...यहां संतान प्राप्ति के लिए महिलाएं भरती हैं यशोदा मैया की गोद

देश और दुनिया में कृष्ण जन्माष्टमी का पर्व मनाया जा रहा है। राधा-कृष्ण के मंदिरों में श्रद्धालु उत्सव मना रहे हैं, मगर इंदौर में एक ऐसा मंदिर है जहां श्रद्धालु माता यशोदा की पूजा करते हैं। बाल गोपाल को गोद में लिए यशोदा मां के इस मंदिर में मान्यता है कि यहां गोद भराई की रस्म करने वाली महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है। जन्माष्टमी का पर्व इस बार रविवार और सोमवार को मनाया जा रहा है, मध्य प्रदेश में यह पर्व अधिकांश स्थानों पर सोमवार को मनाया जाएगा।

हर तरफ तैयारियां चल रही हैं, इंदौर के यशोदा माता मंदिर में रविवार को भी महिलाओं ने आराधना कर अपनी गोद भराई की रस्म कराई ताकि उनकी गोद भर सके। लगभग दो शताब्दी पुराने इस मंदिर में माता यशोदा कृष्ण को गोद में लिए दुलार रही हैं। यह प्रतिमा मनमोहक है और वात्सल्य प्रेम का अनुपम उदाहरण है। मंदिर के पुजारी मनोहर दीक्षित बताते हैं कि इस मंदिर का विशेष महत्व है और माना जाता है कि यहां आने वाली महिलाओं की मनोकामना पूरी होती है, और उनकी गोद भर जाती है।

दीक्षित के अनुसार इस मंदिर में हर गुरुवार महिलाओं की गोद भराई की रस्म होती है, जन्माष्टमी पर यहां आने वाली महिलाएं भी इस रस्म को निभाती हैं। इस रस्म में महिला की गोद में सवा किलोग्राम चावल, नारियल, मीठा और वस्त्र डाला जाता है। यहां आने वाली महिलाओं को निराशा नहीं हाथ लगती। यहां गोद भरने की कामना लेकर आई लक्ष्मी शर्मा बताती हैं कि उन्होंने कई महिलाओं से सुना है कि यशोदा माता मंदिर में दर्शन करने से गोद भर जाती है इसीलिए वह भी यहां आई हैं। उन्होंने यशोदा माता से कामना की है कि वे उनकी भी गोद भर दें। स्थानीय लोग बताते हैं कि यशोदा माता मंदिर में विभिन्न स्थानों से आई महिलाएं अपनी मनोकामना पूरी होने की कामना करती हैं, और सोमवार को जन्माष्टमी पर इस मंदिर में महिलाओं का तांता लगा रहेगा।

राष्ट्रीय एकता की सच्ची तस्वीर, यहां मुस्लिम भाई मनाते हैं जन्माष्टमी

राजस्थान में एक जगह ऐसा भी है, जहां मुस्लिम समुदाय के लोग दरगाह में जन्माष्टमी पर्व धूमधाम से मनाते हैं। लेकिन बेहद कम लोगों को ही इसकी जानकारी होगी। राजधानी जयपुर से 200 किलोमीटर दूर झुंझुनू जिले के चिरवा स्थित नरहर दरगाह, जिसे शरीफ हजरत हाजिब शकरबार दरगाह के रूप में भी जाना जाता है, में भगवना कृष्ण के जन्मदिन यानी जन्माष्टमी के अवसर पर तीन दिनों का उत्सव आयोजित किया जाता है।
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दरगाह के सचिव उस्मान अली पठान ने कहा कि यह पर्व पिछले 300-400 वर्षों से मनाया जा रहा है। यहां हर समुदाय के लोग आते हैं। इस समारोह का मुख्य उद्देश्य हिंदुओं और मुस्लिमों में भाईचारे को बढ़ावा देना है। त्योहार के दौरान यहां बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश समेत कई राज्यों के लोग आते हैं। उन्होंने कहा कि यहां हजारों हिंदू आते हैं और दरगाह में फूल, चादर, नारियल और मिठाइयां चढ़ाते हैं। त्योहार के दौरान दरगाह के आसपास 400 से ज्यादा दुकानें सज जाती हैं।

जन्माष्टमी की रात यहां मंदिरों की तरह ही कव्वाली, नृत्य और नाटकों का आयोजन होता है। पठान कहते हैं कि यह कहना बेहद मुश्किल है कि यह त्योहार कब और कैसे शुरू हुआ, लेकिन इतना जरूर है कि यह राष्ट्रीय एकता की सच्ची तस्वीर पेश करता है। क्योंकि त्योहार को यहां हिंदू, मुस्लिम और सिख साथ मिलकर मनाते हैं। उन्होंने कहा कि नवविवाहित जोड़े यहां खुशहाल और लंबे वैवाहिक जीवन की मन्नतें मांगने आते हैं। पास के गांव की रेखा ने कहा कि वह यहां पिछले दो साल से आ रही हैं। यहां आकर उन्हें मानसिक शांति मिलती है। साथ ही वह मेले का भी लुत्फ उठाती हैं।

जब पाप का अंत करने धरा पर आए भगवान

भगवान विष्णु के दस अवतारों में दो अवतार ऐसे हैं जिनका भारतीय जीवन पर गहरा असर है। ये दो अवतार श्रीरामावतार और श्रीकृष्णावतार हैं। कलाओं की दृष्टि से भगवान श्रीकृष्ण को पूर्णावतार माना गया है। भगवान श्रीकृष्ण कई मायनों भारतीय जीवन को दिशा देते हैं। असल में विष्णु का यह अवतार अपने समय के समाज से लेकर आज के आधुनिक समाज तक का दिशा-निर्देशन करता है। श्रीकृष्ण का विराट व्यक्तित्व और उनकी शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं।

भारतीय चिंतन परंपरा की अमूल्य धरोहर और ज्ञान, भक्ति और कर्म की त्रिवेणी 'भगवत् गीता' श्रीकृष्ण के उपदेश का संकलन माना जाता है। कहा जाता है कि कुरुक्षेत्र में स्वजनों से युद्ध करने में अर्जुन की किंतर्व्य विमूढ़ता और अनाशक्ति को दूर करने के लिए भगवान ने जो कुछ कहा था वही गीता में पद्य के रूप में संकलित किया गया है। भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्र मास (भादो महीना) की अष्टमी तिथि को मध्यरात्रि में हुआ था। पुरा आख्यानकों और जनश्रुतियों के मुताबिक उस समय मथुरा के राजा कंस के अत्याचार से लोक जगत त्राहि-त्राहि कर रहा था। कंस का संहार करने के लिए ही भगवान विष्णु देवकी और वसुदेव के आठवें पुत्र के रूप में उत्पन्न हुए थे।

कथा के अनुसार, देवकी कंस की बहन थी। उनका विवाह बड़ी धूमधाम से वसुदेव के साथ हुआ था। विदा वेला में आकाशवाणी से कंस को ज्ञात हुआ कि जिस बहन के प्रति वह इतना प्रेम दिखा रहा है उसी के गर्भ से उत्पन्न होने वाला आठवां पुत्र उसका वध करेगा। इसके बाद कंस ने अपनी बहन और बहनोई को कैद कर लिया और उनकी हर संतान का वध करने लगा। आठवीं संतान के रूप में जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तब माया के प्रभाव से सभी प्रहरी निद्रा के आगोश में समा गए और वसुदेव बालक श्रीकृष्ण को लेकर गोकुल में अपने मित्र नंद के यहां छिपा आए। 

नंद की पत्नी यशोदा ने एक मृत बच्ची को जन्म दिया था जिसे वे अपने साथ लेते आए और उसे कंस को अगले दिन सौंप दिया। किंवदंती है कि सौंपे जाने से पूर्व बच्ची जीवित हो उठी थी और जैसे ही कंस ने उसे पत्थर पर पटकना चाहा, वह उसके हाथों से छूट गई और उसने अट्टहास करते हुए कहा, "तुम्हारा वध करने वाला तो गोकुल में खेल रहा है।" यहीं से कंस और कृष्ण के बीच द्वंद्व की शुरुआत होती है जो कंस के वध तक जारी रहती है। 

कृष्ण जन्मोत्सव का दिन भारत में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। कृष्ण जन्मभूमि मथुरा में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। देशभर में पूरे दिन व्रत रखकर नर-नारी तथा बच्चे रात्रि 12 बजे मंदिरों में अभिषेक होने पर पंचामृत ग्रहण कर व्रत खोलते हैं। कृष्ण के जन्म स्थान मथुरा के अलावा गुजरात के द्वारकाधीश मंदिर सहित देश के सभी कृष्ण मंदिरों में भव्य समारोह का आयोजन होता है। विशेष रूप से यह महोत्सव वृंदावन, मथुरा (उत्तर प्रदेश), द्वारका (गुजरात), गुरुवयूर (केरल), उडूपी (कर्नाटक) तथा देश-विदेश में स्थित इस्कॉन के मंदिरों में आयोजित होते हैं।

नफरत की आग में सुलगा शमशाबाद

उत्तर प्रदेश के आगरा जिले के शमसाबाद में गुरुवार को सांप्रदायिक संघर्ष के बाद शुक्रवार को आग गांवों तक फैल गई। उपद्रवी सुबह से ही सड़कों पर आ गए| समुदाय विशेष के धार्मिक स्थल में तोड़फोड़ कर दी। घटना से तनाव बढ़ा और पुलिस ने बाजार बंद करा अघोषित कर्फ्यू लगा दिया। परंतु इस बीच गांव-गांव बवाल होने लगा। शाम तक तीन मजारें तोड़ दीं। शाम को कस्बे में खोखा फूंक दिया। बवाल बढ़ता देख रैपिड रेस्पांस फोर्स (आरआरएफ) और पीएसी को मोर्चे पर तैनात कर दिया गया है। पुलिस ने गुरुवार की घटना में 500 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया है, जिनमें से 15 गिरफ्तार कर लिए हैं।

मामला आगरा शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर शमशाबाद इलाके का है। पैगंबर के बारे में आकाश गुप्‍ता नाम के शख्स ने गुरुवार को सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर टिप्पणी कर दी थी। यह सूचना पूरे शमशाबाद में फैल गई। इसके बाद खास समुदाय के लोग इकट्ठा हो गए और आकाश को पकड़ लिया। दर्जनों लोग युवक को पकड़कर पीट रहे थे और लोग हंगामा करके फांसी लगाने की मांग कर रहे थे। तभी कुछ लोगों ने आकाश के गले में फंदा डाल दिया। लोग उसे पेड़ से लटकाने जा रहे थे, तभी आकाश के पक्ष के लोगों की भीड़ आ गई। दोनों समुदायों के लोगों के बीच मारपीट हुई और आकाश को छुड़ा लिया गया। इसके बाद हालात बेकाबू होने लगे। आसपास से लोग ट्रैक्‍टर, ट्रॉली, जीप व अन्‍य वाहनों में भरकर लोग शमशाबाद पहुंचने लगे। दोनों समुदायों के बीच जमकर मारपीट होने लगी| थाने पर हंगामा किया। बाद में मोहल्ला टोला में दोनों पक्षों में पथराव व फायरिंग होने लगी। पेट्रोल बम फेंके गए। 

वहीँ, शुक्रवार सुबह साढ़े आठ बजे पुलिस की मौजूदगी में लगभग दर्जनभर उपद्रवी एक धर्मस्थल पर पहुंचे, वहां तोड़फोड़ कर दी। इसके बाद भाग गए। पुलिस और प्रशासन इसकी मरम्मत में लगा था। इसी बीच साढ़े दस बजे वहां से एक किमी दूर कस्बे की खटीक बस्ती में पुरा पर खेत में बने धर्मस्थल में जमकर तोड़फोड़ हुई। दोपहर में कस्बे से आठ किमी दूर स्थित नया बास गांव के पास मजार पर तोड़फोड़ के बाद पास में बने कमरे की छत तोड़ दी। वहां रखे कपड़ों में आग लगा दी। दोपहर तीन बजे कस्बे से आगरा की ओर छह किमी दूर स्थित ऊंचा गांव स्थित मजार में तोड़फोड़ कर दी। शाम तक कस्बे और आसपास के गांवों में हालत तनावपूर्ण थे। देर शाम सात बजे गांधी चौराहे पर अकबर के खोखे को फूंककर उपद्रवी भाग गए। दोपहर में भी इसमें आग लगाने की कोशिश की थी, लेकिन तब पुलिस आ गई थी। दमकलों ने आग बुझाई लेकिन तब तक खोका खाक हो चुका था। अल सुबह से देर रात तक कस्बे में डीआइजी लक्ष्मी सिंह, डीएम पंकज कुमार और एसएसपी राजेश डी मोदक डेरा डाले हुए थे। 

कस्बे में गुरुवार से बाजार बंदी का असर शुक्रवार को देखने को मिला। शुक्रवार को कस्बे में दूध की सप्लाई भी नहीं हुई। ऐसे में लोग दूध के लिए भटकते दिखाई दिए। रामनिवास का कहना था कि पुलिस घर से नहीं निकलने दे रही है। बाजार बंद हैं। ऐसे में बच्चे दूध के लिए तरस रहे हैं। कस्बे के किसी मोहल्ले में दुकानें नहीं खुलीं। जो दुकानें खुली मिलीं, पुलिस ने उन्हें बंद करा दिया। बलवे के बाद कस्बे में सुबह अखबार भी ब्लैक में बिके। बताया जा रहा है कि कुछ भाजपा नेताओं ने गुरुवार की सुबह से ही बाजार बंद करा दिए थे। दोपहर बाद टोला मोहल्ला में हुए सांप्रदायिक संघर्ष के बाद तो इक्का दुक्का दुकानें भी पुलिस ने बंद करा दीं। ठेल-ढकेल वाले भी नहीं आए। शुक्रवार को पूरे कस्बे के बाजार बंद रहे। गांवों में धार्मिक स्थलों में तोड़फोड़ की घटना के बाद पुलिस ने सड़कों पर वाहनों का आवागमन बंद करा दिया। 

शमसाबाद मुख्य बाजार से लेकर गांधी चौक, राजा खेड़ा रोड और अन्य रास्तों पर बैरियर लगाकर पुलिस बल तैनात कर दिया। इसके बाद पुलिसकर्मियों ने बाइक सवारों को भी निशाना बनाया। कई युवकों को हिरासत में ले लिया गया। घरों के बाहर बैठे लोगों को भी नहीं बख्शा। नर्सिंग होम और कोचिंग इंस्टीट्यूटों पर भी पुलिस का डंडा चला। पुलिस ने कोचिंग में पढ़ने आए छात्रों को हिरासत में ले लिया। इसके बाद एक नर्सिंग होम के बाहर भीड़ देखकर पुलिस ने नर्सिंग होम में मरीजों के साथ आए तीमारदारों को उठाना शुरू कर दिया। इससे लोगों में दहशत फैल गई। कस्बे में अफवाह फैली कि पुलिस ने कर्फ्यू लगा दिया है। लेकिन अधिकारियों ने साफ किया कि कर्फ्यू नहीं लगाया गया है। केवल धारा 144 का पालन कराया जा रहा है। अघोषित कर्फ्यू के चलते लोग घरों में कैद होकर रह गए। पुलिस की इस कार्रवाई से कस्बावासियों में आक्रोश व्याप्त है।

बताया जा रहा कि तनाव के बाद शमसाबाद में हालातों का जायजा लेने जा रहे सांसद चौधरी बाबूलाल को उनके समर्थकों के साथ पांच किलोमीटर पहले बाकलपुर पर ही रोक दिया। उपद्रव बढ़ने की आशंका के चलते पुलिस अधिकारियों ने उन्हें आगे नहीं जाने दिया। उनके आने की सूचना मिलते ही बाकलपुर छावनी बन गया था। चौधरी बाबूलाल ने अधिकारियों को 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया। कहा कि निर्दोषों को नहीं छोड़ा गया और दोषियाें को गिरफ्तार नहीं किया गया तो भाजपा गांव-गांव पंचायत कर शमसाबाद में महापंचायत के लिए कूच करेगी। शुक्रवार दोपहर सांसद चौधरी बाबूलाल, भाजपा प्रदेश मंत्री रामप्रताप सिंह चौहान, प्रशांत पौनिया, श्याम भदौरिया, डा. रामबाबू हरित, ऋषि उपाध्याय, वीरेंद्र अग्रवाल, मोहन सिंह चाहर आदि के साथ शमसाबाद जा रहे थे। उनका काफिला बाकलपुर पहुंचा ही था कि यहां पहले से मौजूद पुलिस अधिकारियों ने उन्हें रोक दिया।

शमसाबाद बवाल प्रकरण में भाजयुमो जिलाध्यक्ष सोनू चौधरी का नाम सामने आने के बाद पुलिस ने शुक्रवार तड़के लोहामंडी थाना स्थित आवास में उनके न मिलने पर उनकी मां को हिरासत में ले लिया। और थानेे लाकर बैठा लिया। आरोप है कि इसके बाद उनकी कार को भी पंक्चर कर दिया। इसकी जानकारी पर सांसद चौधरी बाबूलाल आ गए। भाजपाइयों ने प्रदर्शन किया। इसके बाद ही उन्हें छोड़ा गया। भाजयुमो जिलाध्यक्ष का परिवार लोहामंडी थाना परिसर स्थित पुलिस आवास में रहता है। शुक्रवार तड़के तकरीबन पांच बजे लोहामंडी पुलिस उनके आवास पर पहुंची। पुलिस ने सोनू के नहीं मिलने पर उनकी मां विद्या सिंह को हिरासत में ले लिया। थाने में लाकर बैठा दिया। आरोप है कि उनसे मकान भी खाली करने के लिए बोला। जानकारी पर पहुंचे सांसद ने पुलिस कार्रवाई का विरोध किया। 

शमसाबाद। पुलिस ने टोला मोहल्ला में हुए उपद्रव के मामले में दर्ज कराए मुकदमे में सद्दाम, लाला, आमिर, रिजवान, बबलू, बंटी, भप्पा, शहजाद, सुनील, रामलाल, संता, विकास, साहब सिंह, भाजपा के नगर अध्यक्ष मेघ सिंह, दिनेश कुमार को गिरफ्तार कर लिया। 52-52 लोगों को नामजद और 400 अज्ञातों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। उधर, पुलिस ने उपद्रव में गिरफ्तार किए सुनील, विकास, संता, मेघ सिंह, शहजाद, रामलाल को एसीजेएम कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेजा गया। शुक्रवार को भी पुलिस ने दो दर्जन से अधिक लोगों को हिरासत में ले लिया। 

एसएसपी राजेश डी मोड़क ने लोगों से अपील की है कि वे किसी तरह की अफवाह पर ध्यान नहीं दें। कुछ लोग अफवाहें फैलाकर अमन चैन बिगाड़ना चाहते हैं। त्योहार का सीजन है। लोग किसी के बहकावे में नहीं आएं। शमसाबाद में शांति है। पुलिस प्रशासन अफवाह फैलाने वालों पर भी कार्रवाई करेगा। सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक टिप्पणी कर सौहार्द बिगाड़ने वालों पर नियंत्रण को यूपी पुलिस की तकनीकी सेवा मुख्यालय के नेटवर्क ऑपरेटिंग सेंटर से लिंक एक व्यवस्था की गई है। इसके जरिए ऐसे लोगों पर नजर रखी जाएगी। लोगों से अपील है कि यदि किसी भी प्रकार का लेख और सूचना प्राप्त होती है तो मो. 949440-1002 पर व्हाट्स एप के माध्यम से सूचित कर सकते हैं।

उधर, राष्ट्रीय सर्वदलीय मुस्लिम एक्शन कमेटी ने शमसाबाद में हुए बवाल की कड़े शब्दों निंदा की। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करते हुए लोगों से अफवाहों पर ध्यान न देने की कहा। प्रशासन को अपना काम करने देने की कहा। वहीं इस्लामिया लोकल एजेंसी ने शाही जामा मस्जिद में जुमे की नमाज के बाद शांति के लिए दुआ की। आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई और अमन की दुआ करने वालों में असलम कुरैशी, शरीफ कुरैशी, हाजी बिलाल, अमजद कुरैशी, अदनान कुरैशी, हाजी कदीर, आदि शामिल थे।

वर्षो से शिक्षकों के महत्व को दिखाता आ रहा है बॉलीवुड

शिक्षक सख्त भी हो सकते हैं और नर्म भी। वे लोगों के दिलों को भी छू सकते हैं। बॉलीवुड वर्षो से शिक्षकों के महत्व को दिखाता आ रहा है। फिल्मों में अमिताभ बच्चन, आमिर खान और नसीरुद्दीन शाह जैसे अभिनेताओं ने शिक्षक की भूमिका निभाई है। 

पांच सितंबर शिक्षक दिवस के उपलक्ष्य में आइए, ऐसी 10 शीर्ष फिल्मों की चर्चा करें जिनमें शिक्षक और विद्यार्थियों के बीच भावनात्मक, कलहपूर्ण और प्रेमपूर्ण संबंध दिखाया गया है। 'सर' (1993) : मशहूर कलाकार नसीरुद्दीन शाह ने इस फिल्म में एक जिंदादिल शिक्षक की भूमिका निभाई थी। इसमें वह अपने विद्यार्थियों पूजा भट्ट और अनिल अग्निहोत्री की बुरे समय में एक दोस्त की तरह मदद करते हैं।

'रॉकफोर्ड' (1999) : निर्देशक नागेश कुकनूर की यह फिल्म एक किशोर की कहानी है जो एक आवसीय विद्यालय में सैकड़ों छात्रों के बीच खुद को हारा हुआ महसूस करता है। उसकी दोस्ती एक शिक्षक से होती है। फिल्म में दिखाया गया है कि शिक्षक और शिष्य के अच्छे संबंधों से शिष्य का हौसला किस कदर बुलंद होता है। 

'मोहब्बतें' (2000) : इस फिल्म में महानायक अमिताभ बच्चन ने सख्त प्रधानाचार्य नारायण शंकर की भूमिका निभाई है। शाहरुख खान ने एक युवा संगीत शिक्षक की भूमिका निभाई है जो अपनी नई विचारधारा से बदलाव की हवा लेकर आता है। 'मैं हूं ना' (2004) : इसमें शिक्षिका न सिर्फ पढ़ाती है, बल्कि फैशन के नुस्खे भी देती है। शिफॉन की साड़ी और डिजाइनर चोली पहने सुष्मिता सेन के किरदार ने दिखाया है कि लोग शिक्षिकाओं को किस तरह देखते हैं और शिक्षिका को अपने विद्यार्थी शाहरुख खान से प्यार हो जाता है। बोमन ईरानी और बिंदू ने इसमें मजाकिया शिक्षक का किरदार निभाया है।

'ब्लैक' (2005) : यह एक संवेदनशील शिक्षक की कहानी है जो अंधी, मूक-बधिर लड़की की मदद करता है। शिक्षक की भूमिका अमिताभ ने और शिष्या की रानी मुखर्जी ने निभाई थी। शिक्षक और शिष्य कहां तक अपनी भावनाओं को साझा करते हैं, यह इस फिल्म में भावनात्मक तरीके से दिखाया गया है।

'तारे जमीं पर' (2007) : यह डिसलेक्सिया से पीड़ित एक बच्चे की कहानी है। शिक्षक की भूमिका में आमिर खान ने दिखाया है कि ऐसे बच्चों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए। '3 ईडियट्स' (2009) : इसमें एक सख्त कॉलेज प्राचार्य वीरू सहस्त्रबुद्धे को दिखाया गया जिसके लिए किताबी ज्ञान और श्रेणी ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हैं लेकिन एक विद्यार्थी के किरदार में आमिर खान साबित करते हैं कि जीवन पाठ्यपुस्तकों से परे है। 

'पाठशाला' (2009) : फिल्म बॉक्स ऑफिस पर भले ही न चली हो लेकिन इसमें शिक्षा का व्यवसायीकरण होता दिखाया गया है। संगीत शिक्षक राहुल की भूमिका में शाहिद कपूर ने दिखाया है कि किस तरह शिक्षक और छात्र मिलकर विद्यालय के प्रबंधन के खिलाफ खड़े हो सकते हैं।

'आरक्षण' (2011) : शिक्षक और छात्र के बीच संबंधों को दर्शाती यह फिल्म आरक्षण के मुद्द पर आधारित है। अमिताभ ने कॉलेज प्राचार्य प्रभाकर आनंद की भूमिका निभाई है जो बाद में सामाजिक कार्यकर्ता बन जाता है। 'स्टूडेंड ऑफ द ईयर' (2012) : करन जौहर की इस फिल्म में दिखाया गया है कि विद्यार्थी भी शिक्षक को सिखा सकते हैं। इसमें कॉलेज की वार्षिक प्रतियोगिता के कारण छात्रों की दोस्ती टूट जाती है। अंत में एक छात्र प्राचार्य ऋषि कपूर को बताता है कि प्रतियोगिता का विषय ही घातक था। तब प्राचार्य को गलती का अहसास होता है।

जानिए मधुमेह के कारण और निवारण

डायबटीज एक ऐसी बीमारी है जिसके मरीज दुनिया में सबसे ज्यादा है, एक बार इस बीमारी की चपेट में आये इंसान को तो उम्र भर सावधानी बरतनी पड़ती है| ऐसे में आप दवाओं पर मत निर्भर रहें|मधुमेह रोगियों की संख्या दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ रही है। इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए आप कुछ घरेलू उपाय भी आजमा सकते हैं।

मधुमेह का कारण-

शरीर को स्वस्थ रखने एवं समुचित विकास हेतु भोजन में अन्य तत्वों के साथ संतुलित प्रोटीन, वसा तथा कार्बोहाइड्रेट आदि तत्त्वों की विशेष आवश्यकता होती है। जब इनमें से कोई भी या सारे तत्व भोजन में शरीर को संतुलित मात्रा में नहीं मिलते अथवा शरीर उन्हें पाचन के पश्चात् पूर्ण रूप से ग्रहण नहीं कर पाता तो शरीर में विविध रोग होने लगते हैं। शरीर में पेन्क्रियाज एक दोहरी ग्रन्थि होती है जो पाचन हेतु पाचक रस और इंसुलिन नामक हारमोन्स को पैदा करती है। इंसुलिन भोजन में से कार्बोहाइड्रटेंस् का पाचन कर उसको ग्लूकोज में बदलती है। कोशिकाएँ ग्लूकोज के रूप में ही पोष्टिक तत्त्वों को ग्रहण कर सकती है, अन्य रूप में उनको शोषित नहीं कर सकती। 

इंसुलिन रक्त में ग्लूकोज की मात्रा का भी नियंत्रण करती है। ग्लूकोज रक्त द्वारा सारे शरीर में जाता है तथा कोशिकाएँ उसको ग्रहण कर लेती है, जिससे उनको ताकत मिलती है। ग्लूकोज का कुछ भाग लीवर, ग्लाइकोजिन में बदलकर अपने पास संचय कर लेता है, ताकि आवश्यकता पड़ने पर पुनः ग्लुकोज में बदलकर कोशिकाओं के लिये उपयोगी बना सके। इंसुलिन की कमी के कारण पाचन क्रिया के पश्चात् आवश्यक मात्रा में ग्लूकोज नहीं बनता और कार्बोहाइड्रेट्स तत्त्व शर्करा के रूप में रह जाते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप जिन-जिन कोशिकाओं को ग्लूकोज नहीं मिलता वे निष्क्रिय होने लगती हैं। उनकी कार्य क्षमता कम होने लगती है एवं मधुमेह का रोग हो जाता है।

मधुमेह के दुष्परिणाम-

शरीर में लगातार अधिक शर्करा रहने से अनेक जैविक क्रियाएँ हो सकती है। अधिक मीठे रक्त से रक्त वाहिनियों की दीवारें मोटी हो जाती है औ र उसका लचीलापन कम होने लगता है। रक्त का प्रवाह बाधित हो सकता है। जब यह स्थिति हृदय में होती है तो हृदयघात और मस्तिष्क में होने पर पक्षाघात हो सकता है। पिण्डलियों में होने पर वहाँ भयंकर दर्द तथा प्रजनन अंगों पर होने से प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती हैं। रक्त वाहिनियों के बाधित प्रवाह से पैरों में सं वेदनाओं में कमी आ सकती है तथा जाने अनजाने मामूली चोटे भी घाव जल्दी न भरने के कारण गम्भीर रूप धारण कर सकती है। शरीर के सभी अंगों को क्षमता सेअधिक कार्य करना पड़ सकता है, जिससे पैरों में कंपन, स्वभाव में चिड़चिड़ापन, तनाव आदि के लक्षण प्रकट हो सकते हैं। संक्षेप में प्रभावित कोशिकाओं से संबंधित रोग के लक्षण प्रकट होने लगते हैं।

घरेलू उपचार- 

तुलसी जो आपको आसानी से उपलब्ध हो जाएगी| तुलसी के पत्तों में ऐन्टीआक्सिडन्ट और ज़रूरी तेल होते हैं जो इजिनॉल, मेथिल इजिनॉल और कैरियोफ़ैलिन बनता है। ये सारे तत्व मिलकर इन्सुलिन जमा करने वाली और छोड़ने वाली कोशिकाओं को ठीक से काम करने में मदद करते हैं। इससे इन्सुलिन की संवेदनशीलता बढ़ती है। एक और फ़ायदा ये है कि पत्तियों में मौजूद ऐन्टीआक्सिडन्ट आक्सिडेटिव स्ट्रेस संबंधी कुप्रभावों को दूर करते हैं। शुगर लेवल को कम करने के लिए दो से तीन तुलसी के पत्ते खाली पेट लें, या एक टेबलस्पून तुलसी के पत्ते का जूस लें।

मधुमेह रोगी सहजन के पत्ते, इसबगोल और करेले का इस्तेमाल करें| इससे भी डायबिटीज नियंत्रित रहता है| सहजन के पत्तों में इसमें दूध की तुलना में चार गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है। मधुमेह के मामलों में इन पत्तों के सेवन से भोजन के पाचन और रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है। पानी में मिलने के बाद इसबगोल की भूसी ‘जेल’ जैसा तत्व बनाती है जिसका सेवन ब्लड ग्लूकोज़ के अवशोषण और भोजन के पाचन को सुगम बनाता है। ये अल्सर और एसिडिटी से भी बचाता है। 

करेले में इन्सुलिन-पोलिपेपटाइड होता है, ये एक ऐसा बायो-कैमिकल तत्व है जो ब्लड-शुगर को कम करने में उपयोगी है। हर हफ्ते कम से कम एक बार करेले की सब्जी या कढी ज़रूर लें. अगर आप जल्द असर चाहते हैं तो तीन दिनमें एक बार खाली पेट करेले का जूस लें। 10 मिग्रा आंवले के जूस को 2 ग्राम हल्दी के पाउडर में मिला लीजिए। इस घोल को दिन में दो बार लीजिए। इसको लेने से खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।

औसत आकार का एक टमाटर, एक खीरा और एक करेला को लीजिए। इन तीनों को मिलाकर जूस निकाल लीजिए। इस जूस को हर रोज सुबह-सुबह खाली पेट लीजिए। इससे डायबिटीज में फायदा होता है। मधुमेह मरीजो को नियमित रूप से दो चम्मच नीम का रस और चार चम्मच केले के पत्ते के रस को मिलाकर पीना चाहिए। चार चम्‍मच आंवले का रस, गुड़मार की पत्ती मिलाकर काढ़ बनाकर पीने मधुमेह नियंत्रण में रहता है।

गेहूं के पौधों में रोगनाशक गुण होते हैं। गेहूं के छोटे-छोटे पौधों से रस निकालकर सेवन करने से मुधमेह नियंत्रण में रहता है। मधुमेह के रोगियों को खाने को अच्छे से चबाकर खाना चाहिए। अच्छे से चबाकर खाने से भी मधुमेह को नियंत्रण में किया जा सकता है। डायबिटीज के मरीजों के लिए सौंफ बहुत फायदेमंद होता है। सौंफ खाने से डायबिटीज नियंत्रण में रहता है। हर रोज खाने के बाद सौंफ खाना चाहिए। मधुमेह के रोगियों को जामुन खाना चाहिए। काले जामुन डायबिटीज के मरीजों के लिए अचूक औषधि मानी जाती है। जामुन को काले नमक के साथ खाने से खून में शुगर की मात्रा नियंत्रित होती है।

स्टीविया का पौधा मधुमेह रोगियों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। स्टीविया बहुत मीठा होता है लेकिन शुगर फ्री होता है। स्टीविया खाने से पैंक्रियाज से इंसुलिन आसानी से मुक्त होता है। डायबिटीज के मरीजों को शतावर का रस और दूध का सेवन करना चाहिए। शतावर का रस और दूध को एक समान मात्रा में लेकर रात में सोने से पहले मधुमेह के रोगियों को सेवन करना चाहिए। इससे मधुमेह नियंत्रण में रहता है।

इसके अलावा आप पटसन के बीज भी इस्तेमाल कर सकते हैं| इनमें फाइबर सामग्री बहुल मात्रा में पाई जाती है जो पाचन में तो मदद करते ही हैं साथ ही फैट और शुगर के अवशोषण में भी सहायक होते हैं। पटसन के बीज खाने से मधुमेह से ग्रसित मरीजों में शुगर की मात्रा 28 प्रतिशततक कम होती है। दालचीनी इन्सुलिन की संवेदनशीलता को सुधारने के साथ-साथ ब्लड ग्लूकोज़ लेवल को भी कम करता है। अगर सिर्फ आधी चम्मच दालचीनी रोज़ ली जाए तो इन्सुलिन की संवेदनशीलता को सुधारा और अपने वज़न को नियंत्रित किया जा सकता है, जिससे ह्रदय संबंधी रोगों का खतरा कम हो जाता है।

ग्रीन टी में पॉलीफिनोल्स होते हैं जो एक मज़बूत एंटी-ऑक्सीडेंट और हाइपो-ग्लाइसेमिक तत्व हैं, इससे ब्लड शुगर को रिलीज़ करने में मदद मिलाती है और शरीर इन्सुलिन का सही तरह से इस्तेमाल कर पाता है। देश में प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले नीम के पत्ते स्वाद में कडवे होते हैं पर इनमें बहुत सी खासियतें हैं। नीम इन्सुलिन रिसेप्टर सेंसिटिविटी बढाने के साथ साथ शिराओं व धमनियों में रक्त प्रवाह को ठीक करता है और हाइपो ग्लाय्केमिक ड्रग्स पर निर्भर होने से बचाता है। बेहतर नतीजों के लिए नीम के पत्तों का जूस रोज़ सुबह खाली पेट लें। इसके अलावा काला जामुन| ये ब्लड-शुगर को कम करने में मदद करता है और ह्रदय संबंधी बीमारियों से शरीर को दूर रखता है।

गुरु बिन ज्ञान कहां जग माही

'गुरु गोविन्द दोउ खड़े काके लगौ पांय, बलिहारी गुरु आपने गोविन्द दियो बताय ' भगवान से भी ऊँचा दर्जा पाने वाले गुरुजनों के सम्मान के लिए एक दिन है व है शिक्षक दिवस | 'शिक्षक दिवस' कहने-सुनने में तो बहुत अच्छा प्रतीत होता है। लेकिन क्या आप इसके महत्व को समझते हैं। शिक्षक दिवस का मतलब साल में एक दिन बच्चों के द्वारा अपने शिक्षक को भेंट में दिया गया एक गुलाब का फूल या ‍कोई भी उपहार नहीं है और यह शिक्षक दिवस मनाने का सही तरीका भी नहीं है।

आप अगर शिक्षक दिवस का सही महत्व समझना चाहते है तो सर्वप्रथम आप हमेशा इस बात को ध्यान में रखें कि आप एक छात्र हैं, और ‍उम्र में अपने शिक्षक से काफ़ी छोटे है। और फिर हमारे संस्कार भी तो हमें यही सिखाते है कि हमें अपने से बड़ों का आदर करना चाहिए। हमको अपने गुरु का आदर-सत्कार करना चाहिए। हमें अपने गुरु की बात को ध्यान से सुनना और समझना चाहिए। अगर आपने अपने क्रोध, ईर्ष्या को त्याग कर अपने अंदर संयम के बीज बोएं तो निश्‍चित ही आपका व्यवहार आपको बहुत ऊँचाइयों तक ले जाएगा। और तभी हमारा शिक्षक दिवस मनाने का महत्व भी सार्थक होगा।

एक शिक्षक की दी हुई शिक्षा से ही बच्चे आगे चलकर देश के कर्णधार बनते हैं। ऐसे ही एक शिक्षक थे भारत के पूर्व राष्ट्रपति और दार्शनिक तथा शिक्षाविद् डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जिनके सम्मान में उनके जन्मदिवस यानी पांच सितंबर को देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन महान शिक्षाविद् थे। उनका कहना था कि शिक्षा का मतलब सिर्फ जानकारी देना ही नहीं है। जानकारी और तकनीकी गुर का अपना महत्व है लेकिन बौद्धिक झुकाव और लोकतांत्रिक भावना का भी महत्व है क्योंकि इन भावनाओं के साथ छात्र उत्तरदायी नागरिक बनते हैं। डॉ.राधाकृष्णन मानते थे कि जब तक शिक्षक शिक्षा के प्रति समर्पित और प्रतिबद्ध नहीं होगा, तब तक शिक्षा को मिशन का रूप नहीं मिल पाएगा।

अपने जीवन में आदर्श शिक्षक रहे भारत के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन का जन्म पांच सितंबर, 1888 को तमिलनाडु के तिरुतनी ग्राम में हुआ था। इनके पिता सर्वपल्ली वीरास्वामी राजस्व विभाग में काम करते थे। इनकी माता का नाम सीतम्मा था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा लूनर्थ मिशनरी स्कूल, तिरुपति और वेल्लूर में हुई। इसके बाद उन्होंने मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज में पढ़ाई की। 1903 में युवती सिवाकामू के साथ उनका विवाह हुआ।

महान शिक्षाविद् राधाकृष्ण ने 12 साल की उम्र में ही बाइबिल और स्वामी विवेकानंद के दर्शन का अध्ययन कर लिया था। उन्होंने दर्शन शास्त्र से एम.ए. किया और 1916 में मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में सहायक अध्यापक के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई। उन्होंने 40 वर्षो तक शिक्षक के रूप में काम किया। वह 1931 से 1936 तक आंध्र विश्वविद्यालय के कुलपति रहे। इसके बाद 1936 से 1952 तक ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में प्राध्यापक के पद पर रहे और 1939 से 1948 तक वह काशी हिंदू विश्वविद्यालय के कुलपति पद पर आसीन रहे। उन्होंने भारतीय संस्कृति का गहन अध्ययन किया।

वर्ष 1952 में उन्हें भारत का प्रथम उपराष्ट्रपति बनाया गया और भारत के द्वितीय राष्ट्रपति बनने से पहले 1953 से 1962 तक वह दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति थे। इसी बीच 1954 में भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने उन्हें 'भारत रत्न' की उपाधि से सम्मानित किया। डॉ. राधाकृष्णन को ब्रिटिश शासनकाल में 'सर' की उपाधि भी दी गई थी। इसके अलावा 1961 में इन्हें जर्मनी के पुस्तक प्रकाशन द्वारा 'विश्व शांति पुरस्कार' से भी सम्मानित किया गया था।

डॉ. राधाकृष्णन ने 1962 में भारत के सर्वोच्च, राष्ट्रपति पद को सुशोभित किया। जानेमाने दार्शनिक बर्टेड रशेल ने उनके राष्ट्रपति बनने पर कहा था कि भारतीय गणराज्य ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन को राष्ट्रपति चुना, यह विश्व के दर्शनशास्त्र का सम्मान है। मैं उनके राष्ट्रपति बनने से बहुत खुश हूं। प्लेटो ने कहा था कि दार्शनिक को राजा और राजा को दार्शनिक होना चाहिए। डॉ. राधाकृष्णन को राष्ट्रपति बनाकर भारतीय गणराज्य ने प्लेटो को सच्ची श्रद्धांजलि दी है।

वर्ष 1962 में उनके कुछ प्रशंसक और शिष्यों ने उनका जन्मदिन मनाने की इच्छा जाहिर की तो उन्होंने कहा कि मेरे लिए इससे बड़े सम्मान की बात और कुछ हो ही नहीं सकती कि मेरा जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए। और तभी से पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाने लगा। शिक्षक दिवस के अवसर पर शिक्षकों को पुरस्कार देकर सम्मानित भी किया जाता है। डॉ. राधाकृष्णन का देहावसान 17 अप्रैल, 1975 को हो गया, लेकिन एक आदर्श शिक्षक और दार्शनिक के रूप में वह आज भी सभी के लिए प्रेरणादायक हैं। 

डॉ० सर्वपल्ली राधाकृष्णन का मानना था कि शिक्षक उन्हीं लोगों को बनना चाहिए जो सर्वाधिक योग्य व बुद्धिमान हों। उनका स्पष्ट कहना था कि जब तक शिक्षक शिक्षा के प्रति समर्पित और प्रतिबद्ध नहीं होता है और शिक्षा को एक मिशन नहीं मानता है, तब तक अच्छी शिक्षा की कल्पना नहीं की जा सकती है। शिक्षक को छात्रों को सिर्फ पढ़ाकर संतुष्ट नहीं होना चाहिए, शिक्षकों को अपने छात्रों का आदर व स्नेह भी अर्जित करना चाहिए। सिर्फ शिक्षक बन जाने से सम्मान नहीं होता, सम्मान अर्जित करना महत्वपूर्ण है|

देखिए सनी लियोन का वह वीडियो जिसको लेकर मचा बवाल



वर्ष 2012 में प्रदर्शित फिल्म ‘‘जिस्म 2’ से बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत करने वाली सनी लियोन का कंडोम वाला एड इन दिनों सुर्खियों में है। सनी लियोन के इस कंडोम विज्ञापन से बवाल मच गया| विज्ञापन की वजह से ही कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (सीपीआई) के वरिष्ठ नेता अतुल अंजान ने देश में हो रहे बलात्कार जैसी घटनाओं के लिए बॉलीवुड अदाकारा सनी लियोन को जिम्मेदार ठहरा दिया। अतुल ने कहा था कि सनी के एक कॉन्डम का विज्ञापन जो कामुकता का विकास और संवेदनाओं को बर्बाद कर देता है। कॉन्डम का यह विज्ञापन वीभत्स है जो रेप को बढ़ावा देगा। इस वीडियो में सनी लियोन के कंडोम विज्ञापन के अनसेंसर्ड होने की बात कही गई है।

उन्होंने कहा कि सनी लियोन के जरिए संस्कृति को खराब किया जा रहा है। सनी लियोनी एक पोर्न स्टार है और उनका सम्मान नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि लोगों के कहने पर एक बार सनी लियोन की पोर्न फिल्म को दो मिनट देखा तो मुझे लगातार उल्टी होती रही| अंजान ने युवाओं को चेतावनी दी है कि वह इनसे बचें और कहा कि अगर कंडोम जैसे प्रचार टीवी और अखबारों में चलेंगे तो देश में बलात्कार की घटनाएं बढ़ेंगी|

हालांकि सीपीआई नेता अतुल अंजान को बाद में सनी लियोन पर दिए रेप वाले बयान पर माफी मांगनी पड़ी है। उनके बयान के बाद से ट्विटर और अन्य सोशल नेटवर्किंग साइटों पर इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। अतुल अंजान के बयान के खिलाफ मुहिम चलाकर लोग अपना विरोध जताने लगे। लोगों में अपने प्रति बढ़ता विरोध देख अतुल अंजान ने कहा है कि मैं पॉर्न के और सनी लियोन के समर्थकों से माफी मांगता हूं.. लेकिन मैं एेसे विज्ञापनों का समर्थन कभी नहीं कर सकता।


मां के हाथ से फिसला और समंदर में समा गया बच्चा, दुनिया में अफसोस

तुर्की के तट पर पड़े बच्चे के शव की तस्वीर ने दुनिया को हिलाकर रख दिया था। उसके पिता अब्दुल्ला ने कहा है उनके बच्चे 'उनके हाथों से फिसल गए थे।' जब यह घटना हुई, उस समय उनकी नौका यूनान जा रही थी। अब्दुल्ला ने अपने तीन वर्षीय बेटे आयलान, चार वर्षीय बेटे घालेब और पत्नी रिहाना को इस त्रासदी में खो दिया। 

अब्दुल्ला ने बताया कि मैंने अपनी पत्नी का हाथ पकड़ा हुआ था लेकिन मेरे बच्चे मेरे हाथों से फिसल गए। वहां अंधेरा था और हर तरफ चीख पुकार मची थी। हमने छोटी नौका से चिपके रहने की कोशिश की लेकिन उसकी हवा निकल रही थी। यूनानी द्वीप कॉस की ओर जा रही दो नौकाएं बुधवार को तुर्की जलक्षेत्र में डूब गई थीं, जिसके कारण 12 सीरियाई प्रवासी मारे गए थे।

इस पूरी त्रासदी में तीन वर्षीय आयलान की मौत ने दुनियाभर का ध्यान खींचा है। आयलान का शव एक तस्वीर में बोद्रुम के एक रिजॉर्ट के तट पर पड़ा हुआ दिखाया गया। यह तस्वीर जल्दी ही वायरल हो गई और शरणार्थियों की त्रासदी का एक प्रतीक बन गई। दूसरी तस्वीर में एक तुर्की सुरक्षा अधिकारी बच्चे को अपनी गोद में उठाकर ले जाता हुआ दिखाया गया है।

बताया जा रहा है कि अब्दुल्ला अपने परिवार और लगभग तीन अन्य सीरियाई लोगों के साथ इस जलक्षेत्र को पार करने की कोशिश कर रहे थे। ओटावा सिटीजन अखबार की खबर में कहा गया कि परिवार अंततः कनाडा जाने की कोशिश कर रहा था। उनकी बहन टीमा ने शरणार्थी आवेदन को प्रायोजित किया था लेकिन कनाडा के आव्रजन अधिकारियों ने इसे जून में खारिज कर दिया था। टीमा 20 साल पहले कनाडा में जा बसी थीं और अब वह वैंकूवर में हेयरड्रेसर के तौर पर काम करती हैं।

एलन को लेकर आम लोगों के साथ-साथ सरकारों के बीच भी बहस छिड़ी। जर्मनी ने कहा कि यूरोप के सभी देश रिफ्यूजियों को जगह देने से इनकार करने लगेंगे तो इससे ‘आइडिया ऑफ यूरोप’ ही खत्म हो जाएगा। ये बच्चा बच सकता था, यदि यूरोप के देश इन लोगों को शरण देने से इनकार नहीं करते। तुर्की के प्रेसिडेंट रीसेप अर्डान ने जी20 समिट में यहां तक कह दिया कि इंसानियत को इस मासूम की मौत की जिम्मेदारी लेनी होगी। गुरुवार शाम तक जर्मनी और फ्रांस ने एलान किया कि शरणार्थियों के लिए यूरोपीय देशों का कोटा तय होगा। मौजूदा नियम में भी ढील दी जाएगी। ताकि लोगों का आना आसान हो।

एलन की तस्वीर लेने वाले फोटोग्राफर निलुफेर देमीर ने कहा कि मैंने बच्चे को तट पर देखा। मुझे लगा कि इस बच्चे में अब जिंदगी नहीं बची है, तो मैंने तस्वीर लेने की सोची। ताकि दुनिया को बताया जा सके कि हालात कितने खराब हो चुके हैं।

इस समय खूब खाइये अमरुद क्योंकि...

बरसात और सर्दियों के दिनों में बाजार में हर जगह अमरुद ही अमरुद दिखाई देने लगते हैं| देखने में हरे और लाल रंग के अमरूद लोगों को काफी पसंद आते है। खाने में तो ये स्वादिष्ट होते ही है साथ ही सेहत के लिए भी काफी फायदेमंद होते हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि अमरूद का सेवन, आपके चेहरे को कांतिमय बनाता है| अमरूद में मौजूद पौटेशियम के कारण इसके नियमित सेवन से स्‍कीन ग्‍लो करती है और कील मुंहासों से भी छुटकारा मिलता है। 

दरअसल, अमरुद में विटामिन सी की मात्रा बहुत अधिक होती है, जिससे त्वचा संबधित रोग नहीं होते हैं। इसमें विटामिन,फाइबर और मिनरल प्रचुर मात्रा में होता है जो कब्ज की समस्याओं से निजात दिलाता है| जिन व्यक्तिओं के नाक-कान से खून आता हो, उन्हें भी अमरूद का सेवन करना चाहिए। सिर्फ यही नहीं अमरुद एसिडिटी, अस्थमा, ब्लडप्रेशर, मोटापा आदि समस्याओं में भी फायदा पहुंचाता है। यह कोलेस्ट्रॉल के लेवल को कम करता है साथ ही साथ यह पित्त रोगों में भी मददगार होता है।

इसमें फोलेट की अच्छी मात्रा है जिससे यह महिलाओं में फर्टिलिटी बढ़ाता है। मां बनने की चाहत रखने वाली महिलाएं रोज से अमरूद का सेवन करें। अमरूद के सेवन से खून में सुगर का स्तर कम होता है। इसमें फाइबर अधिक मात्रा में होते हैं जो शुगर पचाने और इन्सुलिन बढ़ाने में मदद करते हैं। अमरूद में आयोडीन अच्छी मात्रा में होता है जिससे थायरॉइड की समस्या में आराम होता है। इससे शरीर का हार्मोनल संतुलन बना रहता है।

आपको जानकर अचरज होगा कि अमरूद में संतरे के मुकाबले चार गुना अधिक विटामिन सी होता है। विटामिन सी में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स शरीर की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ाते हैं और कैंसर से लड़ने में शरीर की मदद करते हैं। अमरूद में मौजूद पोटैशियम शरीर में सोडियम के प्रभाव को कम करता है जिससे ब्लड प्रेशर का संतुलन बना रहता है। इसके अलावा, यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है।दांत दर्द में इसके पत्ते चबाने से भी काफी आराम मिलता है। इससे कब्ज भी दूर होती है। इसे बालू में भून कर खाने से खांसी दूर होती है। 

अगर आपके मुंह में काफी छाले हो गए हैं या फिर अक्‍सर आपको माउथ अल्‍सर की प्रॉब्‍लम बनी रहती है तो आप अमरूद की नई - नई कोमल पत्तियों को सेवन करें। इससे आराम मिलता है। अमरूद बॉडी के मेटाबॉल्जिम को बैलेंस रखता है इस वजह से इसके सेवन से कब्‍ज से छुटकारा मिल जाता है। अमरूद में विटामिन ए की मात्रा काफी होती है जो कि आंखों को स्‍वस्‍थ बनाएं रखती है। 

सर्दी-जुकाम होने पर भुना हुआ अमरुद नमक व काली मिर्च के साथ खाने से जुकाम की स्थिति से छुटकारा मिलता है। इसमें मौजूद विटामिन सी जुकाम में काफी फायदेमंद साबित होता है। अमरुद में पाया जाने बाला रेशा या फाइवर मेटाबॉलिज्म को ठीक रखने की सबसे अच्छी दवा है तो जिन लोगों का पेट खराब रहता है वो लोग अमरुद का सेवन अवश्य करें 

अमरूद के ताजे पत्तों का रस 10 ग्राम तथा पिसी मिश्री 10 ग्राम मिलाकर 21 दिन प्रात: खाली पेट सेवन करने से भूख खुलकर लगती है और शरीर सौंदर्य में भी वृद्धि होती है। कच्चे अमरूद को पत्थर पर घिसकर उसका एक सप्ताह तक लेप करने से आधा सिर दर्द समाप्त हो जाता है। यह प्रयोग प्रात: काल करना चाहिए। 

गठिया के दर्द को सही करने के लिए अमरूद की 4-5 नई कोमल पत्तियों को पीसकर उसमें थोड़ा सा काला नमक मिलाकर रोजाना खाने से से जोड़ो के दर्द में काफी राहत मिलती है। फोड़े और फुंसियों से परेशान हो तो अमरूद की 7-8 पत्तियों को लेकर थोड़े से पानी में उबालकर पीसकर पेस्ट बना लें और इस पेस्ट को फोड़े-फुंसियों पर लगाने से आराम मिलता ।

जानिए भगवान विष्णु ने अयोध्या में ही क्यों लिया अवतार?

क्या आप जानते हैं त्रेता युग में भगवान विष्णु ने अयोध्या में ही क्यों अवतार लिया? यदि नहीं तो आज हम आपको बताते हैं कि भगवान ने अवध नगरी में जन्म लिया| स्वायंभुव मनु और उनकी पत्नी शतरूपा जिनसे मनुष्यों की यह अनुपम सृष्टि हुई| इन दोनों पति पत्नी के धर्म और आचरण बहुत अच्छे थे| आज भी वेद जिनकी मर्यादा का गान करते हैं| राजा उत्तानपाद उनके पुत्र थे, जिनके पुत्र हरिभक्त ध्रुव हुए| मनु के छोटे लड़के का नाम प्रियव्रत था| जिसकी प्रशंसा वेद और पुराणों में करते हैं| देवहुति उनकी कन्या थी| देवहुति ने ही कृपालु भगवान कपिल को जन्म दिया| मनु ने बहुत समय तक राज्य किया घर में रहते बुढ़ापा आ गया| एक दिन उनके मन में बड़ा दुःख हुआ कि श्रीहरि की भक्ति के बिना जीवन युहिं बीत गया| तब मनु ने अपने पुत्र को जबर्दस्ती राज्य देकर स्वयं स्त्री सहित वन को गमन किया| पत्नी समेत मनु तीर्थों में श्रेष्ठ नैमिषारण्य धाम पहुंचे| 

जहाँ-जहाँ तीर्थ थे मुनियों ने उन्हें सभी तीर्थ करा दिए| उनका शरीर दुर्बल हो गया था| वे मुनियों के भेष में ही रहते थे और संतों के समाज में नित्य पुराण सुनते| दोनों पति-पत्नी द्वादशाक्षर (ॐ नमो भगवते वासुदेवाय) का प्रेम सहित जप करते थे| वे साग, फल और कंद का आहार करते थे और सच्चिदानंद ब्रम्हा का स्मरण करते थे| फिर वे श्री हरि के लिए तप करने लगे और मूल फल का त्यागकर केवल जल के आधार पर रहने लगे| उनके हृदय में केवल यही अभिलाषा थी कि हम कैसे श्रीहरि को आँखों से देखें| जो निर्गुण, अखंड, अनंत और अनादि हैं और परमार्थवादी लोग जिनका चिंतन करते हैं| 

इस प्रकार जल का आहार करते हुए छह हजार साल बीत गए| फिर साथ हजार वर्ष वे वायु के आधार पर रहे|10000 वर्ष तक वे वायु का आधार भी छोड़ दिया| दोनों एक पैर से खड़े रहे| उनका अपार तप देखकर ब्रम्हा, विष्णु और शिवजी कई बार मनु जी के पास आये| उन्होंने अनेकों प्रकार से ललचाया और कहा कि कोई वर मांगो| पर यह परम धैर्यवान डिगाए नहीं डिगे| उनका शरीर हड्डियों का ढांचा मात्र ही रह गया फिर भी उनके मन में ज़रा सी पीड़ा न हुई| 

फिर आकाशवाणी हुई कि 'वर मांगो' कानों में अमृत सामान लगने वाले बचन सुनते ही उनका शरीर पुलकित और प्रफुल्लित हो गया| तब मनु जी दंडवत कर बोले! हे प्रभु! सुनिए आप सेवकों के लिए कल्पवृक्ष और कामधेनु हैं| आपकी चरण रज की ब्रम्हा और शिवजी भी वंदना करते हैं| आप जड़ चेतन के स्वामी हैं| यदि हम लोगों पर आपका स्नेह है तो प्रसन्न होकर यह वर दीजिए आपका जो स्वरुप शिवजी के मन में बसता है| सगुण और निर्गुण कहकर वेद जिसकी प्रशंसा करते हैं| हे प्रभु! ऐसी कृपा कीजिए हम उसी रूप को नेत्र भरकर देखें | भगवान को राजा रानी के वचन अति प्रिय लगे| भगवान ने उन्हें तुरंत दर्शन दिया| 

भगवान के नीले कमल, नीलमणि और नील मेघ के सामान श्यामवर्ण शरीर की शोभा देखकर मनु और शतरूपा की आँखें खुली की खुली रह गईं| भगवान के अनुपम रूप को देखकर दोनों अघाते न थे| वे हाथों से भगवान के चरण पकड़कर दंड की तरह जमीन पर गिर पड़े| प्रभु ने उन्हें तुरंत उठा लिया| फिर कृपानिधान भगवान बोले, मुझे अत्यंत प्रसन्न जानकार जो मन को भाये वही वर मांग लो| प्रभु के वचन सुनकर दोनों हाथ जोड़कर बोले, हे नाथ ! आपके चरण कमलों को देखकर अब हमारी सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो गई फिर भी मन में एक बड़ी लालसा है| पर उसका पूरा होना बड़ा कठिन मालूम होता है| भगवान ने कहा, हे राजन! बिना संकोच किये वह वर मुझसे मांगिए| तुम्हें दे न सकूँ ऐसा मेरे पास कुछ नही नहीं है| 

तब मनु ने कहा, हे नाथ! मैं आपके समान पुत्र चाहता हूँ| राजा की प्रीति देखकर भगवान ने कहा, मैं अपने समान दूसरा कहाँ खोजूं| अतः मैं स्वयं ही आकर आपका पुत्र बनूंगा| शतरूपा को हाथ जोड़े देखकर भगवान ने कहा, हे देवी! तुम्हारी जो इच्छा हो सो वर मांग लो| शतरूपा ने कहा, राजा ने जो वर मांगा वह मुझे बहुत प्रिय लगा| तब भगवान ने कहा अब तुम्हे मेरी आज्ञा मानकर देवराज इंद्र की राजधानी अमरावती में वास करो| हे तात! कुछ काल बीत जाने पर आप अवध के राजा होंगे| तब मैं तुम्हारा पुत्र बनूंगा| आदिशक्ति भी अवतार लेंगी| इस प्रकार मैं तुम्हारी अभिलाषा पूर्ण करूंगा|

जन्माष्टमी विशेष: जहां आज भी गोपियों संग रास-लीला रचाते हैं भगवान मुरली मनोहर

उत्तर प्रदेश के वृंदावन शहर के बीचोबीच एक ऐसी वाटिका है जिसमें लोग मानतें हैं कि रात में भगवान श्रीकृष्ण यहां आते हैं और गोपियों के साथ रास-लीला रचाते हैं। ये वन यमुना नदी से भी ज्यादा दूरी पर नहीं है। इस वाटिका को लोग ‘निधि-वन’ के नाम से जानते है। 

मथुरा बृंदावन में स्थित वाटिका निधि वन, जहाँ की मान्यता है की रात श्री कृष्ण गोपियों संग रास लीला करतें हैं। साथ में ये भी मान्यता प्रचलित है कि यहाँ मौजूद पेड़ पौधे रात में गोपियों में बदल जातें हैं। रात्रि के समय निधि वन में कोई प्राणी नहीं रहता है, पशु-पक्षी भी नहीं। लोगों का मानना है कि अगर कोई व्यक्ति इस परिसर में रात्रि में रुक जाता है और भगवान की क्रीड़ा का दर्शन कर लेता है, तो सासारिक बंधन से मुक्त हो जाता है। ऐसे उदाहरण विगत कई वर्षों में देखने में भी आये हैं। इस वन में मौजूद मंदिर में भगवान के स्वागत के लिए आज भी मंदिर के रंग महल में प्रसाद (माखन मिश्री) प्रतिदिन रखा जाता है। 

शयन के लिए पलंग लगाया जाता है। राधारानी के लिए श्रृंगार कि हर वस्तु रखी जाती है। सबको बाहर निकलने का आदेश दे दिया जाता है। रात में मंदिर के दरवाजे पर पांच ताले लगाये जातें हैं। ताकि कोई अंदर न जा सके। सुबह जब मंदिर का दरवाजा खुलता है तो सब कुछ अस्त व्यस्त मिलता है देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि यहाँ निश्चित ही कोई रात्रि विश्राम करने आया तथा प्रसाद (माखन मिश्री) भी ग्रहण किया है। लोगों का कहना है कि रात में बांसुरी और घुंघुरुओं कि आवाज सुनाई देती है। 

निधि वन कहने से इंसान के मस्तिष्क में किसी जंगल का दृश्य सामने आता है लेकिन ये कोई जंगल नहीं है। वास्तव में यहाँ आने पर वन जैसा ही दृश्य देखने को मिलते हैं, यहाँ के वृक्ष आज भी अपनी पौराणिकता को दर्शाते हैं। इन वृक्षों को देखने से आभास होता है कि यह अति प्राचीनकाल से स्थापित वृक्ष हैं। इस प्रकार के वृक्ष वृन्दावन में निधि वन, सेवाकुंज एवं तटिय स्थान पर ही देखने को मिलते हैं, इन वृक्षों की खासियत है कि इनमें से किसी भी वृक्ष के तने सीधे नहीं मिल पायेंगे तथा इन वृक्षों की डालिया नीचे की ओर झुकी हुई प्रतीत होती हैं। मान्यता है कि ये वृक्ष भगवान को प्रणाम करने की मुद्रा में हमेशा झुके रहते हैं। इन वृक्षों के बारे में शास्त्रों गोपी रूप से वर्णन किया गया है।

इस वन में कई साधू संतों की समाधियां मौजूद हैं जो अपने प्रिय भगवान के एक दर्शन-मात्र करना चाहते थे। मौत से पहले उन्होने दर्शन कर भी लिए हो, कौन जानता है। लेकिन लोगों की मान्यता है कि उनकी मौत भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन के बाद ही होती होगी। यही वजह है कि उन सभी लोगों की समाधि इसी वन में बनाई गई है। इस निधि वन में आकर अजीब अनुभूति होती है। एक बार आने के बाद यहाँ बार-बार आने कि इच्छा जागृत हो जाती है।

PHOTO: ऐसे ही नहीं भारत को कहा गया सोने की चिड़िया, यहां नदियां उगल रहीं सोना

भारत को ऐसे ही नहीं सोने की चिड़िया कहा जाता है| यहां नदियों में सोना बहता है| यकीन न हो तो झारखंड जाके खुद ही देख लो| राजधानी रांची से करीब 15 किलोमीटर दूर रत्नगर्भा में बहने वाली स्वर्ण रेखा नदी कोई आम नदी नही है। क्योंकि इस नदी में सोने का इतना बड़ा भंडार समाया हुआ है जिसका आप अंदाजा भी नही लगा सकते।

इस नदी के पानी में सोने के कण पाए जाते हैं। यहां रहने वाले आदिवासी दिन-रात इन कणों को इकठ्ठा करते हैं। बड़े-बड़े व्यापारी यहां आते हैं और आदिवासियों से बहुत ही कम कीमतों पर सोना खरीद लेते हैं। यह नदी अन्य किसी भी नदी में नही मिलती है। बल्कि यह नदी सीधे बंगााल की खाड़ी में गिरती है। 

स्थानीय लोगों का कहना है कि आज तक कितनी ही सरकारी मशीनों द्वारा इस नदी पर शोध किया गया है, लेकिन वे इस बात का पता नही लगा पाये कि आखिरकार यह कण जमीन के किस भाग में विकसित होते हैं।

यहाँ की रहने वाली तारिणी नाम की एक महिला ने बताया कि कई बार घंटों नदी की धार मे खड़े होने के बावजूद सोने के कण नहीं मिलते, इसके लिए काफ़ी सब्र रखना होता है, कई बार जल्दी ही ज्यादा कण मिल जाते हैं। जाने-माने भूवैज्ञानिक नीतीश प्रियदर्शी ने बताया कि स्वर्णरेखा और करकरी जैसी नदियां अपने उदगम स्थल से नीचे आते-आते कई तरह की चट्टानों से टकराती हैं।

इसी दौरान इनमें सोने के अति सूक्ष्म कण मिल जाते हैं| इन्हीं कणों को गांव के लोग चुनते हैं। उन्होंने बताया कि न केवल स्वर्णरेखा और करकरी बल्कि कोयल व दामोदर जैसी नदियों से भी कुछ खास इलाकों में सोने के कण निकाले जाते हैं।