जर्मन बाला को भाया बिहारी दूल्हा

भारत के लोग आमतौर पर जहां पाश्चात्य संस्कृति के कायल हुए जा रहे हैं, वहीं विदेशियों को भारतीय संस्कृति खूब भा रही है। यही नहीं, विदेशी मेमों (युवतियों) को अब भारतीय दूल्हा भी पसंद आने लगा है। जर्मनी की एक बाला को भारतीय संस्कृति ऐसी भाई कि उसने भारतीय बनने का फैसला कर लिया। जर्मन युवती विक्टोरिया ने बिहार के जमुई पहुंचकर गिद्धौर प्रखंड के रतनपुर गांव के 30 वर्षीय युवक राज के साथ परिणय सूत्र में बंध गई। जमुई निबंधन कार्यालय में कानूनी रूप से शादी के बंधन में बंधने को पहुंचे इन प्रेमी जोड़ों को देखने के लिए सोमवार को काफी लोग पहुंचे।

जर्मनी के हमबर्ग की रहने वाली विक्टोरिया की मुलाकात जमुई जिले के रतनपुर गांव के निवासी राज सिंह से वर्ष 2014 में गोवा में उस समय हुई थी, जब वह गोवा घूमने आई थी। राज गोवा स्थित एक टूरिज्म कंपनी में कार्यरत है। राज बताते हैं कि इस मुलाकात के बाद दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई, जो धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। बकौल राज, "हम दोनों काफी करीब आ गए और दोनों ने शादी करने का फैसला ले लिया। विक्टोरिया को भी भारत का माहौल काफी पसंद आया।" वहीं विक्टोरिया ने कहा, "राज की बातों व विचारों से प्रभावित होकर मैंने उसके साथ जीवन गुजारने का फैसला कर लिया।"

विक्टोरिया इसी साल छह मार्च को दुल्हन बनने के इरादे से भारत आई और राज के साथ जमुई के रतनपुर गांव पहुंची। राज के पिता नरेंद्र कुमार सिंह व माता तिलोत्तमा देवी से आदेश मिलने के बाद दोनों ने 11 मार्च को शादी के लिए जमुई स्थित निबंधन कार्यालय में आवेदन दिया और फिर 25 अप्रैल को कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद दोनों ने विधिवत शादी कर ली। राज के माता-पिता भी विदेशी बहू पाकर बहुत उत्साहित हैं। राज के पिता ने कहा कि भारतीय संस्कृति 'वसुधैव कुटुंबकम्' पर विश्वास करती है, यानी सारे जहां को अपना रिश्तेदार मानती है। ऐसे में जाति और देश का बंधन रिश्तों पर भारी नहीं पड़ सकता। उनके लिए उनके बेटे की खुशी ही सवरेपरि है।

शादी का प्रमाणपत्र लेने के बाद परिणय सूत्र में बंधे विक्टोरिया ने कहा, "मुझे भारत की संस्कृति बहुत पसंद है। मैं इसे पूरी तरह अपनाने की कोशिश करूंगी। हालांकि मुझे थोड़ी कठिनाई होगी, लेकिन मैं पूरी कोशिश करूंगी। बहरहाल, एक जर्मन युवती का 'बिहारिन' बनना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

ये है दुनिया की सबसे छोटी पत्रकार, अकेले दम पर निकाला है अखबार

पेन्सिलवेनिया: अमेरिका के पेन्सिलवेनिया में एक 9 साल की बच्ची हिल्दे केट लिसियाक अखबार निकालती है। उसे कई भी खबर की जानकारी लगने के बाद वह खुद पेन, डायरी और कैमरा लेकर घटनास्थल तक पहुंच जाती है। इसके बाद वो उस खबर को अपने पेपर में जगह देती है और विस्तार से छापती है। 

इतनी छोटी बच्ची को रिपोर्टिंग करता देख अक्सर लोग हैरान रह जाते हैं। अब इसके चलते उसके इस काम से दुनिया भर में हिल्दे की जमकर तारीफ हो रही है।  इतना ही नहीं हिल्दे ने मर्डर की भी रिपोर्टिंग की है। हिल्दे को 2 अप्रैल को इलाके में हुई हत्या का पता चला। हत्या के चलते पुलिस ने उसके घर के आसपास के रास्ते बंद कर रखे थे।

इस दौरान हिल्दे ने पुलिस को बताया कि 'मैं जर्नलिस्ट हूं'। इसके बाद वह सीधे घटनास्थल पर पहुंच गई। यहां वह उस कमरे में गई, जहां शख्स की हत्या की गई थी। वापस घर आकर उसने पुलिस के अफसरों को मामले से जुड़ी सूचनाओं के लिए फोन भी किया। हिल्दे ने घटना का वीडियो भी बनाया। जब हिल्दे घटनास्थल पहुंची तो वहां दूसरा कोई जर्नलिस्ट नहीं था। इस घटना की फोटो और न्यूज को उसने सबसे पहले अपने सोशल मीडिया पेज और वेबसाइट पर दिखाया था। इसे देख सबने उसके काम की खूब सराहना की।

भीख मांगने से अच्छा है महिलाएं स्टेज पर डांस करें: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने डांस बारों को लाइसेंस न देने के मुद्दे पर सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि गुजर-बसर के लिए सड़कों पर भीख मांगने या कोई अस्वीकार्य काम करने से अच्छा है कि महिलाएं स्टेज पर डांस करें। महाराष्ट्र सरकार ने डांस बारों की ओर से कुछ शतरें को न मानने की दलील देकर उन्हें लाइसेंस देने से इनकार कर दिया था। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने डांस बारों को लाइसेंस देने के लिए तय की गई कुछ पूर्व शर्तों पर गौर किया और कहा, बाद की शतरें की बराबरी पहले की शतरें से नहीं की जा सकती। न्यायालय ने कहा कि सरकार को कार्यस्थल पर महिलाओं की गरिमा का संरक्षण करना होगा। शीर्ष न्यायालय ने कहा, यह क्या है ? आपने हमारे आदेश का पालन क्यों नहीं किया है ?

हमने आपसे पिछली बार कहा था कि आपको संवैधानिक मानदंडों का पालन करना होगा। बहरहाल, पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद की यह दलील मान ली कि राज्य सरकार को सुनिश्चित करना है कि डांस बारों में कोई अश्लीलता न हो और महिलाओं की गरिमा वहां सुरक्षित रहे। विवादित शतरें पर न्यायालय ने डांस बार मालिकों और पुलिस दोनों से कहा कि जिन शतरें पर आपसी सहमति बनी थी, उसका पालन करें। ये शत्रें न्यायालय के पहले के आदेशों में शामिल थीं। न्यायालय ने सभी डांस बारों से कहा कि वे स्थानीय पुलिस से अपने कर्मियों की पृष्ठभूमि की जांच कराएं और डांस बारों के सभी प्रवेश बिंदुओं पर सीसीटीवी कैमरे लगाएं।

शीर्ष न्यायालय ने डांस बारों से यह भी कहा कि वे इस शर्त का पालन करें कि जहां बार बाला नाचेंगी और जहां दर्शक बैठकर देखेेंगे, उसके बीच एक रेलिंग होनी चाहिए। न्यायालय ने पुलिस को आदेश दिया कि वह डांस बार आवेदकों को नगर निकायों, स्वास्य एवं अग्निशमन विभागों से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लाने के लिए न कहें क्योंकि जब होटल या रेस्तरां बनाए गए होंगे तो ये दस्तावेज जरूर मांगे गए होंगे। न्यायालय अब इस मामले पर अगली सुनवाई 10 मई को करेगा।

आज तय हो सकता है पौने दो लाख शिक्षामित्रों के भविष्य


लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पौने दो लाख शिक्षामित्रों के भविष्य पर निर्णय 26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट से आ सकता है। शिक्षामित्रों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा व जस्टिस यूयू ललित की बेंच सुनवाई दोपहर बाद दो बजे करेगी। इस बार सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों के मामले को फाइनल डिस्पोजल के लिए लगाया है। ऐसे में सहायक अध्यापक के पदों पर समायोजित हो चुके करीब 1.34 लाख शिक्षामित्रों व समायोजन का इंतजार कर रहे सभी शिक्षामित्रों की धड़कने बढ़ गयी हैं। 

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में पहले इस मामले की सुनवाई 11 जुलाई को होनी थी, लेकिन अब इसको निर्धारित समय से पहले सुना जाएगा। प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा से लेकर विभाग के आला अफसरों व सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए अपने अधिवक्ताओं की टीम को लगा दिया है।

मालूम हो कि प्रदेश में शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पदों पर समायोजित करने के राज्य सरकार के निर्णय को हाईकोर्ट इलाहाबाद ने निरस्त कर दिया था। इसके चलते प्रदेश भर के पौने दो लाख शिक्षामित्र सड़क पर आ गये थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बाद में हाईकोर्ट के समायोजन निरस्त करने के फैसले पर स्थगन आदेश पारित कर रोक लगायी थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने बाद में अपनी रोक को 11 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया था और अब 26 अप्रैल को अंतिम सुनवाई के लिए इसको लिस्टेड किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर यूपी के शिक्षामित्रों की नजरें टिकी हैं। सूत्रों का कहना है कि 26 अप्रैल को होने वाली सुनवाई में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के रुख पर भी काफी दारोमदार है।    

चपरासी की पत्नी से बोला अय्यास अफसर, इतनी खूबसूरत हो उसके साथ क्यों रहती हो, मेरे साथ आकर रहो


मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक सेल्स टैक्स के अफसर की अय्यासी सामने आई है। सिविल लाइन क्षेत्र के केशवपुरी में रहने वाले सैल्स टैक्स अफसर सुभाष चंद्रा का दिल चपरासी की पत्नी पर आ गया। इस अफसर ने न सिर्फ महिला से छेड़छाड़ की, बल्कि उससे कहा- 'तुम इतनी खूबसूरत हो, चपरासी के साथ क्यों रहती हो, मेरे साथ आकर रहो।' महिला की तहरीर पर स्थानीय पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

महिला ने आरोप लगाया है कि सुभाष चंद्रा रोजाना शराब पीकर आता और उससे छेड़छाड़ करता था और कहता है कि तुम अपने पति को छोड़कर मेरे पास आ जाओ इतना ही नहीं, आरोपी अपने साथ कंडोम के पैकेट भी रखता था, जो वह बार-बार दिखाता था। सीओ सिटी तेजवीर सिंह ने बताया, सुभाषचंद्रा का मेडिकल परीक्षण कराया गया है, जिसमें एलकोहल की पुष्टि हुई है। आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। उसे जेल भेजने के लिए कार्रवाई की जा रही है।  

हनुमान जी पर नगर निगम का 4.33 लाख बकाया, नहीं दिया तो हो जाएंगे डिफॉल्टर

 आरा। बिहार के भोजपुर जिले में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां राम के भक्त हनुमान को नगर निगम का चार लाख 33 हजार रुपये के बकाएदार बनाया गया है। रुपये नहीं चुकाए जाने के कारण नगर निगम भगवान हनुमान को नोटिस जारी करने की तैयारी में है। नगर निगम के एक अधिकारी के अनुसार, हनुमान को नोटिस भेजने की तैयारी की जा रही है।

हनुमान नगर निगम का बकाया नहीं चुका पा रहे हैं। इस कारण उनके खिलाफ नोटिस जारी किया जाएगा। इसके बाद भी अगर टैक्स नहीं भरा गया तो शहर के विभिन्न स्थानों पर हनुमान जी की होर्डिंग लगाकर उनका नाम सार्वजनिक किया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि भगवान हनुमान पर नगर निगम का चार लाख 33 हजार रुपये बकाया है। नगर निगम टैक्स जमा करने के लिए पूर्व में उन्हें दो बार सूचना दे चुका है।

आरा नगर निगम के रजिस्टर (पंजी) में दर्ज बकायेदारों की सूची में मठिया हनुमान जी का नाम लिखा है। हनुमान के नाम पर वार्ड नंबर-37 में तीन होल्डिंग हैं। 587 नंबर होल्डिंग पर 3.17 लाख रुपये, होल्डिंग नंबर- 607 पर 94 हजार रुपये और होल्डिंग नंबर 624 पर 22 हजार रुपये बकाया हैं।

आरा नगर निगम आयुक्त प्रमोद कुमार का कहना है कि टैक्स होल्डर के नाम से नोटिस भेजने का नियम है। निगम का बकाया वसूलने के लिए मंदिर के प्रबंधक पर शिकंजा कसा जाएगा। उल्लेखनीय है कि बेगूसराय जिला में एक अंचल अधिकारी ने रामभक्त हनुमान को एक नोटिस भेजकर अतिक्रमण कर बनाए गए मंदिर को हटाने का निर्देश दिया था। नोटिस में कहा गया था कि आपके मंदिर के चलते सड़क से आने-जाने वालों को दिक्कत हो रही है।

इससे पहले, जनवरी में सीतामढ़ी के एक अधिवक्ता ने भगवान राम के खिलाफ परिवाद पत्र दाखिल किया था, जिसमें भगवान राम पर अपनी पत्नी सीता को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया था। हालांकि बाद में न्यायालय ने इस परिवाद पत्र को खारिज कर दिया था।

आम तोड़ने को लेकर मासूम की दरिदों ने कर दी गला दबाकर हत्या


गोसाईंगंज। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोसाईंगंज थानाक्षेत्र में एक मासूम की दरिदों ने गला दबाकर हत्या कर दी। हत्या के बाद शव को उसके ही मकान के पास एक किसान के चरी के खेत में फेंक कर फरार हो गए। सुबह चरी काटने पहुंचे किसान ने शव देखा, जिसके बाद गांव में हड़कंप मच गया। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने छानबीन के बाद शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। इस संबंध में मृतक के पिता ने अपने ही परिवार के कुछ सदस्यों पर आम तोड़ने को लेकर हत्या करने का आरोप लगाया है। तहरीर मिलने पर पुलिस ने हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर दो लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।

जानकारी के मुताबिक गोसाईगंज के सठवारा गांव निवासी राम उजागर द्विवेदी खेती करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते आ रहे है। उनके दस वर्षीय बेटे सत्यम द्विवेदी का शव गांव के ही किसान मल्हू के चरी के खेत में पड़ा मिला। मल्हू सुबह अपने जानवरों को चारा देने के लिए चरी काटने खेत गया था। उसी दौरान उसने खेत में शव देखा, इसकी सूचना तत्काल गांव के लोगों को दी। जिसके बाद गांव में हड़कंप मच गया। देखते ही देखते ग्रामीणों का हुजूम लग गया। ग्राम प्रधान शत्रोहन द्वारा घटना की सूचना गोसाईंगंज पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम को भेज दिया। मृतक छात्र शिवलर गांव स्थित निजी स्कूल में कक्षा चौथी में पढ़ता था। मृतक के छात्र के पिता राम उजागर द्विवेदी ने अपने परिवार के ही तीन लोगों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई है।

पीड़ित का कहना है कि आम तोड़ने को लेकर परिवार के ही रिंकू, सुधीर व लवकेश ने गला दबाकर उसकी हत्या की है। पीड़ित के अनुसार उसके बेटे सत्यम को आरोपियों ने शनिवार को आम तोड़ने को लेकर पीटा था। जिसके बाद उन्होंने ही उसकी हत्या की है। वह गांव में सम्पन्न होने वाले एक शादी समारोह कार्यक्रम में गया था। जिसके बाद वापस नहीं लौटा। सुबह उसका शव घर के पास में चरी के खेत में पाया गया। वहीं गोसाईगंज के शिवलर गांव स्थित एक निजी विद्यालय में सत्यम कक्षा चौथी का छात्र था। वह जितना शैतानी करता था, उतना ही वह पढ़ाई में भी अव्वल था। मृतक के पिता बताते हैं कि उसकी शैतानी से लोग यहां खुश होते थे। वही आरोपियों को चुभती थी। जिसके कारण उसकी हत्या कर दी गई।

मृतक के पिता राम उजागर अपनी पत्नी अर्चना के साथ अपनी बहन के यहां बाराबंकी में आयोजित शादी समारोह कार्यक्रम शरीक होने गए थे। घर पर मृतक की बड़ी बहन मंदाकिनी तथा छोटा भाई शिवम थे। सठवारा गांव में आयोजित लक्ष्मण के घर शादी समारोह में सत्यम गया था। जिसके बाद वह घर नहीं लौटा। बहन ने काफी खोजबीन के बाद इसकी सूचना अपने पिता को दी। जिसके बाद रात में ही वह बाराबंकी से घर लौट आए। रात में काफी खोजने का प्रयास किया लेकिन कुछ पता नहीं चल सका। सुबह उसका शव घर से कुछ दूरी पर चरी के खेत में मिला।

चिटफंड कंपनियों ने निवेशकों को लगाया 80 हजार करोड़ रुपए का चूना


नई दिल्ली: देशभर में चिटफंड कंपनियों के धोखाधड़ी के मामलों की जांच कर रही सीबीआई के आकलन के अनुसार, इस तरह की कंपनियों ने हजारों सीधे-सादे निवेशकों को कम से कम 80 हजार करोड़ रुपए का चूना लगाया है। एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि जांच अब भी चल रही है और इसलिए यह राशि शुरुआती आकलन से बढ़ सकती है। देशभर में चल रहीं इन कंपनियों ने लोगों को आकर्षक ब्याज दर का प्रलोभन लेकर ठगा है। सूत्रों के अनुसार, देश के चार पूर्वी और उत्तर-पूर्वी राज्यों पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा और त्रिपुरा में संचालित चिटफंड कंपनियों द्वारा छोटे निवेशकों से कथित तौर पर 30 हजार करोड़ रुपए एकत्रित किए गए हैं वहीं पंजाब और अन्य उत्तर भारतीय राज्यों में कारोबार कर रहे पर्ल्स समूह ने निवेशकों को 51 हजार करोड़ रुपए का चूना लगाया है।

इन कंपनियों द्वारा जमा धन को कथित तौर पर जमीन खरीदने, मीडिया संस्थान खोलने, होटल और अन्य कारोबारों में लगाया जाता है और निवेशकों का बकाया नहीं दिया जाता। सूत्रों के अनुसार, 80 हजार करोड़ रुपए का आंकड़ा अभी तक हुई जांच पर आधारित है और निवेशकों से इकट्ठे किए गए धन के बारे में अब भी पड़ताल जारी है। इन चार राज्यों में 253 प्राथमिकियों के आधार पर सीबीआई ने अब तक 76 मामले दर्ज किए हैं। एजेंसी ने घोटाले के सिलसिले में 31 आरोपपत्र दाखिल किए हैं। एजेंसी ने रोज वैली समूह के खिलाफ तीन और सारदा समूह के खिलाफ सात मामले धोखाधड़ी के दर्ज किए हैं। सूत्रों ने कहा कि देशभर में इस तरह की कंपनियों ने करीब छह करोड़ लोगों को ठगा है जिनमें अधिकतर को कथित तौर पर पर्ल्स समूह ने फंसाया जो पिछले करीब 20 साल से कारोबार चला रहा था और अब एजेंसी ने उस पर लगाम कसी।

घोटाले की जांच बहुत मुश्किल काम है जहां एक पूर्व केंद्रीय मंत्री, एक प्रदेश स्तर के मंत्री, एक सांसद, एक पूर्व पत्रकार और राजनेताओं के नाम बड़े संचालकों के तौर पर शामिल हैं। एजेंसी ने कहा कि चिटफंड घोटाले जैसे आर्थिक अपराधों की जांच में बहुत कागजी कामकाज करना होता है क्योंकि धन का प्रवाह सामान्य तौर पर फाइलों और कंप्यूटरों में जटिल तरीके से परतों में छिपा होता है। आंकड़ों के विश्लेषण के लिए भी मदद की जरूरत होती है और इसलिए इसमें समय लग जाता है। उन्होंने कहा कि एजेंसी को संदेह है कि नियामकों के कुछ अफसरों द्वारा इन कंपनियों के परिचालन की अनदेखी किए बिना इतना बड़ा घोटाला होना संभव नहीं है। एजेंसी ने इस संबंध में सेबी तथा आरबीआई के अफसरों से सवाल किए हैं।

महिला ने बेटी के सामने गैर मर्द के साथ बनाए संबंध, और फिर क्या हुआ पूरा पढ़िए


फरीदाबाद: हरियाणा के फरीदाबाद में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला एक ऐसा मामला सामने आया जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जायेंगे। यहाँ एक मां ने अपनी बेटी के सामने गैर मर्द के साथ संबंध बनाए और फिर अपने पति के साथ मिलकर बेटी को भी इस गलत काम में भेजने की कोशिश की लेकिन बच्ची की एक समझदारी ने उसकी जिदंगी बचा ली।

बताया जा रहा है कि इस बच्ची ने अपने भाई की मदद से उनकी बातें फोन में रिकॉर्ड कर इसकी पुलिस में शिकायत कर दी। फरीदाबाद के मोहना गांव में पुलिस ने बच्ची के मां-बाप सहित अन्य आरोपी को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। मोहना गांव में चौथी क्लास में पढ़ने वाली बच्ची मां-बाप के साथ रहती है।

पीड़ित बच्ची के अनुसार एक दिन वह अचानक स्कूल से जल्दी अपने घर आ गई और घर पहुंचने पर उसने देखा कि गांव का ही एक व्यक्ति उसकी मां के साथ गलत काम कर रहा था। इसके बाद महिला ने अपनी बेटी को भी गंदा काम करने के लिए उकसाया। बेटी ने जब मना किया तो उसका पिता भी उसे ऐसे काम के लिए मनाने और लालच देने लगा। जानकारी के अनुसार पीड़िता का पिता आरोपी के यहां चौकीदार का काम करता था।

  

सूरजमुखी की खेती से विमुख हो रहे किसान


उत्तर प्रदेश की जलवायु और मिट्टी दोनों सूरजमुखी की खेती के अनुकूल है, लेकिन किसानों का इससे मोहभंग होता जा रहा है। या यूं कहें तो उप्र के खेतों में अब सूरजमुखी की बहार नजर नहीं आती। किसानों को बेहतर लाभ देने और तिलहन के संकट में मददगार होने के बावजूद सूरजमुखी की खेती के लिए प्रोत्साहन सरकार नहीं दे पा रही है। सूरजमुखी की बुवाई का क्षेत्रफल 80 प्रतिशत से कम होना सरकार की नीतियों पर भी सवाल खड़ा करता है। उत्तर प्रदेश में नब्बे के दशक में सूरजमुखी की खेती बड़े पैमाने पर होती थी। यह खेती अब केवल कानपुर मंडल तक सिमट कर रह गई है।

कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पहले 55 हजार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में सूरजमुखी की खेती होती थी, लेकिन अब यह घटकर पांच से छह हजार हेक्टेयर तक आ गई है। उन्होंने बताया, "तो ऐसा नहीं है कि उप्र की जलवायु और मिट्टी सूरजमुखी की खेती के लिए उपयुक्त नहीं है। औसत उपज में उप्र प्रति हेक्टेयर 1889 किलोग्राम का उत्पादन कर सबसे आगे है। हालांकि कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में क्षेत्रफल के हिसाब से अधिक खेती होती है। उप्र में इसकी खेती इसलिए नहीं हो पाती कि इसकी बिक्री की व्यवस्था नहीं की गई है।"

कानपुर में सूरजमुखी की खेती से जुड़े एक किसान शिवशंकर त्रिपाठी ने कहा कि सूरजमुखी की पैदावार में कमी नहीं है, बल्कि इसकी बिक्री की व्यवस्था नहीं हो पाती। सरकार ने इस ओर जरा भी ध्यान नहीं दिया, अन्यथा उप्र में इसकी खेती से किसानों को लाभ पहुंचाया जा सकता था।

किसान और विभाग के वरिष्ठ अधिकारी के दावे को स्वीकार करते हुए कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक प्रो. राजेंद्र कुमार ने बताया, "समय रहते यदि सूरजमुखी का तेल निकालने के लिए उद्योग लगाए गए होते तो किसानों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। तिलहन संकट से निपटने के लिए इस ओर ध्यान देकर किसानों को सूरजमुखी की खेती के लिए प्रोत्साहित करना होगा।"

इधर, कृषि विशेषज्ञों की मानें तो सूरजमुखी में तापमान सहने की अदभुत क्षमता होती है। अत्यधिक ठंडे मौसम को छोड़कर सभी माह में सूरजमुखी की बुवाई की जा सकती है। फूल और बीज बनते समय तेज वर्षा व हवा से फसल गिरने का डर बना रहता है। लेकिन यदि फसल बच गई तो 80 से 120 दिनों के बीच यह तैयार हो जाती है।

नेपाल में विनाशकारी भूस्खलन के 2 साल बाद भी जीने की जंग जारी


दो साल पहले तक मध्य नेपाल के एक गांव में रहने वाले मान बहादुर तमांग को घर और खेती की जमीन का मालिक होने का गर्व था। लेकिन पहाड़ी की ढलान वाले क्षेत्र में हुए विनाशकारी भूस्खलन में उनका सब कुछ तबाह हो गया। इस त्रासदी में 156 लोगों की मौत हुई थी। भारी बारिश के कारण 2 अगस्त, 2014 को इस क्षेत्र में विनाशकारी भूस्खलन हुआ था। इसके चलते नेपाल के सिंधुपालचोक जिले में सुनकोशी नदी में कृत्रिम झील बन गई थी और चीन से जोड़ने वाला अरनिको राजमार्ग करीब पांच किलोमीटर तक टूट गया था।

इस भूस्खलन में तमांग का सब कुछ खत्म हो गया। घर के साथ उसकी जीविका की एक मात्र साधन जमीन भी खत्म हो गई। नजदीक के जंगल से बांस की गठरी सिर पर ले जा रहे तमांग (63) ने कहा, "पर्याप्त खेती की जमीन के मालिक से मैं जीविका चलाने के लिए दैनिक मजदूरी करने वाला मजदूर बन गया हूं। इसी कमाई से अपना छोटा परिवार चलाता हूं।" भूस्खलन से सुनकोशी नदी की धारा अवरुद्ध हो गई थी और एक कृत्रिम झील बन गई थी। इसके चलते एक जल विद्युत संयंत्र भी पानी में डूब गया था। चीन से जोड़ने वाले राजमार्ग को पांच किलोमीटर तक टूटने से प्रतिदिन चार लाख डॉलर का नुकसान हुआ था। यह राजमार्ग 45 दिनों तक बंद रहा था।

सुनकोशी नदी में कृत्रिम झील बनने से बिहार में भी दहशत फैल गई थी, क्योंकि अवरोध से बांध के पीछे अचानक बनी झील को विस्फोट से उड़ाने की स्थिति में नेपाल ने बाढ़ के खतरे की चेतावनी दी थी। भूस्खलन में अपने परिजनों और घर खोने वाले मनखा गांव के 78 वर्षीय जीत बहादुर तमांग ने कहा, "हमारे गांव की बात छोड़ दें, भूस्खलन ने कोदी नदी की प्रवाह, भू-परिदृश्य और खेती की जमीन को बदल दिया।" मनखा गांव में दर्जनों घरों या तो दफन हो गए या फिर ध्वस्त हो गए।

काठमांडू, नेपाल के उत्तरी जिलों और चीन सीमा को जोड़ने वाला अरनिको राजमार्ग के निकट भूस्खलन के मलबे आज भी उस त्रासदी की गवाही दे रहे हैं। मलबे से कुछ दूरी पर नल से पानीपीते समय जीत बहादुर तमांग ने कहा, "मैंने अपना सब कुछ खो दिया। बुढ़ापा में अकेला रह रहा हूं। मेरी देखभाल करने वाला करने वाला कोई नहीं है। भूस्खलन के बाद सरकार जीने के लिए राशन देती है।" भूस्खलन से पहले जीत बहादूर तमांग पूर्णत: खेती पर निर्भर थे। लेकिन भूस्खलन में उनकी खेती की जमीन भी खत्म हो गई। अब उन्हें जीने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है।

जीत बहादुर ने कहा, "मैं अब एक भूमिहीन मजदूर हूं और चल रही सरकारी परियोजनाओं में मजदूरों के लिए काम पर निर्भर हूं।" अन्य परिवारों के साथ तमांग ने भी रहने के लिए टिन और बांस की झोपड़ी बनाई है। उन्हें उम्मीद है कि सरकार जल्द उन लोगों के लिए घर बना देगी। भूस्खलन का पीड़ित युवक लंका लामा भी है। लामा का भी परिवार कभी खेती पर आश्रित रहा करता था, लेकिन उस त्रासदी में उसका भी सब कुछ खत्म हो गया।

लंका लामा ने कहा, "सरकार को हमलोगों के लिए घर अभी बनाना है। लेकिन आपदा में बचे हमारे जैसे लोगों को जीने के लिए सरकार ने कभी पैसे नहीं दिए।" लामा काठमांडू में ड्राइवर का काम करता है और उसके परिवार के अन्य लोग भी काम करते हैं। लामा ने कहा कि त्रासदी में बचे कई लोग कई लोग जीविका की तलाश में नजदीक के शहरों में और कुछ काठमांडू चले गए।

लामा की दादी सुकु माया ने कहा, "भूस्खलन के बाद हमलोगों को जीने के लिए संघर्ष करना पड़ा था और आज भी कर रही हूं। हमारा भविष्य अनिश्चित है। हमलोग अपनी अगली पीढ़ी को लेकर चिंतित हैं कि वे भय के माहौल में यहां कैसे रहेंगे।" काडमांडू स्थित अंतर्राष्ट्रीय समकेतिक पर्वत विकास केंद्र (आईसीआईएमओडी) के विशेषज्ञों के अनुसार, भारी वर्षा के कारण करीब दो किलोमीटर तक मिट्टी, कीचड़ और चट्टान ढीले पड़ गए थे और पहाड़ी से अलग होकर जुरे गांव की ओर घिसक गए। मलबों से गांव का एक बड़ा भाग पूर्णत: नष्ट हो गया।

आईसीआईएमओडी के विशेषज्ञ अरुण. बी. श्रेष्ठ ने कहा, "इस तरह की प्राकृतिक आपदा को हमलोग नियंत्रित नहीं कर सकते हैं, लेकिन जीविका के साधनों और आधारभूत संरचनाओं पर पड़ने वाले इसके प्रतिकूल प्रभावों को कम किया जा सकता है।"

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सिंहस्थ कुंभ: बंदरों ने भी किया शाही स्नान

उज्जैन: मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में शुक्रवार को पहले शाही स्नान के साथ इस शताब्दी के दूसरे सिंहस्थ कुंभ की शुरुआत हो गई है। शाही स्नान में सबसे पहले जूना अखाड़े के नागा साधुओं ने क्षिप्रा नदी में डुबकी लगाई। सिंहस्थ कुंभ में हिस्सा लेने आए साधु संतों की टोलियों के साथ श्रद्घालुओं का मेला उमड़ आया है। हनुमान जयन्ती के दिन जूना अखाड़े के स्नान के साथ शुरू हुए शाही स्नान का आनंद लेने बंदर भी वहां पहुंचे।महाकाल की भस्मारती के बाद शुरू हुए शाही स्नान के लिए बंदर भी पहुंचे। आम आदमी को भले ही स्नान के लिए इंतजार करना पड़ा हो लेकिन इन बंदरों ने शाही स्नान का पूरा आंनद लिया। साधु संन्यासियों को देखने जुटी भीड़ बड़ी देर तक इन बंदरों को भी निहारती देखी गई।

पहला शाही स्नान होने की वजह से महाकाल की नगरी में शुक्रवार को साधु-संतों की भारी भीड़ नजर आ रही है। परंपरा के मुताबिक, कुंभ में सबसे पहले अखाड़ों के नागा साधु और उसके बाद महामंडलेश्वर स्नान करते है। उसके बाद ही आम लोगों को क्षिप्रा नदी में स्नान की अनुमति होती है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा तय किए गए अखाड़ों के क्रम के अनुसार, सबसे पहले श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा स्नान के लिए भेरूपुरा, हनुमानगढ़ी, शंकराचार्य चौक होते हुए छोटीरपट, केदारघाट, एवं दत्त अखाड़ा घाट पहुंचा। नागा साधुओं के बाद महामंडलेश्वर आदि ने स्नान किया। उसके बाद यह अखाड़ा निर्धारित मार्ग से अपनी छावनी को वापस चला गया। इस अखाड़े के साथ श्री पंचायती आवहन अखाड़ा एवं श्री पंचायती अग्नि अखाड़ा के साधुओं ने भी स्नान किया।

सभी 13 अखाड़ों के लिए दत्त अखाड़ा घाट और रामघाट पर स्नान की व्यवस्था की गई है। सभी अखाड़े अपने क्रम के अनुसार अपने अपने शिविर से निकलकर निर्धारित मार्ग से क्षिप्रा नदी के घाटों पर पहुंच रहे हैं। इन अखाड़ों के स्नान के बाद ही आम श्रद्घालु स्नान कर सकेंगे। अखाड़ों के स्नान का यह सिलसिला दोपहर डेढ़ बजे तक चलेगा। शाही स्नान के दौरान सुरक्षा-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। सडकों पर विभिन्न सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है तो नदी में गोताखोर, नगर सैनिक और एनडीआरएफ के दस्ते की तैनाती की गई है। इसके अलावा नदी मे सुरक्षा बलों की नौकाएं भी मौजूद हैं। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्रगिरि महाराज ने संवाददाताओं से कहा, "यह क्षिप्रा नदी के तट पर अनोखा नजारा है, यहां शैव और वैष्णव संप्रदाय दोनों के साधु संत स्नान कर रहे है। व्यवस्थाएं चौकस हैं और जरूरत की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।"

सिंहस्थ कुंभ : पहले शाही स्नान से धार्मिक समागम की शुरुआत

उज्जैन: मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में शुक्रवार को पहले शाही स्नान के साथ इस शताब्दी के दूसरे सिंहस्थ कुंभ की शुरुआत हो गई है। शाही स्नान में सबसे पहले जूना अखाड़े के नागा साधुओं ने क्षिप्रा नदी में डुबकी लगाई। सिंहस्थ कुंभ में हिस्सा लेने आए साधु संतों की टोलियों के साथ श्रद्घालुओं का मेला उमड़ आया है। श्रद्घालुओं की भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं।

पहला शाही स्नान होने की वजह से महाकाल की नगरी में शुक्रवार को साधु-संतों की भारी भीड़ नजर आ रही है। परंपरा के मुताबिक, कुंभ में सबसे पहले अखाड़ों के नागा साधु और उसके बाद महामंडलेश्वर स्नान करते है। उसके बाद ही आम लोगों को क्षिप्रा नदी में स्नान की अनुमति होती है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद द्वारा तय किए गए अखाड़ों के क्रम के अनुसार, सबसे पहले श्री पंचदशनाम जूना अखाड़ा स्नान के लिए भेरूपुरा, हनुमानगढ़ी, शंकराचार्य चौक होते हुए छोटीरपट, केदारघाट, एवं दत्त अखाड़ा घाट पहुंचा। नागा साधुओं के बाद महामंडलेश्वर आदि ने स्नान किया। उसके बाद यह अखाड़ा निर्धारित मार्ग से अपनी छावनी को वापस चला गया। इस अखाड़े के साथ श्री पंचायती आवहन अखाड़ा एवं श्री पंचायती अग्नि अखाड़ा के साधुओं ने भी स्नान किया।

सभी 13 अखाड़ों के लिए दत्त अखाड़ा घाट और रामघाट पर स्नान की व्यवस्था की गई है। सभी अखाड़े अपने क्रम के अनुसार अपने अपने शिविर से निकलकर निर्धारित मार्ग से क्षिप्रा नदी के घाटों पर पहुंच रहे हैं। इन अखाड़ों के स्नान के बाद ही आम श्रद्घालु स्नान कर सकेंगे। अखाड़ों के स्नान का यह सिलसिला दोपहर डेढ़ बजे तक चलेगा। शाही स्नान के दौरान सुरक्षा-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। सडकों पर विभिन्न सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है तो नदी में गोताखोर, नगर सैनिक और एनडीआरएफ के दस्ते की तैनाती की गई है। इसके अलावा नदी मे सुरक्षा बलों की नौकाएं भी मौजूद हैं।

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष नरेन्द्रगिरि महाराज ने संवाददाताओं से कहा, "यह क्षिप्रा नदी के तट पर अनोखा नजारा है, यहां शैव और वैष्णव संप्रदाय दोनों के साधु संत स्नान कर रहे है। व्यवस्थाएं चौकस हैं और जरूरत की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं।"