आईटी उद्योग में लौटा तेज विकास

देश के 270 अरब डॉलर के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) क्षेत्र में तेज विकास का युग 2013 में वापस लौटा है और उम्मीद है कि आने वाले वर्षो में इसमें और तेजी से विकास होगा। देश की चार शीर्ष आईटी कंपनियों -टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो और एचसीएल- ने 2013 में 12-14 फीसदी की दर से विकास दर्ज किया, जो 2012-13 में 10 फीसदी था।

क्षेत्र की एक शीर्ष प्रतिनिधि संस्था ने कहा, "इस साल वैश्विक प्रौद्योगिकी खर्च में महत्वपूर्ण वृद्धि दर्ज की गई है। इससे भारतीय सॉफ्टवेयर सेवा क्षेत्र को निर्यात और घरेलू दोनों ही क्षेत्रों में दहाई अंकों में विकास करने का बेहतर अवसर मिला है।" नेशनल एसोसिएशन ऑफ सॉफ्टवेयर एंड सर्विसिस कंपनी (नासकाम) के मुताबिक इस उद्योग को 2013-14 में निर्यात से 84-87 अरब डॉलर की आय हो सकती है। पिछले साल इस मद में 76 अरब डॉलर की आय हुई थी।

इस उद्योग के घरेलू बाजार के साल-दर-साल आधार पर 14 फीसदी विकास के साथ वर्तमान कारोबारी वर्ष में 1,200 अरब रुपये (185 अरब डॉलर) का हो जाने का अनुमान है, जो पिछले कारोबारी वर्ष की समाप्ति पर 1,050 अरब रुपये (160 अरब डॉलर) का था।

नासकाम के अध्यक्ष सोम मित्तल ने कहा, "अमेरिका और यूरोप जैसे बड़े बाजारों में सुस्त विकास के कारण विपरीत परिस्थिति के बावजूद हमने वर्तमान कारोबारी वर्ष में अपने अनुमान में बदलाव नहीं करने और 12-14 फीसदी विकास के अनुमान पर कायम रहने का फैसला किया है।"

इस साल के मुख्य घटनाक्रमों में इंफोसिस के सह-संस्थापक एन.आर. नारायणमूर्ति ने जून में कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में कंपनी की बागडोर फिर से संभाल ली। 67 वर्षीय मूर्ति की वापसी के साथ ही हालांकि कंपनी के आठ शीर्ष पदाधिकारियों ने कंपनी छोड़ दी, जिनमें से दो बोर्ड निदेशक थे।

इस साल विप्रो लिमिटेड ने अप्रैल में अपने वैश्विक सॉफ्टवेयर सेवा और उत्पाद कारोबार से गैर आईटी (उपभोक्ता सेवा और लाइटिंग, अधोसंरचना इंजीनियरिंग और मेडिकल डायग्नोस्टिक प्रोडक्ट और सेवा) कारोबार को एक स्वतंत्र कंपनी के रूप में अलग कर दिया।

मित्तल ने कहा कि घरेलू बाजार भी परिपक्व हो रहा है और विकासशील देशों के बीच इसकी विकास दर सबसे अधिक है। इस उद्योग में प्रत्यक्ष रोजगार पाने वालों की संख्या 30 लाख हो गई है। पिछले कारोबारी वर्ष में उद्योग ने 1,88,000 नए रोजगार का सृजन किया।

नासकाम के अध्यक्ष और टीसीएस के मुख्य कार्यकारी एन. चंद्रशेखरन ने कहा, "इस उद्योग ने फिर एक बार सुस्ती से बाहर निकलने की क्षमता दिखाई है। प्रौद्योगिकी आज सभी क्षेत्रों में विकास की सूत्रधार बन रही है और हम अपने ग्राहकों का रणनीतिक साझेदार बनने के लिए खुद का नए रूपों में विकास कर रहे हैं।"

2013 संक्षेप में :

- सॉफ्टवेयर निर्यात 12-14 फीसदी विकास दर के साथ 84-87 अरब डॉलर की उम्मीद।

- घरेलू बाजार के भी 14 फीसदी विकास के साथ 185 अरब डॉलर का होने की उम्मीद।

- एन. आर. नारायणमूर्ति की अध्यक्ष के रूप में इंफोसिस में वापसी।

- छह माह में इंफोसिस ने आठ शीर्ष अधिकारियों ने दिया इस्तीफा।

- विप्रो ने गैर-आईटी कारोबार को अलग कंपनी के रूप में स्थापित किया।

- उद्योग ने नए सेवाओं और उत्पादों में अपना बाजार बढ़ाया।

- अधिक कर्मचारियों के नौकरी छोड़ने के बाद भी कैंपस से भर्ती और नई नियुक्ति घटी।
www.pardaphash.com

अनिल कपूर के 53वें जन्मदिन पर विशेष.....

बॉलीवुड अभिनेता और जाने-माने फिल्म निर्माता सुरेन्द्र कपूर के बेटे अनिल कपूर आज अपना 54वां जन्मदिन मना रहे हैं| अनिल कपूर का जन्म साल 1959 में मुंबई के तिलक नगर में हुआ था| फ़िल्मी परिवार से ताल्लुक रखने वाले अनिल ने उमेश मेहरा की हमारे तुम्हारे (1979) के साथ एक सहायक की भूमिका में बॉलीवुड में करियर की शुरुआत की|

अनिल के बड़े भाई बोनी कपूर एक प्रसिद्द निर्माता हैं और उनके छोटे भाई संजय कपूर भी एक अभिनेता हैं| अनिल के तीन बच्चों में से एक सोनम कपूर भी बॉलीवुड में सक्रिय हैं| अनिल कपूर ने पहली बार फिल्म 'वो सात दिन' में मुख्य भूमिका निभाई थी| इसके बाद 'मि. इंडिया', 'बेटा', 'विरासत', 'राम लखन', 'तेजाब', 'परिन्दा', 'स्लमडॉग मिलियनर' जैसी कई हिट फ़िल्में दीं| 'मि. इंडिया' उनकी सबसे बड़ी हिट फिल्म रही और इस फिल्म के साथ ही उन्हें 'अगले सुपरस्टार' का दर्जा भी मिला|

हाल ही में वे हॉलीवुड की सुपरहिट फिल्म 'मिशन इम्पोसिबल: घोस्ट प्रोटोकॉल' में टॉम क्रूज व पाउला पैटन के साथ नजर आए| इस फिल्म के साथ ही अनिल ने अपना नाम किसी हॉलीवुड की फिल्म के पोस्टर में जगह पाने वाले पहले भारतीय कलाकार के रूप में दर्ज करा लिया है| अनिल कपूर को मिले पुरस्कारों की फेहरिस्त भी खासी लम्बी है:

राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार
2001 - सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - पुकार
2008- स्पेशल ज्यूरी अवार्ड - गांधी माय फादर

फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कार
1985 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार - मशाल
1989 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - तेज़ाब
1993 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - बेटा
1998 - फ़िल्मफ़ेयर क्रिटिक्स सर्वश्रेष्ठ अभिनेता पुरस्कार - विरासत
2000 - फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार - ताल

अंतर्राष्ट्रीय भारतीय फ़िल्म अकादमी पुरस्कार
2000 - आई आई एफ ए सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार - बीवी नम्बर वन
2000 - आई आई एफ ए सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार - ताल
2006 - आई आई एफ ए वाल ऑफ़ फेम
2010 - आई आई एफ ए असाधारण उपलब्धि

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन पर विशेष

टूटे हुए सपनों की कौन सुने सिसकी
अन्तर की चीर व्यथा पलको पर ठिठकी
हार नहीं मानूँगा,
रार नई ठानूँगा,

काल के कपाल पे लिखता मिटाता हूँ
गीत नया गाता हूँ....

कविता "दो अनुभूतियाँ" की यह पंक्तियाँ अपने रचयिता की जिजीविषा को बेहद सहज और सरल तरीके से दर्शाती हैं| इस कविता के रचयिता कोई और नहीं बल्कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हैं| 25 दिसंबर 1924 को उत्तर प्रदेश के आगरा में जन्में अटल बिहारी मंगलवार को जीवन के 90वें पड़ाव में कदम रख रहे हैं|

एक सहज और सरल व्यक्तित्व के स्वामी अटल बिहारी का एक ऐसा नाम हैं, जिन्होनें भारतीय राजनीति को एक नया आयाम दिया| अटल बिहारी न सिर्फ एक सफल राजनेता हैं बल्कि प्रसिद्ध हिन्दी कवि भी हैं|

व्यक्तिगत जीवन

भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक अध्यापक पं. कृष्ण बिहारी के घर में जन्म लिया| उन्होंने बीए की शिक्षा ग्वालियर के विक्टोरिया कालेज में की और कानपुर के डीएवी कालेज से राजनीति शास्त्र में प्रथम श्रेणी में एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की| अविवाहित अटल ने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया|

अटल ने राजनीति की शिक्षा डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी और पं. दीनदयाल उपाध्याय के निर्देशन में ली| उन्होंने साल 1955 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा| इसके बाद साल 1957 में बलरामपुर से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पहुंचे| अटल साल 1957 से 1977 तक जनसंघ के संसदीय दल के नेता भी रहे|

राजनीतिक जीवन

अटल बिहारी वाजपेयी भारतीय जन संघ की स्थापना करने वालों में से एक है और साल 1968 से 1973 तक वह उसके अध्यक्ष भी रह चुके हैं| अटल ने साल 1955 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा, जिसमें उन्हें असफलता का सामना करना पड़ा| इसके बाद, साल 1957 में बलरामपुर (जिला गोण्डा, उत्तर प्रदेश) से जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में विजयी होकर लोकसभा में पंहुचे|

अटल साल 1957 से जनता पार्टी की स्थापना के साल 1977 तक जनसंघ के संसदीय दल के नेता रहे| अटल ने साल 1968 से 1973 तक भारतीय जनसंघ के राष्टीय अध्यक्ष पद को सुशोभित किया| मोरारजी देसाई की सरकार में वह 1977से 1979 तक विदेश मंत्री रहे और विदेशों में भारत की छवि बनाई|

1980 में जनता पार्टी से असंतुष्ट होकर इन्होंने जनता पार्टी छोड़ दी और भारतीय जनता पार्टी की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया| वाजपेयी ने 6 अप्रैल, 1980 में बनी भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष पद संभाला| साथ ही वे दो बार राज्यसभा के लिए भी निर्वाचित हुए| साल 1997 में वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के रूप में देश की बागडोर संभाली| उन्होंने 19 अप्रैल, 1998 को पुनः प्रधानमंत्री पद की शपथ ली|

सन 2004 के लोकसभा चुनावों में भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबन्धन (एनडीए) ने वाजपेयी के नेतृत्व में चुनाव लड़ते हुए "भारत उदय (इण्डिया शाइनिंग)" का नारा दिया|

इस चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला| ऐसी स्थिति में वामपंथी दलों के समर्थन से कांग्रेस ने भारत की केन्द्रीय सरकार पर कायम होने में सफलता प्राप्त की और भाजपा विपक्ष में बैठने को मजबूर हुई|

कवि के रूप में अटल

मृत्यु या हत्या
अमर बलिदान (लोक सभा में अटल जी वक्तव्यों का संग्रह)
कैदी कविराय की कुण्डलियाँ
संसद में तीन दशक
अमर आग है

कुछ लेख:

कुछ भाषण
सेक्युलर वाद
राजनीति की रपटीली राहें
बिन्दु बिन्दु विचार, इत्यादि|

जब धरती पर उतरा मसीहा

क्रिसमस या बड़ा दिन त्योहार प्रभु के पुत्र ईसा मसीह, जीसस क्राइस्ट या यीशु के धरती पर अवतरण की खुशी में मनाया जाता है। हर साल 25 दिसंबर को प्रभु-पुत्र ईसा मसीह का जन्मदिन हर्षोल्लास से मनाने की परंपरा है। इस दिन लगभग संपूर्ण विश्व में अवकाश रहता है। क्रिसमस 12 दिनों तक चलने वाला उत्सव है। 25 दिसंबर यीशु मसीह का जन्मदिन होने का यूं तो कोई तथ्यपूर्ण प्रमाण नहीं है, लेकिन समूची दुनिया इसी तिथि को यह रोमन पर्व सदियों से मनाती चली आ रही है। अनुमान है कि पहला क्रिसमस रोम में 336 ईस्वी में मनाया गया था।

क्रिसमस के मौके पर लोग एक-दूसरे को उपहार देते हैं, गिरजाघरों को आकर्षक ढंग से सजाया जाता है। लोग अपने आंगन में क्रिसमस ट्री बनाकर उसे रंग-बिरंगे बल्बों से सजाते हैं। गिरजाघरों में यीशु के जन्म से संबंधित झांकियां तैयार की जाती हैं। 24 दिसंबर की आधी रात (ठीक 12 बजे) यीशु का जन्म होना माना जाता है, इसलिए गिरजाघरों में ऐन वक्त पर विशेष प्रार्थना की जाती है, कैरोल गाए जाते हैं और अगले दिन धूमधाम से त्योहार मनाया जाता है।

इसी त्योहार से जुड़ी एक लोकप्रिय पौराणिक, परंतु कल्पित शख्सियत है 'सांता क्लॉज'। मान्यता है कि क्रिसमस की रात बड़ी सफेद दाढ़ी-मूंछ वाले सांता स्वर्ग से उतरकर हर घर में आते हैं और बच्चों के लिए तोहफे की पोटली क्रिसमस ट्री में लटकाकर चले जाते हैं। इसलिए बच्चों में इस पर्व को लेकर काफी उत्साह देखा जाता है।

व्यापक रूप से स्वीकार्य एक ईसाई पौराणिक कथा के अनुसार, प्रभु ने मैरी नामक एक कुंवारी लड़की के पास गैब्रियल नामक देवदूत को भेजा। गैब्रियल ने मैरी को बताया कि वह प्रभु के पुत्र को जन्म देगी तथा बच्चे का नाम जीसस रखा जाएगा। वह बड़ा होकर राजा बनेगा और उसके राज्य की कोई सीमा नहीं होगी।

देवदूत गैब्रियल, एक भक्त जोसफ के पास भी गया और उसे बताया कि मैरी एक बच्चे को जन्म देगी। उन्होंने उसे सलाह दी कि वह मैरी की देखभाल करे। जिस रात को जीसस का जन्म हुआ, उस समय नियमों के अनुसार अपने नाम पंजीकृत कराने के लिए मैरी और जोसफ बेथलेहेम जाने के रास्ते में थे। उन्होंने एक अस्तबल में शरण ली, जहां मैरी ने आधी रात को जीसस को जन्म दिया। इस प्रकार प्रभु के पुत्र जीसस का जन्म हुआ।

सच्चाई, ईमानदारी की राह पर चलने और दीन-दुखियों की भलाई की सीख देने वाले ईसा मसीह के विचार उस समय के क्रूर शासक पर नागवार गुजरा और उसने प्रभु-पुत्र को सूली पर टांगकर हथेलियों में कीलें ठोंक दीं। इस यातना से यीशु के शरीर से प्राण निकल गए, मगर कुछ दिन बाद वे फिर जीवित हो उठे। इस खुशी में ईस्टर मनाया जाता है।

भारत में, अन्य राज्यों की तुलना में गोवा में सबसे अधिक गिरजाघर हैं। समुद्र तटीय इस राज्य में क्रिसमस बहुत उत्साह के साथ मनाया जाता है। इनमें से अधिकांश चर्च भारत में ब्रिटिश व पुर्तगाली शासन के दौरान स्थापित किए गए थे। इसके अलावा देश के अन्य हिस्सों में भी कई प्रसिद्ध चर्च हैं। 

www.pardaphash.com

... इस तरह राक्षसी से देवी बनी हिडिंबा!

हिमाचल प्रदेश के मनाली शहर से कुछ ऊपर ढूंगरी नाम के स्थान में हिंडिबा देवी का मंदिर है। एक तो हिडिंबा जो राक्षसी थी और उसका मंदिर बना हुआ है। मनाली में ही नहीं, पूरे कुल्लू में हिडिंबा की पूजा होती है। लोक विश्वास है कि कुल्लू के राजाओं को यहां का राज्य इस देवी ने ही सौंपा था। कुल्लू राजवंश का प्रथम शासक विहंगमणिपाल था जिसे हिडिंबा ने दूर दृष्टि की सीमा तक राज्य सौंपा। यहां का राजपरिवार इसे आज भी अपनी दादी मानता है। कुल्लू का प्रसिद्ध दशहरा उत्सव तब तक आरम्भ नहीं हो सकता जब तक ढूंगरी से देवी का रथ नहीं आ जाता। यह कुल्लू के राजपरिवार की कुल देवी है।

महाभारत के आदि पर्व में हिडिंबा का प्रसंग आता है। कुटिल कणिक की कूटनीति से प्रेरित हो कर धृतराष्ट्र व दुर्योधन ने पाण्डवों को वारणावत नाम स्थान में भेज दिया। यहां उन्हें जीवित जला देने की योजना बनाई गई थी। पाण्डवों के रहने के लिए पूरा महल लाख का बनाया गया था जो जरा सी आग लगते ही जल उठे। पाण्डवों का इस षडयन्त्र का पता चल गया और उन्होंने रात को भीतर ही भीतर एक सुरंग खोद डाली। रात्रि को भवन में आग लगने पर वे सुरंग के रास्ते भाग निकले। इस सुरंग के रास्ते वे निकल कर गंगातट पर आ गए। नाव से गंगा को पार किया और दक्षिण दिशा की ओर बढ़े। बहुत थके होने से वे कुछ दूर चलने पर एक घने जंगल में ठहर गए। सभी थके मांदे थे। उन्हें प्यास भी लगी थी। महाबली भीम पानी लेने गए। जब वे पानी ले कर वापिस आए तो क्या देखते हैं कि माता कुंती सहित सभी भार्इ थक कर सो चुके हैं। भीम इस तरह अपनी माता और भार्इयों को जंगल में जमीन पर सोते देख बहुत दुखी हुए। उस जंगल में हिंडिब नाम का राक्षस अपनी बहन हिंडिबा सहित रहता था।

हिडिंब ने अपनी बहन हिंडिबा से वन में भोजन की तलाश करने के लिये भेजा परन्तु वहां हिंडिबा ने पाँचों पाण्डवों सहित उनकी माता कुन्ति को देखा। इस राक्षसी का भीम को देखते ही उससे प्रेम हो गया इस कारण इसने उन सबको नहीं मारा जो हिडिंब को बहुत बुरा लगा। फिर क्रोधित होकर हिडिंब ने पाण्डवों पर हमला किया, इस युद्ध में भीम ने इसे मार डाला और फिर वहाँ जंगल में कुंती की आज्ञा से हिंडिबा एवं भीम दोनों का विवाह हुआ। इन्हें घटोत्कच नामक पुत्र हुआ।

पाण्डुपुत्र भीम से विवाह करने के बाद हिडिंबा राक्षसी नहीं रही, मानवी बन गई। और कालांतर में मानवी से देवी बन गई। हिडिम्बा का मूल स्थान चाहे कोर्इ भी रहा हो, जिस स्थान पर उसका दैवीकरण हुआ, वह मनाली ही है। मनाली में देवी हिडिंबा का मंदिर बहुत भव्य और कला की दृषिट से बहुत उतकृष्ठ है। मंदिर के भीतर एक प्राकृतिक चटटान है जिसके नीचे देवी का स्थान माना जाता है। चटटान को स्थानीय बोली में 'ढूंग कहते हैं इसलिए देवी को 'ढूंगरी देवी कहा जाता है। देवी को ग्राम देवी के रूप में भी पूजा जाता है।

अब इसे पति की दरियादिली कहें या फिर सच्चे प्यार की जीत? पढ़ें पूरी खबर

विवाह के एक सप्ताह के बाद ही अगर पति को अपनी पत्नी को उसके प्रेमी तक पहुंचाना पड़े तो इसे पति की दरियादिली कहा जाए या फिर सच्चे प्यार की जीत? यह कहानी आपको भले ही फिल्मी लगे लेकिन यह सच है। 

पटना में सरकारी विभाग में एक बड़े ओहदे पर कार्यरत एक युवक का विवाह बड़े ही धूमधाम से मोतिहारी की एक लड़की के साथ एक पखवारे पूर्व हुआ था। इस विवाह समारोह में कई बड़े-बड़े अधिकारी भी शामिल हुए थे। विवाह के बाद युवक अपनी पत्नी को लेकर हनीमून पर निकला। इस क्रम में वह हवाई जहाज से दिल्ली होते हुए केरल पहुंच गया। हनीमून पर जाने के पूर्व तक लड़की ने अपने पति को कुछ भी नहीं बताया और केरल में लड़की ने उसे अपनी पिछली जिंदगी की हकीकत बताई। 

लड़की ने वहां जाकर बताया कि वह किसी और से प्यार करती है और उसके बिना वह नहीं रह सकती। उसने यह भी कहा कि वह अपने प्रेमी के साथ छह वर्षों से लिव इन रिलेशन में है। इसके बाद भी पति पिछली बातों को भूलकर नए जीवन जीने की बात कही, परंतु उसकी पत्नी इसके लिए किसी हाल में तैयार नहीं थी। उसने स्पष्ट कह दिया वह इस रिश्ते को आगे नहीं बढ़ा सकती। 

इसके बाद दोनों पटना वापस आ गए। पटना आने के बाद पति-पत्नी महिला थाना पहुंचे। पटना महिला थाना की प्रभारी मृदुला कुमारी ने सोमवार को बताया कि दोनों की बातें सुनकर दोनों के परिजनों को बुलाया गया और पूरी स्थिति की जानकारी ली गई। उन्होंने बताया कि लड़की को काफी समझाया गया परंतु लड़की किसी भी हाल में इस रिश्ते को आगे बढ़ाने को तैयार नहीं थी और दोनों बालिग भी थे। उन्होंने बताया कि दोनों को न्यायालय भेजा गया जहां तलाकनामा पर हस्ताक्षर किया गया। इसके बाद पति ने अपनी पत्नी को उसके प्रेमी के पास जाने के लिए आजाद कर दिया।
www.pardaphash.com

बढ़ती महंगाई से रायबरेली, अमेठी में भी असंतोष

महंगाई और भ्रष्टाचार के मुद्दे पर लोगों की नाराजगी झेल रही कांग्रेस पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी को आगामी लोकसभा चुनाव में अपने गढ़ रायबरेली और अमेठी में सम्मानजनक जीत दर्ज करने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ सकती है। असंतोष को कम करने के लिए विभिन्न परियोजनाओं के शिलान्यास और लोकार्पण के कार्यक्रमों का सिलसिला तेज हो गया है। 

पिछले दो लोकसभा चुनावों की बात की जाए तो सोनिया और राहुल गांधी अपने गढ़ रायबरेली और अमेठी में करीब तीन लाख मतों से सम्मानजनक जीत दर्ज करते रहे हैं। लेकिन क्या इस बार भी उनकी जीत का अंतर इतना ही रहेगा? इस सवाल पर कांग्रेस नेताओं के माथे पर चिंता की लकीरें खिंच गई हैं। करीब डेढ़ साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में रायबरेली और अमेठी की 10 सीटों में से कांग्रेस को आठ पर करारी हार मिली थी।

वैसे तो रायबरेली व अमेठी में कांग्रेस और सोनिया-राहुल के खिलाफ आम लोगों में उतनी नाराजगी नहीं है, जितनी देश-प्रदेश के अन्य हिस्सों में है। लेकिन पिछले दो वर्षो के राहुल के दौरों में कई बार ऐसा हुआ है कि लोगों ने उनका काफिला रोककर महंगाई कम करने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाने की गुजारिश की। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, बढ़ती महंगाई पर नियंत्रण न होने से अन्य हिस्सों की तरह वहां भी लोगों में कुछ असंतोष जरूर है। इसी के मद्देनजर रायबरेली और अमेठी में विकास की तमाम परियोजनाएं शुरू की जा रही हैं ताकि लोगों के मन में उपजे असंतोष को कम किया जा सके।

सोनिया गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र रायबरेली के हालिया दौरे में एक रेलमार्ग का शिलान्यास किया, 19 सरकारी बैंकों की शाखाओं का उद्घाटन किया। करीब एक महीने पहले अपने दौरे में सोनिया ने आनन-फानन में रायबरेली में प्रस्तावित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान(एम्स) का भूमिपूजन भी कर दिया। साथ ही एक रेल पहिया कारखाने का शिलान्यास भी किया गया। वहीं, राहुल गांधी ने अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी में एक महीने के अंदर मेगा फूड पार्क और करीब 40 किलोमीटर लंबी एक नई रेललाइन का शिलान्यास किया। इसके अलावा दो नई रेलगाड़ियों के परिचालन को भी हरी झंडी दिखाई।

विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने इस पर कहा, "रायबरेली और अमेठी में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले लोगों को विकास के तोहफे देकर लुभाने की कोशिश होती है, ताकि वोट लेने के समय उपलब्धियां गिनाई जा सकें। लेकिन अब यहां के लोग भी कांग्रेस अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के हथकंडों को अच्छी तरह समझ गए हैं। कहा जा रहा है कि एम्स के निर्माण में करीब चार साल का समय लगेगा, लेकिन आगामी मार्च माह तक एम्स की एक अस्थायी ओपीडी का संचालन शुरू कर दिया जाएगा। इसके अलावा चुनाव से पहले रायबरेली और अमेठी में कुछ और परियोजनाओं के शिलान्यास की संभावना भी प्रबल है।

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जीशान हैदर ने बताया कि रायबरेली और अमेठी के लोग सोनिया और राहुल को सिर आंखों पर बिठाते हैं। दोनों नेता आम चुनाव में फिर पूर्व की तरह रिकार्डतोड़ मतों से जीतेंगे। वह कहते हैं कि इन दोनों क्षेत्रों में विकास परियोजनाओं के शिलान्यास और लोकार्पण के कार्यक्रम पिछले कई वर्षो से लगातार होते आ रहे हैं।

राजनीतिक चिंतक एच. एन. दीक्षित ने कहा कि लोगों में बढ़ती महंगाई से असंतोष, भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की बढ़ती लोकप्रियता और दिल्ली विधानसभा चुनाव के जरिए पहली बार मैदान में उतरकर शानदार आगाज करने वाली आम आदमी पार्टी (आप) द्वारा रायबरेली और अमेठी से उम्मीदवार लड़ाने के ऐलान के बाद माना जा रहा है कि सोनिया और राहुल के लिए इस बार रायबरेली और अमेठी संसदीय क्षेत्रों में रिकार्डतोड़ जीत दर्ज करना थोड़ा चुनौतीपूर्ण होगा।
WWW.PARDAPHASH.COM

Movie Review: Jackpot is an international style thriller | Watch official Trailer

I know most of the people (Especially Film Critics) might not like this film for their own reasons. But if you are really looking for an International Noir-Thriller feel Hindi Film? Jackpot fits the bill correct. Jackpot is directed by controversial Kaizad Gustad. He is the same film maker who gave us Bombay Boys and Boom.

Jackpot is set in Goa and the story revolves around the popular Casino boat called Jackpot. The story comprises of a young group of youngsters whose plan is to execute a perfectly pitched con game. Trailing along with a master plan, the main players of this game are Maya (Sunny Leone) and Francis (Sachiin Joshi) who take on the Casino Owner Boss (Naseeruddin Shah) with their con antics.

A Poker Tournament at the casino is held and the prize money for it is 5 Crores. The real game starts after the jackpot money goes missing and all three of them which includes Boss, Maya and Francis are after the amount.

Speaking of the performances, Yes! It's Naseeruddin Shah who is again a show stealer. Sachiin Joshi surprises you with his acting skills and has done good justice with his part. Sunny Leone has also improved as an actor in this one. I have my own doubts if you really want to see her acting skills here. Just kidding please! South Indian actor Bharath debuts with Jackpot and he really sucks big time. Rest of the actors are good.

Kaizad Gustad writes and directs Jackpot and the film definitely reminds you of any Guy Ritchie or a Quentin Tarantino crime drama. Let's forgive Kaizad for his last debacle Boom and go for Jackpot. Music of the film is good and gels with the film's screenplay. The Camera work and Production Values are fantastic!

As i mentioned earlier, Jackpot will be most enjoyed by the people who love Heist, Crime, Robbery and Seduction with Betrayal drama. Kaizad Gustad has made an honest thriller keeping international standard in his mind.

Jackpot is a roller coaster of Thrills which will not disappoint you.

Cast: Sachiin Joshi, Sunny Leone, Bharath, Naseeruddin Shah
Directed by: Kaizad Gustad

www.pardaphash.com

फ़िल्म समीक्षा: धूम-3

निर्माता : आदित्य चोपडा
निर्देशक : विजय कृष्ण आचार्य 
कलाकार : आमिर खान, कैटरीना कैफ, अभिषेक बच्चन, उदय चोप़डा, जैकी श्रॉफ 

आज बॉक्स ऑफिस पर धूम मची है। जी हाँ, यशराज बैनर तले निर्मित फिल्म "धूम-3" आज रिलीज हो गयी। धूम-3 एक हिंदी एक्शन थ्रीलर फिल्म हैं। इस फिल्म आमिर का लीक से हटकर अवतार देखने को मिलेगा। फिल्म को देशभर के सिनेमाघरों में जबरदस्त ओपनिंग मिली। हालांकि फिल्म समीक्षकों के पैमाने पर खरी नहीं उतर सकी। ज्यादातर समीक्षकों ने फिल्म को अच्छी रेटिंग नहीं दी है। फ़िल्म में आमिर निगेटिव किरदार में हैं। उनके स्टंट को देखने के लिए दर्शक काफी बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। इस फ़िल्म का इंतज़ार अभिषेक बच्चन को भी था ये फ़िल्म उनके करियर के डूबती नैया को पार लगा सकती है। यह पहला मौका है जब है कोई हिंदी फिल्म आईमैक्स सिनेमाघर में रिलीज हुई है। देश में करीब पांच आईमैक्स सिनेमाघर हैं, ये सिनेमाघर केवल मुंबई, हैदराबाद और बेंगलुरु शहरों में ही हैं। इसके चलते इन थियेटरों में धूम 3 की टिकट दरें सामान्य से अधिक है। 

धूम सीरीज कि तीसरी फिल्म "धूम-3" की पूरी कहानी साहिर (आमिर खान) के इर्द-गिर्द घूमती है। साहिर यानी आमिर जो अपने पिता (जैकी श्रॉफ) के नक्शे कदम पर चलने की कोशिश करता है और उनसे बहुत सी ट्रिक्स सीखता है। आमिर की पिता जैकी श्रॉफ इस फिल्म के सर्कस को चलाते है। बैंक का लोन इतना ज़्यादा हो चुका है कि सर्कस को नीलाम करने की नौबत आ जाती है। जब जादूगर इक़बाल का आख़िरी शानदार करतब भी उसके सर्कस को बचा नहीं पाता तो वो आत्महत्या कर लेता है। लेकिन इसी बीच एक सर्कस प्रोग्राम के दौरान उनके पिता यानी जैकी श्रॉफ की मौत हो जाती है। अब आमिर खान जिदंगी का एक ही मकसद होता अपनी पिता की मौत का बदला लेना। इस प्लान में जिमनास्टिक आलिया यानी (कैटरीना कैफ) जो इस फिल्म की लीड हीरोइन है वह आमिर की सहायता करती है। आमिर सर्कस में ठीक उसी तरह काम करता है जिस तरह उनके पिता करते है। आमिर पिता की मौत का बदला लेने के लिए सर्कस मालिक के यहां से लूट करके फरार हो जाता है। क्योंकि उसे शक था कि उसके पिता की मौत में सर्कस मालिक का हाथ था। कहानी में आमिर कभी पकडे नहीं जाते इस कहानी का यही और ट्वीस्ट है । जय दीक्षित (अभिषेक बच्चन) और अली अकबर (उदय चोपडा) की एंट्री होती है। दोनों का मकसद किसी भी तरह आमिर को पकडा था। लेकिन उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं। ये दोनों साहिर को पकडने के लिए जाल बिछाते है। आलिया यानी कैटरीना कैफ साहिर के लिए कुछ भी करने को तैयार रहती है। 

आमिर ने साहिर के रोल बखूबी निभाया और अपनी अदाकारी का जलवा दिखाया है। अपने दूसरे रोल में आमिर शुरुआत में ओवर एक्टिंग करते नज़र आते हैं, लेकिन बाद के सीन्स में वो फिल्म को पूरी तरह संभाल लेते हैं। नेगेटिव किरदार में भी आमिर खूब जमे हैं। वहीं कैटरीना कैफ यानी कि आलिया ने अपने अभिनय और स्टैंट से खूब प्रभावित किया। वहीं उदय चोपडा और अभिषेक वहीं अपने पुराने पुलिस वाले रोल में हैं। फ़िल्म का निर्देशन कमाल का है। लेखक से निर्देशक बने कृष्ण आचार्य ने अपनी भरपूर कोशिश की है जो दिखती भी है। इस फ़िल्म का संगीत पहले से ही धूम मचा चूका है। अगर आपक आमिर को पहली बार निगेटिव किरदार और कैट के स्टंट देखना चाहतें हैं तो आपको ये फ़िल्म जरुर देखनी चाहिए।

www.pardaophash.com

मुल्तानी मिट्टी से ऐसे निखारे चेहरे की रंगत

आमतौर पर लोगों को मुल्तानी मिट्टी का पैक लगाते हुए जरुर देखा होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि मुल्तानी मिट्टी में ऐसे क्या फायदे हैं ज‌िसकी वजह से इसका इस्तेमाल इतना अधिक प्रचलित है। मुल्तानी मिट्टी के बारे में कहा जाता है कि मुल्तानी मिट्टी सौन्दर्य का खजाना है। ये नेचुरल कंडीशनर भी है और ब्लीच भी। ये सौन्दर्य निखारने का सबसे सस्ता और आयुर्वेदिक नुस्खा है आइए आज हम आपको बताते हैं मुल्तानी मिट्टी के कुछ ऐसे प्रयोग जो आपकी खूबसूरती को ओर ज्यादा निखार देंगे।

यदि चेहरे पर मुल्तानी मिट्टी का लेप लगाया जाये तो चेहरे की चमक और दमक दोनों लम्बे समय तक कायम रखी जा सकती है। मिट्टी के लेप को चेहरे पर लगाने से इंफेक्शन और स्किन संबंधी बीमारियों के लिए नुकसानदेह बैक्टीरिया से भी बचा जा सकता है। त्वचा रोग विशेषज्ञ तो यहां तक कहते है कि जल्द ही मिट्टी की मेडीसन के रप में इस्तेमाल किया जा सकेगा। ब्यूटी पार्लरों पर कार्यरत विशेषज्ञों की मानें तो मिट्टी में मौजूद मिनरल्स स्किन को एण्टी माइक्रोबियल्स मुहैया कराते है।

मिट्टी का लेप बनाकर उसमें गुलाब जल मिलाकर चेहरे पर लगाने से ठंडक तो मिलती है। साथ ही चेहरे पर मौजूद झाइयां और पिम्पल्स भी दूर होते है। लेप को लगाने के बाद ठण्डे पानी से धो लेने पर चेहरे के सभी रोम छिद्रे खुल जाते है जिससे चेहरे को ऑक्सीजन सोखने की क्षमता बढ़ जाती है। इसके अलावा आधा चम्मच संतरे का रस लेकर उसमें 4-5 बूंद नींबू का रस, आधा चम्मच मुल्तानी मिट्टी, आधा चम्मच चंदन पाउडर और कुछ बूंदें गुलाब जल की मिलाकर कर थोड़ी देर के लिए फ्रिज में रख दें। इसे चेहरे पर लगा कर 15-20 मिनट तक रखें। इसके बाद पानी से इसे धो दें। यह तैलीय त्वचा का सबसे अच्छा उपाय है।

अगर आपकी त्वचा ड्राई है तो काजू को रात भर दूध में भिगो दें और सुबह बारीक पीसकर इसमें मुल्तानी मिट्टी और शहद की कुछ बूंदें मिलाकर स्क्रब करें। मुंहासों की समस्या से परेशान लोगों के लिए तो मुल्तानी मिट्टी सबसे कारगर इलाज है, क्योंकि मुल्तानी मिट्टी चेहरे का तेल सोख लेती है, जिससे मुहांसे सूख जाते हैं। तैलीय त्वचा के लिए मुल्तानी मिट्टी में दही और पुदीने की पत्तियों का पाउडर मिला कर उसे आधे घंटे तक रखा रहने दें, फिर अच्छे से मिलाकर चेहरे और गर्दन पर लगाएं। सूखने पर हल्के गर्म पानी से धो दें। यह तैलीय त्वचा को चिकनाई रहित रखने का कारगर नुस्खा है।

मुल्तानी मिट्टी को एक कटोरे पानी में भिगो दें। दो घन्टे बाद जब मुल्तानी मिट्टी पूरी तरह घुल जाए तो इस घोल को सूखे बालों में लगा कर हल्के हाथ से बालों को रगड़े। पाँच मिनट तक ऐसा ही करें। अगर सर्दियां हैं तो गुनगुने पानी में और गर्मियों में ठन्डे पानी से सिर को धो लें। बाल मुलायम और चमकदार हो जाएंगे।

अगर आपको मुंहासों की समस्या है तो मुल्तानी मिट्टी में टमाटर और पुदीने का रस मिलाकर पैक तैयार करके नियमित रूप से चेहरे पर लगाएं। इससे नए मुंहासे नहीं निकलेंगे और पुराने मुंहासों के निशान भी कम हो जाएंगे। साबुन के इस्तेमाल से अगर आपकी त्वचा रुखी हो चुकी है तो मुल्तानी मिट्टी और चंदन पाउडर को गुलाब-जल में मिलाकर पेस्ट बना लें और नहाने से तकरीबन आधा घंटा पहले इसे पूरे शरीर पर लगा लें। कुछ ही दिनों में त्वचा सोने सी खिल उठेगी।

मुल्तानी मिट्टी में आलू का रस, नींबू का रस और शहद मिलाकर लगाने से पिगमेंटेशन की समस्या कम हो जाती है। अगर धूप के कारण आपकी त्वचा टैन हो गई है तो मुल्तानी मिट्टी में नरियल-पानी और चीनी मिलाकर पेस्ट बनाकर लगाएं और फिर साफ पानी से धो लें। टैनिंग कम हो जाएगी। मुल्तानी मिट्टी को अगर छाछ में भिगोकर रखा जाए और फिर इससे सर धो लिया जाए तो रुसी की समस्या में फायदा पहुंचता है और बाल झड़ने भी कम होते हैं।

यदि बालों में जूएं और लीख हैं तो छाछ में भीगी हुई मुल्तानी मिट्टी में ही कच्चे प्याज का रस मिलाकर पैक बना लें। इस पेक को बालों में लगाकर 2-3 घंटों के लिए छोड़ दें। फिर साफ पानी से धो लें। कुछ दिन ऐसा करने से जूएं और लीख की समस्या कम हो जाएगी है। इन छोटे-छोटे नुस्खों को आजमाएं, इनसे आपका सौंदर्य और भी दमक उठेगा।

गर्मी में पैरों के तलवों में मुल्तानी मिट्टी का लेप करने से ठंडक मिलती है व तलवों की जलन शांत होती है। मुल्तानी मिट्टी में कुछ बूंदें सिरके की डाल कर आंखों के नीचे सावधानीपूर्वक लगाएं। काले घेरे धीरे-धीरे समाप्त हो जाएंगे। तैलीय त्वचा के लिए मुल्तानी मिट्टी में खीरे का रस, दही व चुटकी भर हल्दी मिक्स करके चेहरे पर पैक की तरह लगाएं। सूखने पर धो दें। लाभ मिलेगा। मुल्तानी मिट्टी में खीरे का रस व आलू का गूदा मिला कर आंखों के नीचे रखें। 10-15 मिनट बाद धो दें। काले घेरों से निजात मिलेगी। 

www.pardaphash.com

मलमास आज से, जाने क्यों कहा जाता है इसे पुरुषोत्तम मास

हिन्दू वर्ष में 12 माह होते हैं, लेकिन यह वर्ष करीब 13 माह का होगा। 12 चंद्र मास लगभग 354 दिन का होता है, जिसमें सूर्य की 12 संक्रांतियां होती हैं। जिस चन्द्र मास में सूर्य की संक्रांति नहीं होती है उसे मलमास या पुरुषोत्तम मास कहा जाता है| इस बार मलमास 16 दिसंबर दिन सोमवार से शुरू होकर 13 जनवरी की मध्यरात्रि तक रहेगा| 

आपको बता दें कि मलमास के प्रारम्भ होते ही शुभ मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी| सूर्य और गुरु दोनों ग्रहों का मिलान होने के कारण ही मलमास होता है| इस मलमास में दान पुण्य और सेवा करने का बहुत महत्व है, ऐसा करने से सालभर तक मनुष्य रोग मुक्त होने के साथ-साथ गृहों की शांति भी होती है| किसी भी विवाह संस्कार के लिए सूर्य गृह और गुरु (वृहस्पति) का होना बहुत जरुरी होता है, इसीलिए मल मास में विवाह कार्य नहीं होते है|

मलमास देव आराधना को सबसे उत्तम समय माना जाता है। इसमें भगवान शिव व विष्णु की स्तुति करने से साधक को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। धर्म ग्रंथों में ऐसे कई श्लोक भी वर्णित है जिनका जप यदि पुरुषोत्तम मास में किया जाए तो अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है। अगर अतुल्य पुण्य की प्राप्ति चाहते हैं तो श्रीकौण्डिन्य ऋषि के इस मंत्र का जप करें- 

मंत्र-

गोवद्र्धनधरं वन्दे गोपालं गोपरूपिणम्।
गोकुलोत्सवमीशानं गोविन्दं गोपिकाप्रियम्।।

इस मंत्र का जप करते समय पीत वस्त्र (पीला कपड़ा) धारण करें| धर्मग्रंथों में लिखा है कि इस मंत्र का एक महीने तक भक्तिपूर्वक बार-बार जप करने से अतुल्य पुण्य की प्राप्ति होती है| 

जाने मलमास को क्यों कहते हैं पुरुषोत्तम मास -

एक पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीनकाल में जब अधिक मास उत्पन्न हुआ, तब स्वामी रहित होने के कारण उसे मलमास कहा गया। सर्वत्र निंदा होने पर वह बैकुंठ में भगवान विष्णु के पास पहुंचा और अपनी व्यथा सुनाई। मलमास की पीड़ा सुनकर भगवान विष्णु उसे सर्वेश्वर श्रीकृष्ण के पास ले गए। मलमास का दुख जानने के बाद भगवान श्रीकृष्ण उसे वरदान देते हुए बोले, मैं अब मलमास का स्वामी हो गया हूं, इसलिए आज से यह पुरुषोत्तम के नाम से जाना जाएगा।

पुरुषोत्तम मास में सारे काम भगवान को प्रसन्न करने के लिए निष्काम भाव से ही किए जाते हैं। इससे प्राणी में पवित्रता का संचार होता है। इस मास में किसी कामना की पूर्ति के लिए अनुष्ठान का आयोजन या विवाह, मुंडन, यज्ञोपवीत, नींव-पूजन, गृह-प्रवेश आदि सांसारिक कार्य सर्वथा निषिद्ध हैं। अधिक मास में भगवान विष्णु या श्रीकृष्ण की उपासना, जप, व्रत, दान आदि करना चाहिए। संतों का कहना है कि अधिक मास में की गई साधना हमें ईश्वर के निकट ले जाती है।

जो काम काम्य कर्म अधिकमास से पहले ही आरंभ किए जा चुके हैं उन्हें इस माह में किया जा सकता है| शुद्धमास में मृत व्यक्ति का प्रथम वार्षिक श्राद्ध किया जा सकता है| यदि कोई व्यक्ति अत्यधिक बीमार है और रोग की निवृति के लिए रुद्र जपादि अनुष्ठान किया जा सकता है| 

कपिल षष्ठी जैसे दुर्लभ योगों का प्रयोग, संतान जन्म के कृत्य, पितृ श्राद्ध, गर्भाधान, पुंसवन संस्कार तथा सीमांत संस्कार आदि किए जा सकते हैं| ऎसे संस्कार भी किए जा सकते हैं जो एक नियत अवधि में समाप्त हो रहे हों| इस मास में पराया अन्न और तामसिक भोजन का त्याग करना चाहिए|

जो व्यक्ति मलमास में पूरे माह व्रत का पालन करते हैं उन्हें जमीन पर ही सोना चाहिए| व्रत का पालन करने वाले व्यक्ति को केवल एक समय सादा भोजन करना चाहिए| इस मास में व्रत रखते हुए भगवान पुरुषोत्तम अर्थात विष्णु का श्रद्धापूर्वक पूजन करना चाहिए तथा मंत्र जाप करना चाहिए| 

अधिकमास की समाप्ति पर स्नान, दान तथा जप आदि का अत्यधिक महत्व होता है| इस मास की समाप्ति पर व्रत का उद्यापन करके ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और अपनी श्रद्धानुसार दानादि करना चाहिए| इसके अतिरिक्त एक महत्वपूर्ण बात यह है कि मलमास माहात्म्य की कथा का पाठ श्रद्धापूर्वक प्रात: एक सुनिश्चित समय पर करना चाहिए|
www.pardaphash.com

मन में था स्टार बनने का ख्वाब पर एक ही रात में टूट गया

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में इंसानियत को शर्मसार कर देने वाली खबर सामने आयी है| यहाँ आर्थिक तंगी से जूझ रही एक युवती समाचार पत्र में हिरोइन बनने का विज्ञापन देखकर एक युवक से मिली जहाँ उस युवक ने उसके साथ दुष्कर्म किया| फिलहाल पुलिस युवती की शिकायत पर आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज कर जाँच में जुट गई है| 

प्राप्त जानकारी के अनुसार खीरी की रहने वाली मोनिका (परिवर्तित नाम) चार बहनों में सबसे छोटी है, पिता की मौत के बाद मां ने बड़ी बहनों की शादी कर दी। हाईस्कूल करने के बाद करीब 20 वर्षीय मोनिका रोजगार की तलाश में जुटी थी। इसी दौरान उसने एक समाचार पत्र में हिरोइन बनने का विज्ञापन देखा तो उसने अपने मोहल्ले के कुछ सामाजिक लोगों की मदद से उस विज्ञापन पर छापे नंबर पर संपर्क किया| सपर्क करने वाले युवक ने खुद को वीर सिंह निवासी मथुरा बताते हुए 14 दिसंबर की दोपहर शाहजहांपुर स्टेशन पर मिलने को कहा।

तो मोनिका बिना समझे बुझे उस युवक से मिलने शाहजहांपुर आ गई और उसके साथ ट्रेन में सवार हो गई। शनिवार देर रात युवक ने उसे यह कहकर अलीगढ़ उतार लिया कि यहां रविवार को साक्षात्कार के बाद उसे मुंबई ले जाया जाएगा। उसे सराय दुबे स्थित एक धर्मशाला में रोका। जहाँ युवक ने उसके साथ बलात्कार किया और उसके बाद चुपचाप वहाँ से फरार हो गया| 

रविवार दोपहर युवती ने पड़ोसियों की मदद से सम्बंधित थाने में आरोपी के खिलाफ लिखित शिकायत देकर मुकदमा दर्ज कराया| पुलिस ने बताया कि इस मामले में मुकदमा दर्ज कर लिया गया है, आरोपी युवक की तलाश की जा रही है। चिकित्सकीय जांच में रेप की पुष्टि हुई है।

लखनऊ में मुगलकालीन कतकी मेले का आकर्षण बरकरार

शॉपिंग मॉल संस्कृति के पैर पसारने के बाद भी नवाबों की नगरी लखनऊ में वर्षो से लग रहे कतकी मेले का आकर्षण कम नहीं हुआ है। आज भी समाज के हर वर्ग के लोगों में इस मुगलकालीन मेले को लेकर उत्साह बना रहता है। 

राजधानी में डालीगंज पुल के समीप नबीउल्लाह रोड पर हर साल नवंबर और दिसंबर माह में आयोजित होने वाले इस ऐतिहासिक मेले में घरेलू उपयोग की लगभग हर सामग्री किफायती दामों में मिल जाती है।

मेला समिति के सदस्य शिव गोपाल ने बताया कि इस मेले में क्राकरी से लेकर लगभग सभी तरह की घरेलू सामग्री सस्ते दामों पर मिल जाती है इसलिए परिवर्तन के इस दौर में भी इस ऐतिसाहिक मेले को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखने को मिल रहा है।

मेले में लोग परचून, साज सज्जा, क्राकरी, किचन के बर्तन, पूजा का सामान, फर्नीचर के उत्पादों की खरीददारी करते हैं। लेकिन कतकी मेले में सर्वाधिक आकर्षण मिट्टी के बर्तनों और क्राकरी को लेकर रहता है, जिसे खरीदने के लिए आम से लेकर खास तक सबका जमावड़ा रहता है।

कतकी मेले में काले और लाल रंग की मिट्टी के घड़ों के साथ गिलास, कटोरी, लोटा और थाली सहित नक्कासी वाले विविध आकारों के बर्तन मिलते हैं।

मेले में पिछले बीस वर्षो से मिट्टी के बर्तनों की दुकान लगा रहे राजकुमार कहते हैं कि मिट्टी की सोंधी महक और डिजाइन लोगों को इन बर्तनों की तरफ बहुत आकर्षित करती है। मेला लगने से एक महीने पहले बर्तनों के निर्माण का काम शुरू कर दिया जाता है। हर वर्ग के लोग इन बर्तनों को खरीदते हैं।

मशहूर इतिहासकार योगेश प्रवीण कहते हैं कि मुगलकाल से इस मेले का आयोजन होता आ रहा है। कभी सिलबट्टे और मिट्टी के बर्तनों की खनक सुनाई पड़ती थी तो पता लग जाता था कि कतकी मेला आने वाला है।

एक महीने से ज्यादा समय तक चलने वाले इस मेले को देखने और खरीदारी करने के लिए लखनऊ के साथ-साथ आस-पास के रायबरेली, हरदोई, सीतापुर, बाराबंकी और लखीमपुर खीरी से भी लोग आते हैं।

बाराबंकी के टिकैतनगर कस्बे से मेला घूमने आए रामफल कहते हैं कि समय बदल गया है, लेकिन लोगों ने इस मेले में आना नहीं छोड़ा। मेले में हालांकि पहले की तरह अब लोगों की खचाखच भीड़ नहीं रहती लेकिन अभी भी मेले को लेकर लोगों में काफी उत्साह दिखता है।

17 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा से शुरू हुआ यह ऐतिहासिक मेला आगामी 22 दिसंबर तक चलेगा। चूंकि मेला अब अपने समापन की तरफ बढ़ रहा है ऐसे में लोगों की भीड़ पहले से ज्यादा दिखने लगी है।
www.pardaphash.com