इस समय खूब खाइये अमरुद क्योंकि...

बरसात और सर्दियों के दिनों में बाजार में हर जगह अमरुद ही अमरुद दिखाई देने लगते हैं| देखने में हरे और लाल रंग के अमरूद लोगों को काफी पसंद आते है। खाने में तो ये स्वादिष्ट होते ही है साथ ही सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि अमरूद का सेवन, आपके चेहरे को कांतिमय बनाता है| अमरूद में मौजूद पौटेशियम के कारण इसके नियमित सेवन से स्‍कीन ग्‍लो करती है और कील मुंहासों से भी छुटकारा मिलता है। 

दरअसल, अमरुद में विटामिन सी की मात्रा बहुत अधिक होती है, जिससे त्वचा संबधित रोग नहीं होते हैं। इसमें विटामिन,फाइबर और मिनरल प्रचुर मात्रा में होता है जो कब्ज की समस्याओं से निजात दिलाता है| जिन व्यक्तिओं के नाक-कान से खून आता हो, उन्हें भी अमरूद का सेवन करना चाहिए। सिर्फ यही नहीं अमरुद एसिडिटी, अस्थमा, ब्लडप्रेशर, मोटापा आदि समस्याओं में भी फायदा पहुंचाता है। यह कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करता है साथ ही साथ यह पित्त रोगों में भी मददगार होता है।

इसमें फोलेट की अच्छी मात्रा है जिससे यह महिलाओं में फर्टिलिटी बढ़ाता है। मां बनने की चाहत रखने वाली महिलाएं रोज से अमरूद का सेवन करें। अमरूद के सेवन से खून में सुगर का स्तर कम होता है। इसमें फाइबर अधिक मात्रा में होते हैं जो शुगर पचाने और इन्सुलिन बढ़ाने में मदद करते हैं। अमरूद में आयोडीन अच्छी मात्रा में होता है जिससे थायरॉइड की समस्या में आराम होता है। इससे शरीर का हार्मोनल संतुलन बना रहता है।

आपको जानकर अचरज होगा कि अमरूद में संतरे के मुकाबले चार गुना अधिक विटामिन सी होता है। विटामिन सी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं और कैंसर से लड़ने में शरीर की मदद करते हैं। अमरूद में मौजूद पोटैशियम शरीर में सोडियम के प्रभाव को कम करता है जिससे ब्लड प्रेशर का संतुलन बना रहता है। इसके अलावा, यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है।दांत दर्द में इसके पत्ते चबाने से भी काफी आराम मिलता है। इससे कब्ज भी दूर होती है। इसे बालू में भून कर खाने से खांसी दूर होती है। 

अगर आपके मुंह में काफी छाले हो गए हैं या फिर अक्‍सर आपको माउथ अल्‍सर की प्रॉब्‍लम बनी रहती है तो आप अमरूद की नई - नई कोमल पत्तियों को सेवन करें। इससे आराम मिलता है। अमरूद बॉडी के मेटाबॉल्जिम को बैलेंस रखता है इस वजह से इसके सेवन से कब्‍ज से छुटकारा मिल जाता है। अमरूद में विटामिन ए की मात्रा काफी होती है जो कि आंखों को स्‍वस्‍थ बनाएं रखती है। 

सर्दी-जुकाम होने पर भुना हुआ अमरुद नमक व काली मिर्च के साथ खाने से जुकाम की स्थिति से छुटकारा मिलता है। इसमें मौजूद विटामिन सी जुकाम में काफी फायदेमंद साबित होता है। अमरुद में पाया जाने बाला रेशा या फाइवर मेटाबॉलिज्म को ठीक रखने की सबसे अच्छी दवा है तो जिन लोगों का पेट खराब रहता है वो लोग अमरुद का सेवन अवश्य करें 

अमरूद के ताजे पत्तों का रस 10 ग्राम तथा पिसी मिश्री 10 ग्राम मिलाकर 21 दिन प्रात: खाली पेट सेवन करने से भूख खुलकर लगती है और शरीर सौंदर्य में भी वृद्धि होती है। कच्चे अमरूद को पत्थर पर घिसकर उसका एक सप्ताह तक लेप करने से आधा सिर दर्द समाप्त हो जाता है। यह प्रयोग प्रात: काल करना चाहिए। 

गठिया के दर्द को सही करने के लिए अमरूद की 4-5 नई कोमल पत्तियों को पीसकर उसमें थोड़ा सा काला नमक मिलाकर रोजाना खाने से से जोड़ो के दर्द में काफी राहत मिलती है। फोड़े और फुंसियों से परेशान हो तो अमरूद की 7-8 पत्तियों को लेकर थोड़े से पानी में उबालकर पीसकर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को फोड़े-फुंसियों पर लगाने से आराम मिलता ।

जानिए भगवान विष्णु ने अयोध्या में ही क्यों लिया अवतार?

क्या आप जानते हैं त्रेता युग में भगवान विष्णु ने अयोध्या में ही क्यों अवतार लिया? यदि नहीं तो आज हम आपको बताते हैं कि भगवान ने अवध नगरी में जन्म लिया| स्वायंभुव मनु और उनकी पत्नी शतरूपा जिनसे मनुष्यों की यह अनुपम सृष्टि हुई| इन दोनों पति पत्नी के धर्म और आचरण बहुत अच्छे थे| आज भी वेद जिनकी मर्यादा का गान करते हैं| राजा उत्तानपाद उनके पुत्र थे, जिनके पुत्र हरिभक्त ध्रुव हुए| मनु के छोटे लड़के का नाम प्रियव्रत था| जिसकी प्रशंसा वेद और पुराणों में करते हैं| देवहुति उनकी कन्या थी| देवहुति ने ही कृपालु भगवान कपिल को जन्म दिया| मनु ने बहुत समय तक राज्य किया घर में रहते बुढ़ापा आ गया| एक दिन उनके मन में बड़ा दुःख हुआ कि श्रीहरि की भक्ति के बिना जीवन युहिं बीत गया| तब मनु ने अपने पुत्र को जबर्दस्ती राज्य देकर स्वयं स्त्री सहित वन को गमन किया| पत्नी समेत मनु तीर्थों में श्रेष्ठ नैमिषारण्य धाम पहुंचे| 

जहाँ-जहाँ तीर्थ थे मुनियों ने उन्हें सभी तीर्थ करा दिए| उनका शरीर दुर्बल हो गया था| वे मुनियों के भेष में ही रहते थे और संतों के समाज में नित्य पुराण सुनते| दोनों पति-पत्नी द्वादशाक्षर (ॐ नमो भगवते वासुदेवाय) का प्रेम सहित जप करते थे| वे साग, फल और कंद का आहार करते थे और सच्चिदानंद ब्रम्हा का स्मरण करते थे| फिर वे श्री हरि के लिए तप करने लगे और मूल फल का त्यागकर केवल जल के आधार पर रहने लगे| उनके हृदय में केवल यही अभिलाषा थी कि हम कैसे श्रीहरि को आँखों से देखें| जो निर्गुण, अखंड, अनंत और अनादि हैं और परमार्थवादी लोग जिनका चिंतन करते हैं| 

इस प्रकार जल का आहार करते हुए छह हजार साल बीत गए| फिर साथ हजार वर्ष वे वायु के आधार पर रहे|10000 वर्ष तक वे वायु का आधार भी छोड़ दिया| दोनों एक पैर से खड़े रहे| उनका अपार तप देखकर ब्रम्हा, विष्णु और शिवजी कई बार मनु जी के पास आये| उन्होंने अनेकों प्रकार से ललचाया और कहा कि कोई वर मांगो| पर यह परम धैर्यवान डिगाए नहीं डिगे| उनका शरीर हड्डियों का ढांचा मात्र ही रह गया फिर भी उनके मन में ज़रा सी पीड़ा न हुई| 

फिर आकाशवाणी हुई कि 'वर मांगो' कानों में अमृत सामान लगने वाले बचन सुनते ही उनका शरीर पुलकित और प्रफुल्लित हो गया| तब मनु जी दंडवत कर बोले! हे प्रभु! सुनिए आप सेवकों के लिए कल्पवृक्ष और कामधेनु हैं| आपकी चरण रज की ब्रम्हा और शिवजी भी वंदना करते हैं| आप जड़ चेतन के स्वामी हैं| यदि हम लोगों पर आपका स्नेह है तो प्रसन्न होकर यह वर दीजिए आपका जो स्वरुप शिवजी के मन में बसता है| सगुण और निर्गुण कहकर वेद जिसकी प्रशंसा करते हैं| हे प्रभु! ऐसी कृपा कीजिए हम उसी रूप को नेत्र भरकर देखें | भगवान को राजा रानी के वचन अति प्रिय लगे| भगवान ने उन्हें तुरंत दर्शन दिया| 

भगवान के नीले कमल, नीलमणि और नील मेघ के सामान श्यामवर्ण शरीर की शोभा देखकर मनु और शतरूपा की आँखें खुली की खुली रह गईं| भगवान के अनुपम रूप को देखकर दोनों अघाते न थे| वे हाथों से भगवान के चरण पकड़कर दंड की तरह जमीन पर गिर पड़े| प्रभु ने उन्हें तुरंत उठा लिया| फिर कृपानिधान भगवान बोले, मुझे अत्यंत प्रसन्न जानकार जो मन को भाये वही वर मांग लो| प्रभु के वचन सुनकर दोनों हाथ जोड़कर बोले, हे नाथ ! आपके चरण कमलों को देखकर अब हमारी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो गई फिर भी मन में एक बड़ी लालसा है| पर उसका पूरा होना बड़ा कठिन मालूम होता है| भगवान ने कहा, हे राजन! बिना संकोच किये वह वर मुझसे मांगिए| तुम्हें दे न सकूँ ऐसा मेरे पास कुछ नही नहीं है| 

तब मनु ने कहा, हे नाथ! मैं आपके समान पुत्र चाहता हूँ| राजा की प्रीति देखकर भगवान ने कहा, मैं अपने समान दूसरा कहाँ खोजूं| अतः मैं स्वयं ही आकर आपका पुत्र बनूंगा| शतरूपा को हाथ जोड़े देखकर भगवान ने कहा, हे देवी! तुम्हारी जो इच्छा हो सो वर मांग लो| शतरूपा ने कहा, राजा ने जो वर मांगा वह मुझे बहुत प्रिय लगा| तब भगवान ने कहा अब तुम्हे मेरी आज्ञा मानकर देवराज इंद्र की राजधानी अमरावती में वास करो| हे तात! कुछ काल बीत जाने पर आप अवध के राजा होंगे| तब मैं तुम्हारा पुत्र बनूंगा| आदिशक्ति भी अवतार लेंगी| इस प्रकार मैं तुम्हारी अभिलाषा पूर्ण करूंगा|

जन्माष्टमी विशेष: जहां आज भी गोपियों संग रास-लीला रचाते हैं भगवान मुरली मनोहर

उत्तर प्रदेश के वृंदावन शहर के बीचोबीच एक ऐसी वाटिका है जिसमें लोग मानतें हैं कि रात में भगवान श्रीकृष्ण यहां आते हैं और गोपियों के साथ रास-लीला रचाते हैं। ये वन यमुना नदी से भी ज्यादा दूरी पर नहीं है। इस वाटिका को लोग ‘निधि-वन’ के नाम से जानते है। 

मथुरा बृंदावन में स्थित वाटिका निधि वन, जहाँ की मान्यता है की रात श्री कृष्ण गोपियों संग रास लीला करतें हैं। साथ में ये भी मान्यता प्रचलित है कि यहाँ मौजूद पेड़ पौधे रात में गोपियों में बदल जातें हैं। रात्रि के समय निधि वन में कोई प्राणी नहीं रहता है, पशु-पक्षी भी नहीं। लोगों का मानना है कि अगर कोई व्यक्ति इस परिसर में रात्रि में रुक जाता है और भगवान की क्रीड़ा का दर्शन कर लेता है, तो सासारिक बंधन से मुक्त हो जाता है। ऐसे उदाहरण विगत कई वर्षों में देखने में भी आये हैं। इस वन में मौजूद मंदिर में भगवान के स्वागत के लिए आज भी मंदिर के रंग महल में प्रसाद (माखन मिश्री) प्रतिदिन रखा जाता है। 

शयन के लिए पलंग लगाया जाता है। राधारानी के लिए श्रृंगार कि हर वस्तु रखी जाती है। सबको बाहर निकलने का आदेश दे दिया जाता है। रात में मंदिर के दरवाजे पर पांच ताले लगाये जातें हैं। ताकि कोई अंदर न जा सके। सुबह जब मंदिर का दरवाजा खुलता है तो सब कुछ अस्त व्यस्त मिलता है देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ निश्चित ही कोई रात्रि विश्राम करने आया तथा प्रसाद (माखन मिश्री) भी ग्रहण किया है। लोगों का कहना है कि रात में बांसुरी और घुंघुरुओं कि आवाज सुनाई देती है। 

निधि वन कहने से इंसान के मस्तिष्क में किसी जंगल का दृश्य सामने आता है लेकिन ये कोई जंगल नहीं है। वास्तव में यहाँ आने पर वन जैसा ही दृश्य देखने को मिलते हैं, यहाँ के वृक्ष आज भी अपनी पौराणिकता को दर्शाते हैं। इन वृक्षों को देखने से आभास होता है कि यह अति प्राचीनकाल से स्थापित वृक्ष हैं। इस प्रकार के वृक्ष वृन्दावन में निधि वन, सेवाकुंज एवं तटिय स्थान पर ही देखने को मिलते हैं, इन वृक्षों की खासियत है कि इनमें से किसी भी वृक्ष के तने सीधे नहीं मिल पायेंगे तथा इन वृक्षों की डालिया नीचे की ओर झुकी हुई प्रतीत होती हैं। मान्यता है कि ये वृक्ष भगवान को प्रणाम करने की मुद्रा में हमेशा झुके रहते हैं। इन वृक्षों के बारे में शास्त्रों गोपी रूप से वर्णन किया गया है।

इस वन में कई साधू संतों की समाधियां मौजूद हैं जो अपने प्रिय भगवान के एक दर्शन-मात्र करना चाहते थे। मौत से पहले उन्होने दर्शन कर भी लिए हो, कौन जानता है। लेकिन लोगों की मान्यता है कि उनकी मौत भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन के बाद ही होती होगी। यही वजह है कि उन सभी लोगों की समाधि इसी वन में बनाई गई है। इस निधि वन में आकर अजीब अनुभूति होती है। एक बार आने के बाद यहाँ बार-बार आने कि इच्छा जागृत हो जाती है।

PHOTO: ऐसे ही नहीं भारत को कहा गया सोने की चिड़िया, यहां नदियां उगल रहीं सोना

भारत को ऐसे ही नहीं सोने की चिड़िया कहा जाता है| यहां नदियों में सोना बहता है| यकीन न हो तो झारखंड जाके खुद ही देख लो| राजधानी रांची से करीब 15 किलोमीटर दूर रत्नगर्भा में बहने वाली स्वर्ण रेखा नदी कोई आम नदी नही है। क्योंकि इस नदी में सोने का इतना बड़ा भंडार समाया हुआ है जिसका आप अंदाजा भी नही लगा सकते।

इस नदी के पानी में सोने के कण पाए जाते हैं। यहां रहने वाले आदिवासी दिन-रात इन कणों को इकठ्ठा करते हैं। बड़े-बड़े व्यापारी यहां आते हैं और आदिवासियों से बहुत ही कम कीमतों पर सोना खरीद लेते हैं। यह नदी अन्य किसी भी नदी में नही मिलती है। बल्कि यह नदी सीधे बंगााल की खाड़ी में गिरती है। 

स्थानीय लोगों का कहना है कि आज तक कितनी ही सरकारी मशीनों द्वारा इस नदी पर शोध किया गया है, लेकिन वे इस बात का पता नही लगा पाये कि आखिरकार यह कण जमीन के किस भाग में विकसित होते हैं।

यहाँ की रहने वाली तारिणी नाम की एक महिला ने बताया कि कई बार घंटों नदी की धार मे खड़े होने के बावजूद सोने के कण नहीं मिलते, इसके लिए काफ़ी सब्र रखना होता है, कई बार जल्दी ही ज्यादा कण मिल जाते हैं। जाने-माने भूवैज्ञानिक नीतीश प्रियदर्शी ने बताया कि स्वर्णरेखा और करकरी जैसी नदियां अपने उदगम स्थल से नीचे आते-आते कई तरह की चट्टानों से टकराती हैं।

इसी दौरान इनमें सोने के अति सूक्ष्म कण मिल जाते हैं| इन्हीं कणों को गांव के लोग चुनते हैं। उन्होंने बताया कि न केवल स्वर्णरेखा और करकरी बल्कि कोयल व दामोदर जैसी नदियों से भी कुछ खास इलाकों में सोने के कण निकाले जाते हैं।








इसी दिन हुआ था भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म

भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भैया बलरामजी (बलदाऊ) का जन्म हुआ था| बलरामजी का प्रधान शस्त्र हल तथा मूसल है। इसी कारण उन्हें हलधर भी कहा जाता है। बलराम जी शेषनाग के अवतार माने जाते हैं| कहीं-कहीं विष्णु के अवतारों में भी इनकी गणना की जाती है| 

जब कंस ने देवकी-वसुदेव के छ: पुत्रों को मार डाला, तब देवकी के गर्भ में भगवान बलराम पधारे। योगमाया ने उन्हें आकर्षित करके नन्द बाबा के यहाँ निवास कर रही श्री रोहिणी जी के गर्भ में पहुँचा दिया। इसलिये उनका एक नाम संकर्षण पड़ा। बलवानों में श्रेष्ठ होने के कारण उन्हें बलभद्र भी कहा जाता है। बलराम जी साक्षात शेषावतार थे। बलराम जी बचपन से ही अत्यन्त गंभीर और शान्त थे। श्री कृष्ण उनका विशेष सम्मान करते थे। बलराम जी भी श्रीकृष्ण की इच्छा का सदैव ध्यान रखते थे। 

बलराम के बल-वैभव और उनकी ख्याति पर मुग्ध होकर रैवत नामक राजा ने अपनी पुत्री रेवती का विवाह उनके साथ कर दिया। बलराम अवस्था में श्रीकृष्ण से बड़े थे। अतः नियमानुसार सर्वप्रथम उन्हीं का विवाह हुआ। शास्त्रों में कहा गया है कि मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन क्रोध है। इसी के कारण बलराम जी से ऐसी गलती हुई कि पूरा संत समाज इनके विरुद्घ हो गया। संतों ने कहा आपने महापाप किया है और इसका प्रायश्चित करना होगा।

वेदव्यास जी के प्रिय शिष्य सूत जी थे। सूत जी पुराणों के ज्ञाता थे और ऋषियों के आश्रम में जाकर पुराण कथा सुनाया करते थे। संतों के बीच इनका बड़ा आदर था। एक बार सूत जी पुराण कथा सुना रहे थे। इसी बीच दाऊ बलराम कहीं से आश्रम में पहुंच गए। बलराम जी को देखते ही सभी संत खड़े होकर नमस्कार करने लगे। लेकिन पुराण कथा सुना रहे व्यास जी अपने आसान पर बैठे रहे। क्योंकि पुराण कथा सुनाते समय बीच में उठना नियम विरुद्घ था। बलराम जी ने समझा कि सूत जी उनका अनादर कर रहे हैं।

क्रोध में आकर बलराम जी ने अपनी तलवार से सूत जी का सिर धड़ से अलग कर दिया। संत समाज बलराम जी के इस व्यवहार से हैरान रह गया। संतों ने बलराम जी से कहा कि आपने एक निर्दोष ब्राह्मण की हत्या करके महापाप किया है। आपको ब्रह्महत्या का पाप लगेगा।

श्री दाऊजी या बलराम जी का मन्दिर मथुरा से 21 कि.मी. दूरी पर एटा-मथुरा मार्ग के मध्य में स्थित है। श्री दाऊजी की मूर्ति देवालय में पूर्वाभिमुख 2 फुट ऊँचे संगमरमर के सिंहासन पर स्थापित है। पौराणिक आख्यान के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के पौत्र श्री वज्रनाभ ने अपने पूर्वजों की पुण्य स्मृति में तथा उनके उपासना क्रम को संस्थापित करने हेतु 4 देव विग्रह तथा 4 देवियों की मूर्तियाँ निर्माण कर स्थापित की थीं जिनमें से श्री बलदेव जी का यही विग्रह है जो कि द्वापर युग के बाद कालक्षेप से भूमिस्थ हो गया था। पुरातत्त्ववेत्ताओं का मत है यह मूर्ति पूर्व कुषाण कालीन है जिसका निर्माण काल 2 सहस्र या इससे अधिक होना चाहिये।

तौंगजी डैन: वर्जिन लड़कों के पेशाब और अंडो से बनता है ये व्यंजन

अभी तक आपने कई व्यंजनों को चखा व सुना होगा| आज आपको एक ऐसे व्यंजन के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको थोड़ा अटपटा जरूर लगेगा लेकिन चीन में इस व्यंजन को लोग बड़े चाव से खाते हैं| चीन के जेजियांग प्रांत में बनता है वर्जिन ऐग| वर्जिन लड़कों के पेशाब और अंडो से बनता है ये व्यंजन|

बताते हैं कि इस व्यंजन को बनाने के लिए पहले पेशाब को इकठ्ठा करते हैं| इसके लिए स्कूलों में बाल्टी रखी जाती हैं जिसमें बच्चे पेशाब करते हैं| उसके बाद उस पेशाब को एक बड़े बर्तन में रखा जाता है| फिर इसमें अंडो को डुबोया जाता है| उसके बाद अंडों को धीमी आंच पर पूरे दिन पकाया जाता है। 

जब यह अंडे पेशाब में अच्छी तरह उबल जाते हैं तो इन अंडों को तोड़ा जाता है और खाया जाता है। इसका लोकल नाम तौंगजी डैन है। तौंगजी डैन को ब्वॉय ऐग भी कहा जाता है। वहां के लोग इस डिश को बड़े मजे के साथ खाते हैं। उनके अनुसार ये डिश हेल्थ के लिए बड़ी लाभदायक होती है।

...यहां बजरंगबली के साथ-साथ होती है राक्षसों की पूजा

अभी तक आपने देवी-देवताओं के बहुत से मंदिर देखे होंगे| कभी ऐसे कोई मंदिर देखा है जहां राक्षसों की पूजा होती हो? नहीं न! हम आपको बताते हैं एक ऐसा मंदिर जहां बजरंगबली के साथ-साथ दो राक्षसों की पूजा होती है| झांसी के पास पंचकुइयां इलाके में संकटमोचन हनुमान जी का एक मंदिर है। इस मंदिर में हनुमान जी के साथ-साथ दो राक्षसों की भी पूजा जाती है। यह दो राक्षस हैं लंकापति रावण के बहुत प्रिय अहिरावण और महिरावण। यह मंदिर रामायण के लंकाकांड में हनुमान जी द्वारा अहिरावण और महिरावण वध की कथा को बताता है। 

चिंताहरण हनुमान जी का यह मंदिर लगभग 300 वर्ष पुराना बताया जा रहा है| यहाँ पांच फुट ऊंची हनुमान जी की प्रतिमा है| बजरंगबली के कंधे पर श्रीराम और शेषनाग के अवतार लक्ष्मण जी विराजमान हैं और पैरों से एक तांत्रिक देवी को कुचलते हुए दिखाया गया है। इसी प्रतिमा के साथ ही अहिरावण और महिरावण की प्रतिमाएं भी हैं। इस प्रतिमा में तांत्रिक देवी की मां हनुमान जी से क्षमा मांगते दिख रही है। प्रतिमा के दाएं ओर हनुमान जी के पुत्र मकरध्वज भी है।

मान्यता है कि भगवान राम और रावण का युद्ध जब चरम पर था। तब रावण का भाई अहिरावण भगवान राम और लक्ष्मण का अपहरण कर मां भवानी के सामने बली देने के लिए पाताल-लोक ले गया। मां भवानी के सम्मुख श्री राम एवं लक्ष्मण की बलि देने की पूरी तैयारी हो गई थी पर जैसे ही अहिरावण ने अपनी कुल देवी के सामने राम-लक्ष्मण की बलि देने के लिए तैयार हुआ तभी हनुमान जी ने कुल देवी को अपने पैरों के नीचे कुचल दिया और अहिरावण-महिरावण को मार डाला|

यहाँ प्रत्येक सोमवार और मंगलवार को भक्त आटे का दिया जलाकर अपनी इच्छाओं को पूर्ण होने के लिए प्रार्थना करते हैं। इच्छा पूर्ति के बाद भगवान को चढ़ावा अर्पित किया जाता है। यह चढ़ावा हनुमान के साथ दोनों राक्षसों के लिए भी होता है। यहाँ पुरानी मान्यता है कि इस मंदिर में लगातार पांच मंगलवार तक आटे का दिपक जलाने से भक्तों के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है।

VIDEO: बच्चे और गोरिल्ला का इतना प्यारा वीडियो जिसे देखे बिना नहीं रह पाएंगे आप

अभी तक आपने बच्चों को खूब लुकाछिपी का खेल खेलते हुए देखा होगा क्या कभी आपने जानवरों को इस खेल का मज़ा लेते हुए देखा है| यदि नहीं तो आज आपको एक बच्चे और जानवर का लुकाछिपी का खेल दिखाते हैं जिसे देखकर आपका मन प्रसन्न हो जाएगा| 

अमेरिका के ओहियो में कोलंबस जू एंड एक्वेरियम की तरफ से एक वीडियो शेयर किया गया है| इस वीडियो में एक दो साल का गोरिल्ला कामोली एक बच्चे के साथ लुकाछिपी का खेल खेलता नजर आ रहा है| गोरिल्‍ला के साथ खेलने वाले इस बच्चे का नाम इसाएयाह है और इसकी भी उम्र तकरीबन दो साल ही है|

वीडियो में दिखाया जा रहा है कि किस तरह शीशे की इस तरफ इसाएयाह है तो दूसरी तरफ गोरिल्‍ला कमोली| दोनों शीशे के आर-पार से लुकाछिपी का गेम खेल रहे हैं| ये वीडियो इसाएयाह की मां ने रिकॉर्ड किया| इस वीडियो को फेसबुक पर चार लाख से ज़्यादा लोग देख चुके हैं, लगभग साढ़े आठ हज़ार लोग शेयर कर चुके हैं, और सात हज़ार लोग 'लाइक' कर चुके हैं|

https://youtu.be/pwpfIJ6aO2s

जानिए किस युग में किस तरह जगत के लिए संकटमोचक बनें हनुमान?

हिन्दू धर्म में हनुमान जी को कष्ट विनाशक और भय नाशक देवता के रूप में जाना जाता है| बजरंगबली अपनी भक्ति और शक्ति के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं| सारे पापों से मुक्त करने और हर तरह से सुख-आनंद एवं शांति प्रदान करने वाले हनुमान जी की उपासना लाभकारी एवं सुगम मानी गयी है। हनुमान जी ऐसे देवता है जो हर युग में किसी न किसी रूप, शक्ति और गुणों के साथ जगत के लिए संकटमोचक बनकर मौजूद रहते हैं। जानिए, श्रीहनुमान किस युग में किस तरह जगत के लिए संकटमोचक बनें?

पहले बात करते हैं सतयुग की| श्री हनुमान रुद्र अवतार माने जाते हैं। शिव का दु:खों को दूर करने वाला रूप ही रुद्र है। इस तरह कहा जा सकता है कि सतयुग में हनुमान का शिव रुप ही जगत के लिए कल्याणकारी और संकटनाशक रहा।

त्रेतायुग युग में श्री हनुमान को भक्ति, सेवा और समर्पण का आदर्श माना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक विष्णुअवतार श्रीराम और रुद्र अवतार श्री हनुमान यानी पालन और संहार शक्तियों के मिलन से जगत की बुरी और दुष्ट शक्तियों का अंत हुआ।

द्वापर युग में हनुमान जी नर और नारायण रूप भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के साथ धर्मयुद्ध में रथ की ध्वजा में उपस्थित रहे। यह प्रतीकात्मक रूप में संकेत है कि श्रीहनुमान इस युग में भी धर्म की रक्षा के लिए मौजूद रहे। 

वहीँ, कलियुग में हनुमान जी का निवास गन्धमादन पर्वत (वर्तमान में रामेश्वरम धाम के नजदीक) पर है। माना जाता है कि कलियुग में श्रीहनुमान जहां-जहां अपने इष्ट श्रीराम का ध्यान और स्मरण होता है, वहां अदृश्य रूप में उपस्थित रहते हैं।

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PHOTO: हॉट पूनम पांडे के पास ऑफर्स की लाइन

सोशल साइट्स पर अपनी बोल्ड तस्वीरों के जरिए अक्सर सुर्खियां बटोरने वाली अभिनेत्री पूनम पांडे का कहना है कि उनके पास फिल्मों के ऑफर की लाइन लग गई है। फिल्म मालिनी एंड कंपनी से तेलुगू फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री करने वाली पूनम पांडे के पास साउथ फिल्म इंडस्ट्री से ऑफर की लाइन लग गई है। हालांकि आलोचकों ने फिल्म को नकार दिया है लेकिन पूनम, साउथ फिल्म इंडस्ट्री का ध्यान खींचने में कामयाब रही हैं। 


 पूनम पांडे ने कहा है कि वह उन्हें मिल रहे ऑफर्स से बेहद उत्साहित है। यदि मुझे अच्छी स्क्रिप्ट मिलती है तो मैं और ज्यादा प्रोजेक्ट्स करना चाहूंगी। कंटेंट के मामले में साउथ फिल्म इंडस्ट्री मालामाल है और मैं यहां ज्यादा से ज्यादा फिल्में करना चाहूंगी। हालांकि मैंने अभी तक कोई फिल्म फाइनल नहीं की है लेकिन मैं स्क्रिप्ट सुनने के लिए निर्देशकों से मिल रही हूं लेकिन मैं जल्द ही उस फिल्म को फाइनल करूंगी जो मुझे उत्साहित करेगी।’ पूनम ने फिल्म ‘‘नशा’ से बॉलीवुड में कदम रख था, जो बॉक्स ऑफिस पर चल नहीं सकी। 


देश के वो चर्चित हत्याकांड जिस पर बनी फिल्में

फिल्में हमारे समाज का आईना होतीं हैं तभी तो फिल्मों के माध्यम से हर छोटी बड़ी चीजें जनता तक पहुंचाई जाती है| इसी श्रृंखला में देश में कुछ ऐसी ही चर्चित हत्याकांड हुए हैं जिस पर फिल्में बनाई गयी हैं| इन दिनों सुर्ख़ियों में रहने वाली शीना बोरा हत्याकांड पर भी फिल्म बनाने की बात सामने आई है | शीना बोरा मर्डर केस के सामने आने के बाद जाने माने निर्माता निर्देशक महेश भट्ट ने कहा कि उनकी अगली फिल्म की कहानी शीना बोरा मर्डर केस से कभी मिलती जुलती है| 

वहीँ निर्देशक मनीष सिंह ने भी इसी घटनाक्रम को अपनी फ़िल्म की पटकथा का विषय बना लिया है| असल जिंदगी में होने वाली घटनाएं लोगों को ज्यादा आकर्षित करती हैं| खासतौर पर जुर्म की दुनिया की कहानी इसमें जो टर्न और ट्वीस्ट आते हैं वो लोगों को थियटर तक खीच कर लातें हैं| आईये नजर डालतें हैं ऐसे ही कुछ मर्डर केस पर जिसपर फ़िल्में बनी....

नॉट अ लव स्टोरी ( नीरज ग्रोवर हत्याकांड) 
माही गिल और दीपक डोबरियाल अभिनीत यह फिल्म टीवी एक्ज़िक्यूटिव नीरज ग्रोवर की हत्याकांड पर बनी थी| वर्ष 2008 में नीरज की हत्या कर दी गयी थी| नीरज की हत्या कन्नड़ अभिनेत्री मारिया सुसाइराज और उसके प्रेमी जेरॉम मैथ्यू ने बेरहमी से हत्या की थी| नीरज की हत्या करने के बाद उनकी लाश के टुकड़े -टुकड़े कर दिए गए| बाद में कोर्ट ने दोनों आरोपियों दोषी करार दिया और सज़ा हो गई| फिल्म का निर्देशन किया है राम गोपाल वर्मा ने| 

रहस्य (आरुषि हत्याकांड) 

वर्ष 2008 उत्तर प्रदेश के नोएडा की रहने वाली 14 वर्षीय आरुषि तलवार और उसके नौकर हेमराज की हत्या उसके ही घर में कर दी गई थी| इस हत्या का आरोप आरुषि के माता-पिता पर ही लगा| इस फिल्म के दांव पेचों पर आधारित फिल्म रहस्य अब रिलीज को तैयार है| वहीँ इसी पर आधारित फिल्म तलवार रिलीज हो चुकी है| रहस्य में फिल्म कोंकणा सेन गुप्ता और इरफ़ान खान मुख्य भूमिका में हैं| फिल्म 2 अक्टूबर को परदे पर होगी| फिल्म का निर्देशन किया है मेघना गुलजार ने| 

'नो वन किल्ड जेसिका' (जेसिका लाल हत्याकांड) 

वर्ष 1999 में मॉडल जेसिका लाल की हत्या राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता तक सुर्ख़ियों में रही| जेसिका की हत्या एक नाईट क्लब में मनु शर्मा ने का दी थी| कोर्ट ने मनु शर्मा को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाई थी| इन्ही सुर्ख़ियों को बॉक्स ऑफिस पर भुनाते हुए निर्देशक राजकुमार गुप्ता ने 'नो वन किल्ड जेसिका' बनाई| फिल्म में विद्या बालन ने जेसिका की बड़ी बहन और रानी मुखर्जी ने रिपोर्टर की भूमिका निभाई थी| 

'डर्टी पॉलिटिक्स' (डर्टी पॉलिटिक्स) 
मल्लिका शेरावत के तड़कते भड़कते आइटम सांग से सजी फिल्म डर्टी पॉलिटिक्स राजस्थान का सबसे चर्चित भंवरी देवी हत्याकांड आधारित है| भंवरी देवी के अपहरण में हत्या के इस मामले में कांग्रेस के दो दिग्गज नेताओं मलखान और महिपाल मदेरणा सहित 16 आरोपी गिरफ्तार किए गए थे। उल्लेखनीय है कि कांग्रेस सरकार में मंत्री रहे महिपाल मदेरणा की भंवरी के साथ अश्लील सीडी भी सार्वजनिक हुई थी।

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केले के औषधीय गुण जानकर दंग रह जाएंगे आप

केला हर मौसम में सरलता से उपलब्ध होने वाला अतयंत पौष्टिक और स्वादिष्ट फल है| केले की गिनती हमारे देश के उत्तम फलों में होती है और मांगलिक कार्यों में भी विशेष स्थान दिया गया है। इसमें शर्करा, प्रोटीन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, आयरन, फॉस्फोरस, जिंक, कॉपर, आदि अनेक रासायनिक पदार्थ पाये जाते है। केले में थाइमिन, रिबोफ्लेविन, नियासिन, फॉलिक एसिड, विटामिन ए और विटामिन बी भी पर्याप्त मात्रा में मौजूद होता है। 

जानिए केले के औषधीय गुणों के बारे-

केले में प्राकृतिक तौर पर शुगर है। शारीरिक श्रम या कसरत करने के बाद केले के सेवन से शरीर में इसका स्तर सामान्य होता है और तुरंत ऊर्जा मिलती है। जिन लोगों को उच्च रक्तचाप की समस्या होती है, उन्हें केले का नियमित रूप से सेवन करना चाहिए। गर्भावस्था में महिलाओं को सबसे ज्यादा विटामिन व मिनरल्स की आवश्यकता होती है। इन्हे अपनी डाइट में केला अवश्य शामिल करना चाहिए। यह शरीर को धीरे-धीरे ऊर्जा देता है और आसानी से पच जाता है। जी-मिचलाने पर पका केला फेंट कर एक चम्मच मिश्री और एक छोटी इलायची पीस कर मिला कर खाने से राहत मिलती है। केला पाचन क्रिया में मदद करता है क्योंकि इसमें काफी मात्रा में फाइबर पाया जाता है।

अल्सर के मरीजों के लिए यह फल एक अच्छे औषधि के रूप में काम करता है व एसिड को नीयुट्रलाइज करता है। अल्सर में कच्चे केले का सेवन रामबाण औषधि है। एनीमिया के लिए भी केले को अच्छी औषधि माना गया है। केले के फलों में उच्च मात्रा में पाया जानेवाला आयरन (लौह तत्व) रक्त में हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ा देता है। इसलिए एनिमिया से पीडित रोगियों को केला जरूर खाना चाहिए। प्रातः तीन केले खाकर दूध में शक्कर व इलायची मिलाकर नित्य पीते रहने से भी रक्त की कमी दूर होती है। केले में ट्राइप्टोफान नामक एमिनो एसिड होता है जो तनाव को कम करने में भी मदद करता है। यह शरीर में सेरोटोनिन की मात्रा बढ़ाता है जिससे मूड अच्छा होता है। विभिन्न शोधों के अनुसार अत्यंत तनाव की स्थिति में भी केले का फल आपके शरीर में रक्तगत शर्करा को नियंत्रित रखता है।

आँत सम्बन्धी रोगों में केले का दही के साथ सेवन करना लाभकारी है। कई लोगों की आंतों में गड़बड़ी होने के कारण उन्हें दस्त की शिकायतें बनी रहती हैं। यदि रोज कच्चे केले की सब्जी खाई जाए तो पेट के कीड़े मल के साथ बाहर निकल जाते हैं तथा दस्त व पेचिश की शिकायत हो तो उसमें भी आराम होता है। पेट में जलन होने पर दही में चीनी और पका केला मिलाकर खाएं। इससे पेट संबंधी अन्य रोग भी दूर होते हैं। कच्चे केले को उबालकर खाने से कब्ज की शिकायत दूर होती है।

पेट के कीड़े मारने तथा खून शुद्ध करने के लिये केलों की जड़ के अर्क सेवन लाभदायक है। इसके लिये लगभग एक किलो जल में 50 ग्राम केले की जड़ डालकर इतना गर्म करें कि जल की मात्रा आधी हो जाये। इसके बाद मिश्रण को छान लें। यही छानन अर्क है। केले का नियमित सेवन कर धुम्रपान छोडा जा सकता है। इसमें पाए जानेवाले विटामिन-सी, ए, बी-6, बी-12 तथा पोटेशीयम एवं मेगनीशीयम निकोटीन विथड्रावल के लक्षणों से मुकाबला करने में शरीर की मदद करते हैं। एक पाव दूध के साथ रोजाना दो केलों का एक माह तक सेवन करने से दुबलापन दूर होकर शरीर स्वस्थ बनता है।

केले में कैरिटोनॉयड नामक एंटीऑक्सीडेंट्स अच्छी मात्रा में होता हैं जो शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाने और संक्रमण से दूर रखने में मदद करता हैं। मुंह में छाले हो जाने पर सात दिन तक गाय के दूध से निर्मित दही के साथ केला खाना फायदेमंद है। दमा के लिए एक पका केला छिलके सहित सेंकें। इसके बाद इसका छिलका हटा दें व केले के टुकड़े करके इस पर काली मिर्च पाउडर बुरक दें। इसे गरम ही दमा रोगी को खिलाएँ तो लाभ होगा। केला नर्वस सिस्टम को ठीक रखता है और याददाश्त तेज करता है। ऐसे में तेज दिमाग के लिए नियमित रूप से केले का सेवन कर सकते हैं। विद्यार्थियों ले लिए यह एक अच्छा ब्रेन-टोनिक है।

पके केले को घी के साथ खाने से पित्त रोग शीघ्र शान्त होता है। केला हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए फायदेमंद है। इसमें मौजूद प्रोबायोटिक बैक्टीरिया शरीर में कैल्शियम को सोखने में मदद करता है। इसके अलावा इसमें पोटेशियम अच्छी मात्रा में होता है। केले के तने के सफेद भाग के रस का नियमित सेवन डायबिटीज को धीरे-धीरे खत्म कर देता है। एक पका केला मीठे दूध के साथ आठ दिन तक तक लगातार खाने से नकसीर में लाभ होता है। केले पाया जानेवाला पोटेशियम ह्रदय गति को सामान्य रखता है और शरीर में पानी की मात्रा को नियंत्रित करता है। केले में मैग्नीशियम की काफी मात्रा होती है जिससे शरीर की धमनियों में खून पतला रहने के कारण खून का बहाव सही रहता है। इसके अलावा पूर्ण मात्रा में मैग्नीशियम लेने से कोलेस्ट्रॉल की मात्रा कम होती है।

दाद होने पर केले के गूदे को नींबू के रस में पेस्ट बनाकर लगाने से राहत मिलती है। पके केले का प्रयोग चेहरे पर मोईसचराइजर के रूप में प्रयोग में लाया जा सकता है। कच्चे केले को दूध में मिलाकर लगाने से त्वचा निखरती है और चेहरे पर भी चमक आती है। केले के गूदे में नींबू का रस मिलाकर सिर में लगाने से बालो का झड़ना रूक जाता है। यदि शरीर का कोई हिस्सा जल जाए तो केले के गूदे को मसल कर जले हुए स्थान पर बांधे। इससे जलन दूर होकर आराम पहुंचता है।

यदि चोट लग जाने पर खून का बहना न रुके तो उस जगह पर केले के डंठल का रस लगाने से लाभ होता है। केले का शर्बत बनाकर पीने से दमे के कारण चलने वाली खांसी में 2 चम्मच सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है। केले का शर्बत बनाकर पीने से दमे के कारण चलने वाली खांसी में 2-2 चम्मच सुबह-शाम सेवन करने से लाभ होता है। केला छोटे बच्चों के लिये उत्तम व पौष्टिक आहार है। इसे मसल कर या दूध में फेंटकर खिलाने से लाभ मिलता है। कोई भी चीज मात्रा से अधिक खाना पीना हानिकारक है। इसी तरह केला भी ज्यादा खाने से शरीर शिथिल होगा व आलस्य आएगा। कभी ज्यादा खा लिया जाए तो एक छोटी इलायची चबाना लाभकारी है। 

यह आपके सिर के दिर्द को छूमंतर कर सकता है क्योंकि आपको सिर दर्द तब होता है जब आपकी धमनियो में तनाव आता है और तनाव जब आता है जब आप बिना मतलब की बातों पर अपना वक़्त जाया करते है इसलिए experts कहते है कि केले के छिलके को पीस कर उसका पेस्ट दर्द के स्थान पर अगर आप लगाते है तो कुछ ही मिनटों में आपका सिर दिर्द ऐसे गायब हो जाता है जैसे वो कभी था ही नहीं |यह आपके दांतों को भी किसी टूथपेस्ट से अधिक चमकीला और आकर्षक बना सकता है क्योंकि हमे ऊपर आपको बताया कि इसमें मैग्नीशियम और पोटेशियम होता है जो आपके दांतों में जमा केविटी और पीलेपन को हटाने में मदद करता है और उनमे कुदरती चमक लेके आता है जैसी आप टीवी ads में colgate वाली लड़की के दांत देखते है ठीक उसी तरह से | इसके लिए आपको केले के छिलके को दांतों से रगड़ना होता है और वो भी हर दिन |

मस्से और मुहांसों के लिए भी यह बहुत कारगर होता है अगर आप केले के छिलके को मस्सो पर नियमित रगड़ते है और रात भर पेस्ट बनाकर उसे छोड़ते है तो उस जगह पर एक बार ठीक हो जाने पर मुहांसे नहीं होते है और अगर आपके चेहरे पर मुहांसे होते है तो इसका पेस्ट रोज पांच से दस मिनट तक लगाने से अच्छा वाला फायदा होता है | केले का छिलका आपको दर्द से भी रहत दे सकता है अगर आप इसका इस्तेमाल चोट लगने वाली जगह पर लगाते है या मधुमखी के काटने वाली जगह पर भी इसे लगाने से बड़ा आराम मिलता है आप चाहे तो एक मधुमक्खी के छते को छेड़कर ये प्रयोग कर सकते है | झुर्रियो के लिए भी ये लाभदायक है और साथ ही कई तरह के अन्य औषधीय गुण केले (Banana) के छिलके के अंदर छिपे है बस आपको एक बार इसके बारे में थोड़ी जानकारी होना आवश्यक है |

चमत्कारी हनुमान मंत्र से दूर करें प्रेत बाधा

तुलसीदास ने हनुमान चालीसा में लिखा है कि "भूत पिशाच निकट नहीं आवें, महाबीर जब नाम सुनावें" हनुमान एक ऐसे देवता है जो थोड़ी-सी प्रार्थना और पूजा से ही शीघ्र प्रसन्न हो जाते है। हनुमानजी का नाम मात्र लेने से भूत-प्रेत आदि सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं। आप भी ऐसी ही किसी बाधा से पीडि़त हैं तो नीचे लिखे हनुमान मंत्र से इस समस्या का हल संभव है। 

यदि इस मंत्र का जप विधि-विधान से किया जाए तो कुछ ही समय में ऊपरी बाधा का निवारण हो सकता है। यह हनुमान मंत्र इस प्रकार है-

हनुमन्नंजनी सुनो वायुपुत्र महाबल:। अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते।।

जप विधि:- 

पहली बात यह कि हनुमान जी की पूजा तन, मन, वचन में पूरी पवित्रता के साथ घर या देवालय में करें। दूसरी बात यह कि हनुमानजी की पूजा में लाल चंदन, अक्षत, फूल, नारियल, लाल वस्त्र और लाल लंगोट के साथ ही विशेष रूप से सिंदूर और चमेली का तेल चढ़ाने का महत्व है।

तीसरी और अंतिम बात यह कि श्रीहनुमान की ऐसी प्रतिमा जिस पर सिंदूर का चोला चढ़ा हो, पर पवित्र जल से स्नान कराएं। इसके बाद सभी पूजा सामग्री अर्पण कर थोड़ा सा चमेली के तेल में सिंदूर मिलाकर चढ़ाना चाहिए। हनुमान जी को गुड़-चना का भोग लगाएं| 

इसके बाद पूर्व दिशा की ओर मुख करके कुश का आसन ग्रहण करें। तत्पश्चात लाल चंदन की माला से ऊपर लिखे मंत्र का जप करें। इस मंत्र का प्रभाव आपको कुछ ही समय में दिखने लगेगा।

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