इन आध्यात्म गुरुओं ने तोडा अपने भक्तों का विश्वास और फंसे कानून के फंदे में

'संत न छोड़े संतई, कोटिक मिले असंत| चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग' संतों के आचरण के संबंध में सदियों से प्रचलित इस दोहे को आज के संतों ने नकार दिया है| आज के साधू-संत जो खुद को आध्यात्मिक गुरु कहते हैं, की बात करे तो अधिकांश ऐसे मिलेंगे जो अध्यात्म को अपना व्यवसाय बना कर जेबें भरने में जुटे हैं| इनकी प्रॉपर्टी और बैंक बैलेंस का मुकाबला दुनिया के 80 फीसदी करोड़पति भी नहीं कर सकते| इनके समर्थक या भक्त ऐसे हैं जो अपना समय तो इन्हें देते ही है साथ में अपना धन भी इन पर जम कर लुटाते हैं। कभी चढ़ावे के नाम दान करके तो कभी गुरुओं के प्रवचन और भजन की सीडी कैसेट या फिर उनके आश्रमों में बबनने वाले प्रोडक्ट खरीद कर इन समर्थकों का करोड़ों रुपये आध्यात्मिक गुरुओं की तिजोरियों में पहुँच जाता है। लेकिन ये आध्यात्म के कारोबारी लोग अपने समर्थकों के विश्वास पर कैसा आघात करते हैं यह भी कई बार देखने को मिल चुका है। आइये जानते है ऐसे ही कुछ आध्यात्म गुरुओं के विषय में जिन्होंने कुछ ऐसा किया और आज कानून के फेर में फसे हुए हैं।


राधे मां-

अश्लीलता फैलाने और दहेज के लिए प्रताड़ित करने के आरोपों का सामना कर रहीं स्वघोषित देवी राधे माँ इन दिनों सुर्ख़ियों में बनी हुई हैं| राधे मां को लेकर नित नए खुलासे हो रहे हैं| मॉडल और एक्ट्रेस अर्शी खान ने अभी हाल ही में उन पर आरोप लगते हुए कहा कि उनकी मुलाक़ात राधे मां की बिजनेस पार्टनर और मैनेजर से हुई उसने उसे सेक्स रैकेट में शामिल होने को कहा| लेकिन उसने मना कर दिया| अर्शी खान ने बताया कि राधे मां के पार्टनर ने कहा कि तुम पर राधे मां की असीम कृपा है और तुम जिसके साथ भी संबंध बनाओगी उसका भला होगा|

अर्शी खान के अलावा 'बिग बॉस' प्रतिभागी डॉली बिंद्रा ने राधे मां के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाते हुए कहा कि राधे मां उन्हें अपने बैडरूम में आईपैड पर पोर्न फिल्में दिखाती थी और अपने उनके भक्त सामने अश्लील डांस करते थे। डॉली का आरोप हैं कि राधे मां ड्रग्स का भी बिजनेस करती हैं।

दुल्हन जैसे भारी मेकअप और महंगे साड़ी-गहनों में नज़र आने वाली राधे मां के बार में पता चला है की अपने आशीर्वाद के बदले भक्तों से बड़ी कीमत वसूल रही हैं| इनके भक्तों में बड़े फिल्म और टीवी कलाकार भी शामिल हैं। स्टेज पर राधे मां दुल्हन की तरह फुल मेकप कर अवतरित होती हैं और झूमती नाचती रहती हैं। हाथ में त्रिशूल होता है माँ के साथ ही उनके श्रद्धालु भी झूमते नज़र आते हैं। इस सबके बीच जो अद्भुत नज़ारा होता है वो ये कि राधे मां जब किसी पर प्रसन्न होती हैं तब झूमते हुए उसकी गोद में कूद जाती हैं। कहा जाता है कि जिस भक्त की गोद में वो छलांग लगाती हैं उसके सभी कष्ट उसी समय से दूर हो जाते हैं।

आसाराम बापू-

संसार का सार परमात्मा का आनंद बताने वाले संत आसाराम बापू की बात की जाए तो यह भी विवादों से अछूते नहीं हैं| आपको बता दें कि आसाराम बापू के आश्रम में दो बच्चों की संदिग्ध मौत का मामला काफी विवादों में रहा। यही नहीं अपने एक चेले को मरवाने के लिए सुपारी देने के आरोप भी बाबा पर लगे। इतना ही नहीं एक तांत्रिक ने बापू पर आरोप लगाया कि बापू ने गुजरात के एक अखबार के मालिक के बेटे समेत छह लोगों की काले जादू से हत्या करने की सुपारी दी थी। और इस समय वह एक नाबालिग लड़की के यौन शोषण के आरोप में जोधपुर जेल में डेढ़ साल से बंद हैं|

स्वामी नित्यानंद-

हम बात करते हैं भक्तों को आस्था का पाठ पढ़ाने वाले स्वामी नित्यानंद की| कर्नाटक सीआईडी ने स्वामी नित्यानंद के खिलाफ एक चार्जशीट दाखिल किया था इसमें दावा किया गया कि नित्यानंद ने महिलाओं के अलावा अपने एक विदेशी भक्त के साथ कई बार शारीरिक संबंध बनाए हैं। कर्नाटक के बिदादी आश्रम के अलावा अमेरिका में कुछ शहरों में उन्होंने अपने इस भक्त के साथ अप्राकृतिक सेक्स संबंध बनाए थे। सीआईडी ​​द्वारा दाखिल चार्जशीट में साफ कहा गया है कि सबूतों में यह बात सामने आई कि नित्यानंद अप्राकृतिक सेक्स भी करते थे। अधिकारियों के मुताबिक, यह नित्यानंद केस में यह पहला मामला है जब किसी पुरूष भक्त ने एफआईआर दर्ज कराई है। शिकायतकर्ता वर्तमान में अमेरिका में रहता है। उसने कहा है कि स्वामी ने अपने आश्रम में कम से कम छह बार उसके साथ कुकर्म किया था।

निर्मल बाबा-

हजारों भक्तों की परेशानियों को खट्टी- मीठी चटनी, समोसा और गोलगप्पों से दूर करने वाले निर्मल बाबा भी एक विवादित हस्ती बन चुके हैं| उनके खिलाफ देशभर में दर्जनों लिखित शिकायतें दी जा चुकीं है| कृपा का कारोबार करने वाले निर्मल बाबा के खिलाफ धोखाधड़ी का मुकदमा दर्ज करवाने वालों की गिनती में लगातार इजाफा हो रहा है| अपनी तीसरी आंख से दुनिया देखने वाले और हाथ उठाकर लोगों पर कृपा की बारिश करने वाले निर्मल बाबा की जिन्दगी में अब कुछ भी सामान्य नहीं रहा है| उनकी मुसीबतें कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है| जहाँ लोग उनके खिलाफ शिकायत लेकर थाने पहुंच रहे हैं तो वहीँ एक के बाद एक हो रहे खुलासे से बाबा की कृपा के कारोबार में तेजी से गिरावट हो रही है|

सुधांशु जी महाराज-

दुनिया को मोह माया त्याग कर आध्यात्म अपनाने का ज्ञान सुधांशु जी महाराज पर आरोप है कि उनके विश्व जागृति मिशन संस्थान ने चंदे पर आयकर छूट दिलाने के नाम पर लोगों को ठगा। महाराज आयकर छूट के जाली प्रमाणपत्र के जरिए लोगों को दान देने के लिए उकसाते थे। अगर सूत्रों की माने तो उनका कहना है कि मुंबई के एक उद्योगपति भक्त ने मिशन को 53 लाख रूपए दान किए और जब वो आयकर छूट लेने पहुंचा तो पता चला कि आयकर छूट का प्रमाणपत्र जाली है। आयकर विभाग के मुताबिक, विश्व जाग्रति मिशन को वर्ष 1999 से 2008 के बीच 80(G) सर्टिफिकेट दिया ही नहीं गया। मिशन ने 80(G) सर्टिफिकेट की जो कापियां लोगों को दीं, वो फर्जी हैं। 80(G) के तहत दानदाता को 50 फीसदी तक की छूट मिलती है। यही नहीं, आयकर विभाग ने साफ किया की विश्व जागृति मिशन को आयकर के तहत छूट मिल भी नहीं सकती क्योंकि संस्था का पंजीकरण आयकर की धारा 12(A) के तहत कराया ही नहीं गया।

भीमानंद उर्फ इच्‍छाधारी बाबा-

इस ढोंगी बाबा की मायावी दुनिया काफी फैली हुई थी। कांच के टुकड़ों पर डांस, नुकीली कीलों पर थिरकतीं बालाएं, कठपुतली के साथ नृत्य का लुत्फ उठाते इच्छाधारी बाबा भीमानंद। बाबा भीमानंद धार्मिक समारोह के नाम पर मनोरंजन का सामान परोसता था। धर्म के नाम पर लोगों की भीड़ जुटाने के लिए ये समारोह में तरह-तरह नाच करवाता था। फिर आखिर में बारी आती थी खुद बाबा की। नृत्य करने से पहले बाबा पटाखे की लंबी लड़ी में आग लगाता था। फिर जैसे-जैसे पटाखें की लड़ी जलती जाती। वैसे-वैसे बाबा के बदन में ढोल-नगाड़े की आवाज के साथ थिरकन बढ़ती जाती।

दरअसल बाबा भीमानंद के इन समारोहों का मकसद पैसे उगाहना होता था। जाहिर है कि अगर सिर्फ साईं के नाम का प्रवचन होगा तो पैसे नहीं मिलेंगे। इसलिए इस तरह के डांस के जरिए पैसा उगाहने की कोशिश होती थी। इच्छाधारी के हर धार्मिक समारोह में पारंपरिक नृत्य के नाम पर लड़कियों से इसी तरह डांस करवाया जाता था। भोली-भाली जनता तो बेवकूफ बनती ही थी। लुत्फ उठाने वालों में होते थे पुलिसवाले और सफेदपोश। अब पुलिस इस सीडी की जांच कर बाबा के नेटवर्क का पता लगा रही है। इस तरह के समारोह में आने वाले लोगों से बाबा अपने कारोबार यानि सेक्स रैकेट या धर्म के बाजार का सौदा भी कर लेता था।

नारायण साईं-

रेप मामले में आरोपी नारायण साईं पर उनकी ही पत्नी ने बड़ा खुलासा किया है। नारायण साईं की पत्नी ने आरोप लगाया है कि नारायण साईं अय्याश, व्यभिचारी और संत के नाम पर कलंक है। उसने न जाने कितनी लड़कियों के साथ शारीरिक संबंध बनाए हैं। जानकी ने बताया कि उसका विवाह नारायण पिता आसाराम हरपलानी से 22 मई 1997 को हुआ था। इसके बाद वह सास लक्ष्मी के साथ अहमदाबाद के महिला आश्रम में रहकर उनकी देखभाल करती थी। शादी के पंडाल में आसाराम ने घोषणा की थी कि उनका बेटा (नारायण) पांच साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करेगा। लेकिन उसके बाद भी वो लड़कियों के साथ घूमता रहा। नारायण साईं को कलंक बताते हुए जानकी ने कहा की दरअसल आसाराम लोगों को प्रभावित करना चाहते थे कि इतनी सुंदर पत्नी होने के बाद भी नारायण ब्रह्मचर्य का पालन करेगा। उन्होंने यह भी बताया की शादी के बाद नारायण आश्रम की साधिकाओं के साथ सत्संग के नाम पर विभिन्न स्थानों पर घूमता रहता था। अक्सर लड़कियों के साथ विदेश जाता था।

स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि अगर आपको अपने ऊपर विश्वास है तो आप आस्तिक हो, लेकिन अगर आपको अपने ऊपर ही विश्वास नहीं है तो आप नास्तिक हो लेकिन वर्तमान समाज में इसके ठीक विपरीत है। आज अगर आप किसी बाबा को नहीं मानते तो आपको नास्तिक कहा जाता है। भारत के पतन की कहानी भी अंधविश्वास और भाग्यवाद के सहारे ही लिखी गई। भारत का इतिहास शौर्य, वीरता और कर्म का है लेकिन हम इन गुणों को छोड़कर केवल और केवल भाग्यवादी बनकर रह गए हैं। और इसी का परिणाम है इन बाबाओं की फौज। यह सिर्फ हिन्दू धर्म की विडंबना नहीं है, सभी धर्मों में कुछ ऐसे तत्व पाए जाते हैं, जिन्होंने धर्म को धंधा बनाकर रख दिया है। वे भोली-भाली जनता को परमेश्वर, प्रलय, ग्रह-नक्षत्र और शैतान से डराकर लूटते हैं। 

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आचार्य विनोबा भावे की 120वी जयंती पर उनको शत-शत नमन

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के उत्तराधिकारी कहे जाने वाले महान समाज सुधारक एवं चिंतक आचार्य विनोबा भावे देश के उन विद्वज्जनों में शुमार हैं, जिन्होंने आजादी के बाद देश के समक्ष सबसे बड़े संकटों को पहचाना और उन्हें दूर करने के लिए प्रभावी प्रयास किए। विनोबा भावे का जन्म 11 सितंबर, 1895 को महाराष्ट्र के नासिक में हुआ था। विनोबा का वास्तविक नाम विनायक नरहरि भावे था। छोटी उम्र में ही विनोबा भावे ने रामायण, महाभारत और भागवत गीता का अध्ययन कर लिया था। वह इनसे बहुत ज्यादा प्रभावित भी हुए थे। विनोबा भावे अपनी माता से सर्वाधिक प्रभावित थे। विनोबा का कहना था कि उनकी मानसिकता और जीवनशैली को सही दिशा देने और उन्हें अध्यात्म की ओर प्रेरित करने में उनकी मां का ही योगदान है।

विनोबा गणित के बहुत बड़े विद्वान थे, लेकिन ऐसा माना जाता है कि 1916 में जब वह अपनी 10वीं की परीक्षा के लिए मुंबई जा रहे थे तो उन्होंने महात्मा गांधी का एक लेख पढ़कर शिक्षा से संबंधित अपने सभी दस्तावेजों को आग के हवाले कर दिया था। विनोबा भावे अपने युवाकाल में ही महात्मा गांधी के समीप आ गए थे। गांधी की सादगी ने जहां उन्हें मोह लिया, वहीं राष्ट्रपिता ने विनोबा के भीतर एक विचारक और आध्यात्मिक व्यक्तित्व के लक्षण देखे। इसके बाद विनोबा ने आजादी के आंदोलन के साथ-साथ महात्मा गांधी के सामाजिक कार्यो में सक्रियता से भाग लिया।

विनोबा भावे एक महान विचारक, लेखक और विद्वान थे, और अनेक भाषाओं के ज्ञाता भी। उन्हें लगभग सभी भारतीय भाषाओं का ज्ञान था। वह एक उत्कृष्ट वक्ता और समाज सुधारक भी थे। विनोबा भावे के अनुसार, कन्नड़ लिपि विश्व की सभी लिपियों की रानी है। विनोबा ने गीता, कुरान, बाइबिल जैसे धर्मग्रंथों का अनुवाद तो किया ही, साथ ही इनकी आलोचनाएं भी कीं। विनोबा भावे भागवत गीता से बहुत ज्यादा प्रभावित थे। वह कहते थे कि गीता उनके जीवन की हर एक सांस में है। उन्होंने गीता को मराठी भाषा में अनूदित भी किया था।

आजादी के बाद देश में सामंती एवं राजशाही व्यवस्था कानूनी रूप से तो खत्म हो गई, लेकिन सामाजिक व्यवस्था में वह कहीं न कहीं व्याप्त थी। विनोबा भावे ने ऐसे समय में देश में भूमि सुधार की जरूरत को समझा और 'भूदान यज्ञ' की शुरुआत की। विनोबा भावे के भूमिसुधार आंदोलन के महत्व को इस बात से भी समझा जा सकता है कि आज भी देश को बड़े स्तर पर भूमिसुधार की जरूरत है, और हाल ही में संसद द्वारा पारित भूमि अधिग्रहण विधेयक को भी भूमिसुधार की एक कड़ी के रूप में देखा जा सकता है। आजादी के बाद विनोबा ने गांधीवादियों को सलााह दी कि स्वराज हासिल करने के बाद उनका उद्देश्य सर्वोदय के लिए समर्पित समाज का निर्माण करना होना चाहिए। इसके लिए विनोबा ने देश के सबसे पिछड़े इलाकों में से एक तेलंगाना को चुना, क्योंकि वहां से उस समय भूमि मालिकों के खिलाफ कुछ हिंसक घटनाओं की खबरें आ रही थीं।

उन हिंसक घटनाओं ने सरकार के खिलाफ संघर्ष का रूप ले लिया, तो विनोबा ने उस हिंसक संघर्ष को समाप्त करने के लिए खुद पहल करने का संकल्प लिया। विनोबा अपने संकल्प की साधना में पैदल ही निकल पड़े तथा तीसरे दिन तेलंगाना के पोचमपल्ली गांव पहुंचे। वहां वह मुस्लिम प्रार्थनास्थल में रुके। वहां विनोबा क्षेत्र के 40 भूमिहीन दलित परिवारों से मिले और उनकी समस्याएं जानीं। लोगों ने जब विनोबा से पूछा कि क्या वह उन्हें सरकार से भूमि दिला सकते हैं? तो विनोबा ने कहा कि इसमें सरकार की क्या जरूरत है? इसके लिए विनोबा ने उसी क्षेत्र के कुछ लोगों से मदद मांगी तो गांव के एक प्रमुख किसान ने 100 एकड़ भूमि दान देना स्वीकार कर लिया, जबकि दलित सिर्फ 80 एकड़ भूमि मांग रहे थे। विनोबा भावे देश की विकराल समस्या का हल मिल गया।

यहीं से विनोबा के भूदान आंदोलन की शुरुआत हुई। विनोबा ने सिर्फ तेलंगाना के 200 गांवों से सात सप्ताह के भीतर 12,000 एकड़ भूमि जुटा ली। विनोबा के उस समय चलाए आंदोलन की गूंज का हम इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि एशिया का नोबेल के रूप में प्रतिष्ठित प्रथम रैमन मैग्सेसे पुरस्कारों की जब घोषणा हुई तो विनोबा को सामुदायिक नेतृत्वकर्ता के लिए पहला मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान किया गया। विनोबा सच्चे संन्यासी थे। नवंबर 1982 में अत्याधिक बीमार पड़ने के बाद उन्होंने अपनी इहलीला स्वेच्छा से समाप्त करने का संकल्प लिया और अन्न-जल का त्याग कर दिया। परिणामस्वरूप 15 नवंबर, 1982 को विनोबा पंचतत्व में विलीन हो गए। विनोबा को समाज को दिए उनके अप्रतिम योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत 1983 में देश के सर्वोच्च सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया।

इन हॉट अभिनेत्रियों का रहा विवादों से गहरा संबंध


बॉलीवुड में कई ऐसी हॉट अभिनेत्रियां है जिनका विवादों से गहरा संबंध रहा है| तो आइये उन अभिनेत्रियों पर नज़र डालते हैं जिनका विवादों से चोली दामन का साथ रहा है|

वीना मलिक

ग्लैमर की दुनिया में नाम और शोहरत कमाने की चाहत में कुछ हस्तियां खुद को सुर्ख़ियों में रखने के लिए विवादों का सहारा ले लेते है। ऐसी ही एक हस्ती है पाकिस्तानी मॉडल व वीना मलिक जिन्हें कौन नहीं जानता| वीना मलिक अपनी हॉट फोटोज और विडियोज को लेकर अक्सर सुर्ख़ियों में रहती हैं| 

पूनम पांडे

अपनी हॉट फोटोज और वीडियोज को लेकर हमेशा सुर्ख़ियों में बनी रहने वाली बॉलीवुड अभिनेत्री पूनम पांडे ने एक मॉडल के रूप में अपने कैरियर की शुरूआत की थी। पूनम पांडे वर्ष 2011 के लिए किंगफिशर कैलेंडर लड़कियों में से एक है। पूनम ने किंगफिशर कैलेंडर के लिए अपनी नग्न मुद्रा तस्वीर डाली। किसी काम की उपलब्धि नहीं बल्कि अपने ऐसे ही अजीबोगरीब हरकतें, ट्विटर पर डाले गए नग्न तस्वीरें की वजह से ही वो चर्चाओं में बने रहने के लिए जानी जाती हैं।

सनी लियोन

मशहूर रियलिटी शो 'बिग बॉस 5' के जरिये भारतीय-कनाडाई मूल की जानी-मानी पॉर्नस्टार सनी लियोन भी अक्सर विडियोज व फोटोज को लेकर सुर्ख़ियों में बनी रहती हैं| आजकल सनी लियोन का कंडोम विज्ञापन चर्चा में बना हुआ है| 

राखी सावंत

कई हिंदी और कुछ कन्नड़, मराठी, तेलुगु और तमिल फिल्मों में दिखाई देनी वाली राखी सावंत भारतीय राजनीतिज्ञ, नर्तकी, हिंदी फिल्म और टीवी अभिनेत्री है।

रोजलीन खान

मॉडल से अभिनेत्री बनी रोजलीन खान किंगफिशर मॉडल पूनम पांडे से कहां हार मानने वाली हैं। किंगफिशर मॉडल पूनम पांडे ने अगर न्यूड पोज दिया तो रोजलीन खान भी धोनी के प्रति वफादारी दिखाते हुए टॉपलेस हो गयी थी और फोटोशूट करवाये थे।

निगार खान

बॉलीवुड के आइटम गानों में आपने इन्हें जरूर देखा होगा। निगार और उनके बॉय्फ्रेन्ड साहिल खान की शादी को लेकर बहुत सारी चर्चाएं हुई थी। बिंदास ऎक्ट्रेस निगार खान का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है। फिल्मों में सेक्सी सीन के अलावा उत्तेजक फोटोशूट से लेकर अपने कप़डे गिराने की खास अदाओं को लेकर खूब चर्चा में रही हैं निगार।

नंदना सेन

फिल्म रंग रसिया में नंदना सेन ने काफी बोल्ड और सेक्सी सीन दिए हैं। नंदना इस फिल्म में कॉन्ट्रोवर्शल टॉपलेस सीन देने के लिए खूब सुर्खियों में रही हैं। बॉलिवुड की यह बंगाली बाला रिया सेन ने भले फिल्मों में अपनी कोई खास पहचान न बना पाई हो, लेकिन अपने विवादास्पद एमएमएस को लेकर चर्चाओं में टॉप पर रही हैं रिया।

शिल्पा शुक्ला

शिल्पा शुक्ला ने 2007 में फिल्म ‘चक दे इंडिया’ में काम किया था और 2013 में इनकी बहुत बोल्ड फिल्म बी.ए पास आई थी।

नीतू चंद्रा
नीतू एक जानी-मानी फिल्म अभिनेत्री, मॉडल है। नीतू चंद्रा ने मॉडल क्रिशिखा के साथ बहुत ही आपत्तिजनक फोटोशूट करवाया था

इस मंदिर में रोजाना खिचड़ी का भोग लगाने आते हैं हजारों सियार

क्या कभी आपने जंगली जानवरों को घास खाते हुए देखा है, या मछलियों को पेड़ पर चढ़ते हुए देखा है? यह पढ़कर आप जरूर अचंभित हो रहे होंगे. लेकिन भारत में एक ऐसी जगह है जहां ऐसी ही रहस्‍यमयी घटनाएं घटती हैं. यह जगह है रण ऑफ कच्‍छ|

काला डूंगर या ब्लैक हिल गुजरात के कच्छ ज़िले का एक पर्यटन स्थल है। काला डूंगर से रण का का दृश्य देखते ही बनता है तथा पहाड़ी स्थित ‘दत्तात्रेय मंदिर’ से सायंकाल की आरती के बाद पुजारी की आवाज़ पर सैकड़ों की संख्या में सियारों का दौड़ कर आना पर्यटकों को अचंभित करता है।

मान्‍यता है कि रण ऑफ कच्‍छ के वीरान पहाड़ काला डूंगर पर घूमते हुए गुरु दत्तात्रेय ने एक सियार को भूख से तड़पते हुए देखा| यह देखकर गुरु ने सियार को 'ले अंग' कहकर स्‍वयं को भोजन स्‍वरूप पेश कर दिया| लेकिन आश्‍चर्यजनक रूप से सियार ने गुरु को खाने से मना कर दिया| इस पर प्रसन्‍न होकर गुरु ने सियारों को वरदान दिया कि वे अब कभी भी रण ऑफ कच्‍छ में भूखें नहीं मरेंगे|

गुरु दत्तात्रेय को इस धरती से विचरण किए सैकड़ों साल हो गए हैं लेकिन आज भी गुरु दत्तात्रेय के मंदिर में रोज सुबह हजारों सियार खिचड़ी का भोग लगाने आते हैं| मंदिर में आए भक्‍तों द्वारा लाल चावल और दूध की खीर को एक नियत जगह पर रख दिया जाता है| इसके बाद जैसे ही 'ले अंग' की आवाज दी जाती है वैसे ही देखते ही देखते एक बड़ी संख्‍या में सियार लाल चावल खाने आ जाते हैं|

मंदिर प्रशासन के नियमानुसार जब सियारों को खाना दिया जाता है, तब इनके पास लोगों को नहीं जाने दिया जाता। हां, उन्हें मंदिर के पास से देखा जा सकता है। सियार लगभग 10-15 मिनट में खाना खत्म कर वापस जंगल में ओझल हो जाते हैं। इतना ही नहीं, खिचड़ी खाने के लिए यहां कई पक्षी व कुत्ते भी पहुंचते हैं, लेकिन वे सभी सियारों के जाने का इंतजार करते हैं। यानी की उन्हें यह अच्छी तरह से पता है कि मंदिर के इस प्रसाद पर पहला हक सियारों का है।

गुजरात में जहां आज रण ऑफ कच्‍छ स्थित है वहां हजारों साल पहले एक विशाल समुंदर लहराया करता था| लेकिन एक भूकंप में कच्‍छ की जमीन ऊपर आ गई और समुद्र पीछे हट गया|

जानिए कितनी भाषाओँ में लिखी गई रामायण

सर्वप्रथम श्रीराम की कथा भगवान श्री शंकर ने माता पार्वतीजी को सुनाई थी। उस कथा को एक कौवे ने भी सुन लिया। उसी कौवे का पुनर्जन्म काकभुशुण्डि के रूप में हुआ।काकभुशुण्डि को पूर्व जन्म में भगवान शंकर के मुख से सुनी वह रामकथा पूरी की पूरी याद थी। उन्होंने यह कथा अपने शिष्यों को सुनाई। इस प्रकार रामकथा का प्रचार-प्रसार हुआ। भगवान शंकर के मुख से निकली श्रीराम की यह पवित्र कथा 'अध्यात्म रामायण' के नाम से विख्यात है।लोमश ऋषि के शाप के चलते काकभुशुण्डि कौवा बन गए थे। लोमश ऋषि ने शाप से मु‍क्त होने के लिए उन्हें राम मंत्र और इच्छामृत्यु का वरदान दिया। कौवे के रूप मंं ही उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन व्यतीत किया। वाल्मीकि से पहले ही काकभुशुण्डि ने रामायण गिद्धराज गरुड़ को सुना दी थी।जब रावण के पुत्र मेघनाथ ने श्रीराम से युद्ध करते हुए श्रीराम को नागपाश से बांध दिया था, तब देवर्षि नारद के कहने पर गिद्धराज गरुड़ ने नागपाश के समस्त नागों को खाकर श्रीराम को नागपाश के बंधन से मुक्त कर दिया था।

भगवान राम के इस तरह नागपाश में बंध जाने पर श्रीराम के भगवान होने पर गरुड़ को संदेह हो गया।गरुड़ का संदेह दूर करने के लिए देवर्षि नारद उन्हें ब्रह्माजी के पास भेज देते हैं। ब्रह्माजी उनको शंकरजी के पास भेज देते हैं। भगवान शंकर ने भी गरुड़ को उनका संदेह मिटाने के लिए काकभुशुण्डिजी के पास भेज दिया। अंत में काकभुशुण्डिजी ने राम के चरित्र की पवित्र कथा सुनाकर गरुड़ के संदेह को दूर किया। वैदिक साहित्य के बाद जो रामकथाएं लिखी गईं, उनमें वाल्मीकि रामायण सर्वोपरि है। वाल्मीकि श्रीराम के समकालीन थे और उन्होंने रामायण तब लिखी, जब रावण-वध के बाद राम का राज्याभिषेक हो चुका था। एक दिन वे वन में ऋषि भारद्वाज के साथ घूम रहे थे और उन्होंने एक व्याघ द्वारा क्रौंच पक्षी को मारे जाने की हृदयविदारक घटना देखी और तभी उनके मन से एक श्लोक फूट पड़ा। बस यहीं से इस कथा को लिखने की प्रेरणा मिली। यह इसी कल्प की कथा है और यही प्रामाणिक है। वाल्मीकि ने राम से संबंधित घटनाचक्र को अपने जीवनकाल में स्वयं देखा या सुना था इसलिए उनकी रामायण सत्य के काफी निकट है, लेकिन उनकी रामायण के सिर्फ 6 ही कांड थे। उत्तरकांड को बौद्धकाल में जोड़ा गया। उत्तरकांड क्यों नहीं लिखा वाल्मीकि ने? यह सवाल अभी भी अनुत्तरित है।

राम कथा के प्रणेता के रूप में वाल्मीकि रामायण का नाम सर्वप्रथम लिया जाता है। वाल्मीकि रामयाण को स्मृत ग्रंथ माना गया है इस ग्रंथ की रचना माता सरस्वती की कृपा से हुई थी| इस ग्रंथ को ॠतम्भरा प्रज्ञा की देन बताया जाता है। रामायण की रचना संस्कृत भाषा में हुई है। वाल्मीकि रामायण के अलावा भी कई रामायणे लिखी गईं हैं| श्री रामचरित मानस की रचना गोस्वामी तुसलीदास द्वारा संवत 1633 में सम्पन्न हुई थी। अवधी भाषा में रचित इस महाकाव्य की रचना दो वर्ष सात महीने छब्बीस दिन लगे थे। इस ग्रंथ में बालकाण्ड, आयोध्या कांड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धा काण्ड, सुन्दरकाड, लंकाकाण्ड तथा उत्तरकाण्ड के रूप में सात काण्ड है। इन सात काण्डों में ही श्रीराम के सम्पूर्ण चरित्रको समाहित किया गया है।

आध्यात्म रामायण की रचना महर्षि वेदव्यास द्वारा की गई है। ब्राह्मण्ड पुराण के उत्तरखण्ड के अंतर्गत एक आख्ययान के रूप में इसकी रचना हुई है। इसकी रचना संस्कृत भाषा में की गई है। प्रस्तु ग्रंथ में भगवान श्री राम को आध्यात्मिक तत्व माना गया है। आनन्द रामायण महर्षि वाल्मीकि की ही रचना है। इस रामायण को भी सारकाण्ड, जन्म काण्ड, मनोहर काण्ड, राज्य काण्ड आदि काण्डों में बांटा गया है।संस्कृत भाषा में रचित इस रामायण में राजनैतिक, धार्मिक, सांस्कृतिक आध्यात्मिक एवं सामाजिक महत्व के साथ ही श्री राम के मर्यादा पुरूषत्व की नींव को सुदृढ़ बनाया है। कृति वास रामायण की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी के जन्म से लगभग सौ वर्ष पूर्व हुई थी। इस रामायण की भाषा बंगला है। बंग्लादेश स्थित मनीषी कवि कृतिवास द्वारा रचित इस रामायण में भी बालकाण्ड, अयोध्याकाण्ड, अरण्यकाण्ड, किष्किन्धा काण्ड,उत्तरकाण्ड इत्यादि है । इस रामायण में भी सात काण्ड है। पवार छन्दों में पांचाली गान के रूप में रचित इस ग्रंथ में श्रीराम के उदार चरित्रों का बखान किया गया है।

अदभुत रामायण की रचना भी संस्कृत भाषा में की गई है। इस रामायण की रचना भी महर्षि वाल्मिकी द्वारा ही की गयी है। इस रामायण में सत्ताईस सर्ग के अंतर्गत लगभग चौदह हजार श्लोक है। इस रामायण में भगवती सीता के महात्म्य को विशेष रूप से दर्शाया गया है। इस रामायण के अनुसार सहस्रसुख का भी रावण था जो दशमुख रावण का अग्रज था। सीता ने महाकाली का रूप धारण करके सहस्रसुख रावण का वध कर दिया था। रंगनाथ रामायण की रचना द्रविड़ भाषा में (तेलगु) में श्री मोनबुध्द राज द्वारा देशज छन्दों में 1380 ई. के आसपास की गई । इस रामायण में युध्दकाण्ड के माध्यम से श्रीराम को महाप्रतापी बताया गया है। रावण के कुकृत्यों की निन्दा के साथ ही उसके गुणों की भी इसमें मुक्तकण्ठ से प्रशंसा की गई है।

कश्मीरी रामायण की रचना दिवाकर प्रकाश भट्ट द्वारा कश्मीरी भाषा में की गई है। इस रामायण को रामावतार चरित्र के नाम से भी जाना जाता है । इसका एक नाम प्रकाश रामायण भी है। काशुर रामायण के नाम से इसका हिन्दी रूपान्तर भी प्राप्त है। इस रामायण में भक्ति ज्ञान एवं वैराग्य की त्रिवेणी प्रवाहित होती दिखाई देती है। प्रियंका रामायण की रचना उड़िया भाषा में आदिकवि श्री शरलादास द्वारा की गई है। यह रामायण पूर्वकाण्ड तथा उत्तरकाण्ड के रूप में थी तथा दो खण्डों में है। शिव पार्वती के संवाद के रूप में रचित यह रामायण भगवती महिषासुर मर्दिनी की वन्दना से प्रारंभ है। योगवशिष्ठ - रामायण की रचना भी महर्षि वाल्मीकि द्वारा संपन्न हुई है। इसे महारामायण, आर्य रामायण (आर्ष रामायण), वशिष्ठ रामायण, ज्ञान वशिष्ठ रामायण के नामों से भी जाना जाता है। यह ग्रंथवैराग्य प्रकरण, मुमुक्षु व्यवहार प्रकरण, उत्तप्ति प्रकरण, स्थिति प्रकरण, उपशम प्रकरण तथा निर्वाण प्रकरण (पूर्वार्ध एवं उत्तरार्ध) के रूप में श्रीराम के चरित्र को छ: प्रकरणों में विभक्त किया गया है। संस्कृत भाषा में रचित इस रामायण में श्रीराम के मानवीय चरित्र के पक्ष में विस्तृत रूप से वर्णित किया गया है।

उपरोक्त रामायणों के अतिरिक्त विष्णु प्रताप रामायण, मैथिली रामायण, दिनकर रामायण, शंकर रामायण, जगमोहन रामायण, शर्मा नारायण, ताराचंद रामायम, अमर रामायण, प्रेम रामायण, कम्बा रामायण, तोखे रामायण, गड़बड़ रामायण नेपाली रामायण, विचित्र रामायण मंत्र रामायण तिब्बती रामायण, राधेश्याम रामायण, चरित्र रामायण, कर्कविन रामायण जावी रामायम, जानकी रामायण आदि अनेक रामायण की रचना सिर्फ भारत में ही नहीं अपितु विदेशों में भी की गई है।

अगर हम भाषाओं पर जाएं तो अन्नामी, बाली, बांग्ला, कम्बोडियाई, चीनी, गुजराती, जावाई, कन्नड़, कश्मीरी, खोटानी, लाओसी, मलेशियाई, मराठी, ओड़िया, प्राकृत, संस्कृत, संथाली, सिंहली, तमिल, तेलुगू, थाई, तिब्बती, कावी आदि भाषाओं में लिखी गई है रामायण। अभी तक बहुत सारी रामायण लिखी जा चुकी हैं। विदेशों में जो रामायणे लिखी गईं हैं उनमें किंरस-पुंस-पा की 'काव्यदर्श' (तिब्बती), रामायण काकावीन (इंडोनेशियाई कावी), हिकायत सेरीराम (मलेशियाई भाषा), रामवत्थु (बर्मा), रामकेर्ति-रिआमकेर (कंपूचिया खमेर), तैरानो यसुयोरी की 'होबुत्सुशू' (जापानी), फ्रलक-फ्रलाम-रामजातक (लाओस), भानुभक्त कृत रामायण (नेपाल), अद्भुत रामायण, रामकियेन (थाईलैंड), खोतानी रामायण (तुर्किस्तान), जीवक जातक (मंगोलियाई भाषा), मसीही रामायण (फारसी), शेख सादी मसीह की 'दास्ताने राम व सीता'।, महालादिया लाबन (मारनव भाषा, फिलीपींस), दशरथ कथानम (चीन), हनुमन्नाटक (हृदयराम-1623) इसके साथ-साथ अभी भी खोज निरंतर जारी है।

जानलेवा डेंगू से बचना है तो बरतें यह सावधानी

बारिश भले ही नहीं हो रही है मौसम का साइड इफेक्ट दिखने लगा है। बदलते हुए मौसम में सावधान रहना बहुत जरूरी होता है, आपके खान-पान और रहन-सहन में थोड़ी सी लापरवाही आपको बीमार कर सकती है। बदलते मौसम के प्रभाव में आने लोगों का मौसमी बीमारियों के साथ ही मच्छर जनित बीमारियों ने पैर पसारना शुरु कर दिया है। डेंगू भी एक ऐसी ही बीमारी है जो मच्छर जनित होने के साथ-साथ बदलते मौसम में सबसे ज्यादा पनपती है।

डेंगू बुखार का वाइरस बारिश के मौसम में यानी जून से सितंबर-अक्‍टूबर के बीच ही फैलता है। इसका सबसे बड़ा कारण है भारत में बदलता तापमान, इसिलए भी डेंगू बुखार का मौसम बारिश के साथ ही शुरू हो जाता है। आमतौर पर जून कें अंत में बारिश शुरू हो जाती है जुलाई, अगस्त , सितंबर तीन महीनों में डेंगू बुखार सबसे ज्यादा फैलता है, क्योंकि पूरे भारत में सबसे अधिक बारिश इन तीन महीनों के बीच ही होती हैं।

भारत में मौसम का उतार-चढ़ाव लगातार चलता रहता है, कभी बहुत अधिक बारिश तो कभी बहुत अधिक गर्मी या ठंडी होती है जिससे डेंगू के मच्छरों की पैदाइश अधिक बढ़ जाती हैं। इन महीनों में लगातार बारिश और मौसम के उतार-चढ़ाव से काफी उमस और चिपचिपाहट होती है और इसी उमस के कारण डेंगू बुखार के फैलने की संभावना बढ़ जाती है। डेंगू का प्रभाव अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग तरीके से होता है क्योंकि मौसम का उतार-चढ़ाव और बारिश का कभी एक क्षेत्र में आना तो कभी दूसरे में आना इसका मुख्य कारण है।

डेंगू बुखार के कारण पिछले कुछ वर्षों से इंसान में मच्छरों का खौफ बढ़ा है, इससे प्रभावित होने वाले लोग न सिर्फ भारत से हैं बल्कि पूरी दुनिया से हैं। इसमें व्यक्ति को तेज़ बुखार, सिरदर्द, आंखों के पीछे दर्द, मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द और शरीर पर फुंसियां हो जाती हैं। इस बुखार में खून में जल्दी से संक्रमण फैलते हैं। डेंगू बुखार एडिज नामक मच्छर के काटने से फैलता है। ये मच्छर एडिज इजिप्टी तथा एडिज एल्बोपेक्टस के नाम से जाने जाते हैं। यह मच्छर साफ, इकट्ठे पानी में पनपते हैं, जैसे घर के बाहर पानी की टंकियाँ या जानवरों के पीने की हौद, कूलर में इकट्ठा पानी, पानी के ड्रम, पुराने ट्यूब या टायरों में इकट्ठा पानी, गमलों में इकट्ठा पानी, फूटे मटके में इकट्ठा पानी आदि।

डेंगू के लक्षण-

आपको बता दें कि डेंगू बुखार हर उम्र के व्यक्ति को हो सकता है, लेकिन छोटे बच्चों और बुजुर्गों को ज़्यादा देखभाल की ज़रूरत होती है। साथ ही दिल की बीमारी के मरीज़ों का भी खास ख्याल रखने की ज़रूरत होती है। यह बुखार युवाओं में भी तेज़ी से फैलता है, क्योंकि वे अलग-अलग जगह जाते हैं और कई लोगों के संपर्क में आते हैं। डेंगू बुखार के लक्षण आम बुखार से थोड़े अलग होते हैं। इसमें बुखार बहुत तेज़ होता है। साथ में कमज़ोरी हो जाती है और चक्कर आते हैं। डेंगू के दौरान मुंह का स्वाद बदल जाता है और उल्टी भी आती है। सिरदर्द के साथ ही पूरा बदन दर्द करता है।

डेंगू में गंभीर स्थिति होने पर कई लोगों को लाल-गुलाबी चकत्ते भी पड़ जाते हैं। अक्सर बुखार होने पर लोग घर में ‘क्रोसिन’ जैसी दवाओं से खुद ही अपना इलाज करते हैं। लेकिन डेंगू बुखार के लक्षण दिखने पर थोड़ी देर भी भारी पड़ सकती है। लक्षण दिखने पर तुरंत अस्पताल जाना चाहिए। नहीं तो ये लापरवाही रोगी की जान भी ले सकती है। डेंगू संक्रमित व्यक्ति अगर पानी पीने और कुछ भी खाने में परेशानी महसूस करता है और बार-बार कुछ भी खाते ही उल्टी करता है तो डीहाइड्रेशन का खतरा हो जाता है। इससे लीवर का खतरा हो सकता है।

प्लेटलेट्स के कम होने या ब्लड प्रेशर के कम होने या खून का घनापन बढ़ने को भी खतरे की घंटी मानना चाहिए। साथ ही अगर खून आना शुरू हो जाए तो तुरंत अस्पताल ले जाना चाहिए। डेंगू बुखार होने पर सफाई का ध्यान रखने की जरूरत होती है। इलाज में खून को बदलने की जरूरत होती है इसलिए डेंगू के दौरान कुछ स्वस्थ व्यक्तियों को तैयार रखना चाहिए जो रक्तदान कर सकें। सामान्यतः डेंगू से ग्रसित होने वाले सभी लोगों को इससे खतरा होता है। खासतौर पर जब साधारण डेंगू बुखार के बजाय रोगी में रक्तस्राव ज्वर या आघात सिंड्रोम के लक्षण पाए जाते है।

डेंगू रक्तस्राव ज्वर में नाक, मुंह व दांतों में रक्तस्राव के साथ तेज बुखार हो जाता है और मरीज के बुखार का स्तर 105 डिग्री तक भी जा सकता है, जिसका सीधा असर मस्तिष्क पर भी पड़ता है। डीएचएस पॉजीटिव जांच के बाद मरीज को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत होती है। यदि ऐसा न किया जाए तो वह किसी घातक बीमारी का शिकार हो सकता है या फिर रोगी की मृत्यु भी हो सकती है। डेंगू की गंभीर व तीसरी अवस्था को डेंगू शॉक सिंड्रोम कहा जाता है, जिसके तेज कंपकंपाहट के साथ मरीज को पसीने आते हैं। इस अवस्था में इलाज की देरी मरीज की जान ले सकती है। शॉक सिंड्रोम की स्थिति आने तक मरीज के शरीर पर लाल चकत्ते के दाग स्थाई हो जाते हैं, जिनमें खुजली भी होने लगती है।

जरूरी नहीं हर तरह के डेंगू में प्लेटलेट्स चढ़ाए जाएं, केवल हैमरेजिक और शॉक सिंड्रोम डेंगू में प्लेटलेट्स की जरूरत होती है। जबकि साधारण डेंगू में जरूरी दवाओं के साथ मरीज को ठीक किया जा सकता है। इस दौरान ताजे फलों का जूस व तरल चीजों का अधिक सेवन तेजी से रोगी की स्थिति में सुधार ला सकता है।

डेंगू से बचाव ही उसका इलाज-

रोगग्रसित मरीज का तुरंत उपचार शुरू करें व तेज बुखार की स्थिति में पेरासिटामाल की गोली दें। एस्प्रिन या डायक्लोफेनिक जैसी अन्य दर्द निवारक दवाई न लें। खुली हवा में मरीज को रहने दें व पर्याप्त मात्रा में भोजन-पानी दें जिससे मरीज को कमजोरी न लगे। फ्लू एक तरह से हवा में फैलता है अतः मरीज से 10 फुट की दूरी बनाए रखें तो फैलने का खतरा कम रहता है। जहां बीमारी अधिक मात्रा में हो, वहां फेस मॉस्क पहनना चाहिए। घर के आसपास मच्छरनाशक दवाइयां छिड़काएं।

पानी के फव्वारों को हफ्ते में एक दिन सुखा दें। घर के आसपास छत पर पानी एकत्रित न होने दें। घर का कचरा सुनिश्चित जगह पर डालें, जो कि ढंका हो। कचरा आंगन के बाहर न फेंककर नष्ट करें। पानी की टंकियों को कवर करके रखें व नियमित सफाई करें। इस तरह थोड़ी-सी सावधानी से स्वस्थ रहा जा सकता है।

PHOTOS में देखें Poonam Pandey की सबसे बोल्ड तस्वीरें

मुंबई| मॉडल, एक्ट्रैस पूनम पांडे अक्सर अपने फैंस के लिए सोशल मीडिया पर अपनी बेहद हॉट तस्वीरें शेयर किया करती हैं| पूनम पाण्डेय ने अभी हाल ही में कुछ तस्वीरें इंस्टाग्राम पर शेयर की हैं| तस्वीरें बेहद बोल्ड और आकर्षित हैं। अलग अलग पोज में ली गई ये फोटोज काफी कामुक हैं। 









75 सालों से बिना भोजन-पानी के जिंदा है यह बाबा

सोचिए एक व्यक्ति बिना खाए पिए कितने दिन तक जीवित रह सकता है? लेकिन गुजरात में एक बाबा है जिन्होंने 75 वर्षों से न कुछ खाया है और न ही पीया है फिर भी उनके स्वास्थ्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है| यह बात डॉक्टर्स के टेस्ट में भी यह साबित हो चुका है|

13 अगस्त 1929 को गुजरात के मेहसाणा जिले के छारड़ा गांव में जन्मे इन बाबा को चुनरीवाला माताजी के नाम से भी जाना जाता है। बाबा प्रहलाद के 75 वर्षों से बिना भोजन-पानी जिंदा रहने के दावे को कई लोगों ने नहीं माना। आखिरकार 2003 अहमदाबाद के स्टेर्लिग अस्पताल के डॉक्टरों की एक टीम ने उनका टेस्ट किया। यह टेस्ट लगातार 3 सप्ताह तक चला जिसमें पाया गया कि इस दौरान बाबा ने न कुछ खाया और न पीया।

उसके बाद 2010 में भी एक बार डाक्टरों ने उनका टेस्ट किया| यह टेस्ट लेने वाले डॉक्टर भी बाबा की अनोखी करामात को देखकर आश्चर्य में पड़ गए। बाबा चुनरीवाला माताजी का कहना है कि उन्होंने 7 साल की उम्र में ही अपना घर त्याग कर आत्म रहस्य की खोज में जंगल में निकल गए थे।

बाबा प्रहलाद जानी का कहना है कि उनके ऊपर माताजी के रूप में मानी वाली देवी अंबा का आशीर्वाद है। इसी की वजह से वो इतने सालों तक बिना खाए-पीए सिर्फ हवा खाकर जिंदा है। बाबा प्रहलाद माता की तपस्या में इतने लीन है कि वो कपड़े भी देवी की तरह ही पहनते हैं। इतना ही नहीं इन बाबा ने अपने नाक-कान भी छिदवा रखें हैं और देवी की तरह ही आभूषण पहनते हैं।

जानिए खाना खाने के तुरंत बाद क्यों नहीं पीना चाहिए पानी ?

आपने कई महिलाओं व पुरुषों को देखा होगा कि वे खाना खाते समय व तुरंत बाद पानी नहीं पीते| कभी सोचा है कि आखिर यह लोग ऐसा क्यों करते हैं| यदि नहीं तो आज हम आपको बता देते हैं कि लोग खाना खाने के तुरंत बाद पानी क्यों नहीं पीते हैं|

आयुर्वेद के अनुसार, खाना खाने के तुरंत बाद पानी पीना जहर के समान है। पानी तुरंत पीने से उसका असर पाचन क्रिया पर पड़ता है। हम जो भोजन करते है वह नाभि के बाये हिस्से में स्थित जठराग्नि में जाकर पचता है। जठरआग्नि एक घंटे तक खाना खाने के बाद प्रबल रहती है। आयुर्वेद के मुताबिक जठर की अग्नि से ही खाना पचता है। अगर हम तुरंत पानी पी लेते है तो खाना पचने में काफी दिक्कत होती है। इसलिए आयुर्वेद ने खाने और पानी पीने में यह अंतर रखा है।

पानी पीने से जठराग्नि समाप्त हो जाती है ‘जो कि भोजन के पचने के बाद शरीर को मुख्य ऊर्जा और प्राण प्रदान करती है’। इसलिए ऐसा करने से भोजन पचने के बजाय गल जाता है। ऐसा करने से ज्यादा मात्रा में गैस और एसिड बनता है और एक दुष्चक्र शुरू हो जाता है। महर्षि वाघभट्ट ने 103 रोगों का जिक्र किया है जो भोजन के तुरंत बाद पानी पीने से होते हैं।

खाना खाने के लगभग पौन घंटे या एक घंटे के बाद पानी पीना उचित होता है। इस दौरान जठरआग्नि अपना काम कर चुकी होती है। अगर हम पानी खाने के तुरंत बाद पी लेते है तो वह मंद पड़ जाती है जिससे खाना ठीक से नहीं पचता है।

विघ्नविनाशक गणपति के इस मंत्र से पूरी कर सकते हैं कोई भी मन्नत

हमारे हिन्दू धर्म में कोई भी शुभ कार्य की शुरुआत ईश्वर के नाम के बिना नहीं होती| हिंदू धर्म के अनुयायी भगवान श्रीगणेश की पूजा सर्वप्रथम करते हैं। भगवान श्रीगणेश बुद्धि के देवता हैं। जीवन के हर क्षेत्र में गणपति विराजमान हैं। गणपति की पूजा सम्पूर्ण मानी जाती है| हमारे शास्त्रों में कहा गया है कि गणपति सब देवताओं में अग्रणी हैं।

गणेश के इस नाम का शाब्दिक अर्थ – भयानक या भयंकर होता है। क्योंकि गणेश की शारीरिक रचना में मुख हाथी का तो धड़ पुरुष का है। सांसारिक दृष्टि से यह विकट स्वरूप ही माना जाता है। किंतु इसमें धर्म और व्यावहारिक जीवन से जुड़े गुढ़ संदेश है। धार्मिक आस्था से श्री गणेश विघ्रहर्ता है। इसलिए माना जाता है कि वह बुरे वक्त, संकट और विघ्रों का भयंकर या विकट स्वरूप में अंत करते हैं। आस्था से जुड़ी यही बात व्यावहारिक जीवन का एक सूत्र बताती है कि धर्म के नजरिए से तो सज्जनता ही सदा सुख देने वाली होती है, लेकिन जीवन में अनेक अवसरों पर दुर्जन और तामसी वृत्तियों के सामने या उनके बुरे कर्मों के अंत के लिये श्री गणेश के विकट स्वरूप की भांति स्वभाव, व्यवहार और वचन से कठोर या भयंकर बनकर धर्म की रक्षा जरूर करना चाहिए।

शास्त्रों में श्री गणेश को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह के विधि विधान बताये गए हैं| आज हम आपको एक ऐसा चमत्कारी गणेश मंत्र बताने जा रहे हैं जो तुरंत मन्नत पूरी करता है!

मंत्र

“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये वर वरदे नम:”

इस मंत्र का जाप करने लिए सुबह स्नान के बाद मन्दिर या घर में पूर्व दिशा की ओर मुख कर पीले आसन पर बैठें| एक चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर अक्षत की ढेरी या अष्टदल कमल पर श्रीगणेश मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। श्रीगणेश को फूल, चंदन, धूप, दीप व भोग में पीले रंग के लड्डू चढ़ाएं। गौ माता के घी का दीप श्रीगणेश के सामने जलाएं|

श्रीगणेश की कामना विशेष मंत्र को संकल्प लेकर हर रोज 108 बार मंत्र स्मरण करें। चंदन, रुद्राक्ष की माला से 108 बार स्मरण न कर पाएं तो 9, 18, 27 या 54 बार भी जप कर सकते हैं। यह विशेष गणेश मंत्र आसान व मनोरथसिद्धी करने वाला बताया गया है| 

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ऐसे भगाएं तन की दुर्गंध

कई बार ऐसा होता है कि सामने वाले से ऐसी दुर्गंध आती है कि उसके पास बैठना मुश्किल हो जाता है. ऐसा नहीं है कि जो लोग नहीं नहाते, उन्हीं के शरीर से दुर्गंध आती है| कई बार नियमित तौर पर नहाने के बाद भी शरीर से दुर्गंध आती है, जिसका एक कारण तो यह भी है कि आजकल ज्यादातर लोग फील्ड वर्क करते हैं| डियोडोरेंट कुछ समय से ज्यादा शरीर की दुर्गंध को दूर नहीं भगा सकता, परंतु आप अपनी रूटीन में कुछ तरीकों को शामिल कर आसानी से इस समस्या को दूर भगा सकती हैं|

पेट हर हाल में साफ रखें यानी कब्जियत या दूसरी पेट संबंधी कोई समस्यान होने दें। लहसुन, प्याज जैसी तीव्र गंध वाली चीजों से यथा संभव दूरी बनाकर रखें या अधिक सेवन न करें। नियमित व्यायाम अवश्य ही करें, इससे शरीर में बनने वाला दूषित जल पहले ही निकल जाएगा। इसके बाद ही नहाएं ताकि दिनभर अधिक पसीना निकलने की संभावना ही न रहे।

पानी ज्यादा से ज्यादा पीयें, दिन भर में कम से कम 8 से 10 गिलास पानी एक वयस्क व्यक्ति को अवश्य ही पीना चाहिये। शरीर की त्वचा को अधिक से अधिक साफ-सुथरा रखें, हो सके तो नहाते समय मुल्तानी मिट्टी या उससे बने साबुन का ही इस्तेमाल करें। अपने शरीर की प्रकृति और मौसम की अनुसार कपड़े पहनें, भारतीय मौसम में कॉटन के कपड़े ही ज्यादा अनुकूल रहते हैं। कपड़े ऐसे हों जो आपके शरीर को प्राकृतिक वायु से जोड़े रखें।

शरीर से पसीने की दुर्गंध ज्यादा महसूस होती हो तो आप नहाने के पानी में ताजा गुलाब की पत्तियां, यूडीक्लोन, गुलाब जल, नींबू का रस या अन्य कोई खुशबूदार सामग्री मिला कर भी नहा सकती हैं, जो आपके शरीर को कुदरती महक देगी| शरीर से ज्यादा पसीना या दुर्गंध आने पर आप टेल्कम पाऊडर का इस्तेमाल करें, इससे आपके शरीर की दुर्गंध दूर होगी और पसीना भी नहीं आएगा|

रोज नहाने के बाद एक चुटकी बेकिंग सोडा को पानी में मिलाकर अगर आप अपने अंडरआर्म्स पर लगाएंगे तो पसीने से दुर्गंध नहीं आएगी| अगर आपको बहुत अधिक पसीना आता है तो नहाने के बाद एक चुटकी बेकिंग सोडा में नींबू का रस मिलाकर अंडरआर्म्स पर लगाने से भी दुर्गंध से छुटकारा मिलेगा| कपड़े पहनने से पहले अंडरआर्म्स को सूखे कपड़े से जरूर पोछें| एक कपड़े को दोबारा पहनने से पहले जरूर साफ करें. एक ही कपड़े को बार-बार पहनने से पसीने के भाग में संक्रमण भी हो सकता है|

पसीने की बदबू से बचने के लिए नियमित व्यायाम अवश्य ही करें, इससे शरीर में बनने वाला दूषित जल पहले ही निकल जाएगा| इसके बाद ही नहाएं ताकि दिनभर अधिक पसीना निकलने की संभावना ही न रहे| पसीने, गर्मी और प्रदूषण के कारण अक्सर हमारे अंडरआर्म काले पड़ जाते हैं और उससे बदबू भी आने लगती है| इससे छुटकारा पाने के लिए रूई के सहारे नींबू अंडरआर्म में लगाएं या फिर नींबू के एक टुकड़े को उसपर रगड़ें|

हथेली, बगल, माथे, पीठ, घुटनों के पीछे, पैरों की अंगुलियों के बीच में और बॉडी की ऎसी जगहें जो हवा के सीधे संपर्क में नहीं आ पाती, पसीना वहां ज्यादा आता है| बॉडी की दुर्गध को रोकने के लिए आपको अपने इन पार्ट्सस की साफ-सफाई का खयाल रखना होगा| हमेशा अपने अंडरआर्म्स पर वैक्स करवाएं| वैक्सिंग के साथ ही आजकल कई नई तकनीकें भी हैं जो अनचाहे बालों से निजात दिलाती है. लेजर हेअर रीमूवल सबसे एडवांस तकनीक है, जिसे आप आजमा सकती हैं|

खीरे में एंटीऑक्सिडेंट्स भरपूर मात्रा में होते हैं| अगर आप नहाने के बाद कुछ देर खीरे के टुकड़े अपने अंडरआर्म्स पर रखेंगे तो इसमें मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स पसीने के बैक्टीरिया को खत्म कर देंगे| इससे पसीने से दुर्गंध नहीं आएगी|

अनूठा मंदिर: यहां प्याज चढ़ाने से प्रसन्न होते हैं देवता

आमतौर पर मंदिरों में फूल, फल, मेवा-मिठाई का चढ़ावा चढ़ता है, लेकिन राजस्थान में एक ऐसा अनोखा मंदिर है, जहां प्याज का भोग लगाया जाता है| सूत्रों के अनुसार राजस्थान में गोगामे़डी स्थित गोगाजी और गुरू गोरखनाथ मंदिर में लोग बाकायदा प्याज चढ़ा रहे हैं। यह संभवत इकलौता मंदिर है जिसमें देवता को प्याज और दाल चढ़ाई जाती है। लोगों के अनुसार किवदंती है कि यहां पर प्याज व दाल चढाने से देवता प्रसन्न होते हैं। 

बताते हैं कि करीब एक हजार साल पहले यहां गोगाजी व मजमूद गजनवी के बीच युद्ध हुआ था। गोगाजी ने इस युद्ध में सहायता के लिए विभिन्न स्थानों से सेनाएं बुलाई थीं जो अपने साथ भोजन के लिए प्याज और दाल लाए थे। इस युद्ध गोगाजी वीरगति को प्राप्त हुए। वापसी में जब सहायक सेनाएं अपने गंतव्य स्थान को वापस लौट रहीं थी तो लौटने से पहले बची हुई प्याज व दाल गोगाजी की समाधि पर अर्पित कर दी। तब से यह परंपरा है कि जो भी भक्त गोगाजी के दर्शन करने आता है वह प्याज व दाल चढाता है। कहते हैं गोगाजी को प्याज चढ़ाने से भक्त की समस्त मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं| 

इस मंदिर में भादों के महीने में प्रथम पखवाडे में 15 दिन मेला भरता है और इस मेले में लगभग 40-50 लाख लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं जिससे यहां पर सैकडों क्विंटल प्याज इकटा हो जाती है जिसे बेचकर जो राशि प्राप्त होती है उस राशि से मंदिर का भण्डारा किया जाता है और गौशाला चलाने के काम में यह राशि काम में ली जाती है। 

आपको बता दें कि छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में एक ऐसा मंदिर है जहां लोग इडली, दोसा, सांभर, बड़ा जैसे फास्ट फूड का भोग लगाते हैं| अमरैया चिंगराजपारा के मां धूमावती मंदिर में सिर्फ शनिवार को पूजा-आराधना होती है। लोग चटपटे व्यंजन लेकर मंदिर के द्वार पर खड़े रहते हैं। दूसरी खासियत कि यह देश का दूसरा एकलपीठ है। पहला धूमावती मंदिर मध्यप्रदेश के दतिया में भारत-चीन युद्ध के दौरान भारत की जीत के लिए स्थापित हुआ था।

शिव-शक्ति दुर्गा मंदिर परिसर में 2005 में स्थापित मां धूमावती मंदिर में देवी का स्वरूप तामस है। यही वजह है कि देवी को चटपटे व्यंजनों का ही भोग लगाया जाता है। लहसुन, मिर्च, प्याज से बने व्यंजन तामसी होते हैं। शुरुआत में मिर्ची भजिया चढ़ाने का प्रचलन था। समय के साथ भोग भी बदले और अब इडली-दोसा तक चढ़ाए जाने लगे। इन व्यंजनों को बाद में प्रसाद के तौर पर बांट दिया जाता है। प्राचीन काल में देवी के इस रूप को भोग में बलि चढ़ाने की परंपरा थी। आमतौर पर धूमावती देवी की पूजा मंदिरों के बजाय श्मशानों में होती है, क्योंकि वे तांत्रिक आराधना के लिए जानी जाती हैं।

लीडिया ही नहीं और भी बच्चों के पास है आइंस्टीन जैसा दिमाग

विनीत वर्मा । आमतौर पर किसी भी व्यक्ति के बौद्धिक स्तर यानी आईक्यू को उसकी बौद्धिक योग्यता का पैमाना माना जाता हैं और उसके आईक्यू के आधार पर उसकी परख की जाती है। इंग्लैंड में भारतीय मूल की एक बारह वर्षीय बालिका लीडिया सेबेस्टियन नें आईक्यू टेस्ट में आइंस्टीन जैसे दिग्गज वैज्ञानिक को भी पीछे छोड़ दिया। उसका आईक्यू लेवल अल्बर्ट आइंस्टीन और स्टीफन हॉकिंग जैसे वैज्ञानिकों से भी ज्यादा है। लीडिया ने अधिकतम 162 का स्कोर हासिल किया है। हालांकि हॉकिंग और आइंस्टीन ने कभी इस तरह का आईक्यू टेस्ट नहीं दिया, लेकिन उनका आईक्यू 160 के स्कोर का माना जाता है।

यूके के मेन्सा मे आयोजित एक आईक्यू टेस्ट में लीडिया ने 162 का संभावित सर्वाधिक स्कोर हासिल किया है। ऐसा माना जाता है कि हॉकिंग और आइंस्टीन का आईक्यू 160 था और मेनसा दुनिया की सबसे बड़ी और पुरानी आईक्यू सोसायटी मानी जाती है। इसके बारे में बताते हुए लीडिया कहती हैं कि सुरू में वो काफी नर्वस थीं, लेकिन टेस्ट शुरू होते ही उसे सब आसान लगने लगा। आईक्यू लेवल का टेस्ट मेन्सा सोसायटी की ओर से लिया जाता है, जो दुनिया की सबसे बड़ी संस्था है। इसकी मेंबरशिप कोई भी ले सकता है। इसके टेस्ट में हिस्सा लेने के लिए टॉप 2 फीसदी में आपको जगह बनानी पड़ती है। इसके लिए अलग से चयन प्रक्रिया है। गार्डियन में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक लीडिया ने कहा कि टेस्ट में उसकी भाषा के साथ उसके तार्किक पक्ष का आकलन भी किया गया। 

इस बारे में बताते हुए लीडिया के पिता अरुण सेबेस्टियन जो एसेक्स में एक रेडियोलॉजिस्ट हैं उन्होंने बताया कि उनकी बेटी ने आईक्यू टेस्ट में अपने आप ही रुचि दिखाई और फिर उनकी पत्नी से इस बारे में बात करने के बाद टेस्ट के लिए राजी कर लिया। लीडिया के बारे में कुछ असामान्य बातें जो सुनकर आप चौंक जाएंगे। लीडिया अपने जन्म के छठे महीने में बोलने लगी थी। चार साल की छोटी से उम्र से लीडिया वायलन बजा रहीं हैं और हैरी पॉटर के किताबों के सीरीज को वे तीन बार पढ़ चुकीं हैं। पेपर में भाषाई कौशल, एनालॉजी और परिभाषाएं, तर्क शक्ति से जुड़े सवाल पूछे गए थे। इसमें 150 सवाल होते हैं। बड़ों का अधिकतम स्कोर 161 और 18 साल से कम उम्र के बच्चों का 162 हो सकता है।

आपको बता दें कि लीडिया पहली लड़की नहीं है जिसका दिमाग आईक्यू टेस्ट में आइंस्टीन जैसा है| इंडियन गूगल बॉय के नाम से मशहूर कौटिल्य पंडित का उम्र महज पांच साल 11 महीने में आईक्यू लेवल 130 निकला था | कौटिल्य का दिमाग इतना तेज की कम्प्यूटर और अंतरिक्ष से लेकर इतिहास के सवालों का जवाब तपाक से दे देते हैं| पिता सतीश शर्मा बताते हैं कि कुछ दिन पहले तक कौटिल्य पढ़ने में ध्यान नहीं लगाता था और एक बार तो उन्होंने उसकी पिटाई भी कर दी| लेकिन फिर कौटिल्य का ध्यान पढ़ने में लगने लगा और अब तो वह सवाल पूछना बंद ही नहीं करता है, "वह तब तक पूछता रहता है, जब तक उसे बात समझ नहीं आ जाती|

भले ही दुनिया बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन की दीवानी हो, लेकिन खुद अमिताभ कौटिल्य के दीवाने हैं| बच्चों के लिए एक खास टीवी शो में उनकी मुलाकात कौटिल्य से हुई और तभी से वह पांच साल के इस बच्चे से प्रभावित हैं| उन्होंने तो परिचय भी कुछ इस तरह दिया था देवियो और सज्जनो! ये हैं महा तेज, महा ज्ञानी, महा बुद्धिमान, महा कीर्तिमानी, ओजस्वी, तेजस्वी, यशस्वी, श्रीमान कौटिल्य पंडित जी| फिलहाल कौटिल्य के बारे में यह भी बता दूँ कि कौटिल्य एक ऐसी कार बनाने की सोच रहे हैं जो दुनिया को अंतरिक्ष की सैर कराएगी। पुष्पक विमान से बेहतर होगी, चारों ओर से खुली होगी। जमीन पर भी सबसे तेज फर्राटा भरने वाली कार से लोग घंटों की दूरी मिनटों में तय करेंगे। न खर-खर की होगी आवाज और न होगा ध्वनि प्रदूषण।

कौटिल्य से पहले सिंगापुर के एक ढाई साल के बच्चे का आईक्यू टेस्ट किया गया था जिसमें उसे 142 अंक मिले थे| सामान्य से बहुत ज्यादा आईक्यू लेवल होने के कारण एलिजा कैटलिग को जीनियस क्लब 'मेन्सा' में शामिल किया गया था। जिस समय एलिजा मेन्सा में शामिल किये गए थे उस समय उनकी उम्र सिर्फ 2 साल 6 महीने है, इसी उम्र में वो स्टोरी बुक पढ़ लेते थे और पैटर्न सॉल्व कर लेते थे। साथ ही वो खुद से बहुत ज्यादा बड़े लोगों के लिए बने आईक्यू गेम्स को भी अच्छे से खेल लेते थे। एलिजा के पैरंट्स ने पिछले महीने उनका मनोवैज्ञानिक टेस्ट करवाया जिसमें उनका आईक्यू स्कोर 142 दिखा। विशेषज्ञों का मानना है कि फेमस साइंटिस्ट आइंस्टीन का आईक्यू 160 के आसपास रहा होगा।

एलिजा के अलावा वर्ष 2012 में ब्रिटेन में एक चार साल की लड़की का बौद्धिक स्तर 159 मापा गया था जो कि अलबर्ट आइंस्टीन और स्टीफन हॉकिंग के आई क्यू से मात्र एक अंक कम था| हैंपशायर की हेडी हैन्किंस ने दो वर्ष की आयु में ही चालीस तक गिंती करना सीख लिया था| वह लोगों के चित्र बनाने लगी थीं, कविताएं पढ़ने लगी थी और सात वर्ष के बच्चों के लिए लिखी गई पुस्तकें भी पढ़ने लगी थीं| एक साल के अंदर ही उन्होंने जोड़ना और घटाना भी सीख लिया था| उसके माता पिता 47 वर्षीय मैथ्यू और 43 वर्षीय उम्मीद कर रहे हैं कि उनकी पुत्री को सितंबर में शुरू होने वाले सत्र में स्कूल न जाना पड़े| मेन्सा के अनुसार एक सामान्य व्यक्ति का आइ क्यू 100 होता है जबकि 130 के आई क्यू को अच्छा माना जाता है| 2009 में रेडिंग के ढ़ाई वर्ष के ऑस्कर रिगली को मेन्सा के सबसे कम उम्र के सदस्य होने का सम्मान मिला था| उनका बौद्धिक स्तर 160 मापा गया था|

इसके अलावा अमेरिका के 14 वर्षीय जैकब बार्नेट क्वांटम के आईक्यू को अल्बर्ट आइंस्टीन के आईक्यू से बेहतर आंका गया था| जैकब की इस कामयाबी में उनकी मां क्रिस्टीन बार्नेट का अहम योगदान रहा है| जब बार्नेट महज साढ़े तीन साल के हुए तो एक दिन क्रिस्टीन उन्हें पड़ोस के ताराघर ले गई| जहां एक प्रोफेसर एक लेक्चर देने के बाद बच्चों से सवाल पूछ रहे थे| क्रिस्टीन ये देखकर आश्चर्य में पड़ गईं कि जैकब हर सवाल का सही जवाब दे रहा था| इसके बाद क्रिस्टीन ने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए एक नई तरकीब विकसित की, मचनेस के नाम से. इस तरकीब के जरिए क्रिस्टीन ने हर उस काम को करने पर जोर दिया जिससे जैकब का उत्साह और मनोबल बढ़ता था| इसके चलते क्रिस्टीन ने दूसरे सामान्य बच्चों के बीच जैकब को खेलने कूदने का भी मौका दिया और देखते देखते जैकब के जीवन में तेजी से बदलाव आने लगा| महज आठ साल की उम्र में जैकब कॉलेज में पढ़ने लगे|

जैकब बार्नेट क्वांटम के अलावा अमेरिका की ही रहनी वाली एक तीन साल लड़की को जीनियस क्‍लब ‘मेन्‍सा’ में शामिल कर लिया गया था। उसका भी बौद्धिक स्तर आइंस्टीन के करीब निकला था| ऐलेक्सिस नाम की इस लड़की के माता-पिता का कहना कि उन्हें लड़की के इतने तेज दिमाग की जानकारी तब हुई जब उसने एक रात पहले सुनी कहानी को बिल्‍कुल उसी तरह दोहरा दिया। ऐलेक्सिस स्‍पेनिश भाषा भी काफी अच्छे ढंग से बोल लेती है। ऐलेक्सिस ने ये भाषा एक एप्प के जरिये सीखी थी। वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि ऐलेक्सिस का आईक्यू एल्‍बर्ट आइंस्‍टीन के आईक्‍यू के बराबर है हालांकि आजतक आइंस्‍टीन ने किसी तरह के आईक्‍यू कम्पटीशन में भाग नहीं लिया था। ऐलेक्सिस का नाम मेन्‍सा में शामिल होने पर विशेषज्ञों ने कहा कि मेन्‍सा में सिर्फ वही लोग शामिल हो पाते हैं जिनका आईक्‍यू बहुत ऊंचा हो और ऐलेक्सिस को उन लोगों में शामिल किया गया है।