...यहीं पर पहली बार हनुमान जी से मिले थे भगवान श्रीराम

क्या आपको पता है भगवान श्रीराम की हनुमान जी से पहली बार कहाँ भेंट हुई थी? यदि नहीं तो आज हम आपको बताते हैं| श्रीराम चरित मानस के अनुसार, जब लंकापति रावण पंचवटी से माता सीता का हरण कर लंका ले गया था। सीता कहां गईं श्रीराम और लक्ष्मण को पता नहीं था। वह जंगल-जंगल भटकते रहे। लेकिन माता सीता का कुछ भी पता नहीं चल पाया।

सीता की खोज करते हुए दोनों भाई किष्किंधा पहुंचे। इस क्षेत्र में ही अंजनी पर्वत पर बजरंगबली के पिता महाराज केसरी का राज था, जहां बजरंगबली रहते थे। वाल्मीकि रामायण के अनुसार किष्किन्धा नरेश बाली के छोटे भाई सुग्रीव को जब पता चला कि उनकी तरफ दो राजकुमार आ रहे हैं| दोनों धनुर्धारी हैं| सुग्रीव को शंका हुई कहीं बाली तो उन्हें मारने के लिए नहीं भेजा| तब उन्होंने अपने मित्र हनुमान को इसकी जानकारी दी| 

बजरंग बली दोनों राजकुमारों से मिलने ब्रह्मण रूप में उनके पास पहुंचे। उन्होंने विनम्रता से कहा, 'सांवले शरीर वाले आप कौन हैं, क्या आप ब्रह्मा, विष्णु, महेश इन तीन देवताओं में से कोई हैं या आप दोनों नर और नारायण हैं?' श्रीरामचंद्रजी ने कहा, 'हम अयोध्या नरेश महाराज दशरथ के पुत्र हैं और पिता का वचन पूरा करने वनवास पर निकले हैं। हमारे राम-लक्ष्मण नाम हैं, हम दोनों भाई हैं। हमारे साथ सुंदर सुकुमारी स्त्री थी। यहां (वन में) राक्षस ने मेरी पत्नी जानकी को हर लिया।'

'हे ब्राह्मण! हम उसे ही खोजते फिरते हैं। हमने तो अपना चरित्र कह सुनाया। अब हे ब्राह्मण! आप अपनी बारे में सुनाइए, आप कौन हैं?' प्रभु को पहचानकर हनुमानजी उनके चरण पकड़कर पृथ्वी पर नतमस्तक हो गए। उन्होंने साष्टांग दंडवत प्रणाम कर स्तुति की। अपने आराध्य को समाने देख वो हर्ष से सराबोर थे। जहां हनुमानजी की भेंट भगवान श्रीराम से हुई यह ओर कोई नहीं हंपी ही थी जिसे प्राचीन काल में पंपा कहते थे।

कर्नाटक का बेल्लारी जिला और यहां का एक छोटा-सा शहर 'हम्पी' कभी मध्यकालीन हिंदू राज्य विजयनगर साम्राज्य की राजधानी हुआ करता था। हम्पी तुंगभद्रा नदी के तट पर स्थित है।

1 टिप्पणी:

Madan Mohan Saxena ने कहा…

बहुत खूब , शब्दों की जीवंत भावनाएं... सुन्दर चित्रांकन
कभी यहाँ भी पधारें