गर्मियों में ऐसे संभालें दिल

गर्मियों का मौसम शुरू हो चुका है, तामपान तेजी से ऊंचाई छू रहा है। साधारण बेचैनी और थकान के साथ ही भीषण गर्मी कई स्वास्थ्य समस्याओं खास कर मौजूदा दिल के रोगियों के लिए समस्याएं खड़ी कर सकता है। सेहतमंद लोग आराम से इस बदलाव को सह लेते हैं, लेकिन जिनका दिल कमजोर हो उनमें स्ट्रोक, डिहाइड्रेशन और दिल का दौरा जैसी समस्याएं हो सकती हैं। यह स्थिति कभी-कभी जानलेवा भी हो सकती है। ऐसे में दिल को संभालने के लिए जागरूकता जरूरी है।

मानव दिल मुट्ठीभर मांस पेशियों का एक ढांचा है जो रक्त धमनियों के जरिए शरीर के बाकी अंगों और तंतुओं को रक्त पहुंचाता है। बाहर के तापमान में वृद्धि होने से शरीर को ठंडा रखने के लिए आम दिनों से ज्यादा पानी खर्च हो जाता है। दिल को ज्यादा तेजी से काम करना पड़ता है, ताकि त्वचा की सतह तक रक्त पहुंचा पसीने के जरिए शरीर को ठंडा रखने में मदद की जाए।

एस्कॉर्ट हार्ट इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. प्रवीर अग्रवाल कहते हैं कि दिल के रोगियों में हीट स्ट्रोक (लू) का खतरा काफी ज्यादा होता है, क्योंकि प्लॉक से तंग हो चुकी धमनियों से त्वचा तक खून का बहाव सीमित हो सकता है।
उन्होंने कहा कि पसीना, जुकाम, त्वचा में तनाव, चक्कर आना, बेहोशी, मांसपेशियों में तनाव, एड़ियों में सूजन, सांस में दिक्कत, जी मिचलाना, उल्टी हीट स्ट्रोक के लक्षण हैं।

डॉ. प्रवीर अग्रवाल ने बताया कि हीट स्ट्रोक से बचने के लिए दिल के रोगियों को गर्मी के दिनों में दोपहर में घर के अंदर ही रहना चाहिए, खुले और हवादार कपड़े पहनने चाहिए, खूब पानी पीते रहना चाहिए और व्यायाम नहीं करना चाहिए। हीट स्ट्रोक होने पर दिल के रोगी को तुरंत नजदीकी हस्पातल ले जाना चाहिए।

फरीदाबाद स्थित फोर्टिस एस्कॉर्ट अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. संजय कुमार ने बताया कि गर्मियों में होने वाली डिहाइड्रेशन दिल के रोगियों के लिए बेहद खतरनाक है। यह धमनियों में रिसाव और स्ट्रोक का कारण बनता है। उन्होंने कहा कि 50 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोग अक्सर अपनी प्यास का अंदाजा नहीं लगा पाते और डिहाइड्रेशन का शिकार हो जाते हैं। घर से बाहर जाने पर बार-बार पानी पीते रहने का ध्यान रखना चाहिए।

बचाव के उपाय :

-सुबह सैर करना, दौड़ना और बागबानी ठंडे वक्त में करना चाहिए

-हल्के वजन और रंगों वाले ऐसे कपड़े पहनें, जिनमें सांस लेना आसान हो

-कैफीन और शराब से दूर रहें, क्योंकि यह डिहाइड्रेटिंग करते हैं

-हल्का और सेहतमंद आहार लें

-पूरे दिन में आठ से दस गिलास पानी पीना जरूरी है

-गर्मियों में अच्छी नींद लेना दिल पर दबाव कम करने और शरीर को स्फूर्ति देने के लिए आवश्यक है।

सिंहस्थ : मुस्लिम समाज के नौजवान बचा रहे जिंदगियां

उज्जैन: मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में चल रहे सिंहस्थ कुंभ में सांप्रदायिक सद्भाव के भी रंग देखने को मिल रहे हैं। एक तरफ जहां हिंदू क्षिप्रा नदी के जल में डुबकी लगाकर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं, तो दूसरी ओर मुस्लिम समाज के नौजवान पानी में डूबने वालों को बचाने में जुटे हैं। उज्जैन में क्षिप्रा नदी के घाटों पर विभिन्न तैराकों के दलों की तैनाती की गई है, ताकि स्नान के दौरान कोई हादसा न हो और जो श्रद्धालु गहरे पानी में पहुंचे उसे सुरक्षित निकाल लिया जाए। सबसे ज्यादा श्रद्धालु रामघाट पर पहुंचते हैं। यहां एक दल मौलाना मौज तैराक संघ का भी तैनात है। इस दल में ज्यादातर युवा मुस्लिम समुदाय से है।

मौलाना मौज तैराक दल संघ के अध्यक्ष अखलाक खान ने बताया कि उनके दल के सदस्य अब तक 40-45 श्रद्धालुओं को डूबने से बचा चुके हैं। पहले शाही स्नान के दिन 22 अप्रैल को छह जिंदगियों को डूबने से बचाया है। उन्होंने बताया कि तैराक दल न केवल पावन क्षिप्रा नदी में श्रद्धालुओं के साथ स्नान के दौरान होने वाली कोई भी अनहोनी को रोकने के लिए त संकल्पित है, बल्कि नदी तटों पर दिखने वाले जहरीले जीवों व सांपों को भी पकड़कर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने में लगे हैं। इस प्रकार जलजीवों की सुरक्षा भी वे कर रहे हैं।

तैराक दल के सदस्य अब्दुल वाजिद ने बताया कि दल के सभी सदस्य सीटी बजाकर स्नान करने आए श्रद्धालुओं को गहरे पानी में जाने से चेताते हैं तथा उन्हें जंजीरों व बैरिकेड्स के भीतर ही रहने के लिए समझाते हैं। इसके बावजूद जब कुछ श्रद्धालु गहरे पानी में डुबकी लगाने के उत्साह में डूबने लगते हैं, वैसे ही दल के सदस्य डूबते व्यक्ति को गोता लगाकर बचा लेते हैं। मौलाना मौज तैराक दल संघ के अध्यक्ष खान ने आगे बताया कि उनका दल ग्रीन सिंहस्थ-क्लीन सिंहस्थ लिए भी काम कर रहा है। दल के सदस्यों ने सोमवार को होमगार्ड के आह्वान पर रामघाट की साफ-सफाई और नदी के पानी को स्वच्छ व निर्मल बनाने के लिए फूलों व अन्य पूजन सामग्री सहित कचरे को भी निकालकर बाहर किया।

बताया गया है कि तैराक दल वर्तमान तीन शिटों में 24 घंटे श्रद्धालुओं की सेवा व सुरक्षा में लगा हैं। सिविल डिफेंस के रूप में जो भी जिम्मेदारी दल के सदस्यों को सौंपी जाती है, दल द्वारा सेवा भावना से पूरा करने का प्रयास किया जाता है।

जल संरक्षण की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं सिवनी गांव के आदिवासी

एक तरफ जहां छत्तीसगढ़ सहित पूरा देश में भीषण गर्मी के चलते पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है, वहीं छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले का एक गांव पानी की उपलब्धता कैसे कायम रखा जा सकता है, इसकी सीख दे रहा है। घने जंगलों के बीच बसे सिवनी गांव के आदिवासी पिछले 10 साल से जल संरक्षण की अनूठी मिसाल पेश कर रहे हैं। एक छोटे से जलस्रोत को संरक्षित करके भीषण गर्मी में भी जल प्रबंधन और संरक्षण कैसे किया जा सकता है, ये आदिवासी ग्राम सिवनी के ग्रामीणों से सीखा जा सकता है।

भीषण गर्मी के इस मौसम में भी इस गांव के जलस्रोत लबालब हैं और आसपास हरियाली छाई हुई है। जल के बेहतर प्रबंधन से गांव के जलस्रोतों में पानी का स्तर बढ़ा है, जिससे लगभग 25 एकड़ क्षेत्र में ग्रीष्मकालीन खेती भी किया जाता है। राजधानी रायपुर से 90 किलोमीटर की दूरी पर गरियाबंद जिला है। गरियाबंदे जिले के अंतर्गत विकासखंड मुख्यालय छुरा से 9 किलोमीटर दूर खरखरा-रसेला मार्ग पर लगभग 900 जनसंख्या वाला आदिवासी बहुल ग्राम सिवनी स्थित है।

बताया जाता है कि इस ग्राम के पूर्व की ओर एक छोटी सी लटी डबरा नाला बहती है, इस नाले पर बहने वाली जल को रोकने के लिए ग्राम पंचायत द्वारा एक छोटा सा पुलिया (रपटा) का निर्माण किया गया है, ग्रामीणों द्वारा जल के महत्व को समझते हुए इसे रोकने की पहल की गई और ग्राम पंचायत द्वारा सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित कर इस पर पुलिया का निर्माण किया गया। साथ ही छह छोटे गेट के माध्यम से पानी को रोका गया।

बरसात के दिनों में गेट को खोल दिया जाता है, परंतु बरसात खत्म होते ही गेट को बंद कर पानी रोका जाता है, जिससे गर्मी के चार महीने में भी नाले में चार फीट पानी लबालब रहता है, जिससे आसपास हरियाली तो रहती ही है, साथ-साथ गांव के लोग निस्तारी कार्य भी करते हैं। ग्रामीण बताते हैं कि इस नाले से न केवल गांव के ग्रामीण निस्तारी करते हैं, बल्कि जानवरों के लिए भी उपयोगी है। सिवनी की सरपंच गंगाबाई ठाकुर, सचिव गैंदराम नागेश और ग्रामीण कृष्ण कुमार ने बताया कि नाले के पानी को रोकने के लिए पहले ग्राम स्तरीय बैठक कर आपसी सहमति के बाद ग्राम पंचायत द्वारा सर्वसम्मति से प्रस्ताव पारित किया जाता है और समय-समय पर इसकी सफाई भी किया जाता है।

उन्होंने बताया कि गांव में लगभग 25 नलकूप हैं और 65-70 कुएं हैं, जिसके जलस्तर में वृद्धि हुई है। ग्राम पंचायत के सचिव नागेश ने बताया कि रपटा के ऊपरी भाग में एक छोटी-सी डबरी है, जिसके मेढ़ को काटकर उसमें मिलाने का विचार ग्राम पंचायत द्वारा किया जा रहा है, जिससे जल क्षेत्र में विस्तार होगा और ग्रामीणों को निस्तारी की बेहतर सुविधा मिलेगी।

ऐसा सूखा इससे पहले कभी नहीं देखा

तेलंगाना में प्रमुख जलाशयों के जलस्तर में तेजी से कमी आने के कारण पेयजल का गंभीर संकट पैदा हो गया है और ऊपर से पड़ रही भीषण गर्मी ने खेती को तबाह करके रख दिया है। यहां के लोगों का कहना है कि ऐसा सूखा उन्होंने इससे पहले कभी नहीं देखा। देश का सबसे नया राज्य दूसरी बार गंभीर सूखे की चपेट में है। पानी का संकट न सिर्फ गांवों में है, बल्कि यह शहरों तक और राजधानी हैदराबाद तक पहुंच चुका है। वर्षा के जल पर निर्भर रहनेवाले इस राज्य से लगभग 3.5 करोड़ छोटे किसानों का दूसरे राज्यों के शहरों में पलायन हो चुका है।

पानी की कमी के कारण किसान अपने पशुओं को बेहद कम कीमत पर बेच रहे हैं। किसान संगठनों के मुताबिक, सूखे से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों -महबूबनगर, रंगा रेड्डी, मेडक, निजामाबाद और आदिलाबाद- से लगभग 14 लाख किसानों का पलायन हुआ है। अखिल भारतीय किसान सभा के उपाअध्यक्ष ए. एस. माला रेड्डी ने बताया, "पलायन यह दिखाता है कि यहां की स्थिति कितनी भयावह है।" यहां के लोग काम की तलाश में ज्यादातर मुंबई, भिवंडी, अहमदाबाद और सूरत जा रहे हैं।

किसान जिन पशुओं को कृषि और दुग्ध उत्पादों के लिए पाल रहे थे, उन्हें अब वे 20-30 फीसदी कम कीमत पर बेच रहे हैं। माला रेड्डी ने बताया, "बाजार में सैंकड़ों पशु रोज बेचने के लिए लाए जा रहे हैं।" किसानों की आत्महत्या की सबसे ज्यादा संख्या वाले इस राज्य की कृषि विकास दर नकारात्मक रही है और अब सूखे के कारण समस्या और गंभीर होने वाली है। राज्य के कुल 450 मंडलों में 231 मंडल सूखे की चपेट में है, जबकि किसान संगठनों का कहना है कि 368 मंडल सूखे की चपेट में हैं। साल 2015-16 में यहां अनाज उत्पादन 65 लाख टन रहा, जबकि लक्ष्य 1.11 करोड़ टन का था। राज्य में चावल का उत्पादन 35 लाख टन रहा, जबकि खपत 60 लाख टन की हुई। वहीं, दालों और तिलहन के उत्पादन में भी तेजी से गिरावट देखी गई।

राज्य में राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (नरेगा) का काम कई गांवों में शुरू ही नहीं हो पाया है और जिन गांवों में काम शुरू भी हुआ है, वहां मजदूर तेज गर्मी के कारण इसमें शामिल नहीं हो रहे हैं। माला रेड्डी ने बताया कि इस योजना के तहत काम कर चुके मजदूरों को अभी तक मजदूरी नहीं मिली है। तेलंगाना संयुक्त कार्रवाई समिति (जेएसी) ने कहा है कि मनरेगा के तहत मजदूरी के भुगतान में देरी संकट को और बढ़ा रहा है। जेएसी के अध्यक्ष एम. कोडनडरम ने कहा कि सभी जिलों में स्थिति भयावह है। उन्होंने बताया कि नलगोंडा जिले के लोगों ने अपने 70 फीसदी पशुओं की बिक्री कर दी है।

राज्य ने केंद्र सरकार से सूखा राहत के तहत 3,064 करोड़ रुपये की मांग की है। लेकिन नई दिल्ली ने अभी तक 791 करोड़ रुपये देने की ही घोषणा की है। इसमें से भी अभी तक केवल 400 करोड़ रुपये ही जारी किए गए हैं। किसानों का कहना है कि फसलों के मुआवजे का वितरण अभी तक शुरू नहीं हुआ है। पेयजल की आपूर्ति के लिए राज्य सरकार ने केंद्र से 555 करोड़ रुपये की मांग की थी, लेकिन केंद्र ने अभी तक 72 करोड़ रुपये जारी किए हैं। वहीं, सरकार की लू से हुई मौत के आंकड़ों को छिपाने को लेकर आलोचना हो रही है, जबकि अधिकारी विरोधाभासी आंकड़े जारी कर रहे हैं।

माला रेड्डी ने बताया, "एक अधिकारी के मुताबिक लू से इस साल अब तक 45 लोगों की मौत हुई है, जबकि अनाधिकृत रूप से 200 लोगों के मरने की सूचना है।" किसान सभा ने कई स्थानों पर गरीबों के लिए खिचड़ी केंद्र खोला है, जिसमें मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव का निर्वाचन क्षेत्र मेडक जिले का गजवेल भी शामिल है। तेलंगाना राष्ट्र समिति की सरकार ने दावा किया है कि राहत के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं। स्कूलों में गर्मी की छुट्टियों के बावजूद वहां मिड डे मील के तहत भोजन मुहैया कराया जा रहा है।

सरकार ने कहा है कि वह सूखे के स्थायी निदान के लिए महत्वाकांक्षी परियोजना पर काम कर रही है। इसके तहत सिंचाई परियोजनाओं को फिर से डिजाइन किया जाएगा। सिंचाई टैंक को ठीक करने के लिए मिशन ककतिया और हरेक घर को पाइप से पीने का पानी पहुंचाने के लिए मिशन भगीरथ शुरू किया जाएगा। एक किसान नेता ने कहा कि अविभाजित आंध्र प्रदेश की सरकार ने साल 2005 से 2014 के बीच सिचाई परियोजनाओं पर 90,000 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए। लेकिन इससे केवल एक लाख एकड़ की अतिरिक्त भूमि की ही सिंचाई हो सकती है।

78 वर्षीय माला रेड्डी कहते हैं कि उन्होंने इससे खराब सूखा नहीं देखा है। "1972 में भी गंभीर सूखा का संकट पैदा हुआ था, लेकिन उस वक्त की सरकार ने गांवों में अनाज वितरण केंद्र खोलकर और आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति कर इससे बेहतर तरीके निपटा था।" प्रदेश के कृष्णा और गोदावरी नदियों के 14 बड़े जलाशयों में पानी का स्तर बहुत ज्यादा कम हो गया है। वहीं भूजल के स्तर में 2.5 मीटर की गिरावट आई है। हैदराबाद में पानी की आपूर्ति करनेवाले चार जलाशय पूरी तरह सूख गए हैं। एक करोड़ की आबादी वाला यह शहर कृष्णा और गोदावरी नदियों के दो जलाशयों पर निर्भर है। वहीं, दूसरे शहरों में स्थितियां और भी खराब है, जहां ज्यादातर लोगों तक पाइप के जरिए पानी की आपूर्ति नहीं की जाती और वे सप्ताह में एक बार आनेवाले निगम के टैंकर पर निर्भर हैं।

जर्मन बाला को भाया बिहारी दूल्हा

भारत के लोग आमतौर पर जहां पाश्चात्य संस्कृति के कायल हुए जा रहे हैं, वहीं विदेशियों को भारतीय संस्कृति खूब भा रही है। यही नहीं, विदेशी मेमों (युवतियों) को अब भारतीय दूल्हा भी पसंद आने लगा है। जर्मनी की एक बाला को भारतीय संस्कृति ऐसी भाई कि उसने भारतीय बनने का फैसला कर लिया। जर्मन युवती विक्टोरिया ने बिहार के जमुई पहुंचकर गिद्धौर प्रखंड के रतनपुर गांव के 30 वर्षीय युवक राज के साथ परिणय सूत्र में बंध गई। जमुई निबंधन कार्यालय में कानूनी रूप से शादी के बंधन में बंधने को पहुंचे इन प्रेमी जोड़ों को देखने के लिए सोमवार को काफी लोग पहुंचे।

जर्मनी के हमबर्ग की रहने वाली विक्टोरिया की मुलाकात जमुई जिले के रतनपुर गांव के निवासी राज सिंह से वर्ष 2014 में गोवा में उस समय हुई थी, जब वह गोवा घूमने आई थी। राज गोवा स्थित एक टूरिज्म कंपनी में कार्यरत है। राज बताते हैं कि इस मुलाकात के बाद दोनों में अच्छी दोस्ती हो गई, जो धीरे-धीरे प्यार में बदल गई। बकौल राज, "हम दोनों काफी करीब आ गए और दोनों ने शादी करने का फैसला ले लिया। विक्टोरिया को भी भारत का माहौल काफी पसंद आया।" वहीं विक्टोरिया ने कहा, "राज की बातों व विचारों से प्रभावित होकर मैंने उसके साथ जीवन गुजारने का फैसला कर लिया।"

विक्टोरिया इसी साल छह मार्च को दुल्हन बनने के इरादे से भारत आई और राज के साथ जमुई के रतनपुर गांव पहुंची। राज के पिता नरेंद्र कुमार सिंह व माता तिलोत्तमा देवी से आदेश मिलने के बाद दोनों ने 11 मार्च को शादी के लिए जमुई स्थित निबंधन कार्यालय में आवेदन दिया और फिर 25 अप्रैल को कागजी प्रक्रिया पूरी करने के बाद दोनों ने विधिवत शादी कर ली। राज के माता-पिता भी विदेशी बहू पाकर बहुत उत्साहित हैं। राज के पिता ने कहा कि भारतीय संस्कृति 'वसुधैव कुटुंबकम्' पर विश्वास करती है, यानी सारे जहां को अपना रिश्तेदार मानती है। ऐसे में जाति और देश का बंधन रिश्तों पर भारी नहीं पड़ सकता। उनके लिए उनके बेटे की खुशी ही सवरेपरि है।

शादी का प्रमाणपत्र लेने के बाद परिणय सूत्र में बंधे विक्टोरिया ने कहा, "मुझे भारत की संस्कृति बहुत पसंद है। मैं इसे पूरी तरह अपनाने की कोशिश करूंगी। हालांकि मुझे थोड़ी कठिनाई होगी, लेकिन मैं पूरी कोशिश करूंगी। बहरहाल, एक जर्मन युवती का 'बिहारिन' बनना क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है।

ये है दुनिया की सबसे छोटी पत्रकार, अकेले दम पर निकाला है अखबार

पेन्सिलवेनिया: अमेरिका के पेन्सिलवेनिया में एक 9 साल की बच्ची हिल्दे केट लिसियाक अखबार निकालती है। उसे कई भी खबर की जानकारी लगने के बाद वह खुद पेन, डायरी और कैमरा लेकर घटनास्थल तक पहुंच जाती है। इसके बाद वो उस खबर को अपने पेपर में जगह देती है और विस्तार से छापती है। 

इतनी छोटी बच्ची को रिपोर्टिंग करता देख अक्सर लोग हैरान रह जाते हैं। अब इसके चलते उसके इस काम से दुनिया भर में हिल्दे की जमकर तारीफ हो रही है।  इतना ही नहीं हिल्दे ने मर्डर की भी रिपोर्टिंग की है। हिल्दे को 2 अप्रैल को इलाके में हुई हत्या का पता चला। हत्या के चलते पुलिस ने उसके घर के आसपास के रास्ते बंद कर रखे थे।

इस दौरान हिल्दे ने पुलिस को बताया कि 'मैं जर्नलिस्ट हूं'। इसके बाद वह सीधे घटनास्थल पर पहुंच गई। यहां वह उस कमरे में गई, जहां शख्स की हत्या की गई थी। वापस घर आकर उसने पुलिस के अफसरों को मामले से जुड़ी सूचनाओं के लिए फोन भी किया। हिल्दे ने घटना का वीडियो भी बनाया। जब हिल्दे घटनास्थल पहुंची तो वहां दूसरा कोई जर्नलिस्ट नहीं था। इस घटना की फोटो और न्यूज को उसने सबसे पहले अपने सोशल मीडिया पेज और वेबसाइट पर दिखाया था। इसे देख सबने उसके काम की खूब सराहना की।

भीख मांगने से अच्छा है महिलाएं स्टेज पर डांस करें: सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने डांस बारों को लाइसेंस न देने के मुद्दे पर सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि गुजर-बसर के लिए सड़कों पर भीख मांगने या कोई अस्वीकार्य काम करने से अच्छा है कि महिलाएं स्टेज पर डांस करें। महाराष्ट्र सरकार ने डांस बारों की ओर से कुछ शतरें को न मानने की दलील देकर उन्हें लाइसेंस देने से इनकार कर दिया था। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति शिवकीर्ति सिंह की पीठ ने डांस बारों को लाइसेंस देने के लिए तय की गई कुछ पूर्व शर्तों पर गौर किया और कहा, बाद की शतरें की बराबरी पहले की शतरें से नहीं की जा सकती। न्यायालय ने कहा कि सरकार को कार्यस्थल पर महिलाओं की गरिमा का संरक्षण करना होगा। शीर्ष न्यायालय ने कहा, यह क्या है ? आपने हमारे आदेश का पालन क्यों नहीं किया है ?

हमने आपसे पिछली बार कहा था कि आपको संवैधानिक मानदंडों का पालन करना होगा। बहरहाल, पीठ ने महाराष्ट्र सरकार की तरफ से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल पिंकी आनंद की यह दलील मान ली कि राज्य सरकार को सुनिश्चित करना है कि डांस बारों में कोई अश्लीलता न हो और महिलाओं की गरिमा वहां सुरक्षित रहे। विवादित शतरें पर न्यायालय ने डांस बार मालिकों और पुलिस दोनों से कहा कि जिन शतरें पर आपसी सहमति बनी थी, उसका पालन करें। ये शत्रें न्यायालय के पहले के आदेशों में शामिल थीं। न्यायालय ने सभी डांस बारों से कहा कि वे स्थानीय पुलिस से अपने कर्मियों की पृष्ठभूमि की जांच कराएं और डांस बारों के सभी प्रवेश बिंदुओं पर सीसीटीवी कैमरे लगाएं।

शीर्ष न्यायालय ने डांस बारों से यह भी कहा कि वे इस शर्त का पालन करें कि जहां बार बाला नाचेंगी और जहां दर्शक बैठकर देखेेंगे, उसके बीच एक रेलिंग होनी चाहिए। न्यायालय ने पुलिस को आदेश दिया कि वह डांस बार आवेदकों को नगर निकायों, स्वास्य एवं अग्निशमन विभागों से अनापत्ति प्रमाण-पत्र लाने के लिए न कहें क्योंकि जब होटल या रेस्तरां बनाए गए होंगे तो ये दस्तावेज जरूर मांगे गए होंगे। न्यायालय अब इस मामले पर अगली सुनवाई 10 मई को करेगा।

आज तय हो सकता है पौने दो लाख शिक्षामित्रों के भविष्य


लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पौने दो लाख शिक्षामित्रों के भविष्य पर निर्णय 26 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट से आ सकता है। शिक्षामित्रों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा व जस्टिस यूयू ललित की बेंच सुनवाई दोपहर बाद दो बजे करेगी। इस बार सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों के मामले को फाइनल डिस्पोजल के लिए लगाया है। ऐसे में सहायक अध्यापक के पदों पर समायोजित हो चुके करीब 1.34 लाख शिक्षामित्रों व समायोजन का इंतजार कर रहे सभी शिक्षामित्रों की धड़कने बढ़ गयी हैं। 

उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट में पहले इस मामले की सुनवाई 11 जुलाई को होनी थी, लेकिन अब इसको निर्धारित समय से पहले सुना जाएगा। प्रदेश सरकार ने बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव संजय सिन्हा से लेकर विभाग के आला अफसरों व सुप्रीम कोर्ट में पैरवी के लिए अपने अधिवक्ताओं की टीम को लगा दिया है।

मालूम हो कि प्रदेश में शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पदों पर समायोजित करने के राज्य सरकार के निर्णय को हाईकोर्ट इलाहाबाद ने निरस्त कर दिया था। इसके चलते प्रदेश भर के पौने दो लाख शिक्षामित्र सड़क पर आ गये थे, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बाद में हाईकोर्ट के समायोजन निरस्त करने के फैसले पर स्थगन आदेश पारित कर रोक लगायी थी। 

सुप्रीम कोर्ट ने बाद में अपनी रोक को 11 जुलाई तक के लिए बढ़ा दिया था और अब 26 अप्रैल को अंतिम सुनवाई के लिए इसको लिस्टेड किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर यूपी के शिक्षामित्रों की नजरें टिकी हैं। सूत्रों का कहना है कि 26 अप्रैल को होने वाली सुनवाई में राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के रुख पर भी काफी दारोमदार है।    

चपरासी की पत्नी से बोला अय्यास अफसर, इतनी खूबसूरत हो उसके साथ क्यों रहती हो, मेरे साथ आकर रहो


मुजफ्फरनगर: उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में एक सेल्स टैक्स के अफसर की अय्यासी सामने आई है। सिविल लाइन क्षेत्र के केशवपुरी में रहने वाले सैल्स टैक्स अफसर सुभाष चंद्रा का दिल चपरासी की पत्नी पर आ गया। इस अफसर ने न सिर्फ महिला से छेड़छाड़ की, बल्कि उससे कहा- 'तुम इतनी खूबसूरत हो, चपरासी के साथ क्यों रहती हो, मेरे साथ आकर रहो।' महिला की तहरीर पर स्थानीय पुलिस ने आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है।

महिला ने आरोप लगाया है कि सुभाष चंद्रा रोजाना शराब पीकर आता और उससे छेड़छाड़ करता था और कहता है कि तुम अपने पति को छोड़कर मेरे पास आ जाओ इतना ही नहीं, आरोपी अपने साथ कंडोम के पैकेट भी रखता था, जो वह बार-बार दिखाता था। सीओ सिटी तेजवीर सिंह ने बताया, सुभाषचंद्रा का मेडिकल परीक्षण कराया गया है, जिसमें एलकोहल की पुष्टि हुई है। आरोपी के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया गया है। उसे जेल भेजने के लिए कार्रवाई की जा रही है।  

हनुमान जी पर नगर निगम का 4.33 लाख बकाया, नहीं दिया तो हो जाएंगे डिफॉल्टर

 आरा। बिहार के भोजपुर जिले में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। यहां राम के भक्त हनुमान को नगर निगम का चार लाख 33 हजार रुपये के बकाएदार बनाया गया है। रुपये नहीं चुकाए जाने के कारण नगर निगम भगवान हनुमान को नोटिस जारी करने की तैयारी में है। नगर निगम के एक अधिकारी के अनुसार, हनुमान को नोटिस भेजने की तैयारी की जा रही है।

हनुमान नगर निगम का बकाया नहीं चुका पा रहे हैं। इस कारण उनके खिलाफ नोटिस जारी किया जाएगा। इसके बाद भी अगर टैक्स नहीं भरा गया तो शहर के विभिन्न स्थानों पर हनुमान जी की होर्डिंग लगाकर उनका नाम सार्वजनिक किया जाएगा। अधिकारी ने बताया कि भगवान हनुमान पर नगर निगम का चार लाख 33 हजार रुपये बकाया है। नगर निगम टैक्स जमा करने के लिए पूर्व में उन्हें दो बार सूचना दे चुका है।

आरा नगर निगम के रजिस्टर (पंजी) में दर्ज बकायेदारों की सूची में मठिया हनुमान जी का नाम लिखा है। हनुमान के नाम पर वार्ड नंबर-37 में तीन होल्डिंग हैं। 587 नंबर होल्डिंग पर 3.17 लाख रुपये, होल्डिंग नंबर- 607 पर 94 हजार रुपये और होल्डिंग नंबर 624 पर 22 हजार रुपये बकाया हैं।

आरा नगर निगम आयुक्त प्रमोद कुमार का कहना है कि टैक्स होल्डर के नाम से नोटिस भेजने का नियम है। निगम का बकाया वसूलने के लिए मंदिर के प्रबंधक पर शिकंजा कसा जाएगा। उल्लेखनीय है कि बेगूसराय जिला में एक अंचल अधिकारी ने रामभक्त हनुमान को एक नोटिस भेजकर अतिक्रमण कर बनाए गए मंदिर को हटाने का निर्देश दिया था। नोटिस में कहा गया था कि आपके मंदिर के चलते सड़क से आने-जाने वालों को दिक्कत हो रही है।

इससे पहले, जनवरी में सीतामढ़ी के एक अधिवक्ता ने भगवान राम के खिलाफ परिवाद पत्र दाखिल किया था, जिसमें भगवान राम पर अपनी पत्नी सीता को प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया था। हालांकि बाद में न्यायालय ने इस परिवाद पत्र को खारिज कर दिया था।

आम तोड़ने को लेकर मासूम की दरिदों ने कर दी गला दबाकर हत्या


गोसाईंगंज। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गोसाईंगंज थानाक्षेत्र में एक मासूम की दरिदों ने गला दबाकर हत्या कर दी। हत्या के बाद शव को उसके ही मकान के पास एक किसान के चरी के खेत में फेंक कर फरार हो गए। सुबह चरी काटने पहुंचे किसान ने शव देखा, जिसके बाद गांव में हड़कंप मच गया। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने छानबीन के बाद शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया। इस संबंध में मृतक के पिता ने अपने ही परिवार के कुछ सदस्यों पर आम तोड़ने को लेकर हत्या करने का आरोप लगाया है। तहरीर मिलने पर पुलिस ने हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर दो लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है।

जानकारी के मुताबिक गोसाईगंज के सठवारा गांव निवासी राम उजागर द्विवेदी खेती करके अपने परिवार का पालन-पोषण करते आ रहे है। उनके दस वर्षीय बेटे सत्यम द्विवेदी का शव गांव के ही किसान मल्हू के चरी के खेत में पड़ा मिला। मल्हू सुबह अपने जानवरों को चारा देने के लिए चरी काटने खेत गया था। उसी दौरान उसने खेत में शव देखा, इसकी सूचना तत्काल गांव के लोगों को दी। जिसके बाद गांव में हड़कंप मच गया। देखते ही देखते ग्रामीणों का हुजूम लग गया। ग्राम प्रधान शत्रोहन द्वारा घटना की सूचना गोसाईंगंज पुलिस को दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम को भेज दिया। मृतक छात्र शिवलर गांव स्थित निजी स्कूल में कक्षा चौथी में पढ़ता था। मृतक के छात्र के पिता राम उजागर द्विवेदी ने अपने परिवार के ही तीन लोगों के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई है।

पीड़ित का कहना है कि आम तोड़ने को लेकर परिवार के ही रिंकू, सुधीर व लवकेश ने गला दबाकर उसकी हत्या की है। पीड़ित के अनुसार उसके बेटे सत्यम को आरोपियों ने शनिवार को आम तोड़ने को लेकर पीटा था। जिसके बाद उन्होंने ही उसकी हत्या की है। वह गांव में सम्पन्न होने वाले एक शादी समारोह कार्यक्रम में गया था। जिसके बाद वापस नहीं लौटा। सुबह उसका शव घर के पास में चरी के खेत में पाया गया। वहीं गोसाईगंज के शिवलर गांव स्थित एक निजी विद्यालय में सत्यम कक्षा चौथी का छात्र था। वह जितना शैतानी करता था, उतना ही वह पढ़ाई में भी अव्वल था। मृतक के पिता बताते हैं कि उसकी शैतानी से लोग यहां खुश होते थे। वही आरोपियों को चुभती थी। जिसके कारण उसकी हत्या कर दी गई।

मृतक के पिता राम उजागर अपनी पत्नी अर्चना के साथ अपनी बहन के यहां बाराबंकी में आयोजित शादी समारोह कार्यक्रम शरीक होने गए थे। घर पर मृतक की बड़ी बहन मंदाकिनी तथा छोटा भाई शिवम थे। सठवारा गांव में आयोजित लक्ष्मण के घर शादी समारोह में सत्यम गया था। जिसके बाद वह घर नहीं लौटा। बहन ने काफी खोजबीन के बाद इसकी सूचना अपने पिता को दी। जिसके बाद रात में ही वह बाराबंकी से घर लौट आए। रात में काफी खोजने का प्रयास किया लेकिन कुछ पता नहीं चल सका। सुबह उसका शव घर से कुछ दूरी पर चरी के खेत में मिला।

चिटफंड कंपनियों ने निवेशकों को लगाया 80 हजार करोड़ रुपए का चूना


नई दिल्ली: देशभर में चिटफंड कंपनियों के धोखाधड़ी के मामलों की जांच कर रही सीबीआई के आकलन के अनुसार, इस तरह की कंपनियों ने हजारों सीधे-सादे निवेशकों को कम से कम 80 हजार करोड़ रुपए का चूना लगाया है। एजेंसी के सूत्रों ने कहा कि जांच अब भी चल रही है और इसलिए यह राशि शुरुआती आकलन से बढ़ सकती है। देशभर में चल रहीं इन कंपनियों ने लोगों को आकर्षक ब्याज दर का प्रलोभन लेकर ठगा है। सूत्रों के अनुसार, देश के चार पूर्वी और उत्तर-पूर्वी राज्यों पश्चिम बंगाल, असम, ओडिशा और त्रिपुरा में संचालित चिटफंड कंपनियों द्वारा छोटे निवेशकों से कथित तौर पर 30 हजार करोड़ रुपए एकत्रित किए गए हैं वहीं पंजाब और अन्य उत्तर भारतीय राज्यों में कारोबार कर रहे पर्ल्स समूह ने निवेशकों को 51 हजार करोड़ रुपए का चूना लगाया है।

इन कंपनियों द्वारा जमा धन को कथित तौर पर जमीन खरीदने, मीडिया संस्थान खोलने, होटल और अन्य कारोबारों में लगाया जाता है और निवेशकों का बकाया नहीं दिया जाता। सूत्रों के अनुसार, 80 हजार करोड़ रुपए का आंकड़ा अभी तक हुई जांच पर आधारित है और निवेशकों से इकट्ठे किए गए धन के बारे में अब भी पड़ताल जारी है। इन चार राज्यों में 253 प्राथमिकियों के आधार पर सीबीआई ने अब तक 76 मामले दर्ज किए हैं। एजेंसी ने घोटाले के सिलसिले में 31 आरोपपत्र दाखिल किए हैं। एजेंसी ने रोज वैली समूह के खिलाफ तीन और सारदा समूह के खिलाफ सात मामले धोखाधड़ी के दर्ज किए हैं। सूत्रों ने कहा कि देशभर में इस तरह की कंपनियों ने करीब छह करोड़ लोगों को ठगा है जिनमें अधिकतर को कथित तौर पर पर्ल्स समूह ने फंसाया जो पिछले करीब 20 साल से कारोबार चला रहा था और अब एजेंसी ने उस पर लगाम कसी।

घोटाले की जांच बहुत मुश्किल काम है जहां एक पूर्व केंद्रीय मंत्री, एक प्रदेश स्तर के मंत्री, एक सांसद, एक पूर्व पत्रकार और राजनेताओं के नाम बड़े संचालकों के तौर पर शामिल हैं। एजेंसी ने कहा कि चिटफंड घोटाले जैसे आर्थिक अपराधों की जांच में बहुत कागजी कामकाज करना होता है क्योंकि धन का प्रवाह सामान्य तौर पर फाइलों और कंप्यूटरों में जटिल तरीके से परतों में छिपा होता है। आंकड़ों के विश्लेषण के लिए भी मदद की जरूरत होती है और इसलिए इसमें समय लग जाता है। उन्होंने कहा कि एजेंसी को संदेह है कि नियामकों के कुछ अफसरों द्वारा इन कंपनियों के परिचालन की अनदेखी किए बिना इतना बड़ा घोटाला होना संभव नहीं है। एजेंसी ने इस संबंध में सेबी तथा आरबीआई के अफसरों से सवाल किए हैं।

महिला ने बेटी के सामने गैर मर्द के साथ बनाए संबंध, और फिर क्या हुआ पूरा पढ़िए


फरीदाबाद: हरियाणा के फरीदाबाद में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाला एक ऐसा मामला सामने आया जिसे सुनकर आप भी हैरान रह जायेंगे। यहाँ एक मां ने अपनी बेटी के सामने गैर मर्द के साथ संबंध बनाए और फिर अपने पति के साथ मिलकर बेटी को भी इस गलत काम में भेजने की कोशिश की लेकिन बच्ची की एक समझदारी ने उसकी जिदंगी बचा ली।

बताया जा रहा है कि इस बच्ची ने अपने भाई की मदद से उनकी बातें फोन में रिकॉर्ड कर इसकी पुलिस में शिकायत कर दी। फरीदाबाद के मोहना गांव में पुलिस ने बच्ची के मां-बाप सहित अन्य आरोपी को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया है। मोहना गांव में चौथी क्लास में पढ़ने वाली बच्ची मां-बाप के साथ रहती है।

पीड़ित बच्ची के अनुसार एक दिन वह अचानक स्कूल से जल्दी अपने घर आ गई और घर पहुंचने पर उसने देखा कि गांव का ही एक व्यक्ति उसकी मां के साथ गलत काम कर रहा था। इसके बाद महिला ने अपनी बेटी को भी गंदा काम करने के लिए उकसाया। बेटी ने जब मना किया तो उसका पिता भी उसे ऐसे काम के लिए मनाने और लालच देने लगा। जानकारी के अनुसार पीड़िता का पिता आरोपी के यहां चौकीदार का काम करता था।