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ब्यास नदी की बहती तेज़ धारा का शोर जब कानों को सुकून देने लगे, रंग
बिरंगी पोशाक पहने लोग बगीचे में सेब तोड़ते हुए दिखें, ऊँचे पहाड़ों में
जमी बर्फ एक बड़े सफ़ेद फूल की प्रतीत होने लगे, बड़ी संख्या में विदेशी
पर्यटक मौसम का मज़ा लेते हुए नज़र आएं और घूमते-घूमते अचानक लकड़ी के
दरवाज़ों से बने 24 मीटर ऊंचे किसी मंदिर पर आपकी नज़र पड़ जाए तो समझिये
कि आप धरती की खूबसूरत जगहों में से एक यानि मनाली पहुँच गए हैं।
समुद्र तल से 2050 मीटर की ऊंचाई और हिमालय की गोद में बसा मनाली कुल्लू
जिले का सबसे महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है क्योंकि सैलानियों का सबसे ज्यादा
आवागमन इसी स्थान पर होता है। राजधानी शिमला से 270 किलोमीटर की दूरी पर
स्थित यह जगह किसी भी माईने में स्वर्ग से कम नहीं है, इस जगह का नाम हिंदू
पौराणिक कथाओं में मानवों के जनक मनु के नाम पर रखा गया है जिन्हे सृष्टि
के रचयिता भगवान ब्रहमा ने बनाया था।
मनाली मुख्य रूप से सुंदर दृश्यों, गार्डन, पहाड़ो, और सेब के बागों के
लिए जाना जाता है। यहां के बागों में लाल और हरे सेब पैदा होते है। यहां
आने पर पर्यटक हिमालय नेशनल पार्क, हिडिम्बा मंदिर, सोलांग घाटी, रोहतांग
पास, पनदोह बांध, पंद्रकनी पास, रघुनाथ मंदिर और जगन्ननाथी देवी मंदिर में
विभिन्न देवी-देवताओं के दर्शन कर सकते हैं। यहां का हिडिम्बा मंदिर 1533
ई. में घटोत्कक्ष की माँ हिडिम्बा को समर्पित करके बनाया गया था। हिडिम्बा,
एक राक्षस हिडिम्ब की बहन थीं तथा भीम की पत्नी थी। स्थानीय मान्यताओं
के अनुसार, इस मंदिर को बनवाने वाले राजा ने मंदिर बनाने वाले कलाकारों के
सीधे हाथ काटवा दिए थे ताकि वह ऐसा सुंदर मंदिर कही और न बना सकें।
300 मीटर की ऊंचाई वाली मनाली की सोलांग घाटी हर साल सर्दियों में विंटर
स्काईंग फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। वहीं रोहतांग पास एक पहाड़ी
पिकनिक स्पॉट है जिसे जिपावेल रोड़ के नाम से भी जाना जाता है। जहाँ
पर्यटक कई प्रकार की साहसिक गतिविधियों जैसे - पैराग्लाडिंग, पहाड़ो पर
बाइक चलाना, और स्काईंग कर सकते है। सोलंग घाटी से पूरे मनाली, ग्लेशियर
और पर्वतों का खुबसूरत व्यू लिया जा सकता है। धर्म में श्रद्धा रखने वाले
पर्यटक व्यास कुंड जाना न भूलें, इस कुंड का वर्णन महाभारत में ऋषि व्यास
के संदर्भ में किया गया है। माना जाता है कि ऋषि व्यास ने इसी कुंड में
स्नान किया था। कहा जाता है कि इस कुंड में स्नान करने से त्वचा
सम्बंधी समस्त रोग दूर हो जाते हैं।
मनाली में स्थित एक गांव विशिष्ट सोपस्टोन से बना है। यह गांव पर्यटकों के
आकर्षण का केंद्र है, यहां स्थित मंदिर सैंडस्टोन से बने हैं। इसके
अलावा, यहां कई प्राकृतिक झरने भी स्थित हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार,
भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने यहां एक सल्फर झरने का निर्माण किया था।
यहां आकर पर्यटक कला गुरू और राम मंदिर भी देख सकते हैं। यहां का
जगन्ननाथी देवी मंदिर को आज से 1500 साल पहले बनवाया गया था जो माता
भुवनेश्वरी देवी को समर्पित है। यह मंदिर मनाली का मुख्य धार्मिक केंद्र
है। जगन्नाथी देवी को भगवान विष्णु की बहन माना जाता है। यहां के अन्य
धार्मिक केंद्र में रघुनाथ मंदिर भी है जहाँ पर्यटक और श्रद्धालु घूमना
पसंद करते हैं। यह मंदिर भगवान रघुनाथ जी को समर्पित है। इस मंदिर से मनाली
के सभी पहाड़ो का एकस्वरूप दिखता है और भारत के उत्तर दिशा में स्थित
हिमालय की तलहटी में रहने वाले लोगों के समूह में एक व्यापक सामान्यीकरण
भी होता है, यहां के मंदिर की वास्तुकला पिरामिड आकार के बने मंदिरों की
वास्तुकला देखते ही बनती है, जो एक बेजोड़ कला का उदाहरण है।
जीव-जंतुओं और उनकी फोटोग्राफी में दिलचस्पी रखने वालों की खोज मनाली में
स्थित हिमालयन नेशनल पार्क में आकर पूरी हो सकती है जहां 300 से ज्यादा
प्रकार के जीव जन्तु हैं। यह अभयारण्य विलुप्त पक्षियों की अनेक
प्रजातियों और पश्चिमी ट्रागोपेन के लिए खासा प्रसिद्ध है। पार्क में 30
स्तनधारी प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं। मनाली, पहाड़ों में होने वाली
साहसिक गतिविधियों के लिए भी जाना जाता है, यहां कई साहसिक गतिविधियों जैसे
- पर्वतारोहण, माउंटेन बाइकिंग, नदी राफ्टिंग, ट्रैकिंग,जॉरविंग और
पैराग्लाइडिंग आदि होतीं हैं। पास में रोहतांग दर्रा, देव डिव्वा बेस
कैंप, पिन नार्वती पास, बाल झील आदि हैं जहां पर्यटक गर्मियों के दौरान समर
ट्रेनिंग के आते हैं। मनाली में माउंटेन बाइकिंग का अपना ही मज़ा है।
दुर्गम पहाड़ों पर संतुलन बनाते हुए बाइक चलाना अपने आप में एक रोमांचकारी
अनुभव होता है। यहां बाइकिंग करने का अच्छा और उचित समय सितम्बर के महीने
में होता है। इस दौरान सड़को पर बर्फ जमा नहीं होती है और गाड़ी फिसलने का
डर भी नहीं रहता है।
सड़क, रेल और हवाई मार्ग की दृष्टि से यह शहर सभी प्रकार के यातायात के
साधनों से संपन्न है। पर्यटक यहाँ हवाई यात्रा, रेल यात्रा या सड़क यात्रा
करते हुए आ सकते हैं। यहां का भुटार एयरपोर्ट मनाली से 50 किमी. की दूरी पर
स्थित है। विदेशों से आने वाले पर्यटक दिल्ली के रास्ते से आ सकते हैं।
दिल्ली से मनाली के लिए भी उड़ान भरी जाती है। अन्य साधनों से भी दिल्ली
से मनाली तक आया जा सकता है। मनाली का नजदीकी रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर
है जो शहर से 165 किमी. की दूरी पर स्थित है। यहां से देश के बड़े-बड़े
शहरों जैसे - चंडीगढ़, शिमला, नई दिल्ली और पठानकोट के लिए ट्रेन मिल जाती
हैं।
राज्य में आने वाले पर्यटकों के लिए घूमने और भ्रमण के लिए राज्य सरकार व
हिमाचल प्रदेश पर्यटन विभाग द्वारा कई बसें चलाई गई हैं। जो राज्य के
अंदर ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों के शहरों में भी जाती हैं। मनाली का मौसम
साल भर काफी सुखद रहता है लेकिन पर्यटक यहां मार्च से जून के दौरान आना
ज्यादा पसंद करते है।
पर्दाफाश डॉट कॉम से साभार