मंगलवार को क्यों चढाते हैं लाल पुष्प

हनुमान जी को हिन्दु धर्म में कष्त विनाशक और भय नाशक देवता के रूप में जाना जाता है| हनुमान जी अपनी भक्ति और शक्ति के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं| सारे पापों से मुक्त करने ओर हर तरह से सुख-आनंद एवं शांति प्रदान करने वाले हनुमान जी की उपासना लाभकारी एवं सुगम मानी गयी है। पुराणों के अनुसार कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी मंगलवार, स्वाति नक्षत्र मेष लग्न में स्वयं भगवान शिवजी ने अंजना के गर्भ से रुद्रावतार लिया।

क्या आपको पता है कि मंगल की पूजा मे भात यानी चावल, लाल गुलाल ये चीजें ऐसी हैं जो अनिवार्य मानी गई हैं। अगर नहीं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि मंगल की पूजा में यह वस्तुएं चढ़ाने से वे व्यक्ति के अनुकुल असर करते हैं। आखिर फूलों में लाल गुलाब ही मंगल को क्यों प्रिय है? लाल गुलाब न हो तो लाल रंग का कोई दूसरा फूल भी उन्हें चढ़ाया जा सकता है। आखिर लाल फूल खासतौर पर गुलाब ही मंगल को क्यों चढ़ाया जाता है?

आपको बता दें कि मंगल अग्नि का कारक ग्रह है। उसका स्वरूप लाल है। मंगल लाल कपड़े, लाल फूल आदि से प्रसन्न होते हैं। बताते हैं कि गुलाब का रंस और गंध दोनों ही मानव शरीर को ठंडक देने वाला हैं। गर्मियों में गुलाब का शरबत भी बनाया जाता है जो मानव शरीर में शीतलता प्रदान करता है।

जाने किसी मनुष्य की कब-कब होती है आरती

क्या आपको पता है कि मनुष्य की कब आरती की जाती है अगर नहीं तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि मनुष्य की कब आरती की जाती है| आपको बता दें कि मनुष्य की मुख्य रूप से तीन बार आरती की जाती है| पहला शुभ कार्य के प्रारंभ में, दूसरा अत्यधिक यश प्राप्त होने पर और तीसरा प्राणोत्क्रमण के बाद।

आपको बता दें कि घर में धार्मिक कार्यो के अवसरों पर एवं नैमित्तिक व्रत के दिन उतारी जाने वाली आरती को कुर्वडी कहते हैं। शुभ कार्य के प्रारंभ में पुण्याह वाचन करके व्यक्ति की आरती उतारें। पुण्याह वाचन के समय ली गई कुर्वडी के बाद एक दूसरे को शक्कर, पेडे एवं गुड आदि मीठे पदार्थ दिए जाते हैं।

इसके बाद जब कोई व्यक्ति विजय प्राप्ति करके आता है या वश की प्राप्ति करके आता है तो उसकी कुर्वडी उतारने का रिवाज है। कुर्वडी की आरती पुण्याह वाचन के लिए बैठे स्त्री, पुरूष तथा बच्चो की उतारी जाती है जबकि विजयोत्सव की कुर्वडी केवल पुरूष ही करते हैं। कुर्वडी करने का अधिकार केवल सुहागिन स्त्रियों को है। यदि सुहागिन स्त्री उपस्थित न हो तो कुमारी कन्या कुर्वडी कर सकती है।

वहीँ, औक्षण आरती का अधिकार सभी स्त्रियों को है। भैयादूज के दिन विधवा बहन अपने भाई का औक्षण कर सकती है। आश्विन पूर्णिमा के के दिन विधवा माता अपने ज्येष्ठापत्य का नीरांजन कर सकती है। कुर्वडी और औक्षण के लिए तेल की दो बत्तियों का प्रयोग करें। औक्षण के लिए पीतल के दो दीये लेते हैं। कई बार औक्षण के लिए पंचारती का भी उपयोग किया जाता है। कुर्वडी या औक्षण के समय थाली में हल्दी, कुंकुम, अक्षत, पान, सुपारी एवं कुछ सुवर्ण अलंकार रखें।

इसके बाद मनुष्य की अंतिम यात्रा भी अंतिम समय में ही होती है यह आरती जब मनुष्य का शव को स्नान कराया जाता है तो उस वक्त होती है| अर्थी उठाने के पहले तेल की पणती उतारी जाती है। फिर उसे मृत व्यक्ति द्वारा हमेशा इस्तेमाल की जाने वाली जगह पर या घर के किसी कोने में आटे का छोटा ढेर लगाकर उस पर रखने की प्रथा है।

अशुभ शनि की पहचान और बचने के उपाय

जन्मकुंडली में शनि ग्रह अशुभ प्रभाव में होने पर व्यक्ति को निर्धन, आलसी, दुःखी, कम शक्तिवान, व्यापार में हानि उठाने वाला, नशीले पदार्थों का सेवन करने वाला, अल्पायु निराशावादी, जुआरी, कान का रोगी, कब्ज का रोगी, जोड़ों के दर्द से पीड़ित, वहमी, उदासीन, नास्तिक, बेईमान, तिरस्कृत, कपटी, अधार्मिक तथा मुकदमें व चुनावों में पराजित होने वाला बनाता है।

अशुभ शनि के लिए उपाय-

शनि ग्रह के अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए निम्नलिखित उपाय करने चाहिएं :
1 शनि ग्रह के तांत्रिक मंत्र का प्रतिदिन १०८ बार पाठ करें। मंत्र है क्क प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः। शनि मन्त्र के अनुष्ठान की मन्त्र जाप संख्या है २३,००० है।

2 शनि ग्रह का यंत्र गले में धारण करें।

3 शनि ग्रह का यंत्र अपने पूजास्थल अथवा घर के मुख्य द्वार पर स्थापित करें।

4 शनि ग्रह की वस्तुओं का दान करें। शनि ग्रह की वस्तुएं हैं काला उड़द, तेल, नीलम, काले तिल, कुलथी, लोहा तथा लोहे से बनी वस्तुएं, काला कपड़ा, सुरमा आदि।

5 शनिवार को कीड़े-मकोड़ों को काले तिल डालें।

६. शनिवार को काली माह (काले उड़द) की दाल पीस कर उसके आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं।

7. शनिवार को श्मशान घाट में लकड़ी दान करें।

8. सात शनिवार सरसों का तेल सारे शरीर में लगाकर और मालिश करके साबुन लगााकर नहाएं।

9. शनिवार को शनि ग्रह की वस्तुएं न दान में लें और न ही बाजार से खरीदें। 

10. सात शनिवार को सात बादाम तथा काले उड़द की दाल धर्म स्थान में दान करें।

11. शराब तथा सिगरेट का प्रयोग न करें।

12. सपेरे को सांप को दूध पिलाने के लिए पैसे दान करें।

13. शनिवार को व्रत करें। व्रत की विधि इस प्रकार है :

- शनिवार को व्रत किसी भी मास के शुक्ल पक्ष के प्रथम शनिवार से शुरु करें।
- शनि ग्रह का व्रत प्रत्येक शनिवार को ही रखें।
- शनि ग्रह के व्रतों की संख्या कम-से-कम १८ होनी चाहिए। तथापि पूर्ण लाभ के लिए लगातार एक वर्ष तक व्रत रखें।
- भोजन के रूप में उड़द के आटे का बना भोजन, तेल में पकी वस्तु शनिदेव को भोग लगााकर या काले कुत्ते या गरीब को देकर रोज वस्तु का सेवन करें। 
- भोजन का सेवन शनि का दान देने के पश्चात्‌ ही करें। शनि ग्रह के दान में काले उड़द, सरसों का तेल, तिल, कुलथी, लोहा या लोहे से बनी कोई वस्तु, नीलम रत्न या उसका उपरत्न, भैंस, काले कपड़े सम्मिलित हैं। यह दान दोपहर को या सांयकाल के समय किसी गरीब भिखारी को दें।
- भोजन से पूर्व एक बर्तन में भोजन तथा काले तिल या लौंग मिलाकर पश्चिम की ओर मुंह करके पीपल के पेड़ की जड़ में डाल दें।
- व्रत के दिन नमक वर्जित है।
- व्रत के दिन शनि के बीज मंत्र का २३,००० जाप करें या कम-से-कम ८ माला जाप करें।
- व्रत के दिन सिर पर भष्म का तिलक करें तथा काले रंग के कपड़े पहनें।
-जब व्रत का अन्तिम शनिवार हो तो शनि मंत्र से हवन कराकर भिखारियों या गरीब व्यक्तियों को दान दें।

14 घर में रोटी बनाकर काली गाय या काले कुत्ते को खिलाएं।

15 शनि ग्रह की पीड़ा के निवारण के लिए शनि से संबंधित जड़ी बूटियों व औषधियों से स्नान करने का विधान है। यह स्नान सप्ताह में एक बार किया जाता है। औषधियों को अभीष्ट दिन से पूर्व रात्रि में शुद्ध जल में भिगो दें तथा अगले दिन उन्हें छान कर छने हुए द्रव्य को स्नान के जल में मिला कर स्नान करें। शनि ग्रह के लिए काले तिल, शतपुष्पी, काले उड़द, लौंग, लोधरे के फूल तथा सुगन्धित फूलों को औषधियों के रूप में प्रयोग किया जाता है। मानसिक व शारीरिक शांति तथा अनिष्ट फल के निवारण के लिए विधिवत्‌ स्नान से बहुत लाभ होता है। स्नान से पूर्व जल को इस मंत्र से अभिमंत्रित कर लेना चाहिए :क्कँ द्द्वीं शं शनैश्चराय नमः।

दिन की शुरुआत 'काम' के साथ

यूं तो सेक्स करने का कोई निश्चित समय नहीं होता, लेकिन क्या आप जानते हैं सेक्स का सही समय क्या है? बात अजीब जरुर लग रही होगी लेकिन एक अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया है कि सुबह का समय सेक्स के लिए बेहतर होता है।

शोधकर्ताओं का कहना है कि सुबह-सुबह शरीर में सेक्स हार्मोन अधिक होते हैं और साथ ही ऊर्जा भी होती है इसलिए सेक्स का सबसे अच्छा समय सुबह साढ़े सात बजे होता है। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि सेक्स सु‍बह- सुबह एक व्यायाम का काम करता है तथा तन-मन में पूरे दिन ताजगी बनी रहती है।

आपको बता दें कि सेक्स की अपनी एक स्थित और समय होता है। इसलिए हमेशा सेक्स सही माइने में समय के अनुसार करना चाहिए| आयुर्वेद में भी कहा गया है कि जो पुरुष स्त्री के साथ संयम और नियम से सेक्स करता है, वह जल्दी बूढ़ा नहीं होता। सेक्स और शरीर विशेषज्ञों का कहना है कि स्त्री-पुरुष दोनों को अपनी स्वास्थ्य क्षमता और शारीरिक शक्ति के अनुसार ही सेक्स करना चाहिए।

प्यार बीबी से सेक्स कई के साथ चाहते हैं पुरुष

आपको बता दें कि वर्ष 2011 विश्व के लिए जगह-जगह आक्रोश और जनचेतना जगाने वाला तो रहा ही साथ ही यह साल सेक्स के नाम भी रहा| पूरे वर्ष सेक्स को लेकर जगह-जगह सर्वे होते रहे हैं| सेक्स को लेकर आज फिर एक नया अध्ययन सामने आया है| इस अध्ययन में यह पाया गया है कि पुरुषों में अपने साथी से प्यार के बावजूद हमेशा उसे धोखा देने की प्रवृत्ति होती है। वे अपने साथी को छोड़ना नहीं चाहते हैं और उनका कहना होता है कि समाज खुले यौन सम्बंधों को अपनाता है। कहने का मतलब यह है कि ज्यादातर पुरुष अपने साथी के साथ रहना चाहते हैं और वे अधिक से अधिक यौन सम्बंध बनाना चाहते हैं।

मिली जानकारी के मुताबिक, ब्रिटेन के विनचेस्टर विश्वविद्यालय के अमेरिकी समाज विज्ञानी एंडरसन ने कहा है कि यौन सम्बंधों के मामले में पुरुषों के एकनिष्ठ रहने से वे बहुत से ऐसे काम नहीं कर पाते हैं, जो कि वे करना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा है कि इस समय लोगों ने तेजी से खुले यौन सम्बंधों को अपनाना शुरू कर दिया है। वह कहते हैं कि जो लोग ऐसा नहीं करते वे सामाजिक मजबूरी के चलते यौन कैद में रहते हैं।

अध्ययन के लिए एंडरसन ने 120 समलैंगिक व अन्य पुरुषों पर सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण में यह पाया गया है कि इनमें से 78 प्रतिशत ने अपने साथी के साथ धोखाधड़ी की। वैसे इन लोगों का कहना था कि वे अपने साथी से प्यार करते हैं और उसके साथ रहना चाहते हैं। वहीँ, कुछ पुरुष एक ही महिला से जुड़ना चाहते हैं, लेकिन यौन सम्बंध कई महिलाओं से बनाना चाहते हैं।

बाबू जानो सेक्स के इशारे

क्या आप किसी स्त्री या पुरुष को देखकर यह जान सकते हैं कि वह स्त्री या पुरुष एक दूसरे से प्यार और 'सम्बन्ध' बनाने को इच्छुक है, नहीं न लेकिन शोधकर्ताओं ने स्‍त्री-पुरुष की भाव-भंगिमाओं को लेकर कुछ ठोस निष्‍कर्ष निकाले हैं, जिसके द्वारा आप यह जान सकते हैं कि वह स्त्री व पुरुष सहवास करने के इच्छुक है| 

पुरुषों के इशारे-

आपको बता दें कि अगर हम सम्बन्ध बनाने के इच्छुक पुरुष की बात करें तो अध्ययन के अनुसार उसकी बॉडी लैंग्‍वेज से एकदम साफ जाहिर हो जाता है कि पुरुष सहवास करने की इच्छा रखता है| शोधकर्ताओं ने कुछ इशारे बताये हैं जो इस प्रकार है- 

प्‍यार के आगोश में पड़ने वाले व्‍यक्ति के चेहरे के उस हिस्‍से में कसावट आ जाती है, जो आमतौर पर थोड़ा फूला होता है| कामातुर पुरुषों का जहाँ एक ओर सीना थोड़ा बाहर की ओर निकल जाता है वहीँ, दूसरी ओर उस व्यक्ति का पेट थोड़ा अंदर की ओर धंस जाता है| प्‍यार और 'संबंध' बनाने के इच्छुक पुरुषों के होठ और गाल समेत पूरे चेहरे की लालिमा बढ़ जाती है, क्‍योंकि उन भागों में रक्‍त का प्रवाह तेज हो जाता है|

स्त्रियों के इशारे-

वहीँ अगर हम कामातुर स्त्रियों की बात करें तो स्‍त्री पुरुष को पाने के लिए अनायास ही कुछ प्रयास करती है, जैसे कि प्यार पाने की आतुर महिलाएं अपने बालों को छूती है और अपने कपड़ों पर भी हाथ फेरती है| इसके आलावा माथे को झटककर अपने बाल पीछे की ओर कर लेती है| स्त्रियां झुकी हुई पलकों से पुरुष को निहारती हैं और कुछ देरे पर निगाहें टिकाए रहती हैं| महिलाओं के पिछले हिस्‍से में पहले की तुलना में थोड़ा और उभार आ जाता है| कामातुर स्‍त्री प्‍यार पाने के लिए अपने पैरों को एक-दूसरे से रगड़ती रहती है|

ग्रहों के प्रभाव से बचने के लिए करें यह चमत्कारी उपाय

कुंडली में नौ ग्रह अपना समय आने पर पूरा प्रभाव दिखाते हैं। अगर आप अपनी कुंडली में ग्रहों के अशुभ योग से परेशान हैं और उनके प्रभाव से आपके हर शुभ कार्य में बाधा आती हो। काम बनते बनते रह जाते हो तो यह चमत्कारी उपाय एक बार अवश्य करें।

आपको बता दें कि हर कोई अशुभ प्रभाव से बचने के लिए हवन ,ध्यान और उपाय संबंधी रत्नों का उपयोग करते हैं। लेकिन फिर भी कभी का भी यह मुल्यां रत्न आपको इसका लाभ नहीं पहुंचा पाते हैं तो ऐसे में मनुष्यों को वृक्षों की जड़ धारण करने को कहा जाता है। माना जाता है कि ये जड़े रत्नो से अधिक असरदार होती है। 

हमारे ज्योतिषाचार्य आचार्य विजय कुमार ने बताया है कि वृक्षों में भी ग्रहों को शांत करने की क्षमता होती है| उन्होंने बताया कि जो वृक्ष ऊंचे और मज़बूत तथा कठोर तने वाले हैं, उनपर सूर्य का विशेष अधिकार होता है। दूध वाले वृक्षों पर चंद्र का प्रभाव होता है। लता , वल्ली इत्यादि पर चंद्र और शुक्र का अधिकार होता है। झाडिय़ों वाले पौधों पर राहू और केतू का विशेष अधिकार है।

जिन वृक्षों में रस विशेष न हो, कमज़ोर, देखने में अप्रिय और सूखे वृक्षों पर शनि का अधिकार है। सभी फलदार वृक्षों पर बृहस्पति, बिना फल के वृक्षों पर बुध का और फल , पुष्प वाले चिकने वृक्षों पर शुक्र का अधिकार है। औषधीय जड़ी बूटियों का स्वामी चन्द्रमा है। आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में किसी ग्रह के अधीन आने वाले वनस्पतियों और औषधियों से ही उस ग्रह-जनक रोग का उपचार किया जाता है।

इसलिए आप अगर ग्रहों के प्रभाव से परेशान हैं तो अपनी राशि के अनुसार उस वृक्ष की जड़ को धारण करें|

मुसीबत आने से पहले ही अवगत करा देती है तुलसी

हिन्दू धर्म में तुलसी के पौधे का बहुत ही महत्व होता है| ऐसा मानना है कि जिस घर में इसका वास होता है वहा आध्यात्मिक उन्नति के साथ सुख-शांति एवं आर्थिक समृद्धता स्वयं आ जाती है। वातावारण में स्वच्छता एवं शुद्धता, प्रदूषण का शमन, घर परिवार में आरोग्य की जड़ें मज़बूत करने, श्रद्धा तत्व को जीवित करने जैसे अनेकों लाभ इसके हैं। आपको पता है कि तुलसी का पौधा आपके लिए कितना महत्वपूर्ण है| 

आज आपको तुलसी की सबसे खास बात बताने जा रहा हूँ आपको पता है आपके घर में पूजी जाने वाले तुलसी अगर आपके घर परिवार पर कोई विपदा आने वाली होती है तो वह आपको पहले से ही सचेत कर देती है बस उसको कोई समझ नहीं पता है|

हमारे ज्योतिषाचार्य आचार्य विजय कुमार बताते हैं कि आपके घर, परिवार या आप पर कोई मुसीबत आने वाली होती है तो उसका असर सबसे पहले आपके घर में स्थित तुलसी के पौधे पर होता है। आप उस पौधे का कितना भी ध्यान रखें लेकिन वह धीरे- धीरे सूखने लगता है। तुलसी का पौधा ऐसा है जो आपको पहले ही बता देगा कि आप पर या आपके घर परिवार को किसी मुसिबत का सामना करना पड़ सकता है।

अगर शादी में आ रही अड़चन तो करें यह उपाय, होगी चट मंगनी-पट ब्याह

किसी भी लडकी के लिए यह श्रेष्ठ है कि उसका विवाह समय पर हो जाए। इस बात की चिंता उसके माता-पिता के साथ खुद उस कन्या को भी होती है। वर्तमान समय में योग्य युवक-युवती न मिलने के कारण शादी-विवाह में बहुत अड़चने आती हैं। कई बार विवाह योग्य उम्र निकल भी जाती है। 

अगर आपके विवाह में भी परेशानी आ रही है तो अब आपको परेशान होमने की जरुरत नहीं है बस आप यह आसान उपाय करें और आपकी होगी चाट मंगनी पट विवाह| तो आइये जाने क्या है यह सरल उपाय-

उपाय

प्रत्येक सोमवार को स्नानादि करके 11 बेलपत्र लेकर उस पर सिंदूर से ऊं गौरी शंकराये नम: लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं, लगातर ग्यारह सोमावर तक ऐसा करने से देवाधिदेव महादेव आप पर प्रसन्न होंगे और आपकी चट मंगनी पट विवाह होगा|

बस इतना ध्यान रहे कि जिस बेलपत्र को आप प्रयोग में ला रही हैं वह फटा नहीं होना चाहिए इसके आलावा वाही पत्तों का इस्तेमाल करें जिसमे तीन पत्तियां आपस में जुड़ी हुई हों|

अगर आपके लाडले की शादी में आ रही हैं दिक्कतें तो करें यह आसान उपाय

 आप भी जानते होंगे कि अक्सर यही होता है जब विवाह की बात बनते-बनते बिगड़ जाती है और कभी बिगड़ते-बिगड़तेबन भी जाती है। इसीलिए तो विवाह के बारे में यह कहा जाता है कि यह सब उस लोक से ही निर्धारित होता है। विवाह का जिक्र होते ही युवक-युवतियों के मन में लड्डू फूटने लगते हैं। हर कोई जानना चाहता है कि उसकी शादी कब कब होगी । लड़के के अलावा हर मां-बाप की यही इच्छा होती है कि उनके बेटे का विवाह धूम-धाम से हो। लेकिन कभी-कभी किन्ही कारणों से लड़के के विवाह में अड़चने आ जाती है| 

अब आपको अपने लाडले की शादी के लिए घबराने की कोई जरुरत नहीं क्योंकि आज आपको एक ऐसा सरल उपाय बताने जा रहे हैं जिसे करने से आपके लाडले की चट मंगनी पट विवाह हो जायेगा|

तो आइये जाने क्या है सरल उपाय-

आपको बता दें कि कुम्हार अपने चाक को जिस डंडे से घुमाता है, उसे किसी तरह किसी को बिना बताए हासिल कर लें। डंडा घर में लाने के बाद उसे किसी कोने में खड़ा कर दें और फिर घर के किसी कोने को साफ़ करने के उपरांत उस स्थान पर गेरू या गोबर से लिपाई कर लें| तत्पचात उस स्थान पर उस डंडे को लंहगा-चुनरी व सुहाग का अन्य सामग्री से सजाकर दुल्हन का स्वरूप देकर एक कोने में खड़ करके गुड़ और चावलों से इसकी पूजा करें। 

ऐसा करने से लड़कों का विवाह जल्द हो जाता है|

आइये जाने मकर संक्रांति पर क्यों खाते हैं खिचड़ी

मकर संक्रान्ति हिन्दुओं के प्रमुख पर्व के रूप में मनाया जाता है| पौष मास में सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के अवसर पर इस पर्व को मनाया जाता है| इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करता है और दक्षिणायन से उत्तरायण होते हैं|

मकर संक्रान्ति का आध्यात्मिक रूप से भी विशेष महत्व है| क्या आपको पता है की इस दिन लोग खिचड़ी क्यों खाते हैं अगर नहीं तो हमारे ज्योतिषाचार्य आचार्य विजय कुमार बताते हैं कि मकर संक्राति के मौके पर नये चावल की खिचड़ी बनाकर सूर्य देव एवं कुल देवता को प्रसाद स्वरूप भेट करने की परंपरा है। लोग इस दिन एक दूसरे के घर खिचड़ी भेजते हैं और सुख शांति की कामना करते हैं। इस प्रथा के पीछे एक कारण यह है कि भारत कृषि प्रधान देश है। कृषि का आधार सूर्य देव को माना गया है। इसलिए सूर्य का आभार प्रकट करने के लिए नये धान से पकवान एवं खिचड़ी बनाकर सूर्य देवता को भोग लगाते हैं। 

खिचड़ी तो आप लोग हर दिन बनाकर खाते हैं लेकिन मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का स्वाद अनुपम होता है। मकर संक्राति की खिचड़ी नये चावल, उड़द की दाल, मटर, गोभी, अदरक, पालक एवं अन्य तरह की सब्जियों को मिलाकर तैयार की जाती है। इस खिचड़ी में आस्था का स्वाद भी मिला होता है जो अन्य दिनों की खिचड़ी में नहीं होता है। आपको पता है इस तरह सब्जियों को मिलाकर खिचड़ी बनाने की परम्परा की शुरूआत करने वाले बाबा गोरखनाथ थे। ऐसी मान्यता है कि बाबा गोरखनाथ भगवान शिव के अंश हैं। इसलिए इनके द्वारा शुरू की गयी परम्परा लोग श्रद्धापूर्वक निभाते चले आ रहे हैं।

16 जनवरी से फिर गूंजेंगी शहनाईयां

आपको बता दें कि करीब महीने से रुकी शहनाइयों की गूंज सोमवार से फिर से सुनने को मिल जायेंगी, क्योंकि सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही मलमास समाप्त हो गया। नव वर्ष 2012 में सावों का पहला शुभ मुहूर्त 15 जनवरी को गोधूली वेला के साथ शुरू हो जायेगा। 

हमारे ज्योतिषाचार्य आचार्य विजय कुमार बताते हैं कि इस माह 15,16,18, 19, 20, 21, 27, 28, 29 व 30 जनवरी को सावों की धूम रहेगी। फरवरी माह में शादी के नौ मुहूर्त हैं। एक से आठ मार्च होलाष्टक और 14 मार्च से 13 अप्रैल तक मीन मलमास होने से सावों पर विराम रहेगा। 

इसके अलावा 27 अप्रैल से 14 जून तक गुरु और शुक्र का तारा अस्त होने और 30 जून से 23 नवंबर के बीच चातुर्मास होने के कारण भी विवाह संपन्न नहीं हो सकेगा।

किसी कार्य के शुभारंभ से पहले क्यों फोड़ते हैं नारियल


आपको पता होगा की कोई भी होम हो, कथा हो पूजा हो या फिर विवाह हो नारियल की पूर्ण आहुति के बिना संपन्न नहीं होता है। क्या आपको पता है कि आखिर किसी भी होम या पूजा में नारियल क्यों तोड़ते हैं अगर नहीं तो आज हम आपको बताते हैं कि आखिरकार कथा या पूजा या किसी भी कार्य का शुभारंभ करने से पहले नारियल फोडऩा जरूरी क्यों होता है?

आपको बता दें कि नारियल ऊपर से जितना कठोर होता है अंदर से उतना मुलायम। नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। पूजा में हम भगवान को श्रीफल अर्पित करते हैं। हमारे ज्योतिषाचार्य आचार्य विजय कुमार बताते हैं कि नारियल तोड़ने का कारण अनिष्ट शक्तियों के संचार पर अंकुश लगाना उन्हें प्रसन्न करना। इसलिए प्रथम नारियल फोडकर स्थान देवता का आवाहन कर वहां की स्थानीय अनिष्ट शक्तियों को नियंत्रित करने की उनसे प्रार्थना की जाती है। प्रार्थना द्वारा स्थान देवता के आवाहन से उनकी कृपा स्वरूप नारियल-जल के माध्यम से स्थान देवता की तरंगें सभी दिशाओं में फैलती हैं। इससे कार्यस्थल में प्रवेश करने वाली कष्टदायी स्पंदनों की गति पर अंकुश लगाना संभव होता है। 

माना जाता है इससे उस परिसर में स्थान-देवता की सूक्ष्म-तरंगोंका मंडल तैयार होता है व समारोह निर्विघ्न संपन्न होता है।

नारियल का एक उपयोग देवी या देवता के स्थान पर फोड़ने में होता है, फोड़ने में ऎसी कुशलता होनी चाहिए चाहिए कि रस छलककर पूरा का पूरा देवता के चरणों पर पड़े, कहीं अन्यत्र नहीं। यह फोड़ना आसान नही होता।