वर्ष 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव का समय जैसे जैसे नजदीक आ रहा है वैसे वैसे विभिन्न राजनीतिक दलों ने सियासी दांव चलना शुरू कर दिया है। सूबे की सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार ने जहां पिछड़ों को हक दिलाने के नाम पर रथयात्राएं निकालने का निर्णय लिया है वहीं विपक्षी दलों ने सपा पर पिछड़ों को गुमराह करने का आरोप लगाया है।
भाजपा ने सपा की मंशा पर सवाल खड़ा करते हुए कहा है कि सपा यह बताए कि जिन 17 जातियों के नाम पर वह अधिकार यात्रा और सामाजिक न्याय यात्रा निकालने जा रही है, उनके लिए क्या कदम उठाए हैं। भाजपा के प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा, "आरक्षण के संदर्भ में उच्च न्यायालय ने आरक्षण की व्यवस्था को लेकर अपनी राय रखी और सरकार से अपेक्षा थी कि सरकार उन परिस्थितियों पर विचार करे जिनमें आरक्षण से वंचित रह गए लोगों को पहले आरक्षण का लाभ मिले इसकी व्यवस्था की जाए।"
पाठक ने कहा कि राजनाथ सिंह के कार्यकाल के दौरान समाज में आरक्षण पाने से वंचित पिछड़े तबके के लोगों को आरक्षण का समुचित लाभ मिल पाए, इसके लिए समाजिक न्याय समिति का गठन किया गया। समाजिक न्याय समिति की संस्तुतियों के आधार पर आरक्षण की व्यवस्था से आरक्षण की मूल अवधारणा को बल मिलता और सामाजिक रूप से पिछड़ी जातियों का जीवन स्तर उठाने में सहायता मिलती।
उन्होंने कहा, "राजनीतिक स्वार्थो के नाते सामाजिक न्याय समिति की संस्तुतियों को लागू करने से बचती सरकारों ने आरक्षण के नाम पर राजनीति तो खूब की, पर जब हिस्सेदारी देने की बात आती है तो कहीं न कहीं आश्चर्यजनक चुप्पी छा जाती है।"
बकौल पाठक जिन 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने की वकालत करते हुए समाजवादी पार्टी यात्राएं और रैलियों का आयोजन करने जा रही है। अखिलेश सरकार यह क्यों नहीं बताती कि अपने स्तर से इन जातियों का जीवन स्तर उठाने के लिए क्या प्रयास किए हैं?
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर ने कहा कि सपा सीधतौर पर इन 17 जातियों को गुमराह करने का काम कर रही है। सपा यह अच्छी तरह से जानती है कि यह उसके वश की बात नहीं है। पिछड़ी जातियों को गुमराह करने के लिए यात्राओं के नाम पर सपा नौटंकी करने जा रही है।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव से पहले पिछड़ों को जोड़ने की मुहिम के तहत ही सपा मुख्यालय से 24 अक्टूबर को 17 पिछड़ी जातियों को उनका अधिकार दिलाने के लिए अधिकार यात्रा और सामाजिक न्याय यात्रा का आगाज किया जाएगा। दोनों यात्राएं 29 अक्टूबर को आजमगढ़ में होने वाली रैली स्थल पर जाकर समाप्त होंगी।
यात्राओं के बारे में सपा के पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के अध्यक्ष नरेश उत्तम ने बताया कि सूबे में पिछड़ी जातियों की आबादी 60 फीसदी है, लेकिन उन्हें 27 फीसदी आरक्षण तक ही सीमित कर दिया गया है। अधिकांश पिछड़ी आबादी आर्थिक-सामाजिक दृष्टि से बहुत कमजोर हैं। पिछड़ों को जागृत करने के लिए ही सामाजिक न्याय यात्रा और 17 पिछड़ी जातियों की अधिकार यात्रा निकाली जा रही है।
इधर, राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान ने इसे सपा सरकार का लॉलीपाप करार दिया। चौहान ने कहा, सपा 17 पिछड़ी जातियों को को उसी तरह का लालीपॉप दे रही है, जिस तरह उसने विधानसभा चुनाव से पहले मुसलमानों को दिया था। चौहान ने कहा कि यह सपा भी जानती है कि वह चाहकर भी ऐसा नहीं कर सकती है। विधानसभा चुनाव से पहले उसने मुसलमानों से वादा किया था कि सरकार बनी तो 18 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा, नतीजा सबके सामने है। वे पिछड़ों को बेवकूफ बनाना चाहते हैं।
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