भीख मांगने से अच्छा है महिलाएं स्टेज पर डांस करें: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने डांस बारों को लाइसेंस न देने के मुद्दे पर सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि गुजर-बसर के लिए सड़कों पर भीख मांगने या कोई अस्वीकार्य काम करने से अच्छा है कि महिलाएं स्टेज पर डांस करें। महाराष्ट्र सरकार ने डांस बारों की ओर से कुछ शतरें को न मानने की दलील देकर उन्हें लाइसेंस देने से इनकार कर दिया था। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने डांस बारों को लाइसेंस देने के लिए तय की गई कुछ पूर्व शर्तों पर गौर किया और कहा, बाद की शतरें की बराबरी पहले की शतरें से नहीं की जा सकती। न्यायालय ने कहा कि सरकार को कार्यस्थल पर महिलाओं की गरिमा का संरक्षण करना होगा। शीर्ष न्यायालय ने कहा, यह क्या है ? आपने हमारे आदेश का पालन क्यों नहीं किया है ?

हमने आपसे पिछली बार कहा था कि आपको संवैधानिक मानदंडों का पालन करना होगा। बहरहाल, पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद की यह दलील मान ली कि राज्य सरकार को सुनिश्चित करना है कि डांस बारों में कोई अश्लीलता न हो और महिलाओं की गरिमा वहां सुरक्षित रहे। विवादित शतरें पर न्यायालय ने डांस बार मालिकों और पुलिस दोनों से कहा कि जिन शतरें पर आपसी सहमति बनी थी, उसका पालन करें। ये शत्रें न्यायालय के पहले के आदेशों में शामिल थीं। न्यायालय ने सभी डांस बारों से कहा कि वे स्थानीय पुलिस से अपने कर्मियों की पृष्ठभूमि की जांच कराएं और डांस बारों के सभी प्रवेश बिंदुओं पर सीसीटीवी कैमरे लगाएं।

शीर्ष न्यायालय ने डांस बारों से यह भी कहा कि वे इस शर्त का पालन करें कि जहां बार बाला नाचेंगी और जहां दर्शक बैठकर देखेेंगे, उसके बीच एक रेलिंग होनी चाहिए। न्यायालय ने पुलिस को आदेश दिया कि वह डांस बार आवेदकों को नगर निकायों, स्वास्य एवं अग्निशमन विभागों से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लाने के लिए न कहें क्योंकि जब होटल या रेस्तरां बनाए गए होंगे तो ये दस्तावेज जरूर मांगे गए होंगे। न्यायालय अब इस मामले पर अगली सुनवाई 10 मई को करेगा।

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