने पहले बर्तनों के निर्माण का काम शुरू कर दिया जाता है। हर वर्ग के लोग इन बर्तनों को खरीदते हैं।
मशहूर इतिहासकार योगेश प्रवीण कहते हैं कि मुगलकाल से इस मेले का आयोजन होता आ रहा है। कभी सिलबट्टे और मिट्टी के बर्तनों की खनक सुनाई पड़ती थी तो पता लग जाता था कि कतकी मेला आने वाला है।
एक महीने से ज्यादा समय तक चलने वाले इस मेले को देखने और खरीदारी करने के लिए लखनऊ के साथ-साथ आस-पास के रायबरेली, हरदोई, सीतापुर, बाराबंकी और लखीमपुर खीरी से भी लोग आते हैं।
बाराबंकी के टिकैतनगर कस्बे से मेला घूमने आए रामफल कहते हैं कि समय बदल गया है, लेकिन लोगों ने इस मेले में आना नहीं छोड़ा। मेले में हालांकि पहले की तरह अब लोगों की खचाखच भीड़ नहीं रहती लेकिन अभी भी मेले को लेकर लोगों में काफी उत्साह दिखता है।
17 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा से शुरू हुआ यह ऐतिहासिक मेला आगामी 22 दिसंबर तक चलेगा। चूंकि मेला अब अपने समापन की तरफ बढ़ रहा है ऐसे में लोगों की भीड़ पहले से ज्यादा दिखने लगी है।
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