शनिवार को जन्में व्यक्ति संकोची,अनुशासन प्रिय, आलसी व लापरवाह होते हैं

शनिवार को जन्म लेने वाले व्यक्तियों का स्वाभाव संकोची अनुशासन प्रिय व यथार्थवादी होता है | इस दिन जन्में व्यक्ति आलसी व लापरवाह प्रवत्ति के होते हैं | इनके वैवाहिक व पारिवारिक जीवन में काफी उतार -चढ़ाव वाली स्थिति बनी रहेगी क्योंकि इनके जीवन व व्यक्तित्व पर शनि ग्रह का विशेष प्रभाव रहता है। शनि एक सौम्य,अनुशासनशील व धीमी गति का ग्रह है जो एक राशि में लगभग 2 वर्ष 6 माह तक रहता है।


शनिवार को जन्म लेने वाले पुरुषों का स्वाभाव :- 

- इस दिन जन्में व्यक्ति आलसी व संकोची होते हैं, ये व्यक्ति किसी भी कार्य को करने की सुन्दर योजना बनायेंगे परन्तु उन योजनाओं के अनुरूप आप कार्य नहीं कर पायेंगे, इसलिए संकोच व आलस्य को त्याग कर दें अन्यथा आपको जीवन में काफी कठिनाइयों का सामना करना पडे़गा।

- इस दिन जमें व्यक्तियों का कोई अपमान करे तो वे कतई बर्दाश्त नहीं करते, इन व्यक्तियों को हमेशा सभी कार्यों में सफलता हांसिल होगी मगर संघर्ष करते रहेंगे तब| इन व्यक्तियों को संकट, विपत्ति व कठिनाईयां अपने लक्ष्य से भ्रमित नहीं कर पायेंगी

- इनके जीवन में कितने ही कष्ट क्यों न आये,परन्तु ये अपने हंसमुख स्वभाव के कारण विचलित नहीं होगे। इनका जितना भी विरोध किया जायेगा ये उतना ही सफलता की ओर आगे बढ़ते जायेगे।

- इस दिन जन्में व्यक्तियों की खास बात यह होती है कि एक अच्छे प्रेमी होंगे, अतः प्रेम करने की कला में ये निपुण होगे। इनके अन्दर बाहरी प्रदर्शन की कला नहीं होगी और न ही आप किसी बाहरी दिखावे को पसन्द करेगें आप अपने को जैसा है वैसा ही दिखाना पसन्द करेगें।


शनिवार को जन्म लेने वाली स्त्रियों का स्वभाव-

-शनिवार को जन्म लेने वाली स्त्रियां सुन्दर कम होती है या तो एकदम गेहुये रंग की होगी या फिर एकदम काली| इनका चेहरा सौम्य व गम्भीर होगा इसलिए ये स्त्रियाँ एक दम पतली या फिर मोटी होगी।

- इस दिन जन्मीं स्त्रियों का पति सुन्दर व आकर्षक व्यक्तित्व का होगा, जिसपर उनका पूर्ण अधिकार रहेगा। सास ससुर व परिवार के लोग इन पर अधिक विश्वास करेंगे। गृह कार्य में कम दक्ष होने के कारण घर के लोग टोक-टाक कर सकते हैं।

- इनका झुकाव ईश्वर की तरफ विशेषकर रहेगा इसलिए कोई भी कार्य बड़े धैर्य, लगन व समर्पित भाव से करेंगी।

स्वास्थ्य:- आपको आंतो के रोग, कोष्टवद्धता, गठिया, कमर दर्द, हाथ पैरों में दर्द, सफेद दाग और बवासीर आदि रोग होने की आशंका रहेगी।

शुभ दिन:- आपके लिए शनिवार, शुक्रवार व बुधवार दिन शुभ रहेगें।

शुभ महीना:- 20 सितम्बर से 25 अक्टूबर तक का समय आपके लिए अनुकूल रहेगा तथा -दिसम्बर माह आपके लिए कष्टकारी रहेगा|

शुभ रत्न:- आपके लिए शुभ रत्न हैं -नीलम, लहसुनिया, फिरोजा और काला मोती आप इनमें से किसी भी रत्न को चांदी की अंगूठी में मध्यमा अंगुली में शनिवार के दिन धारण कर सकते हैं।

व्रत और मंत्र- आप शनि देव या कृष्ण जी की उपासना व ध्यान कर सकते हैं। शनिवार का उपवास आपके लिए अच्छा रहेगा।
आप प्रातः काल उठकर निम्न मंत्र की-ऊंॅ ऐं हीं श्रीं श्नैष्चराय नमः को 108 बार प्रतिदिन जाप करें।

मस्तक देखकर जान सकते हैं कैसी होगी स्त्री

किसी स्त्री के बारे में आपको अगर जानकारी हासिल करनी है तो उसके अंगों की सरंचना देखकर आप उस स्त्री के बारे में जान सकते हैं कि वह स्त्री कैसी होगी| स्त्री के मस्तिक की लकीरें देखकर भी उसके बारे में जान सकते हैं कि वह स्त्री कैसी होगी-

अगर किसी स्त्री का सिर अधिक मोटा और बड़ा हो तो ऐसी स्त्रियाँ अपने जीवन में ज्यादा संघर्ष करती है। अगर किसी स्त्री का सिर बिलकुल छोटा हो तो वह स्त्री दुर्भाग्यशाली होती है तथा अपने जीवन को लेकर तनाव ग्रस्त रहती है| लेकिन जब इन स्त्रियों के संतान उत्पन्न होती है तो इनका तनाव दूर हो जाता है और अच्छा समय आ जाता है|

जिसका सिर आगे से उठा हुआ होता है तो ऐसी स्त्रियां भाग्यशाली व तीक्षण बुद्धि वाली होती है और अपने परिवार को आगे बढ़ाने में सहायक होती है। वहीँ जिस स्त्री के सिर के बीच में गडढा हो या दबा हुआ होता है तो ऐसी स्त्री धन, वैभव व सुखी जीवन व्तीत करने वाली होती है| इन स्त्रियों का अनेक पुरूषों से सम्बन्ध भी हो सकता है।

अगर किसी स्त्री का सिर चौड़ा हो तो उन स्त्रियों के हमेशा कोई न कोई रोग लगा रहता है| इन स्त्रियों का स्वभाव कठोर होता है, परन्तु ये दिल की अच्छी होती है। इनको पति समझदार व सेवाभाव से परिपूर्ण मिलता है| वहीँ जिस स्त्री का सिर चपटा होता है तो इन स्त्रियों को यदि उचित अवसर मिल जाये तो शीघ्र ही उच्च मुकाम को हासिल कर लेती है परन्तु अपने परिवार की सेवा नहीं कर पाती है। छपते सिर वाली स्त्रियाँ अधिक तेज, चंचल,वाक्पटुता, चालाक व अपना काम निकालने वाली होती है।

वहीँ जिस स्त्री का सिर सामान्य होता है, तो ऐसी स्त्रियाँ सास,ससुर व पति की सेवा करने वाली व सामाजिक मान-सम्मान पाने वाली होती है।जिस स्त्री के मस्तक पर चन्द्र बना होता है, वह महिलायें सब प्रकार के सुखों को भोगने वाली तथा पतिव्रता, उच्च पद एंव राजनीति में निपुण होती है।

बेहद निडर होते हैं 'K' अक्षर वाले

किसी लड़के या लडकी के नामकरण से उसके व्यक्तित्व पर क्या असर पड़ता है, क्या आपको पता है? अगर नहीं तो हम आपको आज 'K' अक्षर वाले व्यक्तियों के बारे में बताते हैं-

अगर किसी लड़की या लड़के का नाम अंग्रेजी के 'K''अक्षर से शुऱू होता है तो वे व्यक्ति काफी निडर होते है। इस अक्षर वाले व्यक्ति बेहद खुबसूरत होते हैं यही वजह है कि लोग इनकी तरफ काफी आकर्षित भी होते है। इस अक्षर वाला व्यक्ति बेहद ही दिखावे वाला होता है। किसी को कुछ भी कह देना इनके स्वभाव में शामिल होता है। बिना कुछ सोचे समझे ये किसी को भी कुछ सुना देते है जिसकी वजह से इन्हें लोग मुंहफट कहते हैं| इस नाम के व्यक्ति अपने फायदे के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।

के अक्षर वाले पैसा तो बहुत कमाते हैं, लेकिन इन्हें इज्जत से कुछ लेना-देना नहीं होता है। जहां तक वैवाहिक संबधों का सवाल है तो ये ससुराल पक्ष पर भी अपना रुतबा कायम रखते हैं| लोग इनसे डरते हैं। इनके सामने अपनी बात कहने में हिचकते हैं। "के" अक्षर वाले सेक्स लाईफ को भी ये ज्यादा तवज्जों नहीं देते है और ज्यादातर ये लोग अरेंज मैरिज ही करते हैं| इनका वैवाहिक जीवन समझौतों पर ही निर्भर होता है।

काफी ईमानदार और वफादार होते हैं J अक्षर वाले

किसी लड़के या लडकी के नामकरण से व्यक्ति के व्यक्तित्व पर क्या असर पड़ता है, क्या आपको पता है? अगर नहीं तो आज हम आपको "जे " अक्षर वाले व्यक्तियों के बारे में बताते हैं-

यदि किसी लड़की या लड़के का नाम अंग्रेजी के J अक्षर से शुऱू होता है तो इस नाम के व्यक्ति जिंदगी को बहुत ही खुशनुमा अंदाज से जीते है| इस नाम का व्यक्ति अपने रिश्तों के प्रति काफी ईमानदार और वफादार होता है। इस नाम के व्यक्ति जितने तन से सुन्दर होते हैं, उतना ही मन से सुन्दर होते हैं| ऐसे लोग जीवन में काफी तरक्की करते है

स्वभाव से बेहद ही नखरीले होते हैं जे अक्षर वाले| पैसा,रूतबा, मुहब्बत हर चीज इनके पास थोक मात्रा में होती है| इस अक्षर के लोगों के साथ बस एक समस्या होती है और वो है इनका स्वास्थ्य जो कि काफी कमजोर होता है। इनको हमेशा कोई न कोई बीमारी घेरे रहती है| इनकी सेक्स लाईफ काफी रोमांचित होती है। ये प्रेम विवाह पर ज्यादा भरोसा रखते हैं।

प्यारे और मन मोहक होते है 'आई' अक्षर वाले

किसी लड़के या लडकी के नामकरण से व्यक्ति के व्यक्तित्व पर क्या असर पड़ता है, क्या आपको पता है? अगर नहीं तो आज हम आपको "आई" अक्षर वाले व्यक्तियों के बारे में बताते हैं-

यदि किसी लड़की या लड़के का नाम अंग्रेजी के I अक्षर से शुऱू होता है तो ऐसे व्यक्ति काफी सुंदर होते हैं और सुंदरता को पसंद भी करते हैं। इन्हें बच्चों की कंपनी भी काफी अच्छी लगती है। धर्म-कर्म में रूचि रखते हैं। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि ऐसे लोग बहुत ही प्यारे और मोहक होते है जिनका साथ हर कोई पसंद करता है। इस अक्षर वाले व्यक्ति सिर्फ और सिर्फ प्यार का भूखा है। उसे अपनेपन और प्यार की तलाश होती है । ये इंसान बहुत ही भावुक होते हैं। ये हर काम दिल से करते हैं इसलिए इन्हें आसानी से इन्हें बुद्धू भी बनाया जा सकता है। ये अक्सर अपने इस स्वभाव के कारण अपनी बहुत सारी उपयोगी चीजों को खो देते हैं।

इस अक्षर वाले व्यक्तियों को जिंदगी बहुत कुछ देती है लेकिन उसका सुख कम ही मिल पाता है। शिक्षा और लेखनी के क्षेत्र में ये विशेष जानकारी रखते है। खैर इन्हें कभी पैसे की कमी नहीं होती है। प्रेम और पारिवारिक सौगात भी इन्हें थोक मात्रा में मिलती है। समाज में ये अच्छी पकड़ रखते है। सेक्स लाईफ काफी अच्छी होती है।

ऐसा करने से जल्द मिलेगी मनचाही वधू

माँ भगवती की आराधना का पर्व है नवरात्रि| इस बार नवरात्रि 28 सितम्बर ( बुधवार) से प्रारंभ हो चुकी है| माँ भगवती के नौ रूपों की भक्ति करने से हर मनोकामना पूरी होती है। अगर आपके विवाह में अड़चनें आ रही हैं तो नीचे लिखा उपाय करने पर शीघ्र ही आपको मनचाही दुल्हन मिलेगी|

उपाय-

नवरात्रि के हर दिन किसी शिव मंदिर में जाएं और शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर चढ़ाते हुए शिवलिंग को अच्छी तरह से साफ कर लें। फिर शुद्ध जल शिवलिंग पर चढ़ाकर पूरे मंदिर को झाड़ू लगाकर साफ करें।फिर भगवन भोलेनाथ की चंदन, पुष्प एवं धूप, दीप आदि से उपासना करें| उसके बाद रात्रि के करीब 10 बजे के पश्चात अग्नि प्रज्वलित कर ऊँ नम: शिवाय मंत्र का उच्चारण करते हुए घी से 108 बार भगवन शंकर को आहुति दें| 11 दिनों तक नित्य इसी मंत्र की पांच माला जप भगवान शिव के सम्मुख करते रहें शीघ्र ही मनोकामना पूर्ण होगी और आपको मनचाही दुल्हन मिलेगी|

अपनी राशि के अनुसार जाने माँ भगवती को प्रसन्न करने का उपाय

आज से नवरात्रि पर्व का आरंभ हो चुका है| इस नवरात्रि में माँ भगवती को प्रसन्न करने के लिए अपनी राशि के अनुसार जानिए माँ के स्वरूपों की पूजा अर्चना में क्या-क्या करना चाहिए-

मेष राशि:- मेष राशि वाले भक्तों को माँ भगवती की पंच्व्ह्वी शक्ति स्कंद माता की विशेष उपासना करनी चाहिए। दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए। क्योंकि स्कंदमाता करुणामयी हैं, जो वात्सल्यता का भाव रखती हैं।

वृष राशि:- वृष राशि के लोग महागौरी स्वरूप की उपासना करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं। माँ को प्रसन्न करने के लिए ललिता सहस्र नाम का पाठ करना चाहिए। क्योंकि महागौरी जन-कल्याणकारी हैं। अविवाहित कन्याओं को आराधना से उत्तम वर की प्राप्ति होती है।

मिथुन राशि:- मिथुन राशि वाले भक्तों को देवी-यंत्र स्थापित कर माँ भगवती ब्रह्मचारिणी की उपासना करनी चाहिए। माँ ब्रम्ह्चारिणी को प्रसन्न करने के लिए तारा कवच का प्रतिदिन पाठ करें। क्योंकि मां ब्रह्मचारिणी ज्ञान प्रदाता, विद्या के अवरोध दूर करती हैं।

कर्क राशि:- कर्क राशि वाले भक्तों को माँ भगवती के प्रथम स्वरुप माँ शैलपुत्री की पूजा-उपासना करनी चाहिए। माँ को प्रसन्न करने के लिए लक्ष्मी सहस्रनाम का पाठ करें। क्योंकि माँ शैलपुत्री अभय दान प्रदान करती हैं।

सिंह राशि:- सिंह राशि वाले भक्तों को माँ कूष्मांडा की साधना विशेष फलदायी है| इसलिए माँ को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा मंत्र का जाप करें। क्योंकि माँ कुष्मांडा बलि प्रिया हैं, अत: साधक नवरात्र की चतुर्थी को आसुरी प्रवृत्तियों यानि बुराइयों का बलिदान देवी चरणों में निवेदित करना चाहिए|

कन्या राशि:- कन्या राशि वाले भक्तों कोप माँ ब्रम्ह्चारिणी की पूजा अर्चना करना चाहिए। माँ को प्रसन्न करने के लिए लक्ष्मी मंत्रों का साविधि जाप करें। क्योंकि माँ ज्ञान प्रदान करती हुई विद्या मार्ग के अवरोधों को दूर करती हैं। विद्यार्थियों हेतु देवी की साधना फलदायी है।

तुला राशि:- तुला राशि वाले भक्तों को महागौरी की पूजा- अर्चना से विशेष फल प्राप्त होते हैं। माँ को प्रसन्न करने के लिए काली चालीसा या सप्तशती के प्रथम चरित्र का पाठ करें क्योंकि जन-कल्याणकारी हैं। अविवाहित कन्याओं को आराधना से उत्तम वर की प्राप्ति होती है।

वृश्चिक राशि:- वृश्चिक राशि वाले भक्तों को स्कंदमाता की पूजा अर्चना करनी चाहिए| माँ को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा सप्तशती का पाठ करें क्योंकि माँ वात्सल्य भाव रखती हैं।

धनु राशि:- धनु राशि वाले भक्तों को देवी चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए| माँ को प्रसन्न करने के लिए संबंधित मंत्रों का यथाविधि अनुष्ठान करें। क्योंकि घंटा प्रतीक है उस ब्रह्मनाद का, जो साधक के भय एवं विघ्नों को अपनी ध्वनि से समूल नष्ट कर देता है।

मकर राशि:- मकर राशि वाले लोगों के लिए कालरात्रि की पूजा सर्वश्रेष्ठ मानी गई है। माँ को प्रसन्न करने के लिए नर्वाण मंत्र का जाप करें। क्योंकि माँ अंधकार में भक्तों का मार्गदर्शन और प्राकृतिक प्रकोप, अग्निकांड आदि का शमन करती हैं। माँ शत्रुओं का संहार करने वाली होती हैं।

कुंभ राशि:- कुंभ राशि वाले व्यक्तियों के लिए कालरात्रि की उपासना लाभदायक है | आप माँ को प्रसन्न करने के लिए देवी कवच का पाठ करें। अंधकार में भक्तों का मार्गदर्शन और प्राकृतिक प्रकोपों का शमन करती हैं और शत्रुओं का विनास करती हैं|

मीन राशि:- मीन राशि के जातकों को माँ चंद्रघंटा की उपासना करनी चाहिए। माँ को प्रसन्न करने के लिए हरिद्रा की माला से यथासंभव बगलामुखी मंत्र का जाप करें। घंटा उस ब्रह्मनाद का प्रतीक है, जो साधक के भय एवं विघ्नों को अपनी ध्वनि से समूल नष्ट कर देता है। 

इस चमत्कारिक नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र से जाने अपने सवालों के जवाब

नवरात्रि का पर्व आज (बुधवार) से प्रारंभ हो चुका है| इसके लिए हर भक्त अपने तरीके से माँ की आराधना करता है। नवरात्रि के शुभ अवसर पर हम आपके लिए नवदुर्गा प्रश्नावली चक्र लाएं हैं। इस चमत्कारिक चक्र के माध्यम से आप अपने जीवन की समस्त परेशानियों व सवालों का हल आसानी से पा सकते हैं।


नवदुर्गा प्रश्नावली चमत्कारिक चक्र के उपयोग की विधि-

जिस किसी भक्त को अपने सवालों का जवाब या परेशानियों का हल जानना है वो पहले पांच बार ऊँ ऐं ह्लीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे मंत्र का जप करने के बाद 1 बार इस मंत्र का जप करें-

या देवी सर्वभूतेषु मातृरुपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।


इस मंत्र का जाप करने के बाद भक्त आंखें बंद करके अपना सवाल पूछें और माता दुर्गा का स्मरण करते हुए प्रश्नावली चक्र पर कर्सर घुमाते हुए रोक दें। जिस कोष्ठक (खाने) पर कर्सर रुके, उस कोष्ठक में लिखे अंक के अनुसार नीचे लिखे फलादेश को ही अपने अपने प्रश्न का उत्तर समझें।

1- धन का लाभ होगा एवं मान-सम्मान भी मिलेगा।

2- धन हानि अथवा अन्य प्रकार का अनिष्ट होने की आशंका है।

3- किसी अभिन्न मित्र से मिलन होगा, जिससे मन प्रसन्न होगा।

4- कोई व्याधि अथवा रोग होने की आशंका है, अत: कार्य अभी टाल देना ही आपके लिए अच्छा रहेगा।

5- धैर्य रखिए जो भी कार्य आपने सोचा है, उसमें आपको सफलता मिलेगी|

6- कुछ दिन के लिए कार्य को स्थगित कर दें| किसी से कलह अथवा कहासुनी हो सकती है|

7- आपका अच्छा समय शुरु हो गया है। अतिशीघ्र ही सुंदर एवं स्वस्थ पुत्र होने के योग हैं। इसके अतिरिक्त आपकी अन्य मनोकामनाएं भी पूर्ण होंगी।

8- विचार पूरी तरह त्याग दें| इस कार्य में मृत्यु भी होने की आशंका है।

9- देश समाज अथवा सरकार की दृष्टि में सम्मान बढ़ेगा। आपका सोचा हुआ कार्य अच्छा है।

10- अपना कार्य आरंभ करें, अपेक्षित लाभ प्राप्त होगा|

11- जिस कार्य के बारे में सोच रहे हैं, उसमें हानि होने की सम्भावना है|

12- मनोकामना पूर्ण होगी और पुत्र से भी आपको विशेष लाभ मिलेगा।

13- कार्य में आ रही बाधाएं दूर करने के लिए शनिदेव की उपासना करें|

14- चिंता न करें, अच्छा समय शुरु हो गया है, सुख-संपत्ति प्राप्त होगी।

15- आर्थिक तंगी के कारण ही आपके घर में सुख-शांति नहीं है। धैर्य एवं संयम रखें, एक माह बाद स्थितियां बदलने लगेंगी।

दूसरों पर हुकूमत करने वाले होते हैं एच अक्षर वाले व्यक्ति

किसी लड़के या लडकी के नामकरण से व्यक्ति के व्यक्तित्व पर क्या असर पड़ता है, क्या आपको पता है? अगर नहीं तो आज हम आपको "एच " अक्षर वाले व्यक्तियों के बारे में बताते हैं-

यदि किसी लड़की या लड़के का नाम अंग्रेजी के H अक्षर से शुऱू होता है तो ऐसे व्यक्ति संकोची और संवेदनशील होते हैं और इसके साथ ही इस अक्षर वाले व्यक्ति अपनी ख़ुशी और अपना दर्द किसी से शेयर नहीं करते | ये रहस्यमयी व्यक्ति होते हैं, इनको समझ पाना थोड़ा मुश्किल होता है लेकिन दिल के अच्छे और सच्चे व्यक्ति होते हैं। ये तेज़ दिमाग वाले होते हैं| ये व्यक्ति ना काहू से दोस्ती और ना ही काहू से बैर वाले होते हैं | इस अक्षर के व्यक्ति अक्सर राजनीति और प्रशासनिक क्षेत्र में दिखायी देते हैं।

इस अक्षर के व्यक्ति किसी से भी अपने प्यार का इजहार नहीं करते हैं लेकिन ये जिसे चाहते हैं, उसे दिल की गहराई से प्यार करते हैं। इनका वैवाहिक जीवन काफी अच्छा होता है। ये इंसान पैसा खूब कमाते है लेकिन ये अपने पैसों को सिर्फ अपने ऊपर खर्च करते हैं। फिलहाल ये काफी तरक्की करने वाले होते है। ऐसे लोग सिर्फ अपनी मर्जी के मालिक होते है ये दूसरों पर हुकूमत करते हैं लेकिन कोई इन पर हुकूम चलाये ये इन्हें बर्दाश्त नहीं। ज्ञान का अथाह सागर कहलाने वाले ये व्यक्ति समाज के लिए अलग मिसाल बनते हैं।

अपने स्वभाव के चलते इन्हें कुछ लोग घमंडी की भी उपाधि दे देते हैं लेकिन जो लोग इन्हें जानते हैं वो समझ जाते है कि इनका घमंड से दूर-दूर तक लेना देना नहीं है।

बहुत ही प्यारे और ज़रूरत से ज्यादा भावुक होते हैं ऍफ़ अक्षर वाले व्यक्ति

किसी लड़के या लडकी के नामकरण से व्यक्ति के व्यक्तित्व पर क्या असर पड़ता है, क्या आपको पता है?
अगर नहीं तो आज हम आपको "ऍफ़" अक्षर वाले व्यक्तियों के बारे में बताते हैं-

यदि किसी लड़की या लड़के का नाम अंग्रेजी के F अक्षर से शुऱू होता है तो वे व्यक्ति बहुत ही प्यारे और ज़रूरत से ज्यादा भावुक और लोगों की मदद करने वाले होते हैं| इस अक्षर के लोगों की जिंदगी प्यार से शुऱू होती है और प्यार पर ही खत्म होती है। ये व्यक्ति सभी कार्य दिल लगाकर करते हैं | इन लोगों की खासियत होती है कि जहाँ भी जाते हैं वहां लोगों को अपना बना लेते हैं| इनके अन्दर आत्म विश्वास कूट-कूट कर भरा होता है। इस अक्षर के व्यक्ति झगडालू नहीं होते हैं|

ऍफ़ अक्षर वाले व्यक्ति काफी आकर्षक, सेक्सी और रोमांटिंक होते हैं| जिंदगी में हर चीज का लुत्फ उठाते हैं| अपनी मन मोहक छवि से लोगों का दिल जीतने वाले होते है |

कान देखकर जान सकते हैं कैसी होगी स्त्री

किसी स्त्री के बारे में आपको अगर जानकारी हासिल करनी है तो उसके अंगों की सरंचना देखकर आप उस स्त्री के बारे में जान सकते हैं कि वह स्त्री कैसी होगी| स्त्री के कान की संरचना देखकर भी उसके बारे में जान सकते हैं कि वह स्त्री कैसी होगी-

अगर किसी स्त्री के कान छोटे होते हैं तो वह सौभाग्यशाली होती है| छोटे कान वाली स्त्रियाँ पति के लिए लाभदायक, परिवार में सामंजस्य स्थापित कर चलने वाली होती हैं| यदि ये स्त्रियाँ नौकरी करेंगी तो वे उच्च पद तक पहुंचती हैं। वहीँ अधिक छोटे कानों वाली स्त्रियां अधिक सौभाग्यशाली होती हैं, अपने पति के सुख-दुख में साथ देने वाली होती हैं|

लम्बे कान वाली स्त्रियाँ अपने पति के लिए घातक होती है और परिवार में कलह की स्थिति उत्पन्न करती है। जिस स्‍त्री की कान लालिमा लिए और छोटे होते हैं वे स्त्रियाँ कानून के क्षेत्र में जैसे अधिवक्ता, न्यायधीश, कानून मंत्री आदि पद से सुशोभित होती हैं।

जिस स्त्री के कान चौड़े होते हैं, ऐसी परिवार विखंडन में निपुण होती हैं, इतना ही काफी नहीं यह स्त्रियाँ अपने वैवाहिक जीवन में भी कलह बनाये रखती हैं| वहीँ जिन स्त्रियों के कान ऊपर को उठे हुये होते है वह स्त्रियां वाक्पटुता और बुद्धिमान होती हैं| ऐसी स्त्रियाँ परिवार को जल्दी विखरने नहीं देती|

जिन स्त्रियों के कान का निचला हिस्सा लम्बा और पतला होता है तो ऐसी स्त्रियां दूसरों पर शासन करने वाली होती हैं।

नवरात्रि के पांचवे दिन होती है स्कन्दमाता की पूजा

भगवती दुर्गा की पांचवी शक्ति का नाम स्कन्दमाता है| नवरात्री के पांचवे दिन इन्हीं की पूजा की जाती है| इस दिन साधक का मन विशुध्द चक्र में होता है। स्कन्द कुमार (कार्तिकेय) की माता होने के कारण दुर्गा जी के इस पांचवे स्वरूप को स्कंद माता नाम प्राप्त हुआ है| इनके विग्रह में स्कन्द जी बालरूप में माता की गोद में बैठे हैं। स्कन्द मातृस्वरूपिणी देवी की चार भुजायें हैं, ये दाहिनी ऊपरी भुजा में भगवान स्कन्द को गोद में पकडे हैं और दाहिनी निचली भुजा जो ऊपर को उठी है, उसमें कमल पकडा हुआ है। माँ का वर्ण पूर्णतः शुभ्र है और कमल के पुष्प पर विराजित रहती हैं। इसी से इन्हें पद्मासना की देवी और विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। इनका वाहन भी सिंह है|

माँ स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं| इनकी उपासना करने से साधक अलौकिक तेज की प्राप्ति करता है | यह अलौकिक प्रभामंडल प्रतिक्षण उसके योगक्षेम का निर्वहन करता है| एकाग्रभाव से मन को पवित्र करके माँ की स्तुति करने से दुःखों से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है|

स्कन्द माता के उपासना मंत्र-

“सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया. शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी.
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।सिंहासना गता नित्यं पद्माश्रि तकरद्वया |


स्कन्द माता की कथा-

दुर्गा पूजा के पांचवे दिन देवताओं के सेनापति कुमार कार्तिकेय की माता की पूजा होती है| कुमार कार्तिकेय को ग्रंथों में सनत-कुमार, स्कन्द कुमार के नाम से पुकारा गया है| माता इस रूप में पूर्णत: ममता लुटाती हुई नज़र आती हैं| माता का पांचवा रूप शुभ्र अर्थात श्वेत है| जब अत्याचारी दानवों का अत्याचार बढ़ता है तब माता अपने भक्तों की रक्षा के लिए सिंह पर सवार होकर दुष्टों का अंत करती हैं| देवी स्कन्दमाता की चार भुजाएं हैं, माता अपने दो हाथों में कमल का फूल धारण करती हैं और एक भुजा में भगवान स्कन्द या कुमार कार्तिकेय को सहारा देकर अपनी गोद में लिये बैठी हैं और मां का चौथा हाथ भक्तो को आशीर्वाद देने की मुद्रा मे है|

स्कन्द माता ही हिमालय की पुत्री पार्वती हैं इन्हें ही महेश्वरी और गौरी के नाम से जाना जाता है| देवी स्कंदमाता पर्वत राज की पुत्री होने से पार्वती कहलाती हैं, महादेव की वामिनी यानी पत्नी होने से माहेश्वरी कहलाती हैं और अपने गौर वर्ण के कारण देवी गौरी के नाम से पूजी जाती हैं| माता को अपने पुत्र से अधिक प्रेम है अत: मां को अपने पुत्र के नाम के साथ संबोधित किया जाना अच्छा लगता है| जो भक्त माता के इस स्वरूप की पूजा करते है मां उस पर अपने पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं|

स्कन्दमाता की पूजन विधि- 

कुण्डलिनी जागरण के उद्देश्य से अगर हम दुर्गा मां की उपासना कर रहे हैं उनके लिए दुर्गा पूजा का यह दिन विशुद्ध चक्र की साधना का होता है| इस चक्र का भेदन करने के लिए पहले मां की विधिपूर्वक पूजा करते हैं| पूजन के लिए कुश अथवा कम्बल के पवित्र आसन पर बैठकर पूजा प्रक्रिया को उसी प्रकार से शुरू करते हैं जैसे अब तक के चार दिनों में किया है | देवी की पूजा के पश्चात भगवन भोले नाथ और ब्रह्मा जी की पूजा करते हैं | देवी स्कन्द माता की भक्ति-भाव सहित पूजन करने से देवी की कृपा प्राप्त होती है| देवी की कृपा से भक्त की मुराद पूरी होती है और घर में सुख, शांति एवं समृद्धि रहती है| वात, पित्त, कफ जैसी बीमारियों से पीड़ित व्यक्ति को स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए और माता को अलसी चढ़ाकर प्रसाद में रूप में ग्रहण करना चाहिएइ

स्कन्दमाता का ध्यान-

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्वनीम्।।
धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पंचम दुर्गा त्रिनेत्रम्।
अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानांलकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल धारिणीम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वांधरा कांत कपोला पीन पयोधराम्।
कमनीया लावण्या चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥

स्कन्दमाता का स्तोत्र पाठ-

नमामि स्कन्दमाता स्कन्दधारिणीम्।
समग्रतत्वसागररमपारपार गहराम्॥
शिवाप्रभा समुज्वलां स्फुच्छशागशेखराम्।
ललाटरत्नभास्करां जगत्प्रीन्तिभास्कराम्॥
महेन्द्रकश्यपार्चिता सनंतकुमाररसस्तुताम्।
सुरासुरेन्द्रवन्दिता यथार्थनिर्मलादभुताम्॥
अतर्क्यरोचिरूविजां विकार दोषवर्जिताम्।
मुमुक्षुभिर्विचिन्तता विशेषतत्वमुचिताम्॥
नानालंकार भूषितां मृगेन्द्रवाहनाग्रजाम्।
सुशुध्दतत्वतोषणां त्रिवेन्दमारभुषताम्॥
सुधार्मिकौपकारिणी सुरेन्द्रकौरिघातिनीम्।
शुभां पुष्पमालिनी सुकर्णकल्पशाखिनीम्॥
तमोन्धकारयामिनी शिवस्वभाव कामिनीम्।
सहस्त्र्सूर्यराजिका धनज्ज्योगकारिकाम्॥
सुशुध्द काल कन्दला सुभडवृन्दमजुल्लाम्।
प्रजायिनी प्रजावति नमामि मातरं सतीम्॥
स्वकर्मकारिणी गति हरिप्रयाच पार्वतीम्।
अनन्तशक्ति कान्तिदां यशोअर्थभुक्तिमुक्तिदाम्॥
पुनःपुनर्जगद्वितां नमाम्यहं सुरार्चिताम्।
जयेश्वरि त्रिलोचने प्रसीद देवीपाहिमाम्॥

स्कन्दमाता का कवच-


ऐं बीजालिंका देवी पदयुग्मघरापरा।
हृदयं पातु सा देवी कार्तिकेययुता॥
श्री हीं हुं देवी पर्वस्या पातु सर्वदा।
सर्वांग में सदा पातु स्कन्धमाता पुत्रप्रदा॥
वाणंवपणमृते हुं फ्ट बीज समन्विता।
उत्तरस्या तथाग्नेव वारुणे नैॠतेअवतु॥
इन्द्राणां भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी।
सर्वदा पातु मां देवी चान्यान्यासु हि दिक्षु वै॥

नवरात्रि के आठवें दिन होती है महागौरी की पूजा

माँ दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम है महागौरी| महागौरी आदी शक्ति हैं इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाश-मान होता है इनकी शक्ति अमोघ फलदायिनी हैम माँ महागौरी की अराधना से भक्तों को सभी कष्ट दूर हो जाते हैं तथा देवी का भक्त जीवन में पवित्र और अक्षय पुण्यों का अधिकारी बनता है| दुर्गा सप्तशती में शुभ निशुम्भ से पराजित होकर गंगा के तट पर जिस देवी की प्रार्थना देवतागण कर रहे थे वह महागौरी हैं| देवी गौरी के अंश से ही कौशिकी का जन्म हुआ जिसने शुम्भ निशुम्भ के प्रकोप से देवताओं को मुक्त कराया| यह देवी गौरी शिव की पत्नी हैं यही शिवा और शाम्भवी के नाम से भी जानी जाती हैं| महागौरी का वर्ण पूर्णतः गौर है। इस गौरता की उपमा शंख, चन्द्र और कून्द के फूल की गयी है। इनकी आयु आठ वर्ष बतायी गयी है। इनका दाहिना ऊपरी हाथ में अभय मुद्रा में और निचले दाहिने हाथ में त्रिशूल है। बांये ऊपर वाले हाथ में डमरू और बांया नीचे वाला हाथ वर की शान्त मुद्रा में है। पार्वती रूप में इन्होंने भगवान शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी। जो स्त्री इस देवी की पूजा भक्ति भाव सहित करती हैं उनके सुहाग की रक्षा देवी स्वयं करती हैं. कुंवारी लड़की मां की पूजा करती हैं तो उसे योग्य पति प्राप्त होता है. पुरूष जो देवी गौरी की पूजा करते हैं उनका जीवन सुखमय रहता है देवी उनके पापों को जला देती हैं और शुद्ध अंत:करण देती हैं. मां अपने भक्तों को अक्षय आनंद और तेज प्रदान करती हैं|

महागौरी मंत्र-

श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

महागौरी की कथा-

माँ महागौरी ने देवी पार्वती रूप में भगवान शिव को पति-रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी, एक बार भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को देखकर कुछ कह देते हैं. जिससे देवी के मन का आहत होता है और पार्वती जी तपस्या में लीन हो जाती हैं| इस प्रकार वषों तक कठोर तपस्या करने पर जब पार्वती नहीं आती तो पार्वती को खोजते हुए भगवान शिव उनके पास पहुँचते हैं वहां पहुंचे तो वहां पार्वती को देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं. पार्वती जी का रंग अत्यंत ओजपूर्ण होता है, उनकी छटा चांदनी के सामन श्वेत और कुन्द के फूल के समान धवल दिखाई पड़ती है, उनके वस्त्र और आभूषण से प्रसन्न होकर देवी उमा को गौर वर्ण का वरदान देते हैं|

एक कथा अनुसार भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए देवी ने कठोर तपस्या की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ जाता है. देवी की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान इन्हें स्वीकार करते हैं और शिव जी इनके शरीर को गंगा-जल से धोते हैं तब देवी विद्युत के समान अत्यंत कांतिमान गौर वर्ण की हो जाती हैं तथा तभी से इनका नाम गौरी पड़ा| महागौरी रूप में देवी करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल दिखती हैं.देवी के इस रूप की प्रार्थना करते हुए देव और ऋषिगण कहते हैं “सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके. शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते..”| महागौरी जी से संबंधित एक अन्य कथा भी प्रचलित है इसके जिसके अनुसार, एक सिंह काफी भूखा था, वह भोजन की तलाश में वहां पहुंचा जहां देवी उमा तपस्या कर रही होती हैं| देवी को देखकर सिंह की भूख बढ़ गयी परंतु वह देवी के तपस्या से उठने का इंतजार करते हुए वहीं बैठ गया| इस इंतजार में वह काफी कमज़ोर हो गया| देवी जब तप से उठी तो सिंह की दशा देखकर उन्हें उस पर बहुत दया आती है, और माँ उसे अपना सवारी बना लेती हैं क्योंकि एक प्रकार से उसने भी तपस्या की थी| इसलिए देवी गौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों ही हैं|

महागौरी की पूजन विधि-

अष्टमी के दिन महिलाएं अपने सुहाग के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करती हैं| देवी गौरी की पूजा का विधान भी पूर्ववत है अर्थात जिस प्रकार सप्तमी तिथि तक आपने मां की पूजा की है उसी प्रकार अष्टमी के दिन भी प्रत्येक दिन की तरह देवी की पंचोपचार सहित पूजा करते हैं |

महागौरी मंत्र


या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

महागौरी का ध्यान -
वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

महागौरी का स्तोत्र पाठ-


सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

महागौरी का कवच मंत्र-


ओंकारः पातु शीर्षो मां, हीं बीजं मां, हृदयो।
क्लीं बीजं सदापातु नभो गृहो च पादयो॥
ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो।
कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥

महागौरी की आरती-

जै माहांगौरी जगत की माया|
जै उमा भवानी जय महांमाया||

हरिद्वार कनखल के पासा|
महांगौरी तेरा वहा निवासा||

चन्द्रकली और ममता अम्बे|
जै शक्ति जै जै मां जगदम्बे||

भीमा देवी विमला माता|
कौशकी देवी जग विख्याता||

हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा|
महांकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा||

सती सत हवन कुण्ड में था जलाया|
उसी धुएं ने रूप काली बनाया||

बना धर्म सिंह जो सवारी में आया|
तो संकर ने त्रिशूल अपना दिखाया||

तभी मां ने महांगौरी नाम पाया|
शरण आने वाले का संकट मिटाया||

शनिवार को तेरी पूजा जो करता|
मां बिगङा हुआ काम उसका सुधरता||

चमन बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो|
महांगौरी मां तेरी हरदम ही जय हो||