गन्ने को लेकर कहीं खुदकुशी तो कहीं बेटियों की रुक रही हैं शादी

बाराबंकी| उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों की मुश्किलें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं| जहाँ अभी हाल ही में गन्ना भुगतान को लेकर कर्ज में डूबे लखीमपुर के दो किसानों ने आत्महत्या कर ली थी वहीँ अब उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले से खबर आ रही है जहाँ कई गांवों में गन्ने की खरीद नहीं होने से 45 से ज़्यादा लड़कियों की शादी रुक गई है|

प्राप्त जानकारी के अनुसार, बाराबंकी जिले के मोहम्मदाबाद समेत कई गांवों में गन्ने की खरीद नहीं होने से 45 से ज़्यादा लड़कियों की शादी रुक गई है| मोहम्मदाबाद गाँव की दमयंती की बेटी की शादी इसी दिसंबर में होने वाली थी लेकिन पिछले साल का बकाया नहीं मिलने और इस साल चीनी मिलों के गन्ना नहीं ख़रीदने के कारण उनकी बेटी की शादी रुक गई| दमयंती बताती है कि उसके पास गन्ने के सिवाय कोई अन्य साधन नहीं है| वहीँ इसी गांव के राम मनोहर बताते हैं कि उन्होंने पिछले साल चीनी मिलों को अपना गन्ना बेचा था लेकिन उन्हें अभी तक उसका पैसा नहीं मिला है और इस साल उनके गन्ने को चीनी मिल ने अब तक नहीं ख़रीदा है जिससे उन्हें मजबूर होकर अपनी पोती की शादी रोकनी पड़ी है|

उत्तर प्रदेश में 45 चीनी मिलों ने पेराई शुरू करने का ऐलान किया है| लेकिन अभी तक पेराई शुरू नहीं हुई है और इस वजह से किसानों से गन्ना नहीं खरीदा जा रहा है| भाकियू के प्रांतीय महासचिव मुकेश कुमार सिंह कहते हैं कि चीनी मिलों ने गन्ना किसानों के पिछले साल के बकाए 3200 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया है और इस साल पेराई भी अभी तक शुरू नहीं होने के कारण किसानों का गन्ना खेतों में ही पड़ा हुआ है| मुकेश बताते है कि आठ करोड़ रुपए तो बाराबंकी ज़िले के गन्ना किसानों का ही बकाया है|

बकाये को लेकर मोहम्मदाबाद गाँव के किसान राम सेवक बताते हैं कि गत वर्ष के बकाए का भुगतान हम लोगों को नहीं मिला तो ऐसे में हम लोग चीनी मिलों के 20 रुपए प्रति क्विंटल का भुगतान बाद में करने पर कैसे भरोसा करें|

आपको बता दें कि बाराबंकी ही पहला जिला नहीं है जहाँ गन्ना किसानों की बेटियों की शादी रुक गई है अन्य जिले भी हैं| पश्चिमी उत्तर प्रदेश में किसान मुख्यत गन्ने की खेती करते हैं और यही गन्ना उनके लिए साल भर का बजट बनाता है| किसान आजकल के समय में हीं अपने बेटे बेटियों के विवाह करते हैं| लेकिन अभी तक यूपी की चीनी मिलों में पिराई आरम्भ नहीं हुई जिसके चलते उनकी फसल ऐसे ही खड़ी है| इन किसानों के सामने इस समय सबसे बड़ा संकट उनके सम्मान का है| बेटियों के विवाह के कार्ड तक बंट गए हैं लेकिन खर्च करने को पैसा ही नहीं है ऐसे में कुछ ने ब्याज पर पैसा लिया तो कइयों ने शादी की तारीखें आगे बढ़ा दी हैं| वहीँ कुछ ने तो इस सहालग में शादी न करने का फैसला कर लिया है| हालात ये हैं कि सूबे में करीब 200 शादियां टाल दी गई हैं और लगभग एक हजार कि तारीखों में परिवर्तन किये गये।

गन्ना किसान बेबसी के आंसूं रो रहे हैं| आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि जिस घर में शादी हो और वहाँ तैयारियों के लिए पैसा ही न हो तो माँ बाप पर क्या गुजरती होगी| इस बार सूबे का 29 लाख किसान अपनी फसल को बढ़ते देख जहाँ खुश था वहीँ अब उसके चेहरे पर चिंता साफ़ झलक रही है। उसे समझ नहीं आ रहा कि कहां लेकर जाएं इस गन्ने को। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत का कहना है कि एक हजार से ज्यादा बेटियों की शादी फंस गई है। रिश्ते होकर टूट रहे हैं। सबसे बुरी स्थिति मेरठ, मुजफ्फरनगर, बागपत, बुलंदशहर, बिजनौर, मुरादाबाद, अमरोहा और लखीमपुर खीरी में है। इन जनपदों का किसान गन्ने के पैसे से ही पूरा बजट तैयार करता है।

वहीँ अभी तक यूपी सरकार ने कुछ निजी चीनी मिलों पर दबाव बनाने के लिए कुर्की आरम्भ की है| लेकिन हमारे सूत्रों के मुताबिक इस से कुछ होने वाला नहीं है| जब तक सरकार कोई ठोस योजना नहीं बनती इन किसानों के लिए तब तक ये ऐसे ही बेबसी के आंसू बहते रहेंगे| परेशानी सिर्फ ये नहीं है कि पिराई आरम्भ नहीं हो रही बल्कि ट्रांसफर, पोस्टिंग, वसूली, चुनाव, जातीय समीकरण जैसे महत्वपूर्ण कार्यों को निपटा रही सपा सरकार के पास इतना समय ही नहीं है कि वो इन किसानों के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर उनकी समस्या को सुन सके|

सूबे के किसान चाहते हैं कि सरकार उनके गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाये| क्योंकि खाद बिजली पानी मेहनत आदि मिलाकर जो गन्ना वह तैयार कर रहे हैं उससे वर्तमान समर्थन मूल्य पर तो लागत भी निकाल पाना मुश्किल है| किसान नेता चाहते हैं कि एक सरकारी प्रतिनिधि मंडल उनकी मांगों को सुने और उसपर अमल करे लेकिन जहाँ मुलायम दिन-रात प्रधानमंत्री बनने का सपना बुन रहे हैं वहीँ सरकार उनके सपने को पूरा करने के लिए दौड़ भाग कर रही है| वहीँ हमारा ये कहना है कि यदि सरकार इन किसानों के लिए कुछ करे तो मुलायम अपना ये सपना सच भी कर सकते हैं वर्ना प्रदेश में जो माहौल बन रहा है उसके मुताबिक तो किसानों युवाओं और अन्य समुदाय भी सपा को वोट देने में सौ बार सोचेंगे|

इससे पहले शुक्रवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने नई दिल्ली में केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार के साथ बैठक के दौरान प्रदेश के गन्ना किसानों की समस्याओं को उठाते हुए उनके लिए पैकेज की मांग की। मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्रीय सरकार तत्काल 'इन्टरेस्ट सबवेन्शन स्कीम' लागू करे। इस योजना के तहत प्राप्त होने वाली धनराशि का शत-प्रतिशत उपयोग किसानों के बकाए गन्ना मूल्य भुगतान के लिए किया जाए।

उन्होंने यह अनुरोध भी किया कि चीनी उद्योग के संबन्ध में कोई भी नीति बनाते समय केन्द्र सरकार गन्ना किसानों के हितों की सुरक्षा को प्राथमिकता दे। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि राज्य सरकार के लिए गन्ना किसानों का हित सवरेपरि है। इसके मद्देनजर यह बैठक केवल चीनी उद्योग की समस्याओं पर ही विचार किए जाने तक सीमित न रहे। बल्कि गन्ना किसानों की समस्याओं पर भी पूरा ध्यान दिया जाए, ताकि उनका प्रभावी समाधान सुनिश्चित किया जा सके।

उन्होंने कहा कि राज्य सरकार 280 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गन्ना मूल्य का भुगतान किसानों को दिलाए जाने के लिए वचनबद्घ है। यादव ने पवार को बताया कि राज्य सरकार ने गन्ना किसानों के हित में कई कदम उठाए हैं। राज्य सरकार की मंशा है कि प्रदेश की सभी चीनी मिलें पेराई कार्य प्रारंभ कर दें और किसानों के खेत खाली हो जाएं, जिससे वे अगली फसल की बुआई कर सकें।

राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि इस पेराई सत्र के लिए गन्ने का मूल्य 280 रुपए प्रति क्विटंल रखा गया है। यह मूल्य गन्ना किसानों तथा चीनी मिलों, दोनों पक्षों के हितों को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि जो पैकेज चीनी उद्योग के लिए बनाया जाए, उसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि चीनी मिलों को मिलने वाली वित्तीय सुविधा का उपयोग सर्वप्रथम गन्ना किसानों को पिछले वर्ष के बकाए के भुगतान में किया जाए। गन्ना किसानों के बकाए का भुगतान राज्य सरकार की प्राथमिकता है।

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