ओलम्पिक के सत्ताकेंद्र में बड़ा बदलाव

वर्ष 2013 में खेल जगत में अनेक बदलाव देखने के मिले, लेकिन सबसे बड़ा बदलाव ओलम्पिक में देखने को मिला। लगभग एक दशक बाद ओलम्पिक की सत्ता में तब बदलाव देखने को मिला जब थॉमस बाख को अंतर्राष्ट्रीय ओलम्पिक समिति (आईओसी) का नया अध्यक्ष चुना गया। बाख ने जैक्स रोगे की जगह ली। जर्मनी के 59 वर्षीय बाख ने सितंबर में ब्यूनस आयर्स में हुए गुप्त मतदान में पांच प्रत्याशियों के बीच भारी अंतर से जीत दर्ज की। बाख के चुनाव ने विश्व खेल जगत को यह संदेश दिया कि रोगे के पिछले 12 वर्षो के कार्यकाल के दौरान जिस तरह ओलम्पिक विश्व का शीर्ष खेल संगठन रहा, उसी तरह आगे भी यह बना रहेगा और इसीलिए सदस्यों ने ओलम्पिक की सत्ता सुरक्षित हाथों में सौंपी।

2001 में जुआन एंटोनियो समारांच की जगह ओलम्पिक समित के अध्यक्ष बने रोगे ने वोट के लिए रिश्वत मामला प्रकाश में आने के बाद धूमिल हुई ओलम्पिक की गरिमा को 2002 में साल्ट लेक सिटी में हुए ओलम्पिक तक फिर से बहाल करने का कार्य किया। इस विवाद के कारण ही समारांच को ओलम्पिक अध्यक्ष पद गंवानी पड़ी। रोगे ने खेल में डोपिंग और खेल की आचार संहिता के उल्लंघन पर सख्ती बरती, तथा 2010 में यूथ ओलिम्पक की शुरुआत की। रोगे ने ओलम्पिक की वित्तीय स्थिति में भी सुधार किया।

रोगे के मार्गदर्शन में आईओसी ने नए मेजबान को ओलम्पिक आयोजन करने का मौका दिया, जिसमें ओलम्पिक-2016 की मेजबानी रियो डी जनेरियो को दिया जाना भी शामिल है। बेल्जियम के रोगे ने ओलम्पिक को काफी मजबूत स्थिति में ला दिया है, लेकिन नौंवे अध्यक्ष बाख के लिए करने को बहुत कुछ बाकी है।

बाख के लिए अभी अगले वर्ष फरवरी में होने वाले सोची ओलम्पिक को सफलतापूर्वक संपन्न कराना प्राथमिकता में सबसे ऊपर होगा। हालांकि रूस में हाल ही में नाबालिगों के बीच समलैंगिकता का प्रचार करने पर लगाए गए प्रतिबंध को लेकर ओलम्पिक समिति को पश्चिमी देशों की आलोचना झेलनी पड़ी। पश्चिमी देशों को इससे ओलम्पिक के दौरान समलैंगिक खिलाड़ियों एवं दर्शकों के प्रभावित होने की आशंका है।

आईओसी ने हालांकि कहा है कि उसने रूस सरकार से यह आश्वासन ले लिया है कि वह ओलम्पिक चार्टर का सम्मान करेगा तथा ओलम्पिक के दौरान सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों के विशेष जोन स्थापित करेगा। बाख ने कहा, "हम इसका स्वागत करते हैं। यह एक ऐसा जरिया है जो लोगों को अपने विचार स्वतंत्रतापूर्वक प्रकट करने का अवसर देता है।"

दूसरी ओर रियो ओलम्पिक की तैयारियों में तीन वर्ष शेष रह गए हैं और इस दौरान ओलम्पिक आयोजन स्थलों के तैयार होने में हो रही देरी, ब्राजील के पर्यावरण से खिलाड़ियों एवं दर्शकों को होने वाली परेशानी एवं वित्तीय असंतुलन के बावजूद रियो ओलम्पिक की तैयारी समय पर पूरा कर लेने पर अडिग है।

बाख ने इस बीच चेतावनी भरे लहजे में कहा, "ब्राजील के पास ढील बरतने का अब समय नहीं रह गया है।" बाख ने कहा है कि वह अगले कुछ महीनों में ओलम्पिक की तैयारियों को लेकर ब्राजील की राष्ट्रपति डिल्मा रोसेफ और रीयो ओलम्पिक के आयोजकों से मुलाकात करेंगे।

ओलम्पिक को लेकर हालांकि दूसरी दीर्घकालिक मुश्किलें भी हैं। आईओसी के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती ओलम्पिक कार्यक्रमों में सुधार लाने, मेजबानों के लिए इसके आयोजन को सहज बनाने के साथ ही ओलम्पिक की आय को बरकरार रखने की है। इसके अलावा खेलों में डोपिंग एवं अन्य भ्रष्ट आचरणों पर लगाम लगाना भी आईओसी के लिए बड़ी चुनौती है।

रोगे ने ओलम्पिक रीव्यू के जुलाई-सितंबर संस्करण में हालांकि कहा था कि ओलम्पिक में अपनी पारंपरिकता को बरकरार रखने के साथ-साथ नए बदलाव के अनुकूल ढलने की क्षमता है। रोगे ने जोर देते हुए कहा था कि बदलावों को स्वीकार किए बगैर कोई भी संगठन अपना अस्तित्व बचाए नहीं रख सकता।

बाख ने अध्यक्ष बनने के लिए रखे गए अपने घोषणापत्र में कहा था कि अधिक से अधिक देशों को ओलम्पिक की मेजबानी में आगे आने के लिए आकर्षित करने के लिए वह ओलम्पिक कार्यक्रम और दावेदारी प्रक्रिया में बदलाव करेंगे।

इस दिशा में हालांकि तब वैश्विक खेल जगत में खलबली मच गई जब आईओसी ने बीते फरवरी में टोक्यो ओलम्पिक-2020 से कुश्ती को हटाने का फैसला ले लिया। हालांकि कुश्ती को सितंबर में दोबारा ओलम्पिक में शामिल कर लिया गया, लेकिन इसके स्वरूप में फिला को काफी परिवर्तन करने पड़े।

बाख ने अध्यक्ष बनने के बाद मेजबान शहर को अधिक सहूलियत देने, ओलम्पिक आयोजन का खर्च कम किए जाने और ओलम्पिक कार्यक्रम को अधिक रचनात्मक बनाए जाने के लिए पिछले सप्ताह ही आईओसी के सदस्यों के साथ 'ओलम्पिक एजेंडा-2020' पर विचार विमर्श किया। कुल मिलाकर ओलम्पिक के सत्ता परिवर्तन वाला यह वर्ष ओलम्पिक खेलों के लिए काफी विचार मंथन और बदलाव वाला साबित हो सकता है।

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ओबामा के लिए उथल-पुथल भरा रहा वर्ष 2013

भारत-अमेरिका संबंधों की ही तरह अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के लिए भी यह एक उथल-पुथल भरा साल रहा है। उन्होंने देश के बाहर कुछ सफलताएं जरूर हासिल की, लेकिन अपना महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य देखभाल कानून लागू नहीं करा पाए। 

ओबामा हालांकि यह स्वीकार नहीं करेंगे कि 2013 उनके कार्यकाल के लिए बुरा वर्ष था, क्योंकि वह परिवार के साथ हवाई में वार्षिक छुट्टियां मनाने चले गए हैं और उनके काम की सूची में शामिल आव्रजन सुधार से लेकर रोजगार और कर सुधार से लेकर बंदूक नियंत्रण जैसी योजनाएं फिलहाल ठंडे बस्ते में हैं।

यदि ओबामाकेयर की वेबसाइट का संकट खुद द्वारा पैदा किया गया था, तो वर्षात में भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी को लेकर भारत के साथ पैदा हुए कूटनीतिक विवाद के कारण दोनों देशों के संबंधों को खतरा पैदा हो गया है, जिसे ओबामा ने 21वीं सदी की एक निर्णायक साझेदारी करार दिया है।

ओबामा ने जनवरी महीने में जब अपना दूसरा कार्यकाल शुरू किया था तो उस समय 55 प्रतिशत लोग उनके समर्थक थे, लेकिन सीएनएन/ओआरसी के एक नए अंतर्राष्ट्रीय सर्वेक्षण में आज उनकी लोक प्रियता में तीव्र गिरावट आई है और उनके समर्थकों की संख्या 41 प्रतिशत हो गई है। समर्थकों का मौजूदा प्रतिशत उनके पूर्ववर्ती जॉर्ज बुश के साथ मेल खाता है। 

ओबामाकेयर को लेकर हुई फजीहत के अलावा राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी के एडवर्ड स्नोडेन का मामला ओबामा के लिए एक दूसरा झटका रहा, जिसने देश-विदेश में अमेरिका की पोल खोलकर रख दी। बजट के मुद्दे पर सरकार की 16 दिनों की बंदी के बाद रिपब्लिकन पर जीत और रासायनिक हथियारों को नष्ट करने को लेकर सीरिया के साथ समझौता और परमाणु कार्यक्रम रोकने को लेकर ईरान के साथ समझौते से ओबामा अपनी पीठ थपथपा सकते हैं।

लेकिन अपने घरेलू एजेंडे को बचाने की कोशिश में भारत के साथ ओबामा के संबंध खराब हो गए। व्हाइट हाउस द्वारा समर्थित आव्रजन सुधार विधेयक को भारतीय आईटी कंपनियों के लिए स्पष्टरूप से भेदभावपूर्ण माना जा रहा है। इसके अलावा ईरानी प्रतिबंधों के कारण भी भारत प्रभावित हुआ है।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सितंबर में ओबामा के साथ पाकिस्तान से पैदा हो रहे आतंकवाद पर हुई तीसरी शिखर बैठक, प्रथम व्यावसायिक ठेके के साथ भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते की सुरक्षा और रक्षा सहयोग को अग्रिम मोर्चे पर लाने से अच्छे दिन की आशाएं दोबारा जगीं। लेकिन ऐसा हो नहीं पाया। भारतीय विदेश सचिव सुजाता सिंह अमेरिका का अत्यंत उपयोगी और फलदायी दौरा पूरा कर लौटी ही थीं कि न्यूयार्क में एक दूसरी घटना घट गई।

मजेदार बात यह कि इस घटना के पीछे और कोई नहीं बल्कि भारत में पैदा हुए वाल स्ट्रीट के शेरिफ प्रीत भरारा थे। उन्होंने अगले ही दिन वीजा धोखाधड़ी और घरेलू नौकरानी को कम वेतन देने का आरोप लगाते हुए भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े की गिरफ्तारी करवा दी। इस घटना को लेकर दोनों देशों के बीच कूटनीतिक विवाद पैदा हो गया, जो अभी तक सुलझ नहीं पाया है।

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कला उद्योग के लिए उतार-चढ़ाव वाला रहा वर्ष 2013

यह वर्ष अपने आखिरी पड़ाव पर है, तथा भारतीय कला जगत एवं उद्योग के लिए काफी उतार-चढ़ाव वाला साबित हुआ। वर्ष की शुरुआत भारतीय कला मेला (आईएएफ) के जरिए कला जगत के लिए सकारात्मक रही, और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खरीदारों से इसे काफी सराहना भी मिली। 

वर्ष के मध्य में रुपये की कीमत में डॉलर के मुकाबले आई भारी गिरावट के चलते कला उद्योग में भी गिरावट देखने को मिली, लेकिन बाद में इसे जबरदस्त बढ़त भी मिली। विश्वविख्यात नीलामीकर्ता 'क्रिस्टी' ने पहली बार भारत में कदम रखा और पहले ही नीलामी सत्र में एस. गायतोंडे की 1979 में बनाई गई पेंटिंग 23.7 करोड़ रुपये में खरीदी गई, जिसने भारतीय कला उद्योग में सकारात्मक रुझान बने रहने का संकेत दिया।

लंदन की इस नीलामी कंपनी का भारत में पदार्पण वास्तव में भारतीय कला जगत के लिए वर्ष की सबसे बड़ी घटना रही, तथा कंपनी के पहले नीलामी सत्र में आशा से दोगुनी कीमत (96.6 करोड़ रुपये) की कलाकृतियां बिकीं। क्रिस्टी के एशियाई कला जगत के अंतर्राष्ट्रीय निदेशक ह्यूगो वी ने बताया, "पिछले 10 वर्षो में हमारे भारतीय खरीदारों की संख्या में चार गुना वृद्धि हुई है। भारतीय खरीदारों ने विभिन्न प्रकार की कलाकृतियों में रुचि दिखाई है। कला जगत में अन्य तेजी से विकास कर रहे बाजारों की ही भांति भारतीय कलाकृतियों की खरीदारी में लगातार बढ़ोत्तरी दर्ज की गई, लेकिन इस बार इसमें इसके अतिरिक्त भी वृद्धि देखी गई।"

वी ने आगे बताया, "हम मानते हैं कि भारत में कला बाजार तेजी से विकास कर रहा है, तथा यहां काफी संभावनाएं हैं। इसके अलावा हमें पूरा विश्वास है कि भारत, भारतीय संग्रहकर्ता और भारतीय कलाकृतियां बहुत जल्द अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारे विकास में महत्वपूर्ण भागीदार बनेंगे।" एक तरफ भारतीय कला उद्योग में इस वृद्धि ने सकारात्मकता कायम रखी तो दूसरी ओर लंदन के कला उद्योग क्षेत्र में शोध करने वाली स्वतंत्र एजेंसी 'आर्टटैक्टिक' के निष्कर्ष इससे अलग हैं।

आर्टटैक्टिक के अनुसार, "भारतीय कला बाजार में पिछले छह महीने में आत्मविश्वास संकेतक में 13.6 फीसदी की कमी आई है। यह कमी पिछले 18 महीनों से लगातार सकारात्मक रुख बने रहने के बाद देखी गई।"

दिल्ली और लंदन में स्थित कला वीथिका संचालक कंपनी 'वढेरा आर्ट गैलरी' (वीएजी) के निदेशक अरुण वढेरा ने लेकिन उम्मीदें नहीं छोड़ी हैं। उनका कहना है कि वर्तमान भारतीय कला बाजार 65 अरब डॉलर के वैश्विक बाजार की तुलना में 40 करोड़ डॉलर वार्षिक का है। वढेरा ने बताया, "रुपये के कमजोर होने का भारतीय कला बाजार पर कोई असर नहीं पड़ा है। यह बहुत अलग बाजार है, जिसकी पूंजी इसका जुनून है। इसीलिए यहां बाहरी प्रभावों ने संग्रहकर्ताओं को प्रभावित नहीं किया।"

भारतीय कला मेला की संस्थापक निदेशक नेहा किरपाल ने कहा, "पिछले तीन वर्षो से लोगों में भारतीय कला बाजार को लेकर उम्मीदें बढ़ी हैं, तथा यह बहुत ही सकारात्मक है। जो भारतीय समकालीन कला बाजार के लिए बहुत ही उत्साहवर्धक है।" युनाइटेड आर्ट फेयर के लिए यह वर्ष उतना भाग्यशाली नहीं रहा। 2.5 करोड़ रुपयों की कलाकृतियों से सजे इस कला मेला से सिर्फ 15 लाख रुपये कीमत की कलाकृतियां ही बिक सकीं।

युनाइटेड आर्ट फेयर के निदेशक अनुराग शर्मा ने बताया, "लोगों में थोड़ी हिचक थी। शायद गिरती अर्थव्यवस्था ने लोगों को कलाकृतियों के संग्रह से रोका। मुझे इस संदर्भ में कोई अंदाजा नहीं है। मेले में बिक्री बहुत कम रही।" क्रिस्टी के भारत में बेहतरीन प्रदर्शन के बाद हालांकिभारतीय कला बाजार के ऊपर छाए सारे काले बादल छंट गए। वढेरा का कहना है कि कुल मिलाकर यह वर्ष भारतीय कला बाजार के लिए बहुत अच्छा रहा, तथा क्रिस्टी के पदार्पण से भारत के घरेलू बाजार को काफी प्रोत्साहन मिला है।

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विहंगावलोकन 2013: टीवी पर नायिकाओं का फैशनेबल रुझान

छोटे पर्दे की कुछ अभिनेत्रियां ऐसी हैं जो जिनका नाम टीवी की सबसे स्टाइलिश अभिनेत्रियों में शुमार है लेकिन उन्होंने ज्यादा श्रृंगार को नजरअंदाज किया और अपने स्टाइलिश वार्डरोब के जरिए टीवी पर नया चलन लेकर आईं। 

2013 के ऐसे 10 चेहरों को चुना है जो लंबे समय तक बड़े पर्दे पर हावी रहीं और अपनी विशिष्ट शैली से सभी को प्रभावित किया। * 'कुबूल है' में जोया के किरदार में सुरभि ज्योति : जोया बनी सुरभि शो में जींस, टकइन टॉप, जैकेट के साथ छोटी कुर्तियां पहनती हैं। उनका जटिल कढ़ाई वाला शरारा, बैकलेस ब्लाउज या फूलों वाले स्कार्फ के साथ अनारकली सूट भी दिलकश हैं। 

* 'बड़े अच्छे लगते हैं' की नताशा और 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' में कपिल की बीवी बनी समोना चक्रबर्ती : 'बड़े अच्छे..' की नताशा बनकर समोना ने सेक्वीन टॉप, शॉर्ट स्कर्ट और स्लिंग बैग, लाल लिपिस्टक और फ्रिंग कट हेयर स्टाइल में सबको मोह लिया। वहीं 'कॉमेडी नाइट्स' में गहरे गले और बिना अस्तीनों वाले ब्लाउज और साथ साड़ी में नजर आईं।

* 'प्यार का दर्द है' में अवंतिका के किरदार में मानसी साल्वी : शो में शादीशुदा बेटे की मां के किरदार में अवंतिका ने चीनी कॉलर या वेलवेट के ब्लाउज के साथ साड़ी पहनी है। उनके स्टाइलिश आभूषण उसमें चार चांद लगा देते हैं। 

* 'कुछ तो लोग कहेंगे' में डॉक्टर निधि के किरदार में कृतिका कामरा : किसी सामान्य लड़की की तरह कृतिका अधिकतर छोटे कुर्ते औ चूड़ीदार पायजामे में दिखी। 

* 'सवरीन गुग्गल टॉपर ऑफ द इयर' में सवरीन गुग्गल के किरदार में स्मृति कालरा : कालेज की लड़की के किरदार में साधारण टॉप और टाइट फिटिंग जींस और रंगीन पतलून के साथ सादी चूड़ियों और हेयरबैंड में स्मृति स्मार्ट लुक में नजर आईं।

* 'क्या हुआ तेरा वादा' में अनुष्का सरकार के किरदार में मौली गांगुली : व्यवसायी महिला के किरदार में मौली ने चलन वाले औपाचारिक परिधानों से लेकर ट्रैकसूट तक पहने। 

* 'बिग बॉस साथ 7' में गौहर खान : 'बिग बॉस साथ 7' के घर में गौहर स्टाइल आइकॉन के तौर पर नजर आईं। फूलों के डिजाइन वाले परिधान हो ,जंपसूट या गाउन, हर परिधान में वह फैशनेबल नजर आईं।

* 'बड़े अच्छे लगते हैं' में प्रिया के किरदार में साक्षी तंवर : प्रिया के किरदार में साक्षी जींस- टॉप से लेकर सूट और साड़ी तक पहनी और हर पोशाक में वह बेहतरीन लगीं।

* 'बड़े अच्छे लगते हैं' में कृष्णा अमरनाथ कपूर के किरदार में मधु राजा : नायक राम कपूर की मां का किरदार निभा रहीं मधु की साड़ियां, हेयर स्टाइल और मेकअप हर किसी को आकर्षित करता है।

* 'कबूल है' में दिलशाद के किरदार में शालिनी कपूर : गौरवाशाली मुस्लिम महिला दिलशाद के किरदार में शालिनी अधितकतर स्टाइलिश कट कुर्तो के साथ पैंट सलवार और दुपट्टे में नजर आती हैं।

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दिन में ऊनी साल तो रात में रेशमी रजाई ओढ़ रहे हैं भगवान

ठंड का असर केवल आम लोगों को ही नहीं बल्कि भगवान को भी होता है| यह सुनने में थोड़ा अटपटा जरुर लग रहा होगा लेकिन यह सच है| भगवान राम की नगरी अयोध्या में ठंड व कोहरे के बढ़ने से अधिग्रहीत परिसर के अस्थाई मंदिर में विराजमान रामलला सहित अन्य मंदिरों में विराजमान भगवान की मूर्तियों को भी रजाई ओढ़ाई जाने लगी है। इतना ही नहीं ठंड के बढ़ने से भगवान की सेवा भी बदल गई है| अब फूलों की जगह देशी घी की बत्ती से आरती की जा रही है।

जहाँ रामलला को गर्मी में ठंडक पहुंचाने के लिए फूलों से आरती किए जाने की परंपरा है। वहीँ, ठंड से बचाने के लिए भगवान को पुष्पहार की बजाय कृत्रिम हार पहनाया जा रहा है। गर्भगृह में आग जलाकर अंगीठी रखी जा रही है। प्रात:काल अभिषेक के लिए अर्चकों द्वारा गर्म जल का प्रयोग किया जा रहा है। इसके अलावा रामलला को रेशमी रजाई ओढ़ाई जा रही है| 

रामलला के मुख्य अर्चक सत्येंद्र दास ने बताया कि मौसम के बदलने के साथ भगवान को हिना, कस्तूरी, केसर, जूही व रातरानी की सुगंध लगायी जा रही है। देव विग्रहों को गर्म कपड़ों के अलावा दिन में ऊनी शाल व रात में रजाई अथवा कंबल ओढ़ाया जा रहा है। कनक भवन, मणिराम दास जी की छावनी, रामवल्लभाकुंज, कालेराम मंदिर, रामहर्षणकुंज, जानकी महल ट्रस्ट, दशरथ महल, रंगमहल, लक्ष्मण किला, सियाराम किला, कोसलेश सदन, अशर्फी भवन, उत्तर तोताद्रि मठ, दंतधावन कुंड, रामकथा कुंज, हनुमत निवास, हनुमत सदन, विजय राघव मंदिर नई छावनी आदि मंदिरों में भगवान को ठंड से बचाने की व्यवस्था आरंभ कर दी गई है।

जानकी महल स्थित गणेश जी को पुजारी द्वारा कंबल ओढ़ाया जा रहा है। रामनगरी के सिद्ध संतों की श्रृंखला के सुमेरु स्वामी रामवल्लभाशरण की तपोस्थली रामवल्लभाकुंज में भगवान की सेवा के विविध उपाय किए जा रहे हैं। पीठ के अधिकारी राजकुमार दास ने बताया कि भगवान राम-जानकी के सामने गर्भगृह में आग की अंगीठी दोनों समय रखी जा रही है। भगवान के अभिषेक के लिए मुख्य अर्चक रामाभिषेक दास द्वारा गर्म जल, कस्तूरी, जूही आदि सुगंध का प्रयोग कर ऊनी वस्त्र पहनाए जा रहे हैं। इतना ही सभी मंदिरों में भगवान के जागरण व शयन का समय भी मौसम के अनुरूप बदल चुका है।

अधिकांश मंदिरों में प्रात: सात बजे भगवान के पट खुलने के साथ-साथ रात्रि नौ बजे शयन कराया जा रहा है। अलग-अलग मंदिरों का यह समय भिन्न-भिन्न है। नागेश्वरनाथ मंदिर में भगवान महादेव के लिए शयन आरती के बाद बाकायदा बिस्तर लगाकर रजाई आदि से सेवा की जा रही है।

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जानिए भोजन से पहले क्यों लगाते हैं भगवान को भोग?

आपने देखा होगा कि कुछ लोग भोजन करने से पहले थोड़ा भोजन थाली से बाहर रखकर नैवैद्य रुप में अर्पित करते हैं और हाथ जोड़कर प्रणाम करने के बाद ही भोजन ग्रहण करते हैं| क्या आपको पता है इसके पीछे क्या धार्मिक कारण है? यदि नहीं तो हम आपको बताते हैं कि इसके पीछे धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक कारण भी है| 

तो आइये जानते हैं इसके पीछे क्या धार्मिक कारण है| आपको बता दें कि श्रीमद भगवद गीता के तीसरे अध्याय में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि जो व्यक्ति बिना यज्ञ किए भोजन करता है वह चोरी का अन्न खाता है। इसका अर्थ यह है कि जो व्यकि भगवान को अर्पित किए बिना भोजन करता है वह अन्न देने वाले भगवान से अन्न की चोरी करता है। ऐसे व्यक्ति को उसी प्रकार का दंड मिलता है जैसे किसी की वस्तु को चुराने वाले को सजा मिलती है।

इतना ही नहीं, ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी लिखा है कि "अन्न विष्टा, जलं मूत्रं, यद् विष्णोर निवेदितम्। यानी भगवान को बिना भोग लगाया हुआ अन्न विष्टा के समान और जल मूत्र के तुल्य है। ऐसा भोजन करने से शरीर में विकार उत्पन्न होता है और विभिन्न प्रकार के रोग होते हैं।

वहीँ, इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है तो आइये जाने वैज्ञानिक कारण क्या हैं? वैज्ञानिक दृष्टि से स्वस्थ रहने के लिए भोजन करते समय मन को शांत और निर्मल रखना चाहिए। अशांत मन से किया गया भोजन पचने में कठिन होता है। इससे स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। इसलिए मन की शांति के लिए भोजन से पहले अन्न का कुछ भाग भगवान को अर्पित करके ईश्वर का ध्यान करने की सलाह वेद और पुराणों में दी गई है।

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2013 में उबाऊ टीवी कार्यक्रमों की कोई जगह नहीं मिली

छोटे पर्दे के ठेठ सास-बहू या पारिवारिक कार्यक्रमों ने बहुत लंबी जिंदगी जी ली है! 'छनछन' और 'दिल की नजर से खूबसूरत' सरीखे टीवी कार्यक्रम की असफलता ने साफ संदेश दिया है कि दर्शक अब कुछ नई और मौलिक सामग्री चाहते हैं। 

रोमांचक कार्यक्रम '24' और 'कॉमेडी नाइट्स विद कपिल' के जादू से घिरे हिंदी मनोरंजक चैनलों के प्रशंसकों ने अब पुरानी और उबाऊ सास-बहू कहानियों को ठेंगा दिखा दिया है। कार्यक्रम खंड में उन्होंने दो मुस्लिम परिवारों की कहानी 'कबूल है' और शरतचंद्र चट्टोपध्याय के उपन्यास नाबा बिधान पर आधारित 'तुम्हारी पाखी' को सराहा। ऐसे कार्यक्रमों को सूचीबद्ध किया है जिनकी शुरुआत तो दमदार रही, लेकिन वह जल्द असफल साबित हुए।

छनछन : दिलचस्प ट्रीजर और जबर्दस्त विपणन के साथ शुरू हुए सोनी के कार्यक्रम 'छनछन' ने आम सास-बहू धारावाहिकों में एक सुखद बदलाव लाने का वादा किया। लेकिन यह निर्थक निकला। इसकी विषयवस्तु नई बोतल में पुरानी शराब सरीखी निकली। यह शो 25 मार्च से प्रसारित हुआ और 19 सितंबर को बंद हो गया। 

सावित्री : सब कुछ अलौकिक देखने योग्य नहीं होता। 'सावित्री' की असफलता यह बात सिद्ध करती है। लाइफ ओके चैनल के इस कार्यक्रम की विषयवस्तु आकर्षक थी। कार्यक्रम में एक गृहिणी (रिद्धी डोगरा) अपने पति (यश पंडित) को बुरे मनुष्य राहुकाल से बचाने के लिए लड़ती है। लेकिन कार्यक्रम को दर्शकों से अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिलीं। कार्यक्रम फरवरी में प्रसारित होना शुरू हुआ और सिर्फ अक्टूबर तक ही चल सका।

मिसेज पम्मी प्यारेलाल : इस गुदगुदाते कार्यक्रम ने शुरुआत में काफी दर्शक पाए। लेकिन पुरुष पात्र गौरव गेरा का महिला रूप लेना और पम्मी बनना दर्शकों को ज्यादा दिन नहीं लुभा सका। जुलाई में कलर्स चैनल पर शुरू हुआ यह कार्यक्रम चार माह के भीतर ही हवा हो गया। 

दिल की नजर से खूबसूरत : आमतौर पर खूबसूरती और जंगलीपन की अवधारणा काम करती है, लेकिन धमाकेदार शुरुआत करने वाला कार्यक्रम 'दिल की नजर से खूबसूरत' रिरियाहट के साथ बंद हुआ। सौम्या सेठ, रोहित खुराना और सचिन श्राफ अभिनीत यह कार्यक्रम फरवरी में प्रसारित होना शुरू हुआ, लेकिन दर्शकों के कम झुकाव के चलते जुलाई में बंद कर दिया गया।

पुनर्विवाह..एक नई उम्मीद : पहले भाग की सफलता के बाद 'पुनर्विवाह' अपने दूसरे भाग 'पुनर्विवाह..एक नई उम्मीद' के साथ आया। इसका पहला भाग मनोरंजक और दिलचस्प था। गुरमीत चौधरी और कृतिका सेंगर के बीच की केमिस्ट्री से छोटा पर्दा सुलग उठा। लेकिन दूसरे भाग में करन ग्रोवर, सृष्टि रोडे और रूबीना दिलक की त्रिकोणीय प्रेमकहानी विषयवस्तु को मसालेदार बनाने में असफल रही। दूसरे भाग ने दर्शकों को निराश किया। जी टीवी पर प्रसारित होने वाला यह कार्यक्रम अपनी शुरुआत के छह माह बाद (नवंबर में) वापस खींच लिया गया।
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इस साल बॉलीवुड ने रचे कई नए कीर्तिमान

वर्ष 2013 में अपने 100वें साल में कदम रख चुके भारतीय फिल्मोद्योग ने इस साल में कुछ सुनहरे अवसर देखे हैं। चाहे फिल्म 'धूम 3' का महज तीन दिनों में सर्वाधिक तेजी से 100 करोड़ रुपये कमाना हो या 'चेन्नई एक्सप्रेस' का 216 करोड़ रुपये बटोरना हो या अमिताभ बच्चन का हॉलीवुड में पहला कदम रखना हो। 

बॉलीवुड के इस साल के कुछ ऐसे ही सुनहरे क्षणों की सूची बनाई है, जो निम्न प्रकार है।

- नए बॉक्स ऑफिस रिकॉर्ड: करीब 2013 के मध्य में शाहरुख खान ने अपनी फिल्म 'चेन्नई एक्सप्रेस' से साबित कर दिया कि उन्हें बॉलीवुड का बादशाह क्यों कहा जाता है। उनकी यह फिल्म तेजी से 216 करोड़ रुपये कमाने वाली फिल्म बन गई है।

- सबसे तेजी से 100 करोड़ की कमाई : आमिर खान दिसंबर में 'धूम 3' लेकर आए और तेजी से 'चेन्नई एक्सप्रेस' से आगे निकल गए हैं। इस फिल्म ने प्रदर्शन के पहले तीन दिनों में ही 107 करोड़ रुपये की कमाई कर ली है।

- नए बाजार: हिन्दी फिल्मों ने पेरू, पनामा और मोरक्को सरीखे गैर परंपरागत बाजारों का रुख किया है। 'चेन्नई एक्सप्रेस' सात नए अंतर्राष्ट्रीय स्थलों पर प्रदर्शित की गई थी। अक्षय कुमार अभिनीत 'बॉस', ऋतिक रोशन अभिनीत 'क्रिश 3' और आमिर की 'धूम 3' ने बॉलीवुड को अंतर्राष्ट्रीय बाजारों से जोड़ा है।

- अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा में कदम: अपने चार दशक से अधिक के अभिनय करियर में अमिताभ बच्चन पहली बार हॉलीवुड फिल्म 'द ग्रेट गैट्बाय' में दिखे। वहीं, अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने एनिमेटेड फिल्म 'प्लेंस' में अपनी आवाज दी। हॉलीवुड की फिल्मों में दिखे अन्य अभिनेताओं में अनुपम खेर भी शामिल हैं। वह ऑस्कर विजेता फिल्म 'सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक' में देखे गए।

- स्वतंत्र फिल्मों का गर्मजोशी से स्वागत : किसने सोचा था कि प्रेम में ठुकराए गए दो लोगों की कहानी 'द लंचबॉक्स' दर्शकों को इतनी पसंद आएगी। लेकिन 'द लंचबॉक्स' ने ऐसा किया। इसके अलावा फिल्म 'शिप ऑफ थीसिस', 'शाहिद' और 'बी.ए. पास' ने भी अपनी दमदार पटकथा से ऐसा कर दिखाया। 

- देसी फिल्मों में विदेशी चेहरे : इस साल बॉलीवुड फिल्म 'मिकी वायरस', 'यमला पगला दीवाना 2' और 'भाग मिल्खा भाग' में क्रमश: स्वीडिश अभिनेत्री एली आवरम, ऑस्ट्रेलियाई अभिनेत्री क्रिस्टिना अखीवा और रेबेका ब्रीड्स भारतीय दर्शकों से रूबरू हुईं। 

- दक्षिण भारतीय सितारों का तांता : इस साल दक्षिण भारतीय सिनेमा के चमकते सितारे रामचरण तेजा, धनुष, तमन्ना भाटिया और तापसी पन्नू ने बॉलीवुड में कदम रखा। राम चरण 'जंजीर' में दिखे तो धनुष ने 'रांझना' में जबर्दस्त अभिनय किया। तमन्ना 'हिम्मतवाला' में अजय देवगन के साथ दिखीं। जबकि तापसी ने 'चश्मे-बद्दूर' में दर्शकों को खूब गुदगुदाया।
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क्यों करते हो लड़की का अपमान

लड़के लड़की में क्यों होता मतभेद यहाँ,
               क्यों लड़की होना निषेध यहाँ 
 कहते हैं भारत सभ्यताओं का देश है,
               पर यहाँ लड़कियों को मारने का अध्यादेश है,
गर मानते हो भगवान है,
               तो लड़की दुर्गा का अवतार है,,,
उसकी तो महिमा ही अपरंपार है,,
                क्यों करते हो लड़की का अपमान,,,,
वही तो देती है तुम्हें सम्मान,,
                 पूज़तीं है तुम्हें कह-कह के भगवान,,,
और तुम करते हो लड़की का अपमान,,
                  सम्मान करो लड़की का,,,
तो अच्छा ही फल पाओगे,,
                  गर करोगे ज़ुल्म लड़की पर,,,
तो पाप तुम्ही कमाओगे,,
                  जब लड़की का युग आएगा,,,
तो नज़रे मिलाने में शर्म तुम्हे आएगा,,
                   ले लो शपथ आज सभी,,,
नहीं करोगे लड़की का अपमान,,
                    दोगे तुम भी उसे सम्मान,,,
गर ना दे सको सम्मान,,
                    तो फिर ना करो उसका अपमान,,,

दीक्षा पटेल (श्रुति)
सीता बाल विद्या मंदिर इंटर कॉलेज
महमूदाबाद सीतापुर (उत्तर प्रदेश)
 

अरविंद केजरीवाल: सामाजिक कार्यकर्ता से राजनीतिक सुनामी

दिल्ली के विधानसभा चुनाव में धमाकेदार और एक लहर की तरह छा जाने वाले अरविंद केजरीवाल वर्षो तक एक गुमनाम सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में दिल्ली में रहने वाले निर्धनों के बीच उम्मीद की किरण की तरह काम करते रहे। कल का सामाजिक कार्यकर्ता राजनीति के क्षितिज पर आज जिस तरह खड़ा है उसे राजनीतिक सुनामी कहा जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी। 

पहली बार अरविंद के नाम से देश तब वाकिफ हुआ जब वर्ष 2011 में महाराष्ट्र से आए सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने 12 दिनों तक भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल विधेयक पारित करने की मांग को लेकर अनशन किया था। उस समय अरविंद अन्ना के प्रवक्ता की भूमिका निभा रहे थे और आंदोलन की पूरी कमान उन्हीं के हाथों में थी।

आंदोलन के इस कुशल प्रबंधक ने अपने मेंटर अन्ना हजारे से भिन्न राह पकड़ते हुए आम आदमी पार्टी के नाम से राजनीतिक दल का गठन किया और दिल्ली विधानसभा चुनाव को लक्ष्य कर काम शुरू किया। उनके प्रबंध कौशल का ही परिणाम है कि महज एक वर्ष पुरानी उनकी पार्टी ने न केवल 15 वर्षो से सत्ता पर काबिज कांग्रेस को उखाड़ फेंका, बल्कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता रथ का पहिया भी थाम दिया। 

इतना ही नहीं, दिल्ली में कांग्रेस की छवि मानी जाने वाली शीला दीक्षित को केजरीवाल ने करारी शिकस्त दी और दिल्ली में भाजपा के वोट प्रतिशत को भी कम कर दिया। दिल्ली के नए मुख्यमंत्री अरविंद के सामने कई चुनौतियां हैं। उनकी पहली चुनौती यह है कि 70 सदस्यीय दिल्ली विधानसभा में उनकी पार्टी के 28 विधायक ही हैं। यानी वह एक अल्पमत सरकार के मुखिया होंगे। यह ऐसी स्थिति है जिसमें सरकार को हर विधायी फैसले के लिए अपने कटु विरोधी दल का मुंह जोहना होगा। 

लेकिन अरविंद के मित्र बताते हैं कि वह हमेशा से योद्धा रहे हैं।

हरियाणा के हिसार जिले के सिवानी गांव में 16 अगस्त 1968 को एक मध्यवर्गीय परिवार में उनका जन्म हुआ था। अंग्रेजी माध्यम के मांटेसरी स्कूल में शिक्षा प्रारंभ करने वाले केजरीवाल को परिवार वाले चिकित्सक बनाने का सपना देखते थे। लेकिन उन्होंने परिवार की मर्जी के खिलाफ भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, खड़गपुर में दाखिला लिया और वहां उन्होंने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद वे भारतीय राजस्व सेवा में आए और भ्रष्टाचार के लिए सर्वाधिक बदनाम माने जाने वाले आयकर विभाग में अधिकारी नियुक्त हुए।

राजस्व सेवा की नौकरी छोड़ सामाजिक बदलाव के लिए सड़क पर उतरे केजरीवाल को वर्ष 2006 में रोमन मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।

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दूरसंचार उद्योग के लिए संक्रमण काल रहा 2013

भारत 2013 में 90 करोड़ टेलीफोन कनेक्शन के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा दूरसंचार बाजार बना रहा और एक साल पहले के उहापोह से बाहर निकल गया, लेकिन अगली पीढ़ी की सेवा को अपनाने की दिशा में कुछ अधिक प्रगति नहीं हुई। 

राष्ट्रीय दूरसंचार नीति (एनटीपी) 2012 के जारी होने से सरकार को हालांकि आगे की दिशा मिल गई, लेकिन 2008 में स्पेक्ट्रम बिक्री से संबंधित मामलों के कारण फैसला लेने की प्रक्रिया कुंठित रही। सरकार ने हालांकि अधिग्रहण और विलय नीति जारी करने और इस क्षेत्र में 100 फीसदी विदेशी निवेश को अनुमति देने जैसे कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए।

सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओएआई) के महानिदेशक राजन एस मैथ्यूज ने आईएएनएस से कहा, "2013 की शुरुआत एनटीपी 2012 जारी करने से हुई, जिससे क्षेत्र में स्थिरता कायम हो सकती है।" उधर दूरसंचार परामर्श कंपनी कॉम फर्स्ट के निदेशक महेश उप्पल ने हालांकि कहा, "एनटीपी 2012 लागू करना एक सकारात्मक कदम है, लेकिन इसका तत्काल प्रभाव अधिक नहीं होगा।"

उप्पल ने कहा, "2जी और 3जी पर मौजूदा विवाद का अधिक संबंध नीति से नहीं है, बल्कि प्रक्रिया से है।" क्षेत्र के कारोबारी हालांकि नई अधिग्रहण और विलय नीति से उत्साहित हैं। उप्पल का मानना है कि इससे मध्यम आकार की कंपनियों को फायदा मिलेगा और बड़ी कंपनियों को अधिक विकल्प मिलेंगे।

गार्टनर के प्रमुख शोध विश्लेषक ऋषि तेजपाल ने कहा, "अधिग्रहण और विलय नीति का गहरा प्रभाव होगा। एक बार बाजार में स्थिरता आ जाए, तो यह अपना असर दिखाने लगेगा। स्पष्टता का माहौल बने तो कुछ और विदेशी कंपनियां निवेश कर सकती हैं।"

100 फीसदी विदेशी निवेश से हालांकि विश्लेषकों को अधिक उम्मीद नहीं है। उप्पल ने कहा, "वोडाफोन के अलावा कम ही कंपनियां अधिक उत्सुक हैं। वोडाफोन अपनी हिस्सेदारी 64.38 फीसदी से बढ़ाना चाहती है। इस क्षेत्र के लिए निवेश एक प्राथमिकता है, लेकिन विदेशी निवेश नहीं।"

केपीएमजी के साझेदार जयदीप घोष ने कहा, "कंपनियों ने ग्राहकों की गुणवत्ता पर ध्यान देना शुरू कर दिया है और मोटा डीलर कमिशन तथा प्रमोशनल मिनट देना छोड़ दिया है। 2008 के बाद पहली बार कॉल दर बढ़ी है।"

उन्होंने कहा कि डाटा ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए कंपनियों ने 3जी किराया 75-80 फीसदी तक घटाते हुए 2जी के समकक्ष कर दिया है। ग्राहकों के मोर्चे पर 2013 में देश में विकास जारी रहा। 2012 के दिसंबर के आखिर में मोबाइल ग्राहकों की संख्या 86.472 करोड़ थी और बुनियादी तार वाले टेलीफोन कनेक्शन की संख्या 3.079 करोड़ थी। इस तरह तार रहित और तार वाले कुल टेलीफोन कनेक्शन की संख्या 89.551 करोड़ थी।

इस साल अक्टूबर के आखिर तक मोबाइल ग्राहकों की संख्या बढ़कर 87.548 करोड़, तार वाले बुनियादी टेलीफोन कनेक्शन की संख्या घटकर 2.908 करोड़ हो गई और तार युक्त तथा तार रहित सभी तरह के टेलीफोन कनेक्शन की कुल संख्या बढ़कर 90.456 करोड़ हो गई।

समग्र टेलीफोन घनत्व जहां पिछले साल के आखिर में 73.01 थी, वह अक्टूबर आखिर में बढ़कर 73.32 हो गई। विश्लेषकों के मुताबिक तरंगों की नीलामी में अपेक्षा के अनुरूप प्रगति नहीं हो पाई। उनके मुताबिक अत्यधिक ऊंचे रिजर्व मूल्य के कारण मार्च में तरंगों की नीलामी से कोई लाभ नहीं मिला।

अब सभी की निगाहें अगले वर्ष 23 जनवरी से शुरू होने वाली स्पेक्ट्रम की अगले दौर की नीलामी पर टिकी हुई है। सरकार के मुताबिक उसने इस वर्ष रिजर्व मूल्य पहले से कम रखा है और इस नीलामी से करीब 65 करोड़ डॉलर का राजस्व हासिल होगा।

2013 संक्षेप में :

- राष्ट्रीय दूरसंचार नीति-2012 जारी

- दूरसंचार क्षेत्र में 100 फीसदी विदेशी हिस्सेदारी को अनुमति

- वोडाफोन ने भारतीय साझेदार की पूरी हिस्सेदारी खरीदने में रुचि दिखाई

- अधिग्रहण और विलय नीति मंजूर

- टेलीकॉम टॉवर कारोबार को अधोसंरचना का दर्जा

- प्रौद्योगिकी के संदर्भ में एकीकृत दूरसंचार लाइसेंस को मंजूरी

- कुल टेलीफोन कनेक्शन अक्टूबर अंत तक 90.456 करोड़।
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देश की शहरी झुग्गियों में रहते हैं 88 लाख परिवार

देश के 88 लाख परिवार शहरों की झुग्गियों में रहते हैं। यह जानकारी मंगलवार को जारी सरकारी आंकड़ों से मिली। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, देश के शहरों की झुग्गियों में रहने वाले 38 फीसदी परिवार महाराष्ट्र में झुग्गियों में रहते हैं।

इस सूची में दूसरे स्थान पर है हैदराबाद, जहां झुग्गियों में रहने वाले 18 फीसदी परिवार रहते हैं। एनएसएसओ ने एक बयान में कहा कि देश के शहरों में करीब 33,510 झुग्गियों बसी हुई हैं। इनमें से 41 फीसदी अधिसूचित हैं और 59 फीसदी गैर अधिसूचित हैं।

जुलाई से दिसंबर 2012 के बीच महाराष्ट्र में अनुमानित 7,723 झुग्गियां हैं, जो देश में कुल झुग्गियों की संख्या की 23 फीसदी है। इसके बाद आंध्र प्रदेश में 13.5 फीसदी, पश्चिम बंगाल में करीब 12 फीसदी झुग्गियां हैं।

अत्यधिक सघन आबादी, स्वच्छता का अभाव, पेयजल सुविधा का अभाव और मकानों का खराब निर्माण इन झुग्गियों की खासियत हैं। एनएसएसओ के मुताबिक, "अनुमानित 88 लाख परिवार शहरों में स्थित झुग्गियों में रहते हैं, जिनमें से 56 लाख अधिसूचित और 32 लाख गैर-अधिसूचित झुग्गियों में रहते हैं।"

देश की समस्त झुग्गियों में से अधिसूचित झुग्गियों का अनुपात 41 फीसदी है, लेकिन इनमें झुग्गियों में रहने वाले 63 फीसदी परिवार रहते हैं। सर्वेक्षण के मुताबिक, करीब 56 फीसदी झुग्गियां ऐसे शहरों में हैं, जहां की आबादी 10 लाख से अधिक है।

बॉलीवुड ने दी क्रिसमस की शुभकामनाएं

अभिनेता अमिताभ बच्चन, अक्षय कुमार और फरहान अख्तर सहित हिंदी फिल्म जगत की कई जानी-मानी हस्तियों ने क्रिसमस के मौके पर अपने मित्रों एवं परिवार के सदस्यों के साथ ही पूरी दुनिया को क्रिसमस की शुभकामनाएं दी और प्रार्थना की कि पूरा वर्ष खुशियों से भरा रहे। कुछ ने जहां क्रिसमस के दिन छुट्टी मनाने का फैसला किया है, वहीं कुछ अपने परिवार से साथ त्यौहार का लुत्फ उठा रहे हैं।

बुधवार को कई फिल्मी सितारों ने ट्विटर पर क्रिसमस की शुभकामनाएं दी। अमिताभ बच्चन ने ट्विटर के अपने खाते पर लिखा, "सभी को क्रिसमस की बधाई..ईश्वर करे यह वर्ष सभी के जीवन में खुशियां, आनंद, संतुष्टि, शांति, समझदारी, स्वास्थ्य और परिवार के साथ अधिक से अधिक दिन गुजारने की सौगात लाए..।"

अक्षय कुमार ने कहा, "सभी को क्रिसमस की ढेरों शुभकामनाएं। वर्ष के आखिर में मैं अपने परिवार के साथ छुट्टी मनाऊंगा..और अपने नन्हे बेटे को क्रिसमस की चकाचौंध और बेहतरीन सजावट के प्रति हर्षोल्लास से झूमते देखने का आनंद उठाऊंगा।"

फरहान अख्तर ने ट्वीट किया, "आप सभी को और आपके प्रियजनों को क्रिसमस की शुभकामनाएं।" मनोज वाजपेई ने अपने ट्विटर संदेश में कहा, "क्रिसमस का अपना उपहार और क्रिसमस ट्री मिलने के बाद अपनी बेटी के चेहरे पर आई खुश देखने से ज्यादा मूल्यवान कुछ भी नहीं है। क्रिसमस की शुभकामनाएं।"

नरगिस फाखरी ने कहा, "जिनके दिल में क्रिसमस की खुशी नहीं है, उसे किसी पेड़ के नीचे खुशी नहीं मिल सकती। सभी को क्रिसमस की ढेरों शुभकामनाएं।" अभिषेक बच्चन, कुणाल कपूर, अर्जुन रामपाल, नेहा धूपिया, उदय चोपड़ा और नृत्य निर्देशिका फराह खान ने भी ट्विटर पर क्रिसमस की शुभकामनाएं दी।
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