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शबरिमला : शबरिमला मंदिर दक्षिण भारत के प्रमुख मन्दिरों में से है।भगवान अय्यप्पन के दर्शनार्थ दिसम्बर से जनवरी में भक्त यहां आते हैं। केरल का ये मंदिर कई मामले में देश के दूसरे मंदिरों से काफी अलग है जहाँ एक ओर रजस्वला महिलाओं का प्रवेश मन है वहीँ दूसरी ओर ये मंदिर हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की शानदार मिसाल है।
तिरुअनंतपुरम से लगभग 180 किलोमीटर की दूरी पर पश्चिम घाट से सह्यपर्वत शृंखलाओं के घने जंगलों के बीच, समुद्र तल से लगभग 1000 मीटर की ऊंचाई पर शबरिमला मन्दिर है। ‘मला’ मलयालम में पहाड को कहा जाता हैं। उत्तर दिशा से आने वाले यात्री एर्णाकुलम से होकर कोट्टायम या चेंगन्नूर रेलवे स्टेशन से उतरकर वहां से पम्पा आते हैं। पम्पा से पैदल चार-पांच किलोमीटर वन मार्ग से पहाडियां चढकर शबरिमला मन्दिर में अय्यप्पन के दर्शन को जाया जाता है।
दूसरे किसी भी मंदिर की अपेक्षा शबरिमला मन्दिर में रस्म-रिवाज बिल्कुल ही अलग होते हैं।खास बात ये है की यहां जाति, धर्म, वर्ण या भाषा के आधार पर किसी भी भक्त पर कोई रोक नहीं है। यहां कोई भी भक्त अय्यप्पा मुद्रा में अर्थात तुलसी या रुद्राक्ष की माला पहनकर, व्रत रखकर, सिर पर इरुमुटि अर्थात दो गठरियां धारण कर मन्दिर में प्रवेश कर सकता है। माला धारण करने पर भक्त ‘स्वामी’ कहा जाता है और यहां भक्त व भगवान का भेद मिट जाता है। भक्त भी आपस में ‘स्वामी’ कहकर ही सम्बोधित करते हैं। शबरिमला मन्दिर का संदेश ‘तत्वमसि’ है। ‘तत’ माने ‘वह’, जिसका मतलब ईश्वर है और ‘त्वं’ माने ‘तू’ जिसका मतलब जीव से है। ‘असि’ दोनों के मेल या दोनों के अभेद को व्यक्त करता है। ‘तत्वमसि’ से तात्पर्य है कि वह तू ही है। जीवात्मा और परमात्मा में कोई भेद नहीं, दोनों अभेद हैं। यही शबरिमला मन्दिर का संदेश है।
पहले शबरिमला जाने वाले भक्त समूह में तीन से चार दिनों में पैदल यात्रा करके ही मन्दिर पहुंच पाते थे। रास्ते में भोजन पकाते थे ,अवश्यक बर्तन, चावल अपनी इरुमुटि में बांध लेते थे। रस्म-रिवाज के साथ, अपने ही घर पर या मन्दिर में, गुरुस्वामी के नेतृत्व में इरुमुटि बांधकर ‘स्वामिये अय्यपो’, ‘स्वामी शरणं’ के शरण मंत्रों का जोर-जोर से उच्चार करते भक्त शबरिमला के लिये चलते हैं।
श्री अय्यप्पन कथा
क्षीर सागर मंथन के बाद मोहिनी वेषधारी विष्णु पर मोहित शिव के दांपत्य से जन्मे शिशु ‘शास्ता’ का उल्लेख कंपरामायण के बालकांड, महाभागवत के अष्टम स्कंध और स्कंधपुराण के असुर कांड में मिलता है। श्री अय्यप्पन को धर्म की रक्षा करने वाले इसी धर्मशास्ता का अवतार माना जाता है। अय्यप्पन के संबंध में केरल में प्रचलित कथा यही है कि संतानहीन पंतलम राजा को शिकार के दौरान, पम्पा नदी के किनारे एक दिव्य, तेजस्वी, कंठ में मणिधारी शिशु मिला जिसे उन्होंने पाला-पोसा, मणिधारी वही शिशु मणिकंठन या अय्यप्पन कहलाये जो पंतलम राजा द्वारा निर्मित शबरिमला मन्दिर में अय्यप्पन के रूप में विराजते हैं।
अय्यप्पन मंदिर
शबरिमला में अय्यप्पन की मुख्य मूर्ति के अलावा, मालिकापुरत्त अम्मा, श्री गणेश, नागराजा जैसे उपदेवता भी प्रतिष्ठित हैं। मालिकापुरत्त अम्मा के बारे में लोकुक्ति है कि देवताओं और मनुष्यों को त्रस्त करने वाली महिषी का अय्यप्पन ने वध करके उसे मोक्ष दिया। मोक्ष प्राप्ति पर महिषी ने अपने पूर्व जन्म का रूप (पूर्व जन्म में वह लीला नामक युवती थी) धारण किया और मणिकंठन से विवाह का अनुरोध किया। नित्य ब्रह्मचारी मणिकंठन विवाह नहीं कर सकता था। परन्तु उन्होंने प्रस्ताव रखा कि जिस वर्ष कोई कन्नि (कन्या) अय्यप्पन (पहली बार दर्शन के लिये आने वाला अय्यप्पन) नहीं आयेगा, उस समय वे उनसे शादी करेंगे। साल दर साल वह प्रतीक्षा करती रहती है, मालिकापुरत्त अम्मा की कामना अधूरी ही रह जाती है। अय्यप्पन के मन्दिर में ही अय्यप्पन के मित्र मुसलमान फकीर वावर के लिये भी स्थान दिया गया है।
एरुमेलि
पारम्परिक मार्ग एरुमेलि है| इस से होकर शबरिमला पहुंचना ज़रा कठिन है लेकिन दुर्गम, चढाइयों और ढलानों पर चलना रोमांच पैदा करता है। एरुमेलि में अय्यप्पन के घनिष्ठ मित्र वावर के नाम पर एक मस्जिद भी है।भक्त इस मस्जिद में प्रार्थना करते है तथा दान करके ही अय्यप्पा दर्शन के लिये आगे चलते हैं। वावर मस्जिद हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है।परम्परागत मार्ग से जाने वाले भक्तों को 18 दुर्गम पहाडों को पैदल ही पार करना पडता है। यहां जंगली जानवरों के आतंक का खतरा भी है।
शबरिमला मन्दिर
मन्दिर परिसर में भक्त 18 सीढियां चढकर प्रांगण में प्रवेश करते हैं। 18 सीढियां अष्टदश सोपान माने जाते हैं, अष्टदश सोपान पंचभूतों, अष्टरागों, त्रिगुणों और विद्या व अविद्या के प्रतीक हैं।पूजा के लिये मण्डल 16 नवम्बर से 27 दिसम्बर तक द्वार खुला रहता है।मन्दिर में मण्डल पूजा के लिये आने वालों को 41 दिन तक कडे नियमों में रहना होता है| मांसाहारी वस्तुओं के प्रयोग,भोग-विलास से दूर रहना होता है। मकरविलक्क (मकरज्योति) के लिये मंदिर दिसम्बर 30 से जनवरी 20 तक खुला रहता है। (मकरज्योति दर्शन 14 जनवरी को होता है) मार्च की 12 तारीख को ध्वजारोहण के साथ 10 दिनों का महोत्सव आरंभ होता है जो की अवभृथ स्नान (मूर्ति को नदी या सागर में स्नान कराना) के साथ 21 को समाप्त होता है। विषु पूजा के लिये अप्रैल महीने में 10 से 18 तक मन्दिर खुला रहता है।
भगवान अय्यप्पन को घी का अभिषेक प्रिय है मंदिर में ‘अरावणा’ (चावल, गुड और घी से तैयार खीर) ही मुख्य प्रसाद माना है। अय्यप्पन ब्रह्मचारी हैं, यही कारण है की 10 और 60 वर्ष के बीच की आयु की औरतों के लिये मन्दिर में प्रवेश मना है।
आप को जान कर अचरज होगा मक्का-मदीना के बाद शबरिमला दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तीर्थ माना जाता है|
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माउंट आबू : राजस्थान जिसे बाकि देश भर के लोग हमारे देश का रेगिस्तान मानते हैं | लेकिन ऐसा नहीं है यहाँ भी सुन्दर झीलें और प्रकृति के वरदान से भरपूर नजारे, हरी-भरी वादियों से सजी-धजी पहाडियां और वन्य जीवों से भरपूर अभ्यारण्य भी हैं। क्या सोच रहें हैं कि हम कुछ गलत बता रहे हैं ,बिलकुल नहीं हम जो भी बता रहें हैं वो 100 प्रतिशत सही हैं राजस्थान में भी है "हिल स्टेशन|"
‘माउण्ट आबू’ राजस्थान का इकलौता हिल स्टेशन है, यही नहीं पड़ोसी प्रान्त गुजरात के लिये भी हिल स्टेशन की कमी को महसूस नहीं होने देता। राजस्थान के दक्षिणी इलाके में गुजरात की सीमा से सटा यह हिल स्टेशन समुद्र से चार हजार फीट की ऊंचाई पर बसा है। माउण्ट आबू कभी राजा-महाराजो का ‘समर रिसॉर्ट’ हुआ करता था।
अरावली पर्वत के दक्षिणी किनारे पर ये हिल स्टेशन अपने ठण्डे मौसम और वानस्पतिक सम्पदा की वजह से देशभर के पर्यटकों का पसंदीदा सैरगाह है ,मरुस्थल में हरे नखलिस्तान का आभास देता है। है। माउंट आबू तक पहुंचने का रास्ता खासा सुन्दर है। माउंट आबू न केवल सैलानियों का स्वर्ग है बल्कि ग्यारहवीं और तेरहवीं शताब्दी की अनूठी और बेजोड स्थापत्य कला के श्रेष्ठतम नमूने दिलवाडा के मन्दिरों में देखे जा सकते हैं। मन्दिरों के कारण ये जैनियों का प्रमुख तीर्थ भी है। जगत विख्यात प्रजापति ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय साधना केन्द्र भी यहीं है। इस से लगी गुजरात सीमा पर अम्बाजी का प्रसिद्ध मन्दिर है।
झीलों के नगर उदयपुर से लगभग 185 किलोमीटर दूर हरी-भरी पहाडियों के मध्य स्थित इस पर्वतीय स्थल के ठण्डे और सुहाने मौसम से आकर्षित होकर पर्यटक यहां खिंचे चले आते हैं। 1219 मीटर ऊंची पहाडी पर स्थित यहां की प्रसिद्ध नक्की झील 800 मीटर लम्बी और चार सौ मीटर चौडी है।मान्यता के अनुसार इस झील को देवताओं ने अपने नाखूनों से खोदा था। माउंट आबू का नाम यहां स्थित प्राचीन मन्दिर अर्बूदा देवी के नाम पर ही पडा है। 450 सीढियों वाले इस मन्दिर में स्थापित अर्बूदा देवी को आबू की रक्षक देवी कहा जाता है।
मान्यता के अनुसार ‘आबू’- ‘हिमालय पुत्र’ के प्रतीक रूप में जाना जाता है जिसकी उत्पत्ति अर्बद से हुई थी, इसने भगवान शिव के पवित्र बैल नन्दी को बलिष्ठ सांप के चंगुल से बचाया था। वशिष्ठ ऋषि उन प्रमुख संतों में से एक थे जिन्होंने पृथ्वी को दैत्यों से बचाने के लिये पवित्र मन्त्रों से यज्ञ करते हुए अग्नि से चार अग्निकुल राजपूत वंशों परमार, परिहार, सोलंकी और चौहान का सृजन किया था। कहा जाता है यह यज्ञ उन्होंने आबू की पहाडी के नीचे स्थित प्राकृतिक झरने के पास किया था। ये झरना गाय के सिर की आकृति वाली पहाडी से निकलता है, इसे गौमुख भी कहते हैं।अरावली पर्वत श्रंखलाओं की सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर पर्वत भी माउंट आबू में ही है जिसकी ऊंचाई 1722 मीटर है।
पर्यटन स्थल
नक्की झील: माउंट आबू में 3937 फुट की ऊंचाई पर स्थित नक्की झील करीब ढाई किलोमीटर के दायरे में पसरी है, इसमें बोटिंग करने का लुत्फ अलग ही है। हरीभरी वादियां, खजूर के वृक्षों की कतारें, पहाडियों से घिरी झील और झील के बीच आइलैंड, कुल मिलाकर देखें तो सारा दृश्य फ़िल्मी लगता है।
सनसेट प्वाइंट: यहां से आप देखिये सूर्यास्त का खूबसूरत नजारा, ढलते सूर्य की सुनहरी रंगत कुछ पलों के लिये पर्वत श्रंखलाओं को स्वर्ण मुकुट पहना देती है। हजारों लोग प्रतिदिन शाम ढलते इस मनोहारी दृश्य का आनन्द लेते हैं। देख कर ऐसा महसूस होता है कि मानों सूर्य आसमान से नीचे गिर रहा है।
हनीमून प्वाइंट: सनसेट प्वाइंट से दो किलोमीटर दूर नवयुगल के लिये यहां हनीमून प्वाइंट बना हुआ है। शाम के वक्त यहां नवयुगलों का जमावड़ा होता है। इसे आंद्रा प्वाइंट के नाम से भी जाना जाता है। हनीमून प्वाइंट से नज़र आने वाले हरेभरे मैदान और घाटियों के दृश्य लोगों को अपने पाश में ले लेते हैं। घाटी के जादुई दृश्य देखकर लोग यहां से हिलना भी पसन्द नहीं करते।
टॉड रॉक: नक्की झील से कुछ दूरी पर ही स्थित टॉड रॉक चट्टान है जिसकी आकृति मेंढक की है |
दिलवाडा जैन मन्दिर: 11वीं से 13वीं सदी के बीच बने संगेमरमर के नक्काशीदार जैन मन्दिर स्थापत्य कला के बेहतरीन नमूने हैं। विमल वासाही और लूणवासाही मन्दिर सबसे पुराने मंदिर हैं।इनकी वास्तुकला की अदभुत कारीगरी देखने लायक है।
गुरू-शिखर: यह अरावली पर्वत की सबसे ऊंची चोटी है। गुरू शिखर समुद्र तल से लगभग 1722 मीटर ऊंचा है। शिखर के नीचे और आसपास का नजारा देखना सैलानियों को एक अलग ही जहां में पहुंचा देता है।
अचलगढ: दिलवाडा से करीब आठ किलोमीटर दूर स्थित इस प्राचीन स्थल में आबू के अधिष्ठाता देव अचलेश्वर महादेव का मन्दिर है। इसमें शिव के पैर के अंगूठे का चिन्ह है, जिसकी पूजा होती है। मन्दिर के सामने पीतल के विशाल नन्दी है। नन्दी से कुछ आगे विशाल त्रिशूल है।
गोमुख : बाजार से करीब ढाई किलोमीटर दूर हनुमान जी का मन्दिर है। इस मन्दिर से करीब 700 सीढियां नीचे उतरने पर वशिष्ठ आश्रम है। यहां पर पत्थर के बने गोमुख से सदा जल बहता है, इस स्थान को गोमुख कहते हैं।
वन्यजीव अभयारण्य: राज्य सरकार ने 228 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को वन्यजीव अभयारण्य 1960 में घोषित किया गया था। अभयारण्य में वानस्पतिक विविधता, वन्य जीव, स्थानीय व प्रवासी पक्षी आसानी से देखे जा सकते हैं |
राजभवन: माउंट आबू राज्यपाल का ग्रीष्मकालीन मुख्यालय है। गर्मियां शुरू होने के बाद कुछ समय के लिये ये राज्यपाल का ग्रीष्मकालीन कैम्प बन जाता है
कब-कहां-कैसे जाया जाये
यहां पूरे सालभर आया जा सकता है। सर्दियों में ठण्ड आसपास के बाकी मैदानी इलाकों से काफी ज्यादा रहती है। कडाके की सर्दी पडी तो नक्की झील का पानी जम जाता है। सर्दियों के अलावा जायें तो मोटे सूती कपडे में काम चल सकता है। शाम व रात तो पूरे सालभर ठण्डक देगी।
वायु मार्ग : निकटतम हवाई अड्डा उदयपुर है जोकि 185 किलोमीटर दूर है। अहमदाबाद हवाई अड्डा 235 किलोमीटर की दूरी पर है, जोधपुर हवाई अड्डा 267 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग: रेलवे स्टेशन आबू रोड है जोकि 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। रेलवे स्टेशन दिल्ली-अहमदाबाद लाइन पर है जहां सभी प्रमुख रेलगाडियां रुकती हैं।
सडक मार्ग: देश प्रमुख शहरों से सडक मार्ग द्वारा माउंट आबू पहुंचा जा सकता है। उदयपुर 185 किलोमीटर की दूरी पर है और उदयपुर से ईसवाल, गोगुंदा, जसवंतगढ, पिंडवाडा होते हुए माउंट आबू जाते है। अहमदाबाद से वाया पालनपुर 222 किलोमीटर और वाया अम्बाजी 250 किलोमीटर। जोधपुर से माउंट आबू 267 किलोमीटर, अजमेर 360 किलोमीटर, जयपुर 490 किलोमीटर, दिल्ली 752 किलोमीटर, आगरा 732 किलोमीटर और मुम्बई 751 किलोमीटर है।
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केरल| शहर की भाग-दौड से दूर अगर आप किसी शांत एवं भक्तिमय जगह पर जाना चाहते है तो केरल से बेहतर कोई जगह नहीं है| डोसा, सांबर, कडाला कढी, स्वीट डिश में पायसम, उबला हुआ मीठा केला और आस-पास का पारंपरिक माहौल आपको केरल की संस्कृति से रू-ब-रू कराएगी| केरल के एर्नाकुलम पुर्तगाली शैली के खूबसूरत घर, नारियल के पेड और हिप्पी संस्कृति की झलक लिए इस स्थान को फोर्ट कोच्चि भी कहते हैं| फोर्ट कोच्चि के अलावा यहां से करीब 25 किलोमीटर दूर वायपिन आयलैंड जरूर जाएं। यहां चेरई बीच है। ये बीच काफी साफ-सुथरा और तैराकी के लिए माकूल है।
केरल में भाषाई समस्या आडे नहीं आती क्योंकि यहां लोगों को अंग्रेजी का अच्छा ज्ञान है और साथ ही स्थानीय लोग काम-चलाऊ हिंदी भी बोल लेते हैं। फोर्ट के अलावा केरल का सबसे खूबसूरत नजारा मुन्नार में ही देखने को मिलता है। दूर-दूर तक फैले चाय के बागान और लुभावना मौसम वाला यह खूबसूरत हिल स्टेशन मुन्नार केरल के इडुक्की जिले में स्थित है। इसे एशिया में जापान के टोक्यो के बाद सबसे अच्छे पर्यटन केंद्र का दर्जा भी मिला है।अगर आप प्रकृति प्रेमी हैं और पहाडों के हसीं मौसम का जमकर लुत्फ उठाना चाहते हैं तो कम-से-कम 4-5 दिन मुन्नार में जरूर ठहरें।मन्नार में अनगिनत किस्म के रंग-बिरंगे फूल और एक ख़ास तरह का फल 'पैशन फ्रूट' मिलता है| मुन्नार की एक और खासियत है- वो है यहां उगने वाला नीलकुरुंजी नाम का एक खूबसूरत फूल। लेकिन इसे देखने के लिए आपको भी मेरी तरह वर्ष 2018 तक इंतजार करना होगा क्योंकि ये फूल 12 साल में सिर्फ एक ही बार खिलता है।
मुन्नार शहर से दो किलोमीटर की दूरी पर है टाटा टी म्यूजियम। यहां आप चाय-पत्ती तैयार होने की पूरी प्रक्रिया देख सकते हैं। इतना ही नहीं, अपनी आंखों के सामने तैयार की गई चाय की चुस्कियां भी ले सकते हैं। 250 किलोमीटर दूरी पर मौजूद है शहर कोल्लम। यहां अष्टमुडी में आप बैकवॉटर्स का असल लुत्फ उठा सकते हैं| यहां की केरल टूरिज्म की नौका यात्रा बहुत मशहूर है। पानी की संकरी सडक पर गुजरते हुए हम मुनरो गांव की तरफ बढ रहे थे। जहां नारियल के पेडों के झुरमुट का दृश्य बहार खूबसूरत लगता है| यहं पर आप ताडी बनाते हुए भी देख सकते हैं जो नारियल के फूल से तैयार किया जाता है|
इसके पास में है 144 फुट ऊंचा थंगासेरी लाइट-हाउस। यह एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा लाइट हाउस है| स्थानीय भाषा में थंगासेरी का मतलब है- सोने का गांव। यहां आने का सबसे अच्छा मौका तो तब है जब पारंपरिक त्योहार विशू मनाया जा रहा हो। इस मौके पर पूरे 10 दिन तक कई तरह के सांस्कृतिक आयोजन होते हैं। खासकर सजे-संवरे हाथियों की झांकी और पारंपरिक कथकली नृत्य इसका मुख्य आकर्षण है। कोल्लम में ही मौजूद है कृष्ण आश्रम मंदिर। कहा जाता है कि यह मंदिर 1000 साल से भी ज्यादा पुराना है इसलिए इसे देखना बिल्कुल न भूले|
तो अपने दिल दिमाग को तरोताजा करना चाहते है तो आइये केरल और लीजिए मज़ा यहां की हसीन वादियों और मनमोहक मौसम का| एक बार आने के बाद आप यहां दोबारा जरूर आना चाहेंगे|
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किसी लड़के या लडकी के नामकरण से व्यक्ति के व्यक्तित्व पर क्या असर पड़ता है। आपको पता है कि किसी व्यक्ति के जीवन में अक्षरों का क्या प्रभाव पड़ता है| आज आपको "ई" अक्षर वाले व्यक्तियों के बारे में बताते हैं |
यदि किसी लड़की या लड़के का नाम अंग्रेजी के E अक्षर से शुऱू होता है तो वह व्यक्ति बहुत बोलने वाला होता है लेकिन अपने ज्यादा बोलने के कारण ये हमेशा खतरों में पड़ जाते हैं| ये लोग बड़े ही दिल फेंक होते है। ये काफी मजाकिया स्वभाव के भी होते हैं| ई अक्षर वाले व्यक्ति सेक्स के प्रति ये काफी आकर्षित होते है। इसलिए इनकी लिस्ट में लड़के-लड़कियों की पूरी जमात होती है। इन्हें एक से ज्यादा बार मुहब्बत भी हो सकती है लेकिन हां ये जो रिश्ता निभाते है उसके प्रति ईमानदार होते है मतलब ये कि भले ही ये चार लोगं से मोहब्बत करे लेकिन अगर ये किसी से शादी करते है तो अपने हमसफर के प्रति ईमानदार होते है।
इस नाम के व्यक्ति जिंदगी को आसानी से जीते है। इनके पास शिक्षा, व्यवसाय, रूतबा और पैसा उतना ही होता है जितने की इन्हें चाहत होती है। ये हमेशा खुश रहने वाले होते है। इसलिए इन्हें लोग काफी पसंद भी करते हैं। । ये..जब तक जीना है खुशी से जीना है ...का फंडा मानकर चलते है इसलिए हमेशा सुखी रहते हैं।
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बुधवार को जन्मे व्यक्ति दोहरे चरित्र, बहुमुखी प्रतिभा, तीक्ष्ण बुद्धिवाले होते हैं| इस दिन जन्म लेने वाले व्यक्ति किसी की भी आलोचना करने में माहिर होते है तथा अपनी वाक्पटुता के द्वारा दूसरे व्यक्ति की बोलती बन्द कर देते हैं| ये व्यक्ति किसी भी क्षेत्र में प्रसिद्धि पा सकते है लेकिन अपने दोहरे चरित्र के कारण किसी भी क्षेत्र में बहुत दिनों तक टिक नहीं पाते है। इन व्यक्तियों पर बुध ग्रह का विशेष प्रभाव रहता है|
बुधवार को जन्में व्यक्तियों का स्वाभाव :-
इस दिन जन्में व्यक्ति अपने कार्य से सन्तुष्ट नहीं रहते है, इसलिए कभी- कभी आप स्वयं के द्वारा किये गये कार्यो की आलोचना करने लगते है। ये व्यक्ति अपने मित्रों को बहुत प्रेम तथा आदर करते है तथा अपनी क्षमता से ज्यादा उनकी मदद करने का प्रयास करते हैं। इनका भाग्य पक्ष मजबूत होने के कारण, ये सब प्रकार की विपत्तियों से जल्दी निकल आते है। इन व्यक्तियों का सम्पर्क उंचे तबके के लोगों से रहेगा जिसके कारण ये अच्छा धन कमाने में कामयाब होंगे। इस दिन जन्में व्यक्तियों के जीवन में 15 वें, 24 वें, 33वें वर्ष विशेष परिवर्तनकारी हो सकते है।
बुधवार को जन्म लेने वाली स्त्रियों का स्वभाव-
बुधवार के दिन जन्म लेने वाली स्त्रियां, सुन्दर, गुणवती, तेजतर्रार व तीखे नैन-नक्स वाली होती है। इनका कद छोटा होता है लेकिन ये स्त्रियाँ तीक्ष्ण बुद्धि वाली होती है| इन स्त्रियों को पति शालीन व समझदार मिलता है, इनका वैवाहिक जीवन सुखमय कहा जा सकता है। सन्तान की ओर से इनका मन प्रसन्न रहेगा।
स्वास्थ्य- आपको त्वचा सम्बन्धी रोग, आँख के रोग, हाथों में पक्षाघात तथा स्नायु सम्बन्धी रोग, बोलने में दोष, नींद में कमी आदि रोग हो सकते है।
शुभ दिन- रविवार, बुधवार व सोमवार का दिन आपके लिये बेहद अच्छे होंगे|
शुभ माह - जनवरी, मार्च, जुलाई, अगस्त आपके लिये बेहद अनुकूल रहेंगे तथा सितम्बर और दिसम्बर आपके लिए प्रतिकूल रहेंगे|
शुभ रत्न- आपके लिये पन्ना या चाइनीज मरगज, सुलेमानी रत्न चांदी या सोनें की अंगूठी में कनिष्ठका अंगुली में बुधवार के दिन शुद्ध करके धारण करें।
व्रत और मन्त्र- इस दिन जन्में व्यक्तियों की प्रधान देवी लक्ष्मी जी है। बुधवार का उपवास आपके लिये उचित रहेगा। आप निम्न मन्त्र- ऊँ श्रीं श्रीं कमले कमलाये प्रसीद-प्रसीद श्री ऊँ महालक्ष्मै नमः मंत्र का 108 बार प्रतिदिन जाप करें।
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किसी लड़के या लडकी के नामकरण से व्यक्ति के व्यक्तित्व पर क्या असर पड़ता है। आपको पता है कि किसी व्यक्ति के जीवन में अक्षरों का क्या प्रभाव पड़ता है| आज आपको "डी' अक्षर वाले व्यक्तियों के बारे में बताते हैं |
यदि किसी लड़की या लड़के का नाम अंग्रेजी के D अक्षर से शुरू होता है तो यह व्यक्ति जो चीज पाना चाहता है उसे वो हर कीमत पर हाशिल कर लेते हैं| अपनी मेहनत के दम पर ये काफी आगे जाते हैं। इस नाम के व्यक्ति काफी जिद्दी स्वाभाव के होते हैं|
डी अक्षर से जिन लड़कों का नाम शुरु होता है वे बातों के जादूगर होते हैं। लड़कियां उन तक तितलियों की तरह मंडराती रहती है मगर वे एक समय में एक ही रिश्ता निभाते हैं। यूं भी उनकी किस्मत में फालतु प्यार नहीं लिखा है वे जब भी करेंगे जहनी तौर पर ऐसे व्यक्ति से ही प्यार करेंगे जो उनके आतंरिक संसार को समझने की क्षमता रखता हो। और इस नामाक्षर की अधिकांश लड़कियां किसी बुद्धिमान व्यक्ति से मन ही मन प्यार करती है, और करती रह जाती है। अक्सर बड़ी उम्र तक इस इंतजार में रहती है कि वह खुद इनके पास लौट आएगा।
इस दिन जन्में व्यक्ति बिंदास होते हैं। इनके पास ज्ञान का अथाह सागर होता है। इनके पास बैठिये तो आप को जरूर कुछ नया सीखने को मिलेगा। लेकिन अपनी जिद्दी प्रकृति के कारण ये घमंडी भी कहलाते हैं।
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मंगलवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति झगड़ालू या क्रोधी, तेजस्वी, पराक्रमी, अनुशासनप्रिय तथा अपार उर्जा से परिपूर्ण, नयें विचारों का समर्थन करने वाले तथा रूढ़वादिता को नष्ट करने वाले तथा सदैव प्रगति के मार्ग पर चलने वाले होते हैं, क्योंकि इस दिन जन्में व्यक्तियों पर मंगल गृह का विशेष प्रभाव रहता है|
मंगलवार को जन्में व्यक्तियों का स्वभाव:-
इस दिन जन्में व्यक्ति सभी बाधाओं को पार करते हुये सदैव आगे बढ़ने में तत्पर रहते है। ऐसे व्यक्ति बहुत जल्दी आवेश में आ जाते है जिससे कभी-कभी आपको हानि भी उठानी पड़ सकती है।
इस दिन जन्में व्यक्ति अनोखे कार्य दिखाकर विश्व में अपना नाम फैलाना चाहेंगे, जिसकी वजह से जीवन में कई बार दुर्घटनाओं का सामना भी करना पड़ सकता है। ये व्यक्ति प्रशंसा सुनने के बहुत इच्छुक रहते है। इनको सभी प्रकार की भौतिक सफलता तो मिलेगी परन्तु लापरवाही करने पर वही सफलता आपके विनाश का कारण भी बन सकती है। इनके दांपत्य जीवन में समय-समय पर विरोधाभास की स्थिति आती रहेगी। पत्नी विचारों से सहमत नहीं रहेगी। इन व्यक्तियों की वाणी में ऐसी दृढ़ता है कि लोग सुनकर आकर्षित हो जाते हैं|
मंगलवार को जन्म लेने वाली स्त्रियों का स्वाभाव :-
इस दिन जन्मी स्त्रियों का मुख लाल, गोल चेहरा, तथा माथे पर सदा तनाव की रेखायें बनी रहती है। ये पुरूषों की तरह बोलने वाली, साहसी व प्रत्येक क्षेत्र में पुरूषों के साथ-साथ चलने वाली होती है।
वैवाहिक जीवन में इनका अपने पति पर विशेष प्रभाव रहता है। ये अपनी जुझारू प्रकृति के कारण हर कार्य में सफलता प्राप्त कर लेती है। ये स्त्रियाँ अत्यधिक रूढ़वादिता या बाहरी आडम्बर में विश्वास नहीं करती है। इन्हे जितनी जल्दी क्रोध आता है और उतनी ही जल्दी शान्त भी हो जाती है।
स्वास्थ्य- मंगलवार को जन्मे व्यक्तियों को ब्लड प्रेशर, शुगर, एनीमिया, माइग्रेन, मांसपेशियों से सम्बन्धित परेशानी ज्यादा होती हैं।
शुभ दिन- आपके लिए मंगलवार विशेष शुभ होता है तथा गुरूवार व शुक्रवार भी शुभ होते है।
शुभ महीना- आपके लिये मार्च, अप्रैल व 31 अक्टूबर से 14 नवम्बर अनुकूल रहेंगे|
व्रत और मन्त्र- आप मंगलवार का व्रत रखें तथा हनुमान जी की आराधना करें। प्रातःकाल उठकर आप- हूम हरि हं हं हरये नमः हुम हरि। इस मन्त्र का 108 बार प्रतिदिन जाप करें।
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किसी लड़के या लडकी के नामकरण से व्यक्ति के व्यक्तित्व पर क्या असर पड़ता है। आपको पता है कि किसी व्यक्ति के जीवन में अक्षरों का क्या प्रभाव पड़ता है| आज आपको "सी' अक्षर वाले व्यक्तियों के बारे में बताते हैं |
अगर किसी लड़की या लड़के का नाम अंग्रेजी के C अक्षर से शुऱू होता है तो ये व्यक्ति हर दिल अजीज होते हैं और मिलनसार होते हैं | ऐसे व्यक्ति सामाजिक कार्यों में बाद चढ़ कर हिस्सा लेने वाले होते हैं| इनके लिए लोगों की भावनाएं काफी मायने रखती है क्योंकि ये खुद भी काफी भावुक होते हैं। लेकिन ये स्पष्ट बोलने वाले होते है लेकिन फिर भी ये जानबूझकर किसी का दिल नहीं दुखाते हैं। इस नाम के व्यक्ति
इनकी सेक्स लाईफ काफी अच्छी होती है, ये आसानी से किसी को भी अपने वश में कर लेते है लेकिन ये ईमानदार होते हैं। देखने में भी सी नाम के लोग काफी अच्छे होते है । जो भी करियर चुनते हैं उसमें खासा कामयाब होते हैं क्योंकि इनके काम से ज्यादा इनके व्यवहार से लोग खुश होते हैं जिसका फायदा इनके अपने प्रोफेशनल लाईफ में भी आजीवन मिलता रहता है। लक्ष्मी जी की भी इन पर खासी मेहरबानी होती है। कुल मिलाकर ऐसे लोग काफी संपन्न होते हैं।
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सोमवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति अधिक परिश्रमी होते हैं लेकिन इनका भाग्य पक्ष प्रबल न होने के कारण इनके श्रम का पूर्ण फल नहीं मिल पाता है। फिर भी ये अपने लक्ष्य के प्रति पूर्ण इमानदारी से कार्य करते-करते ऊंचे पदों पर पहुंच जाते है। इस दिन जन्में व्यक्तियों पर चन्द्र ग्रह का विशेष प्रभाव रहता है क्योंकि इस दिन चन्द्रमा अपनी पूर्ण सत्ता में रहता है।
सोमवार को जन्म लेने वाले पुरुषों का स्वाभाव :-
इस दिन जन्में व्यक्ति हमेशा समाज में चर्चा का विषय बने रहते है लेकिन इनका पारिवारिक जीवन अच्छा नहीं रहता है। हमेशा काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है परन्तु बाहरी लोग समझते हैं कि इनका जीवन सफल चल रहा है। चन्द्र से सम्बन्ध होने के कारण आपका मन चंचल रहेगा तथा निरन्तर आपके विचार बदलते रहेंगे। किसी भी कार्य को पूरा किये बिना ये लोग दूसरे कार्य को आरम्भ कर देते है। यही स्वभाव इनकी सफलता में बाधक बनता है।
इस दिन जन्में व्यक्तियों की स्मरण बहुत तेज होती है फिर भी में धैर्य की बहुत कमी होती है। ये पुरुष स्त्रियों के मामलें में आप बहुत शालीन होते हैं|
सोमवार को जन्म लेने वाली स्त्रियों का स्वभाव-
जिन स्त्रियों का जन्म सोमवारको होता है, उनका रंग गोरा, मित्र प्रकृति वाली, परोपकारी, तीर्थयात्रा, प्रेमी, भावुक, संवेदनशील, मधुर व कल्पनालोक में जीने वाली होती है। ये सुन्दर व आकर्षणशील होती हैं| ये बोलने में अति चतुर होती है| इनका साफ-सफाई पर विशेष ध्यान रहता है।
स्वास्थ्य- आपको पेट से सम्बन्धित रोग अकसर परेशान करेंगे। जैसे- गैस, आंतों में सूजन, पीलिया आदि।
शुभ दिन- सोमवार गुरूवार व रविवार आपके लिए अनुकूल रहेंगे|
शुभ माह - 20 जून से 27 जुलाई तक यह समय आपके लिये विशेष शुभ रहेगा। इस समय आप कोई भी कार्य आरम्भ कर सकते है। जनवरी, फरवरी व दिसम्बर का महीना आपके लिये अनुकूल नहीं है।
शुभ रत्न- चांदी की अंगूठी में 7 रत्ती का मोती या चन्द्रमणि कनिष्ठा अंगुली में सोमवार के दिन शुद्ध करके धारण करें।
व्रत और मन्त्र - आप सोमवार का व्रत रख सकते है तथा शिव जी की उपासना करनी चाहिए। प्रातःकाल उठकर, ऊँ श्रीं श्रीं चं चन्द्राय नमः मंत्र का 108 बार प्रतिदिन जाप करने से आपके संकट दूर होंगे।
किसी लड़के या लडकी के नामकरण से व्यक्ति के व्यक्तित्व पर क्या असर पड़ता है। आपको पता है कि किसी व्यक्ति के जीवन में अक्षरों का क्या प्रभाव पड़ता है| आज आपको "बी' अक्षर वाले व्यक्तियों के बारे में बताते हैं |
अगर किसी लड़की या लड़के का नाम अंग्रेजी के " बी" अक्षर से शुऱू होता है तो ऐसे व्यक्ति काफी संवेदनशील और रोमांटिक होते है, इन पर छोटी-छोटी बातें काफी असर डालती हैं, इन्हें मनाना काफी आसान होता है। बी अक्षर वाले व्यक्ति सेक्स लाइफ पर काफी भरोसा करते हैं इसलिए अक्सर इस नाम के व्यक्ति प्रेम विवाह करते हैं। ये सौंदर्य प्रेमी, प्रकृति से स्नेह रखने वाले होते हैं।
इनके लिए पैसा भी काफी महत्वपूर्ण होता है। ये लेन-देन भी बहुत करते हैं। ये आमतौर पर हिम्मती होते हैं। इसलिए अक्सर इस नाम के लोग सेना या दूसरे जोखिम भरे क्षेत्र में अपना करियर बनाते हैं। इन्हें अपनी मेहनत पर भरोसा होता है। और आम तौर पर इस नाम के लोग धनवान भी होते है।
इनके बड़बोले पन के कारण इन्हें घमंडी होने की संज्ञा मिल जाती है। इसलिए इनके दोस्त बहुत ज्यादा नहीं होते है लेकिन जो होते हैं वो काफी पक्के और गहरे होते है
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रविवार को जन्म लेने वाले व्यक्ति अपने आकर्षण के कारण दूसरे लोगों को शीघ्र ही अपनी ओर आकर्षित कर लेते है। ये उग्र प्रवत्ति के होते हैं, और जल्दी ही क्रोधित हो जाते हैं परन्तु समय की नजाकत को देखते हुए जल्द ही शालीन भी हो जाते है। इन पर सूर्य ग्रह का विशेष प्रभाव होता है। रविवार के दिन सूर्य अपनी पूर्ण सत्ता से अन्य सभी ग्रहों पर अपना प्रभाव बनायें रखता है। सूर्य के समीप जो भी ग्रह आते है उनका प्रभाव क्षीण हो जाता है।
रविवार को जन्म लेने वाले पुरुषों का स्वाभाव :-
सूर्य सिंह राशि का स्वामी है। सिंह का अर्थ होता है शेर और शेर को स्वतन्त्रता प्रिय होती है। अतः इस दिन जन्में व्यक्ति किसी की अधीनता में कार्य करना पसन्द नहीं करते। इनकी इच्छा शक्ति और सकंल्प शक्ति बहुत अधिक होती है। ऐसे लोग कुशल प्रशासक, कुशल संचालक, कुशल प्रबंधक, समाज सेवी तथा राजनीति में कुशल राजनेता बनते है। यदि इन व्यक्तियों को नेतृत्व का कार्य सौप दिया जाय तो किसी भी क्षेत्र में बेहतर परिणाम देते हैं।
रविवार को जन्म लेने वाली स्त्रियों का स्वाभाव-
रविवार को जन्म लेने वाली स्त्रियों का वैवाहिक जीवन सुखमय व्यतीत होता है। अच्छे कामों के लिए वह अपने पति की किसी भी हद तक पूरा सहयोग करती हैं लेकिन गलत कार्यों के लिए नफरत करने वाली होती है | इनका मुख सूर्य के समान प्रभावशाली तथा सुन्दरता लिये होता है। इनका चेहरा गोल, आंखें बड़ी-बड़ी होती है। कभी आसक्ति में आकर जल्दी शादी करने की गल्ती कर बैठती है जिससे इनकों बाद में परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ये बाहर से जितनी कठोर दिखती हैं , अन्दर से उतनी ही उदार भी होती हैं।
स्वास्थ्य- रविवार को जन्मे व्यक्तियों को वैसे तो कम बीमारियां होती है परन्तु यदि हो जाये तो उनका इलाज लम्बे समय तक चलता है। इन्हे ह्रदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर, गठिया, तथा नेत्र रोग भी समय-समय पर परेशान करते रहते हैं।
शुभ दिन- सोमवार, शुक्रवार और रविवार इनके लिये विशेष शुभ रहेंगे।
शुभ माह - 21 जुलाई से 20 अगस्त। 21 नवम्बर से 20 दिसम्बर। 21 मार्च से 20 अप्रैल आपके लिए अनुकूल रहेंगे|
शुभ रत्न- इस दिन जन्में व्यक्तियों को माणिक्य रत्न सोने या तांबे की अंगुठी में अनामिका अंगुली में रविवार को प्रातःकाल धारण करना चाहिए। ये लोग लाल हकीक भी धारण कर सकते हैं।
इष्ट देव और मन्त्र- इनके इष्ट देवता सूर्य भगवान होते है। अतः इन्हे सूर्य देव की उपासना करनी चाहिए। प्रातः काल सूर्य देव को जल देते समय इस मन्त्र का - ऊँ हीं हीं सूर्याय नमः मंत्र का प्रतिदिन जाप करना चाहिए।
किसी लड़के या लडकी के नामकरण से व्यक्ति के व्यक्तित्व पर क्या असर पड़ता है। आपको पता है कि किसी व्यक्ति के जीवन में अक्षरों का क्या प्रभाव पड़ता है| आज आपको "ए' अक्षर वाले व्यक्तियों के बारे में बताते हैं |
अगर किसी लड़की या लड़के का नाम अंग्रेजी के ए अक्षर से शुऱू होता है तो ऐसे व्यक्ति प्यार और रिश्तों का काफी महत्व देते हैं लेकिन बहुत ज्यादा रोमांटिक नहीं होते हैं। ए अक्षर वाले सुंदरता को काफी पसंद करते है और खुद भी बहुत सुन्दर और सेक्सी होते है। इनकी एक खासियत होती है ये अपनी बात सबसे नहीं कहते हैं। इनके जीवन में हर चीज देर से हासिल होती है| लेकिन जब भी सफलता मिलती है तो वो सफलता की चरम सीमा होती है। जीवन संघर्ष से भरा होता है लेकिन ये मंजिल को पा ही लेते हैं।
ये मोहक और सबको साथ लेकर चलने वाले होते है। ये धोखेबाज बिलकुल नहीं होते है और ना ही ये धोखेबाजी को पसंद करते हैं। "ए" अक्षर के नाम वाले व्यक्ति मौके की नजाकत को समझने वाले और हालात के हिसाब से फैसले लेने के कारण ये हर दिल अजीज होते हैं। लेकिन इनमे एक दोष होता है ये क्रोधी स्वभाव के होते हैं।
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अगर आप अपने घर में रखे एक्वेरियम को सजावट का साधन मात्र मानते है तो यह गलत है क्योंकि यह एक्वेरियम सजावट के साथ- साथ आपके जीवन में सुख-समृद्धि लाने में भी सहयोग करता है। मछलियो के बारे में प्राचीन काल से ही विदीत है कि यह लक्ष्मी लाती हैं और इन्हे पालने वालों को धन की प्राप्ती होती है। इसी आधार पर प्राचीन काल से राजा महाराजा अपने किले में एक छोटा सा तालाब बनवाते थे और उसमे मछलियां पालते थे।
आज हम आपको बताते है कि एक्वेरियम किस तरह से आपके जीवन में धन, वैभव, सुख, समृद्धि लाता है। एक्वेरियम पारिवार में प्रेमपूर्ण माहौल बनाए रखता है, परिवार में कलह आदि होने से बचाता है। एक्वेरियम में मछलियों का जल में विचरण करना, आपके विकास के मार्ग प्रसस्त करता है।यही नहीं अगर परिवार के उपर कोई विपत्ति आने वाली होती है तो मछलियाँ अपने ऊपर ले लेती हैं और एक्वेरियम में रखी किसी मछली की अकस्मात मौत हो जाती है। अगर आप जहाँ काम करते हैं वहां एक्वेरियम को रखते हैं तो आप में सदैव नयी उर्जा भरता रहेगा| एक्वेरियम मानसिक संतुष्टी, और दिमाग में नये और अच्छे विचार लाता है।
एक्वेरियम किस दिशा में रखें, किस दिशा में न रखें :-
वास्तुशास्त्र के अनुसार एक्वेरियम को सदैव घर के उत्तर-पूर्व के कोने में रखें, कभी भी कमरे के मध्य या कमरे के बीच के टेबल आदि पर न रखें। एक्वेरियम को कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं रखना चाहिए। रात में कमरे की बत्ती बन्द करने के बाद भी एक्वेरियम की लाईट जलती रहनी चाहिए। इससे घर में किसी तरह बुरी रूहे या गलत ताकते या प्रेत आत्माएं प्रवेश नहीं कर सकती है।