...इसलिए धनतेरस को करते हैं दीपदान

कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को धनतेरस का पर्व मनाया जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन किए जाने का विधान है। धनतेरस पर यमराज के निमित्त व्रत भी रखा जाता है। इस दिन सायंकाल घर के बाहर मुख्य दरवाजे पर एक पात्र में अन्न रखकर उसके ऊपर यमराज के निर्मित्त दक्षिण की ओर मुंह करके दीपदान करते हैं|

आज हम आपको बताते हैं आखिर क्यों हम करते हैं यमराज को दीपदान| एक बार की बात है, भगवान विष्णु माता लक्ष्मीजी सहित पृथ्वी पर घूमने आए। कुछ देर बाद भगवान विष्णु लक्ष्मीजी से बोले कि मैं दक्षिण दिशा की ओर जा रहा हूं। तुम यहीं ठहरो। परंतु लक्ष्मीजी भी विष्णुजी के पीछे चल दीं। कुछ दूर चलने पर ईख (गन्ने) का खेत मिला। लक्ष्मीजी एक गन्ना तोड़कर चूसने लगीं। भगवान लौटे तो उन्होंने लक्ष्मीजी को गन्ना चूसते हुए पाया। इस पर वह क्रोधित हो उठे। उन्होंने श्राप दे दिया कि तुम जिस किसान का यह खेत है उसके यहां पर 12 वर्ष तक उसकी सेवा करो।

विष्णु भगवान क्षीर सागर लौट गए तथा लक्ष्मीजी ने किसान के यहां रहकर उसे धन-धान्य से पूर्ण कर दिया। 12वर्ष के बाद लक्ष्मीजी भगवान विष्णु के पास जाने के लिए तैयार हो गईं परंतु किसान ने उन्हें जाने नहीं दिया। भगवान विष्णुजी लक्ष्मीजी को बुलाने आए परंतु किसान ने उन्हें रोक लिया। तब भगवान विष्णु बोले कि तुम परिवार सहित गंगा स्नान करने जाओ और इन कौड़ियों को भी गंगाजल में छोड़ देना तब तक मैं यहीं रहूंगा। किसान ने ऐसा ही किया। गंगाजी में कौडि़यां डालते ही चार हाथ बाहर निकले और कौडि़यां लेकर चलने को तैयार हुए। ऐसा आश्चर्य देखकर किसान ने गंगाजी से पूछा कि ये चार हाथ किसके हैं। गंगाजी ने किसान को बताया कि ये चारों हाथ मेरे ही थे। तुमने जो मुझे कौडि़यां भेंट की हैं। वे तुम्हें किसने दी हैं।

किसान बोला कि मेरे घर पर एक स्त्री और पुरुष आए हैं। तभी गंगाजी बोलीं कि वे देवी लक्ष्मीजी और भगवान विष्णु हैं। तुम लक्ष्मीजी को मत जाने देना। वरना दोबारा निर्धन हो जाओगे। किसान ने घर लौटने पर देवी लक्ष्मीजी को नहीं जाने दिया। तब भगवान ने किसान को समझाया कि मेरे श्राप के कारण लक्ष्मीजी तुम्हारे यहां 12 वर्ष से तुम्हारी सेवा कर रही हैं। फिर लक्ष्मीजी चंचल हैं। इन्हें बड़े-बड़े नहीं रोक सके। तुम हठ मत करो। फिर लक्ष्मीजी बोलीं हे किसान यदि तुम मुझे रोकना चाहते हो तो कल धनतेरस है। तुम अपने घर को साफ-सुथरा रखना। रात में घी का दीपक जलाकर रखना। मैं तुम्हारे घर आउंगी। तुम उस वक्त मेरी पूजा करना। परंतु मैं अदृश्य रहूंगी। किसान ने देवी लक्ष्मीजी की बात मान ली और लक्ष्मीजी द्वारा बताई विधि से पूजा की। उसका घर धन से भर गया।

इस प्रकार किसान प्रति वर्ष लक्ष्मीजी को पूजने लगा तथा अन्य लोग भी देवी लक्ष्मीजी का पूजन करने लगे। इस दिन घर के टूटे-फूटे पुराने बर्तनों के बदले नये बर्तन खरीदे जाते हैं। इस दिन चांदी के बर्तन खरीदना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इन्हीं बर्तनों में भगवान गणेश और देवी लक्ष्मीजी की मूर्तियों को रखकर पूजा की जाती है। इस दिन लक्ष्मीजी की पूजा करते समय 'यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धन-धान्य अधिपतये धन-धान्य समृद्ध में देहि दापय स्वाहा' का स्मरण करके फूल चढ़ाये। इसके पश्चात कपूर से आरती करें। इस समय देवी लक्ष्मीजी, भगवान गणेशजी और जगदीश भगवान की आरती करे। धनतेरस के ही दिन देवता यमराज की भी पूजा होती है।

यम के लिए आटे का दीपक बनाकर घर के मुख्य द्वार पर रखा जाता है। रात्रि में महिलाएं दीपक में तेल डालकर चार बत्तियां जलाती हैं। जल, रोली, चावल, गुड़ और फूल आदि मिठाई सहित दीपक जलाकर पूजा की जाती है। यम दीपदान को धनतेरस की शाम में तिल के तेल से युक्त दीपक प्रज्वलित करें। इसके पश्चात गंध, पुष्प, अक्षत से पूजन कर दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके यम से निम्न प्रार्थना करें। मृत्युना दंडपाशाभ्याम्घ्कालेन यामया सह।

त्रयोदश्यां दीपदानात्घ्सूर्यज: प्रयतां मम। अब उन दीपकों से यम की प्रसन्नतार्थ सार्वजनिक स्थलों को प्रकाशित करें। इसी प्रकार एक अखंड दीपक घर के प्रमुख द्वार की देहरी पर किसी प्रकार का अन्न (साबुत गेहूं या चावल आदि)बिछाकर उस पर रखें।

देवता यमराज के लिये भी एक लोकप्रिय कथा है। एक बार यमदूतों ने यमराज को बताया कि महाराज अकाल मृत्यु से हमारे मन भी पसीज जाते हैं। यमराज ने द्रवित होकर कहा कि क्या किया जाए विधि के विधान की मर्यादा हेतु हमें ऐसा अप्रिय कार्य करना ही पड़ता है। यमराज ने अकाल मृत्यु से बचाव के उपाय बताते हुए कहा कि धनतेरस के दिन पूजन एवं दीपदान को विधिपूर्वक करने से अकाल मृत्यु से छुटकारा मिल जाता है। जहां-जहां और जिस-जिस घर में यह पूजन होता है वहां अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। इसी घटना से धनतेरस के दिन धनवंतरि पूजन सहित यमराज को दीपदान की प्रथा का भी प्रचलन हुआ।

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खौफ के साये में रही बच्चियां!

हर रोज एक बच्ची अपना बचपन खो रही थी, हर दिन किसी न किसी बच्ची की अस्मत लूटी जा रही थी। कुछ बदकिस्मत बच्चियां बार-बार किसी हैवान की हैवानियत का शिकार हो रही थीं। दर्द पूछने वाला कोई नहीं था, कहती भी तो किससे? अपने उस गुरु से जो 'सेक्स एजुकेशन' के नाम पर उनके साथ यह घिनौना काम कर रहा था या उन चौकीदारों से जो उनके शरीर से खेल रहे थे। न जाने खौफ के किस भयानक साये में रहती रही होंगी वे बच्चियां!

एक बार, दो बार ऐसा करने के बाद उनकी हिम्मत बढ़ी। आश्रम के चौकीदार और अन्य लोगों को विश्वास में लिया। बदले में उन्होंने भी 'सेक्स एजुकेशन' का घिनौना खेल शुरू किया। जिसमें आश्रम की इंचार्ज ने उनका पूरा साथ दिया। उन सभी को लग रहा था कि गांव की डरी हुई बच्चियां हैं, कभी कुछ कहेंगी नहीं और इनका मतलब निकलता रहेगा।

इस धृणित अपराध में गांव के स्कूल का शिक्षाकर्मी भी शामिल था। कभी बारिश के बहाने तो नासाज तबियत के बहाने वह आश्रम में अक्सर रुक जाता था और आश्रम की बच्चियों को अपनी हवस का शिकार बनाता था। उन्हें डरा धमका कर मुंह न खोलने की हिदायत तो देता ही था, यह भी कहता था कि यह सब सेक्स एजुकेशन का हिस्सा है। जो सबको करना पड़ता है।

शिक्षा कर्मी और अन्य लोगों द्वारा कांकेर के झलियामारी आश्रम में रहने वाली 13 नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म के मामले ने देश ही नहीं पूरी दुनिया को सकते में ला दिया था। दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म के बाद सामने आये इस मामले ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। कांकेर के डीजे कोर्ट ने इस मामले में 8 लोगों को आरोपी करार दिया है जिन पर अंतिम फैसला आज कांकेर जिला अदालत ने सुनाया। कोर्ट ने इस मामले में मन्नूलाल गोटा और दीनानाथ नागेश को प्रमुख और छह अन्य लोगों को सहयोगी दोषी करार दिया।

कई नेता, मीडिया चैनल्स, अध्यात्म गुरु मामले का जायजा लेने झलियामारी पहुंचे थे। इसके साथ ही राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप का दौर भी शुरू हो गया था। राज्य सरकार पर मामले को दबाने का आरोप भी लगाया गया। कांकेर शहर से 20 किलोमीटर दूर एक छोटा-सा गांव है झलियामारी। यहां छत्तीसगढ़ आदिमजाति कल्याण विभाग द्वारा छात्राओं के लिए एक आश्रम संचालित किया जा रहा था। यह आश्रम एक कच्चे मकान में बिना चारदीवारी, बिना पेयजल सुविधा, बिना किसी सुरक्षा के संचालित किया जा रहा था। 

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सोने की खोज: 'एस-5 के फेर में अंधविश्वासी बना देश!

इसे अंधविश्वास की जकड़न ही कहेंगे कि 'शोभन-सपना-सोना-संप्रग-सोनिया जैसे पांच 'एस अक्षर से शुरू होने वाले नामों यानि 'एस-5 पर विश्वास कर उन्नाव के डौंडि़याखेड़ा किले से सोने का कथित 'महाखजाना मिलने की आस में समूचा देश 'अंधविश्वासी बन गया और वहां एक टका सोना हाथ नहीं लगा।

पूरे देश को मालूम है कि बक्सर आश्रम के संत शोभन सरकार को उन्नाव के डौंडि़याखेड़ा के राजा राव रामबक्श सिंह के 155 साल से वीरान और खंड़हर हो गए किले में एक हजार टन सोना दबा होने का सपना आया था, इस सपने को सच मान कर केन्द्रीय मंत्री चरणदास महंत ने केन्द्र की संप्रग सरकार के कैबिनेट के कर्इ मंत्रियों के अलावा सोनिया गांधी व राहुल गांधी तक न सिर्फ पहुंचाया, बलिक प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) को पत्राचार तक किया था। मंत्री पर भरोसा करना लाजमी भी है, इसी से पीएमओ ने आनन-फानन में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआर्इ) को निर्देश दिया और उसने भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (जीएसआर्इ) से सर्वे कराया तो जीएसआर्इ ने भी अपनी रिपोर्ट में किले के नीचे 'धातु दबी होने की पुषिट कर दी, जिससे महाखजाना की संभावना प्रबल हो गर्इ। फिर क्या था, इस वीरान किले में भारी पुलिस बल की मौजूदगी में एएसआर्इ व जीएसआर्इ के अधिकारियों की टीम द्वारा ग्यारह दिन चली खुदार्इ में न तो सोना हाथ लगा और न कोर्इ धातु या पुरातत्व महत्व की वस्तु ही मिल पार्इ, लाखों रुपये खर्च होने के बाद जग हंसार्इ अलग हुर्इ। अब तो सभी यह कहने लगे हैं कि 'शोभन-सपना-सोना-संप्रग-सोनिया यानि 'एस-5 के अजीब मिलन ने इस देश को ही नहीं, बलिक विज्ञान को भी सपने पर यकीन करने के लिए मजबूर कर दिया।

सनद रहे, संत शोभन सरकार के सहयोगी बाबा ओमजी महराज ने कर्इ बार यह दावा कर चुके थे कि '15 फुट की गहरार्इ में सोना है। उन्होंने यह भी कहा था कि 'सोना न मिले तो सरकार मेरा सिर कलम करवा दे। अब तब 11 दिन में 4.90 मीटर (लगभग 15 फुट) गहरार्इ तक खुदार्इ हुर्इ और कुछ न मिला तो वह अपने दावे से पलटते हुए कह दिये कि 'सोना न निकला तो सरकार को नुकसान नहीं होगा। मंगलवार की खुदार्इ तक जब सोना या अन्य कोर्इ धातु नहीं मिली तो एएसआर्इ के अधिकारी एस.बी. शुक्ल कहते हैं कि 'जीएसआर्इ की रिपोर्ट के आधार पर एएसआर्इ ने खुदार्इ शुरू की थी। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या एएसआर्इ व जीएएसआर्इ जैसी एजेंसिया भी विज्ञान पर नहीं, सपने (अंधविश्वास) पर ज्यादा भरोसा करती हैं? चूंकि सोना न मिलने की दशा में जीएसआर्इ की रिपोर्ट के अनुसार कोर्इ 'धातु का मिलना जरूरी था।

किले की खुदार्इ में सोना नहीं मिला, फिर भी डौंडि़याखेड़ा गांव के कुछ बुजुर्ग संत शोभन सरकार के सपने को अब भी सच मान रहे हैं, बुजुर्ग सरवन का कहना है कि 'खुदार्इ की गति बहुत धीमी थी, 'शोभन सरकार ने पहले ही कह दिया था कि समय से खुदार्इ न की गर्इ तो सोना 'राख हो जाएगा। स्नातक की शिक्षा ग्रहण कर रहे इस गांव के युवक राजेन्द्र सिंह का कहना है कि 'यह पहले से ही तय था कि सोना नहीं मिलेगा, सिर्फ अंधविश्वास फैलाया गया है। सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश रैकवार का कहना है कि 'संत शोभन के सपने के आधार पर केन्द्र सरकार ने अंधविश्वास को बढ़ावा दिया है, इसके जिम्मेदारों के खिलाफ वैधानिक कार्रवार्इ होनी चाहिए। उत्तर प्रदेश की विधानसभा में बसपा विधायक दल के उपनेता और बांदा की नरैनी सीट से विधायक गयाचरण दिनकर कहते हैं कि 'शोभन-सपना-सोना-संप्रग-सोनिया (एस-5) के अजीब मिलन ने देश में अंधविश्वास फैलाने का निकृष्टतम कार्य किया है। वह कहते हैं कि 'संत के सपने को केन्द्र सरकार तक पहुंचाने वाले मंत्री चरणदास महंत के खिलाफ विधि संगत कार्रवार्इ अमल में लार्इ जानी चाहिए।

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जदयू के चिंतन शिविर में नमो-नमो!

बिहार के नालंदा जिले स्थित प्रसिद्ध पर्यटन स्थल राजगीर में आयोजित जनता दल-युनाइटेड (जदयू) के दो दिवसीय चिंतन शिविर के दूसरे दिन मंगलवार को गुजरात के मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद प्रत्याशी नरेंद्र मोदी (नमो) का नाम बार-बार लिया गया।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को रैली के दौरान नमो द्वारा किए गए शाब्दिक प्रहार पर पलटवार किया तो वहीं जदयू के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने नमो की तारीफ भी कर दी। इस दौरान हालांकि जदयू के कुछ कार्यकर्ताओं ने शिवानंद के विरोध में नारे लगाए।

शिवानंद ने मोदी की तारीफ करते हुए कहा, "मोदी ने मेहनत की बदौलत जो मुकाम हासिल किया है, उसकी मैं तारीफ करता हूं। मैं मोदी की विचारधारा का नहीं, बल्कि उनकी मेहनत का कायल हूं। वे एक पिछड़े परिवार में पैदा होकर कड़ी मेहनत कर आज इस मुकाम पर पहुंचे हैं।" उन्होंने आगे कहा, "जहां तक मोदी की विचारधारा का प्रश्न है, तो यह हमलोगों के लिए एक चुनौती है।"

शिवानंद यहीं नहीं रुके, उन्होंने एक ओर जहां मोदी की तारीफ की, वहीं नमो के धुर विरोधी माने जाने वाले अपने ही नेता और बिहार के मुख्यमंत्री का खुला विरोध कर डाला। उन्होंने स्पष्ट कहा, "उनके नेतृत्व में पार्टी के अंदर कोई नया नेता पैदा नहीं हुआ है क्योंकि वे जमीनी नेता नहीं हैं।"

नीतीश भी पार्टी के चिंतन शिविर में नमो पर ही भाषण देते रहे। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों को लेकर नमो की आलोचना की तो कई मुद्दों पर उनकी खिल्ली भी उड़ाई। उन्होंने नमो को 'झूठा कथावाचक' बताते हुए उन्हें नसीहत दी की कि प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार को धैर्यवान होना चाहिए।

नीतीश ने कहा, "प्रधानमंत्री पद पाने के लिए उनमें उतावलापन दिखता है पर देश के सबसे बड़े पद पर बैठने वाले शख्स को ऐसा नहीं होना चाहिए।" नीतीश ने नमो पर पलटवार करते हुए उनके द्वारा रैली के दौरान दिए गए भाषण में कई तथ्यात्मक भूल का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने तो बिहार का इतिहास ही बदल दिया। उन्होंने रैली के नाम पर प्रश्न उठाते हुए कहा कि हुंकार का मतलब ही घमंड के साथ जोर से बोलना होता है।

नीतीश ने भाजपा पर विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि गैर कांग्रेसवाद को भाजपा ने गठबंधन तोड़कर कमजोर कर दिया है। मुख्यमंत्री ने भाजपा पर न केवल सांप्रदायिक होने का आरोप लगाया बल्कि नमो के भाषण को फासीवाद का भाषण बताया। उन्होंने कहा कि क्या लोकतंत्र में चुन-चुनकर साफ करने की बात होती है? उल्लेखनीय है कि नमो ने पटना के गांधी मैदान में हुंकार रैली के दौरान नीतीश पर जमकर हमला किया था।
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'संतों पर अत्याचार' को भुनाने का प्रयास, भाजपा ने पल्ला झाड़ा

उत्तर प्रदेश के बहराइच जिले में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की रैलियों को सफल बनाने के लिए अब एक हिंदूवादी संगठन संतों पर हुए अत्याचार को भुनाने में जुट गया है। बहराइच में कई जगहों पर लगी होर्डिग इस बात की ओर इशारा करती है कि हिंदूवादी संगठन संतों को भुनाने की तैयारी में लगे हुए हैं। इस बीच भाजपा ने इस होर्डिग से अपना पल्ला झाड़ लिया है ।

उप्र में मोदी की रैली 8 नवंबर को बहराइच में होने वाली है। रैली में मात्र कुछ दिन शेष बचे हुए हैं। एक तरफ जहां भाजपा के कार्यकर्ता तैयारियों में जुटे हुए हैं, वही दूसरी तरफ संस्कृति रक्षक दल नामक संगठन ने सुब्रमण्यम स्वामी को निवेदक दिखाते हुए पूरे शहर में करीब 8 से 10 जगहों पर यह विवादित होर्डिग लगवाई गई है।

होर्डिग में आसाराम बापू को केंद्रित करते हुए धर्म विशेष के संतों को लगातार फर्जी मामलों में फंसाने का आरोप दर्शाया गया है। धर्म विशेष के लोगों की भवानाओं को भड़काने की कोशिश की गई है। इन सभी होर्डिग में कभी जनता पार्टी के अध्यक्ष रहे और अब भाजपा में शामिल सुब्रमण्यम स्वामी को निवेदक के तौर पर दर्शाया गया है। 

यह होर्डिग शहर में सिद्धनाथ मंदिर, ब्राह्मणीपुरा और खासतौर से हिंदू बहुल मोहल्लों में लगाया गया है। होर्डिग में आसाराम बापू, रामदेव और साध्वी प्रज्ञा ठाकुर सहित कई संतों का चित्र दर्शाया गया है। होर्डिग पर लिखा गया है-'हिंदू संतों का अपमान क्या सहता रहेगा हिंदुस्तान'। 

मोदी की रैली के लिए भाजपा के कार्यकर्ता तैयारी में दिन-रात एक किए हुए हैं। भाजपा के कार्यकर्ताओं द्वारा लोगों को रैली में आने के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। ऐसा माना जा रहा है कि लोगों को रैली स्थल तक लाने के लिए ही इस होर्डिग को शहर में कई जगहों पर लगवाया गया है।

प्रशासन की ओर से लगातार मोदी की सभास्थल का निरीक्षण किया जा रहा है। लेकिन शोचनीय बात यह है कि मोदी की रैली को लेकर जहां प्रशासन एक तरफ शख्त है तो वहीं दूसरी तरफ शहरों में विभिन्न जगह लगी विवादित होर्डिग से अनजान है। 

इस समय जनपद बहराइच में जिलाधिकारी द्वारा धारा 144 लागू किया गया है, जिसमें ऐसी विवादित होर्डिग नहीं लगाई जा सकती। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि मोदी की रैली को लेकर एक तरफ प्रशासन जहां पसीना बहा रहा है, वहीं दूसरी ओर विवादित होर्डिग से जिला प्रशासन के आला अधिकारी अंजान क्यों बने हुए हैं।

होर्डिग को लेकर सुब्रमण्यम स्वामी ने आईएएनएस से बातचीत के दौरान इस बात से साफतौर पर कहा कि संस्कृति रक्षक दल से उनका कोई लेना-देना नहीं है। उनके बयान को गलत तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है। 

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने कहा कि इस होर्डिग से भाजपा का कोई लेनादेना नहीं है। इसे किसी व्यक्तिगत संगठन की ओर से लगाया गया है और इससे भाजपा का कोई लेनादेना नहीं है।

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यहां 'जिन्नात' ने दिया था खजाने का सपना!

बुद्धजीवी वर्ग सपने को अंधविश्वास मानकर भले ही नकार रहा हो लेकिन बुंदेलखंड के बुजुर्ग इससे इत्तेफाक नहीं रखते। वह उन्नाव जिले के डौंड़ियाखेड़ा किले में सोने के खजाने का सपना सच मान रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि बांदा जिले के गौर-शिवपुर गांव में एक मुस्लिम परिवार को जमीन में खजाना होने का सपना 'जिन्नात' ने दिया था और वह मिला भी, लेकिन उस खजाने की रखवाली जिन्नात सांप बनकर अब भी कर रहा है।

उन्नाव जिले के डौंड़ियाखेड़ा किले में सपने को सच मानकर कथित सोने के खजाने की खोज के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) पिछले 18 अक्टूबर से खुदाई करवा रहा है। बुद्धजीवी वर्ग सपने को सिर्फ सपना मानता है, लेकिन बुंदेलखंड के बुजुर्ग इन सपनों को सच मानते हैं। हमारे संवाददाता ने बुजुर्गों से इस बारे में जानना चाहा तो बड़े रोचक तथ्य उभर कर सामने आए। इस संवाददाता ने बांदा जिले के गौर-शिवपुरा गांव का दौरा किया, जहां जिन्नात द्वारा करीब 35 साल पहले एक मुस्लिम परिवार को सोने के खजाने की बात सपने में बताई थी।

यहां चुपचाप खुदाई हुई और सोने-चांदी के ढेर सारे सिक्के मिले हैं। परन्तु अब तक यह कुनबा एक भी सिक्का खर्च नहीं कर सका है। बताया जा रहा है कि जब भी इस्तेमाल करने की सोची तो काला नाग बनकर हिफाजत करने वाला जिन्नात गृहस्वामी को डस लेता है, अब तक वह उसे 48 बार डस चुका है। इस परिवार के मुखिया ने नाम का खुलासा न करने की शर्त बताया कि करीब 35 साल पहले उसकी दादी को एक जिन्नात ने सपने में बताया कि केन नदी के किनारे खंडहरनुमा जानवर बाड़े में खजाना गड़ा है। खुदाई की गई तो वहां करीब दो किलोग्राम सोने और 20 किलोग्राम चांदी के सिक्के मिले थे, जो अब भी उनके पास मौजूद हैं। 

इस व्यक्ति ने बताया कि इस धन की हर साल पूजा-अर्चना तो कर रहे हैं, लेकिन जब भी उसे खर्च करने के बारे में सोचा जाता है, काला नाग डस लेता है। उसने बताया कि अब तक यह काला नाग उसे 48 बार डस चुका है। इसी गांव के साकिर ने बताया कि जमीन में गड़े धन की जानकारी यहां हर किसी को है, लेकिन जब खर्च नहीं कर सकते तो वह मिट्टी के बराबर है। उन्नाव जिले के डौंड़ियाखेड़ा किले में सोने के खजाने से संबंधित सपने को भी यहां के बुजुर्ग सच मान रहे हैं। बुजुर्गों को उम्मीद है कि संत शोभन सरकार का सपना सच होगा और वहां सोने का खजाना जरूर मिलेगा।

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जानिए तीनों देवताओं में भगवान विष्णु ही सर्वश्रेष्ठ क्यों..?

हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार, इस सम्पूर्ण सृष्टि का पालन पोषण और संचालन का जिम्मा तीन देवताओं पर हैं यह हम सभी जानते हैं| ब्रह्मदेव को जगत का रचनाकार, भगवान विष्णु को पालनकर्ता और भगवान शिव को संहारकर्ता माना गया है। तीनों ही देव सर्वशक्तिमान और परम पूज्यनीय हैं। कई युगों पहले ऋषि मुनियों में त्रिदेव को लेकर यह जिज्ञासा हुई कि इन तीनों देवताओं में सर्वश्रेष्ठ कौन है?

इस प्रश्न का उत्तर खोजने के लिए सभी ऋषि-मुनियों ने महर्षि भृगु से निवेदन किया। महर्षि भृगु परम तपस्वी और तीनों देवों के प्रिय थे। अब इस प्रश्न का उत्तर जाने के लिए सभी ऋषि मुनि बिना आज्ञा के ही ब्रम्हा जी के पास पहुँच गए| इस तरह अचानक आए महर्षि भृगु को देख ब्रह्मा क्रोधित हो गए। इसके बाद महर्षि भृगु इसी तरह शिवजी के सम्मुख जा पहुंचे और वहां भी उन्हें शिवजी द्वारा अपमानित होना पड़ा। अब भृगु भी क्रोधित हो गए और इसी क्रोध में वे भगवान विष्णु के सम्मुख जा पहुंचे। उस समय भगवान विष्णु शेषनाग पर सो रहे थे। महर्षि भृगु के आने का उन्हें ध्यान ही नहीं रहा और वे महर्षि के सम्मान में खड़े नहीं हुए। अतिक्रोधित स्वभाव वाले भृगु ने इसे अपना अपमान समझा और क्रोध से विष्णु की छाती पर लात मार दी। 

इस प्रकार जगाए जाने पर भी विष्णु ने धैर्य रखा और तुरंत ही महर्षि भृगु के सम्मान में खड़े होकर उन्हें प्रणाम किया। भगवान विष्णु ने विनयपूर्वक कहा कि मेरा शरीर वज्र के समान कठोर है, अत: आपके पैर पर चोट तो नहीं लगी? औरे उन्होंने महर्षि के पैर पकड़ लिए और सहलाने लगे। विष्णु की इस महानता से महर्षि भृगु अति प्रसन्न हुए। भगवान विष्णु के इस धैर्य और सम्मान के भाव से प्रसन्न महर्षि ने उन्हें तीनों देवों में सर्वश्रेष्ठ घोषित किया।
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बस्तर में बागियों ने बिगाड़ा भाजपा-कांग्रेस का खेल

छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर संभाग में कांग्रेस और भाजपा में बगावत के सुर फूटने लगे हैं। इसके चलते यहां चुनावी फिजा बदलने-सी लगी है। हर विधानसभा क्षेत्रों में दूसरे दलों में घुसपैठ, तोड़-फोड़ और क्षेत्रीय क्षत्रपों को अपने पाले में खींचने की भारी कसरत शुरू है। कई पूर्व मंत्री, विधायक बागियों की कतार में खड़े दिखाई दे रहे हैं। इस उठापटक के कारण यहां दोनों दलों के बने-बनाए समीकरण बिगड़ने लगे हैं।

अभी नामांकन का दौर पूरा ही हुआ है। ज्यादातर विधानसभा क्षेत्रों में बागियों की बगावत तेज हो गई है। राजनीतिक दल रूठे नेताओं, कार्यकताओं को मनाने में जुट गए हैं। इसके कारण उम्मीदवार ठीक से प्रचार करने क्षेत्रों में नहीं जा पा रहे हैं। शहरों-कस्बों में इक्का-दुक्का पोस्टर ही लगे हैं। गांवों में कोई सरगर्मी नहीं है। सुरक्षा बल के जवान शहरों से लेकर गांवों तक नजर आ रहे हैं। नक्सलियों के चुनाव बहिष्कार संबंधी कुछ बैनर-पोस्टर अंदर जंगलों में जरूर दिख जाते हैं।

प्रदेश के मंत्री विक्रम उसेंडी के सामने कांग्रेस से मंतूराम पवार चुनाव मैदान में हैं। लेकिन भाजपा के जिला महामंत्री भोजराज नाग ने विद्रोही तेवर अख्तियार कर लिया है। काफी मान-मनव्वल के बावजूद भोजराज नहीं मान रहे हैं। उनकी नाराजगी मंतूराम की राह आसान करेगी।

भानुप्रतापपुर में भी भाजपाइयों में ही ज्यादा घमासान देखा जा रहा है। भाजपा ने यहां से वर्तमान विधायक ब्रह्मानंद नेताम का टिकट काटकर सतीश लाटिया को उम्मीदवार बनाया है। अब अनधिकृत उम्मीदवार के रूप में ब्रह्मानंद का नाद लाटिया को परेशान कर रहा है। कांग्रेस के मनोज मंडावी इसका पूरा फायदा उठाने की कोशिश में है।

कांकेर : कांग्रेस से आए कोड़ोपी पर अपनों का कोप :

इस महत्वपूर्ण सीट पर भाजपा ने सुमित्रा मारकोले का टिकट काटा और संजय कोड़ोपी को प्रत्याशी बनाया है। वह हाल ही में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए हैं। इसलिए स्थानीय कार्यकताओं में ज्यादा नाराजगी है। पूर्व मंत्री अघन सिंह भी अपने तेवर दिखा रहे हैं। यहां के मतदाताओं का मिजाज उलटफेर करने का रहा है। कांग्रेस से शंकर ध्रुवा को टिकट दिया गया है। वह भी यहां उलटफेर के लिए हाथ-पांव मार रही है।

केसकाल : खाकी वाले खादी की दौड़ में

यहां भाजपा और कांग्रेस में सतह पर तो गुटबाजी नजर नहीं आती। पर भीतरघात की संभावना दोनों दलों में बनी हुई है। दोनों तरफ से परफॉरमेंस को लेकर जंग शुरू है। यहां पुलिस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए संतराम कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। कांग्रेस के पूर्व मंडी अध्यक्ष धनीराम मरकाम भी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं।

चित्रकोट : परिणाम प्रभावित कर सकते हैं लच्छूराम

यहां की आबो हवा और जलप्रपात लोगों को सहसा अपनी तरफ आकर्षित करती है। पर इस बार सबकी निगाहें भाजपा के पूर्व विधायक लच्छूराम कश्यप पर हैं। वह परिणाम को प्रभावित कर सकते हैं। कांग्रेस के दीपक बैज की स्थिति भी उतनी ठीक नहीं जितना कांग्रेसी बताते हैं। भाकपा के सोनाधर नाग की सक्रियता को भी यहां कम नहीं आंका जा सकता। त्रिकोणीय संघर्ष की संभावना है।

दंतेवाड़ा : भीमा को देवती से भय

बस्तर टाइगर के इस इलाके में इस बार मुकाबला त्रिकोणीय होगा, ऐसे संकेत मिल रहे हैं। विरोधों के बावजूद भाजपा के भीमा मंडावी अभियान में जुटे हैं। दिवंगत महेंद्र कर्मा की पत्नी कांग्रेस की देवती कर्मा परंपरागत वोट साधने में जुटी हैं। भाकपा भी यहां हाथ पैर मार रही है। भाकपा के बोमड़ाराम कवासी के लिए पूरा जोर लगाया जा रहा है।

बीजापुर : सभी को है बगावत का डर

वैसे तो यहां भाजपा, कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला दिख रहा है। यहां कांग्रेस से विक्रम शाह मंडावी हैं। पर कई लोग बगावत पर उतारू हैं। जिला पंचायत अध्यक्ष नीना रावतिया यहां मिच्चा मुतैया व अन्य बागियों के दम पर निर्दलीय के रूप में मैदान में हैं। भाजपा के महेश गागड़ा के लिए यह राहत की बात है।

कोंटा : भाकपा की प्रभावी मौजूदगी रोचक

छत्तीसगढ़ की सम्भवत: यह पहली सीट होगी जिसे भाजपा, कांग्रेस दोनों ही अपने खाते में परिणाम आने तक नहीं जोड़ेंगे। यहां पर अभी से त्रिकोणीय घमासान के आसार हैं। भाकपा के मनीष कुंजाम की प्रभावी मौजूदगी है। वह यहां के अंदरूनी इलाकों में पकड़ बना चुके हैं। यहां से खाता खोलने के लिए भाजपा की जमुना मांझी और मौसम मुत्ती दांवपेंच लगा रही हैं। कांग्रेस के वत्र्तमान विधायक कवासी लखमा के लिए फिलहाल कठिनाई है। नक्सल हमलों के बाद यहां के राजनीतिक हालात जुदा-जुदा हैं।

कोंडागांव : पिता-पुत्र ने किया नाक में दम

इस विधानसभा क्षेत्र से रमन सरकार की एकमात्र महिला मंत्री चुनाव मैदान में हैं। मंत्री लता उसेंडी और कांग्रेस से मोहन मरकाम के बीच सीधा मुकाबला है। लेकिन वरिष्ठ कांग्रेसी मानकूराम सोढ़ी और उनके पुत्र पूर्व मंत्री शंकर का विद्रोह कांग्रेस को परेशान कर सकता है। बागी अकेले कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएंगे, ऐसा नहीं कहा जा सकता। भाजपाइयों में भी कुछ बगावती सुर देखने को मिले हैं।

नारायणपुर : पुराने के मुकाबले नए चेहरा पर दांव

बस्तर का यह क्षेत्र आज भी बलिराम कश्यप को नहीं भूला है। केदार कश्यप उनके बाद ही याद आते हैं। केदार के वोट बैंक में भानपुरी क्षेत्र के चंदन कश्यप सेंधमारी कर सकते हैं। कांग्रेस में गुटबाजी फिलहाल नहीं दिख रही। इस लिहाज से मुकाबला ठीक-ठाक है। पर मंत्री और नए चेहरे की राजनीतिक लड़ाई क्या गुल खिलाती हैं, यह वक्त बताएगा।

बस्तर : दोनों ही दलों में कलह

बस्तर में कांग्रेस के लखेश्वर बघेल का सियासी दांव-पेंच शुरू हो गया है। भाजपा से सुभाउ कश्यप भी तैयारी में हैं। कलह तो दोनों जगह है, समय रहते इस पर जो काबू कर सकेगा, वह अपने पक्ष में माहौल बना पाएगा।

जगदलपुर : संतोष के खिलाफ भाजपाइयों में असंतोष

बस्तर के एकमात्र शहरी क्षेत्र जगदलपुर से भाजपा ने संतोष बाफना को दोबारा टिकट दिया है। भाजपा का एक धड़ा काफी नाराज है। इस बात से बाफना भी अच्छी तरह वाकिफ हैं। कांग्रेस के बिलकुल नए चेहरे सामू कश्यप को भी पार्टी के पुराने लोग पचा नहीं पा रहे हैं। हालांकि वह दावा कर रहे हैं कि उनके खिलाफ कोई माहौल नहीं है। 

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गाय का आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व

भारतवर्ष में प्राचीन काल से ही गोधन को मुख्य धन मानते थे, और सभी प्रकार से गौ रक्षा और गौ सेवा, गौ पालन भी करते थे। शास्त्रों, वेदों, आर्ष ग्रथों में गौरक्षा, गौ महिमा, गौपालन आदि के प्रसंग भी अधिकाधिक मिलते हैं। रामायण, महाभारत, भगवतगीता में भी गाय का किसी न किसी रूप में उल्लेख मिलता है। गाय का जहाँ धार्मिक आध्यात्मिक महत्व है वहीं कभी प्राचीन काल में भारतवर्ष में गोधन एक परिवार, समाज के महत्वपूर्ण धनों में से एक है। आज के दौर में गायों को पालने और खिलाने पिलाने की परंपरा में लगातार कमी आ रही है। कभी हमारा देश पशुपालन में अग्रणी रहा है। देशवासियों की काफी जरूरतों को यही गौधन ही पूरा किया करता था। गाय से बछड़ा, बछड़ा से बैल, बैल से खेती की जरूरतें पूरी होती हैं। कृषि के लिए गाय का गोबर आज भी वरदान माना गया है। फिर भी गौ पालन, गौ संरक्षण आदि महत्वपूर्ण क्यों नहीं है? यह एक विचारणीय प्रश्न है।ं।

गाय का आध्यात्मिक महत्वः-

गाय का विश्व स्तर पर आध्यात्मिक महत्व है, ''गावो विश्वस्य मातरः''। नवग्रहों सूर्य, चंद्रमा, मंगल, राहु, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, केतु के साथ साथ वरूण, वायु आदि देवताओं को यज्ञ में दी हुई प्रत्येक आहुति गाय के घी से देने की परंपरा है, जिससे सूर्य की किरणों को विशेष ऊर्जा मिलती है। यही विशेष ऊर्जा वर्षा का कारण बनती है, और वर्षा से ही अन्न, पेड़-पौधों आदि को जीवन प्राप्त होता है। हिंदू धर्म में जितने धार्मिक कार्य, धार्मिक संस्कार होते हैं जैसे नामकरण, गर्भाधान, जन्म आदि सभी में गाय का दूध, गोबर, घी, आदि का ही प्रयोग किया जाता है जहां विवाह संस्कार आदि होते हैं वहां भी गोबर के लेप से शुद्धिकरण की क्रिया करते हैं। विवाह के समय गोदान का भी बहुत महत्व माना गया है। जनना शौच और मरणाशौच मिटाने के लिए भी गाय का गोबर और गौमूत्र का प्रयोग किया जाता है। इसकी धार्मिक वजह यह भी है कि गाय के गोबर में लक्ष्मी जी का और गोमूत्र में गंगा जी का निवास है।
वैतरणी पार करने के लिए गोदान की प्रथा आज भी हमारे समाज में मौजूद है, श्राद्ध कर्म में भी गाय के दूध की खीर का प्रयोग किया जाता है क्योंकि इसी खीर से पितरों की ज्यादा से ज्यादा तृप्ति होती है। पितर, देवता, मनुष्य आदि सभी को शारीरिक बल गाय के दूध और घी से ही मिलता है। गाय के शारीरिक अंगों में सभी देवताओं का निवास माना जाता है। गाय की छाया भी बेहद शुभ प्रद मानी गयी है। गाय के दर्शन मात्र से ही यात्रा की सफलता स्वतः सिद्ध हो जाती है। दूध पिलाती गाय का दर्शन तो बेहद शुभ माना जाता है।

गाय का ज्योतिषीय महत्वः-

1. नवग्रहों की शांति के संदर्भ में गाय की विशेष भूमिका होती है कहा तो यह भी जाता है कि गोदान से ही सभी अरिष्ट कट जाते हैं। शनि की दशा, अंतरदशा, और साढेसाती के समय काली गाय का दान मनुष्य को कष्ट मुक्त कर देता है।

2. मंगल के अरिष्ट होने पर लाल वर्ण की गाय की सेवा और निर्धन ब्राम्हण को गोदान मंगल के प्रभाव को क्षीण करता है।

3. बुध ग्रह की अशुभता निवारण हेतु गौवों को हरा चारा खिलाने से बुध की अशुभता नष्ट होती है।

4. गाय की सेवा, पूजा, आराधना, आदि से लक्ष्मी जी प्रसन्न होती हैं और भक्तों को सुखमय होने का वरदान भी देती हैं।

5. गाय की सेवा मानसिक शांति प्रदान करती है।

गाय से संबंधित धार्मिक वृत व उपवासः-

1. गोपद्वमव्रतः- सुख, सौभाग्य, संपत्ति, पुत्र, पौत्र, आदि के सुखों को देने वाला है।
2. गोवत्सद्वादशी व्रतः- इस व्रत से समस्त मनोकामनाऐं पूर्ण होती हैं।
3. गोवर्धन पूजाः- इस लोक के समस्त सुखों में वृद्धि के साथ मोक्ष की प्राप्ति होती है।
4. गोत्रि-रात्र व्रतः- पुत्र प्राप्ति, सुख भोग, और गोलोक की प्राप्ति होती है।
5. गोपाअष्टमीः- सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है।
6. पयोव्रतः- पुत्र की प्राप्ति की इच्छा रखने वाले दम्पत्तियों को संतान प्राप्ति होती है।

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दिवाली पर इन बातों का रखें विशेष ध्यान

हर साल भारतीय पंचांग के अनुसार कार्तिक मास की अमावस्या के दिन दीपावली के रूप में पूरे देश में बडी धूम-धाम से मनाया जाता हैं। इस वर्ष दिपावली, 3 नवंबर को मनाई जायेगी| दीपावली की रात्रि को महालक्ष्मी की कृपा जिस व्यक्ति या परिवार पर पड़ जाती है उसे कभी धन का अभाव नहीं होता है और उसके घर में हमेशा सुख-समृद्धि रहती है| दीपावली के शुभ अवसर पर महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिये कुछ पूजा-आराधना इस प्रकार से करनी चाहिये कि पूरे वर्ष धन-धान्य में वृद्धि होकर सुख-समृद्धि बनी रहे और निरन्तर मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहे।

दीपावली के दिन हर व्यक्ति अपने घर को सामर्थ्य के अनुसार खूब सजाना चाहता है ताकि धन की देवी माता लक्ष्मी उससे प्रसन्न होकर उसके घर में प्रवेश करें| लेकिन कई बार होता क्या है कि लोग घर को ज्यादा सुंदर बनाने के चक्कर में ऐसी गलतियां कर बैठते हैं कि वास्तु के विपरीत स्थितियां बन जाती हैं इसलिए घर को सजाते समय वास्तु का ध्यान भी जरूर रखें।

सबसे पहले यदि आप अपने घर में कबाड़ इकठ्ठा कर रहे हैं तो उसे फ़ौरन निकल दें क्योंकि ऐसा करने से दरिद्रता तो आती ही है साथ ही वास्तुदोष भी बढ़ता है| इसके अलावा यह भी ध्यान रहे कि घर सजा लेने से ही कुछ नहीं होता है घर व छत पर कहीं भी दीपवली के दिन कूड़ा इकठ्ठा न करें|

इसके अलावा जिन लोगों के घर का मुख्य द्वार दक्षिण दिशा की ओर है उन्हें मुख्य द्वार पर पिरामिड या लक्ष्मी गणेश की तस्वीर लगानी चाहिए। आपके घर का मुख्य द्वार पूर्व दिशा या उत्तर दिशा की ओर है तो उत्तर पू्र्व दिशा को विशेष रूप से सजाएं। इसके अलावा घर के खिड़की व दरवाजों पर पहले सरसों का तेल लगाएं उसके बाद उस पर स्वास्तिक बनायें और शुभ लाभ लिखें| 


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सोने से उठ रहा राजनीतिक धुआं!

उन्नाव जिले के एक गांव में स्थित पूर्ववर्ती राजा के किले के खंडहरों में दबे 1000 टन सोने की खोज में अभी तक कांच की कुछ टूटी हुई चूड़ियां, मिट्टी के बर्तन और चूल्हा ही मिल पाया है, लेकिन इस मुद्दे पर राजनीतिक पारा चरम पर पहुंच चुका है।

राजधानी लखनऊ से कोई 100 किलोमीटर दूर डौंडियाखेड़ा गांव में सोने की खोज जोरशोर से जारी है। खुदाई के काम की निगरानी कर रहे भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अधिकारियों ने अभी तक करीब सात फुट फीट तक ही खुदाई की है। अधिकारियों का कहना है कि क्षेत्र में ज्यादा कुछ नहीं मिलने वाला।

लेकिन इसे लेकर विवादों का सिलसिला चरम पर है। जनता दल-यूनाइटेड के अध्यक्ष शरद यादव ने सपने में सोने का खजाना देखने वाले साधु शोभन सरकार के चेले स्वामी ओमजी के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।

ओमजी के समर्थकों ने यादव का पुतला दहन किया है। बीघपुर गांव के प्रधान ने सवाल किया, "स्वामी ओमजी एक साधु हैं। आखिर शरद यादव उनकी छवि को धूमिल कैसे कर सकते हैं?"

स्वामी ओमजी ने इससे पहले पत्रकारों से यह कह कर कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी 'झूठ का सौदागर है' विवाद खड़ा कर दिया था।

भाजपा ने तुरत-फुरत में ओमजी का इतिहास खंगाल लिया और दावा किया कि स्वामी ओमजी 90 के दशक में युवा कांग्रेस के नेता हुआ करते थे।

भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने ओमजी पर 'कांग्रेस का कार्यकर्ता' होने का आरोप लगाया। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने हालांकि साधु की किले के अंदर गड़ा धन सपने में देखने के लिए सराहना की। उन्नाव से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सांसद बृजेश पाठक ने कहा कि वे घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं।

ओमजी के खिलाफ दो मुकदमे वाराणसी और लखनऊ की अदालतों में दर्ज कराए जा चुके हैं। उनके खिलाफ तंत्रमंत्र को बढ़ावा और समाज को गुमराह करने का आरोप लगाया गया है।

वाराणसी में अपनी अर्जी में पेशे से वकील कमलेश चंद्र त्रिपाठी ने कहा है कि एएसआई के अधिकारी एक साधु के सपने पर सक्रिय होने में विज्ञान को ताक पर रख दिया है।

वकील ने कहा है, "साधु को भारतीय दंड विधान की धारा 295 (ए) और 298 के तहत दंडित किया जाए।" लखनऊ में दायर एक अन्य मामले में केंद्रीय मंत्री एवं कांग्रेस नेता चरणदास महंत को भी नामजद किया गया है। इस मामले की अगली सुनवाई 11 नवंबर को होगी।

उन्नाव के पूर्व राजा राव राम बख्श सिंह के किले की खुदाई का आदेश देने के लिए मोदी ने पिछले सप्ताह केंद्र सरकार की आलोचना की थी और कहा था कि इससे बेहतर होता कि सरकार स्विस बैंक से काला धन वापस लाने का प्रयत्न करती।

बाद में हालांकि उन्होंने अपने वचन पर यह ट्वीट करते हुए माफी भी मांगी कि उनके दिल में 'शोभन सरकार की तपस्या और त्याग के लिए असीम श्रद्धा है।'

इस हंगामे में इतना ही काफी नहीं है। बौद्ध साधु भी खुदाई वाली जगह को प्राचीन बौद्ध स्थल होने दावा करते हुए कूद पड़े हैं। भीम राव अंबेडकर महासभा के अध्यक्ष लालजी प्रसाद निर्मल ने कहा कि है वे लोग शनिवार को गांव की ओर कूच करेंगे और जिला दंडाधिकारी से मुलाकात कर अपना दावा पेश करेंगे। 

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रंगों से पहचानें लोगों का स्वभाव

क्या आप जानते हैं कि रंगों की पसंद के अनुसार भी किसी व्यक्ति का स्वभाव मालूम किया जा सकता है। ज्योतिष के अनुसार हमारा जैसा स्वभाव होता है वैसे ही रंग हमारी पसंद होते हैं। रंगों का ग्रहों से भी गहरा संबंध होता है। वहीं यदि यह कहा जाए कि हमारी पसंद-नापसंद पर शुभ-अशुभ ग्रहों का प्रभाव पड़ता है तो गलत न होगा। 

कुछ ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि लाल, काला, नीला, हरा, पीला रंग के अनुसार हम अपना स्वभाव जान सकते हैं। निम्नलिखित रंगों के अनुसार हम अपने स्वभाव को जान सकते हैं।

लाल- आप बहुत सावधान रहने वाले हैं, आपके जीवन प्रेम का बहुत अधिक महत्व है। आप बहुत अच्छे प्रेमी सिद्ध हो सकते हैं।

काला- आपका स्वभाव रूढ़िवादी है। साथ ही आपको गुस्सा बहुत जल्द आता है। आपको बदलाव बहुत कम ही पसंद आता है।

नीला- आप स्वाभिमानी हैं, किसी से मदद लेना आपको पसंद नहीं होता। प्रेमी को पूरा समय देते हैं।

हरा- आप बहुत शांति प्रिय इंसान हैं। लड़ाई-झगड़ों से दूर ही रहते हैं।

पीला- आप हमेशा खुश रहने वाले इंसान हैं। दूसरों को हमेशा सही मार्गदर्शन देते हैं। सभी की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।

कहा जाता है कि ज्योतिष के अनुसार उपर्युक्त रंगों के अनुसार व्यक्ति का स्वभाव लगभग इसी तरह का रहता है। वहीं नौ ग्रहों की अलग-अलग स्थिति के अनुसार स्वभाव में परिवर्तन भी हो सकता है।

इस बार ड्रिंकिंग गेम्स के साथ मनाइए दिलचस्प दीवाली


कौन कहता है कि दिवाली पर घर में होने वाली दावतें सिर्फ ताश के पत्ते खेलने या सामाजिकता निभाने तक की सीमित हैं। 'स्नैक्स एंड शॉट्स', 'क्रॉस एंड शॉट्स' जैसे खेलों के वयस्क रूपांतरण के साथ आप अपनी दीवाली दावत को नया और दिलचस्प बना सकते हैं। आपकी दिवाली मस्ती को दुगुना करने के लिए बाजार में बास्केट शॉट गेम, ट्रथ और शॉट, बीयर पॉन्ग और ड्रिंकिंग रौलेट, ड्रिंकिंग शतरंज, ड्रिकिंग बास्केटबॉल जैसे खेल उपलब्ध हैं।

राजधानी दिल्ली स्थित एक्सटर्डम किचन एंड बार के सनुज बिड़ला का कहना है, "सिर्फ शराब पीना उबाऊ है।" एक्सटर्डम किचन एंड बार में लोगों के निवेदन पर ड्रिंकिंग गेम्स की व्यवस्था की गई है। बिरला ने बताया, "शराब के साथ खेल होना मजेदार है, ये खेल आपके अंदर छिपे बचपने को बाहर लाते हैं।" राजधानी की कई मधुशालाओं में मांग पर ड्रिंकिंग गेम्स की पेशकश की गई है। इसमें वेयरहाउस कैफे के अलावा अंडरडॉग्स स्पोर्ट्स बार और ग्रिल भी अच्छे विकल्प हैं।

डीजे खुशी के नाम से मशहूर खुश सोनी का मानना है कि ऐसे खेल खेलने में काफी मजा आता है। फैट निंजा के मालिक और पैंजिया के प्रबंध साझेदार का कहना है कि प्रबंधन को यह अच्छी तरह पता होना चाहिए कि लाइन कहां बनाई जाए। कई बार युवा घर में ही दोस्तों के साथ ड्रिंकिंग गेम्स का लुत्फ उठाते हैं। 'ये जवानी है दिवानी' का ट्रेन का ड्रिंकिंग गेम वाला दृश्य तो आपको याद ही होगा।

29 वर्षीय श्रेय कुमार कहते हैं, "बाहर जाना महंगा होता है और पेय भी अत्यिधिक कर के साथ मिलते हैं। इसलिए बेहतर है कि दावत घर पर ही की जाए। यहां हम खेलों का मजा बेहतर तरीके से उठा सकते हैं और बिल की चिंता भी नहीं होगी। " वयस्कों के लिए ऑनलाइन भी बहुत सारे ड्रिंकिंग गेम्स उपलब्ध हैं। ये गेम्स 500 से 1,000 रुपये तक में उपलब्ध हैं।

आईपार्टी वाइल्ड की संस्थापक श्रुति सिंह ने बताया, "जैसे-जैसे ऐसी दावतें बढ़ रही हैं, लोगों ने मेहमानों के मनोरंजन के लिए नए तरीके ढूंढ़ने शुरू कर दिए हैं और इस तरह ड्रिकिंग गेम्स दावतों का हिस्सा बन रहे हैं।" श्रुति की कंपनी ने ट्रिपी डाइस, क्वीन बी, अल्टीमेट डेयरडेविल्स, किंग्स सर्कल और फिल्म-ओ-हॉलिक जैसे कुछ नए गेम्स पेश किए हैं ।

श्रुति ने बताया, "ड्रिकिंग गेम्स शराब के लिए नहीं है, ये इन्हें खेलते हुए आपके अनुभव के लिए है। ये खेल नशे की हालत में आपके धर्य, गति, सोचने की क्षमता को चुनौती देने के लिए बनाए गए हैं। इनके नियम सरल हैं, इसलिए लोग इन खेलों में जल्दी घुलमिल जाते हैं।" अगर आप शराब नहीं पीते हैं तो परेशान मत होइए। आप नींबू पानी के साथ भी इन खेलों का लुत्फ उठा सकते हैं।

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